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1. इसलिये मैं कहता हूं, क्या परमेश्वर ने अपनी प्रजा को त्याग दिया? कदापि नहीं; मैं भी तो इस्त्राएली हूं: इब्राहीम के वंश और बिन्यामीन के गोत्रा में से हूं।1 शमूएल 12:22, भजन संहिता 94:14
1. I say, then Hath God cast off his people? Far be it! For, I also, am an Israelite, of the seed of Abraham, of the tribe of Benjamin:
2. परमेश्वर ने अपनी उस प्रजा को नहीं त्यागा, जिसे उस ने पहिले ही से जाना: क्या तुम नहीं जानते, कि पवित्रा शास्त्रा एलियाह की कथा में क्या कहता है; कि वह इस्त्राएल के विरोध में परमेश्वर से बिनती करता है।1 शमूएल 12:22, भजन संहिता 94:14
2. God hath not cast off his people, whom he fore approved. Or know ye not, in the account of Elijah what the scripture saith, when he intercedeth with God against Israel?
3. कि हे प्रभु, उन्हों ने तेरे भविष्यद्वक्ताओं को घात किया, और तेरी वेदियों को ढ़ा दिया है; और मैं ही अकेला बच रहा हूं, और वे मेरे प्राण के भी खोजी हैं।1 राजाओं 19:10, 1 राजाओं 19:14
3. Lord! Thy prophets, have they slain, thine altars, have they overthrown, and, I, am left alone, and they are seeking my life!
4. परन्तु परमेश्वर से उसे क्या उत्तर मिला कि मैं ने अपने लिये सात हजार पुरूषों को रख छोड़ा है जिन्हों ने बाअल के आग घुटने नहीं टेके हैं।1 राजाओं 19:18
4. But what saith unto him the response? I have left for myself seven thousand men, who, indeed, have not bowed a knee unto Baal.
5. सो इसी रीति से इस समय भी, अनुग्रह से चुने हुए कितने लोग बाकी हैं।
5. Thus, then, in the present season also, a remnant, by way of an election of favour, hath come into being.
6. यदि यह अनुग्रह से हुआ है, तो फिर कर्मों से नहीं, नहीं तो अनुग्रह फिर अनुग्रह नहीं रहा।
6. If, however, by favour, no longer of works; else, favour, no longer proveth to be favour!
7. सो परिणाम क्या हुआ? यह कि इस्त्राएली जिस की खोज में हैं, वह उन को नहीं मिला; परन्तु चुने हुओं को मिला और शेष लोग कठोर किए गए हैं।
7. What then? That which Israel seeketh after, the same, it hath not obtained: the election, however, have obtained it, and, the rest, have been hardened;
8. जैसा लिखा है, कि परमेश्वर ने उन्हें आज के दिन तक भारी नींद में डाल रखा है और ऐसी आंखें दी जो न देखें और ऐसे कान जो न सुनें।व्यवस्थाविवरण 29:4, यशायाह 6:9-10, यशायाह 29:10, यहेजकेल 12:2
8. Even as it is written God hath given unto them a spirit of stupor, eyes not to see, and ears not to hear, until this very day;
9. और दाऊद कहता है; उन का भोजन उन के लिये जाल, और फन्दा, और ठोकर, और दण्ड का कारण हो जाए।भजन संहिता 35:8, भजन संहिता 69:22-23
9. And, David, saith Let their table be turned into a snare, and into gin, and into a trap, and into a recompense unto them,
10. उन की आंखों पर अन्धेरा छा जाए ताकि न देखें, और तू सदा उन की पीठ को झुकाए रख।भजन संहिता 35:8, भजन संहिता 69:22-23
10. Darkened be their eyes, not to see, and, their back, do thou continually bow down.
11. सो मैं कहता हूं क्या उन्हों ने इसलिये ठोकर खाई, कि गिर पड़ें? कदापि नहीं: परन्तु उन के गिरने के कारण अन्यजानियों को उद्धार मिला, कि उन्हें जलन हो।व्यवस्थाविवरण 32:21
11. I say then Did they stumble in order that they might fall? Far be it! But, by their fall, salvation hath come unto the nations, to the end of provoking them to jealousy.
12. सो यदि उन का गिरना जगत के लिये धन और उन की घटी अन्यजातियों के लिये सम्पत्ति का कारण हुआ, तो उन की भरपूरी से कितना न होगा।।
12. If, moreover, their fail, is the riches of a world, and their loss, the riches of nations, how much rather their fullness?
13. मैं तुम अन्यजातियों से यह बातें कहता हूं: जब कि मैं अन्याजातियों के लिये प्रेरित हूं, तो मैं अपनी सेवा की बड़ाई करता हूं।
13. Unto you, however, am I speaking, you of the nations; inasmuch, indeed, then, as, I, am an apostle to the nations, my ministry, I glorify,
14. ताकि किसी रीति से मैं अपने कुटुम्बियों से जलन करवाकर उन में से कई एक का उद्धार कराऊं।
14. If by any means I may provoke to jealousy my own flesh, and save some from among them;
15. क्योंकि जब कि उन का त्याग दिया जाना जगत के मिलाप का कारण हुआ, तो क्या उन का ग्रहण किया जाना मरे हुओं में से जी उठने के बराबर न होगा?
15. For, if, the casting away of them, hath become the reconciling of a world, what shall, the taking of them in addition, be, but life from among the dead?
16. जब भेंट का पहिला पेड़ा पवित्रा ठहरा, तो पूरा गुंधा हुआ आटा भी पवित्रा है: और जब जड़ पवित्रा ठहरी, तो डालियां भी ऐसी ही हैं।गिनती 15:17-21, Neh-h 10 37, यहेजकेल 44:30
16. If, moreover, the first fruit is holy, the lump shall be also; and, if the root is holy, the branches shall be also.
17. और यदि कई एक डाली तोड़ दी गई, और तू जंगली जलपाई होकर उन में साटा गया, और जलपाई की जड़ की चिकनाई का भागी हुआ है।
17. If, however, some of the branches, have been broken out, and, thou, being a wild olive hast been grafted in among them, and hast become a joint partaker of the root of the fatness of the olive,
18. तो डालियों पर घमण्ड न करना: और यदि तू घमण्ड करे, तो जान रख, कि तू जड़ को नहीं, परन्तु जड़ तुझे सम्भालती है।
18. Be not boasting over the branches! Howbeit, if thou boast, it is not, thou, that bearest the root, but the root, thee!
19. फिर तू कहेगा डालियां इसलिये तोड़ी गई, कि मैं साटा जाऊं।
19. Thou wilt say, then Branches were broken out in order that, I, might he grafted in.
20. भला, वे तो अविश्वास के कारण तोड़ी गई, परन्तु तू विश्वास से बना रहता है इसलिये अभिमानी न हो, परन्तु भय कर।
20. Well: by their want of faith, they have been broken out, and, thou, by thy faith, dost stand! Regard not lofty things, but be afraid;
21. क्योंकि जब परमेश्वर ने स्वाभाविक डालियां न छोड़ी, तो तुझे भी न छोड़ेगा।
21. For, if, God, hath not spared, the natural branches, neither, thee, will he spare!
22. इसलिये परमेश्वर की कृपा और कड़ाई को देख! जो गिर गए, उन पर कड़ाई, परन्तु तुझ पर कृपा, यदि तू उस में बना रहे, नहीं तो, तू भी काट डाला जाएगा।
22. See, then, the kindness and the severity of God: upon them who have fallen, severity, but, upon thee, the kindness of God, if thou abide still in the kindness, otherwise, thou also, shalt he cut out;
23. और वे भी यदि अविश्वास में न रहें, तो साटे जाएंगे क्योंकि परमशॆवर उन्हें फिर साट सकता है।
23. Whereas, they also, unless they abide still in their want of faith, shall be grafted in, for God is, able, again to engraft them!
24. क्योंकि यदि तू उस जलपाई से, जो स्वभाव से जंगली है काटा गया और स्वभाव के विरूद्ध अच्छी जलपाई में साटा गया तो ये जो स्वाभाविक डालियां हैं, अपने ही जलपाई में साटे क्यों न जाएंगे।
24. For, if, thou, out of the naturally wild olive was cut out, and, beyond nature, hast been engrafted into the good olive, how much rather, shall these, the natural branches be engrafted into their own olive tree?
25. हे भाइयों, कहीं ऐसा न हो, कि तुम अपने आप को बुद्धिमान समझ लो; इसलिये मैं नहीं चाहता कि तुम इस भेद से अनजान रहो, कि जब तक अन्यजातियां पूरी रीति से प्रवेश न कर लें, तब तक इस्त्राएल का एक भाग ऐसा ही कठोर रहेगा।
25. For I wish not, ye should be ignorant, brethren, of this sacred secret, lest within yourselves ye be presumptuous, that, a hardening in part, hath befallen Israel, until, the full measure of the nations, shall come in;
26. और इस रीति से सारा इस्त्राएल उद्धार पाएगा; जैसा लिखा है, कि छुड़ानेवाला सिरयोन से आएगा, और अभक्ति को याकूब से दूर करेगा।भजन संहिता 14:7, यशायाह 59:20, यशायाह 59:20, यिर्मयाह 31:33-34
26. And, so, all Israel shall be saved: even as it is written There shall have come out of Zion the Deliverer, He will turn away ungodliness from Jacob;
27. और उन के साथ मेरी यही वाचा होगी, जब कि मैं उन के पापों को दूर कर दूंगा।यशायाह 27:9, यशायाह 59:21, भजन संहिता 14:7, भजन संहिता 14:7, यिर्मयाह 31:33-34
27. And, this, for them, is the covenant from me, as soon as I take away their sins.
28. वे सुसमाचार के भाव से तो तुम्हारे बैरी हैं, परन्तु चुन लिये जाने के भाव से बापदादों के प्यारे हैं।
28. As touching the joyful-message, indeed, they are enemies for your sake, but, as touching the election, beloved for their father's sake;
29. क्योंकि परमेश्वर अपने बरदानों से, और बुलाहट से कभी पीछे नहीं हटता।
29. For, not to be regretted, are the gifts and the calling of God:
30. क्योंकि जैसे तुम ने पहिले परमेश्वर की आज्ञा न मानी परन्तु अभी उन के आज्ञा न मानने से तुम पर दया हुई।
30. For, just as, ye, at one time had not yielded unto God, and yet now have received mercy by their refusal to yield,
31. वैसे ही उन्हों ने भी अब आज्ञा न मानी कि तुम पर जो दया होती है इस से उन पर भी दया हो।
31. So, these also, have now refused to yield, by your own mercy, in order that, themselves also, should now become objects of mercy;
32. ैक्योंकि परमेश्वर ने सब को आज्ञा न मानने के कारण बन्द कर रखा ताकि वह सब पर दया करे।।
32. For God hath shut up all together, in a refusal to yield, in order that, upon all, he may bestow mercy.
33. आहा! परमेश्वर का धन और बुद्धि और ज्ञान क्या ही गंभीर है! उसके विचार कैसे अथाह, और उसके मार्ग कैसे अगम हैं!यशायाह 45:15, यशायाह 55:8
33. Oh! the depth of the riches and wisdom and knowledge of God! How unsearchable his judgments! and untraceable his ways!
34. प्रभु कि बुद्धि को किस ने जाना? या उसका मंत्री कौन हुआ?अय्यूब 15:8, यशायाह 40:13-14, यशायाह 40:13-14, यिर्मयाह 23:18
34. For who hath come to know the mind of the Lord? Or who hath become his counselor?
35. या किस ने पहिले उसे कुछ दिया है जिस का बदला उसे दिया जाए।अय्यूब 41:11, यशायाह 40:13-14
35. Or who hath first given unto him, and it shall be recompensed to him again?
36. क्योंकि उस की ओर से, और उसी के द्वारा, और उसी के लिये सब कुछ है: उस की महिमा युगानुयुग होती रहे: आमीन।।
36. Because, of him, and through him, and unto him, are all things: unto him, be the glory, unto the ages. Amen!