2. और इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल- चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो।।
2. And fasshion not your selues lyke vnto this worlde, but be ye chaunged in your shape, by ye renuing of your minde, that ye may proue what is the wyll of God, good, and acceptable, and perfect.