Acts - प्रेरितों के काम 14 | View All

1. इकुनियुम में ऐसा हुआ कि वे यहूदियों की आराधनालय में साथ साथ गए, और ऐसी बातें की, कि यहूदियों और यूनानियों दोनों में से बहतों ने विश्वास किया।

1. পরে ইকনিয়ে তাঁহারা একসঙ্গে যিহূদীদের সমাজ-গৃহে প্রবেশ করিলেন, এবং এমন ভাবে কথা কহিলেন যে, যিহূদী ও গ্রীকদের বিস্তর লোক বিশ্বাস করিল।

2. परन्तु न माननेवाले यहूदियों ने अन्यजातियों के मन भाइयों के विरोध में उसकाए, और बिगाड़ कर दिए।

2. কিন্তু যে যিহূদীরা অবাধ্য হইল, তাহারা ভ্রাতৃগণের বিপক্ষে পরজাতীয়দের মনকে উত্তেজিত ও হিংসার্থী করিল।

3. और वे बहुत दिन तक वहां रहे, और प्रभु के भरोसे पर हियाव से बातें करते थे: और वह उन के हाथों से चिन्ह और अद्भुत काम करवाकर अपने अनुग्रह के वचन पर गवाही देता था।

3. এইরূপে তাঁহারা সেই স্থানে অনেক দিন অবস্থিতি করিলেন, প্রভুর উপরে সাহস বাঁধিয়া কথা কহিতেন; আর তিনিও আপন অনুগ্রহের বাক্যের পক্ষে সাক্ষ্য দিতেন, তাঁহাদের হস্ত দ্বারা নানা চিহ্ন-কার্য্য ও অদ্ভুত লক্ষণ সাধিত হইতে দিতেন।

4. परन्तु नगर के लोगों में फूट पड़ गई थी; इस से कितने तो यहूदियों की ओर, और कितने प्रेरितों की ओर हो गए।

4. আর নগরের লোকসমূহ দুই দলে বিভক্ত হইল, এক দল যিহূদীদের পক্ষ, অন্য দল প্রেরিতদের পক্ষ হইল।

5. परन्तु जब अन्यजाति और यहूदी उन का अपमान और उन्हें पत्थरवाह करने के लिये अपने सरदारों समत उन पर दोड़े।

5. আর পরজাতীয়েরা ও যিহূদীরা, তাহাদের অধ্যক্ষদের সহিত, তাঁহাদিগকে অপমান করিতে ও পাথর মারিতে সচেষ্ট হইলে তাঁহারা তাহা বুঝিয়া

6. तो वे इस बात को जान गा, और लुकाउनिया के लुस्त्रा और दिरबे नगरों में, और आसपास के देश में भाग गए।

6. লুকায়নিয়ার লুস্ত্রা ও দর্বী নগরে এবং চারিদিকের অঞ্চলে পলায়ন করিলেন;

7. और वहां सुसमाचार सुनाने लगे।।

7. আর তথায় সুসমাচার প্রচার করিতে লাগিলেন।

8. लुस्त्रा में एक मनुष्य बैठा था, जो पांवों का निर्बल था: वह जन्म ही से लंगड़ा था, और कभी न चला था।

8. লুস্ত্রায় এক ব্যক্তি বসিয়া থাকিত, তাহার পায়ে বল ছিল না, সে মাতৃগর্ভ হইতে খঞ্জ, কখনও চলে নাই।

9. वह पौलुस को बातें करते सुन रहा था और इस ने उस की ओर टकटकी लगाकर देखा कि इस को चंगा हो जाने का विश्वास है।

9. সেই ব্যক্তি পৌলের কথা শুনিতেছিল; তিনি তাহার প্রতি একদৃষ্টে চাহিয়া, সুস্থ হইবার জন্য তাহার বিশ্বাস আছে দেখিয়া, উচ্চ রবে বলিলেন,

10. और ऊंचे शब्द से कहा, अपने पांवों के बल सीधा खड़ा हो: तब वह उछलकर चलने फिरने लगा।

10. তোমার পায়ে ভর দিয়া সোজা হইয়া দাঁড়াও; তাহাতে সে লাফ দিয়া উঠিল ও হাঁটিতে লাগিল।

11. लोगों ने पौलुस का यह काम देखकर लुकाउनिया भाषा में ऊंचे शब्द से कहा; देवता हमारे पास उतर आए हैं।

11. আর পৌল যাহা করিলেন, তাহা দেখিয়া লোকেরা লুকায়নীয় ভাষায় উচ্চ রবে বলিতে লাগিল, দেবতারা মনুষ্য-রূপ ধারণ করিয়া আমাদের মধ্যে অবতীর্ণ হইয়াছেন।

12. और उन्हों ने बरनबास को ज्यूस, और पौलुस को हिरमेस कहा, क्योंकि यह बातें करने में मुख्य था।

12. আর তাহারা বার্ণবাকে দ্যুপিতর বলিল, এবং পৌল প্রধান বক্তা, এই জন্য তাঁহাকে মর্কুরিয় বলিল।

13. और ज्यूस के उस मन्दिर का पुजारी जो उस के नगर के साम्हने था, बैल और फूलों के हार फाटकों पर लाकर लोगों के साथ बलिदान करना चाहता था।

13. আর নগরের সম্মুখে দ্যুপিতরের যে মন্দির ছিল, তাহার যাজক কতকগুলি বৃষ ও মালা দ্বারদেশে আনিয়া লোকদের সহিত বলিদান করিতে চাহিল।

14. परन्तु बरनबास और पौलुस प्रेरितों ने जब सुना, तो अपने कपड़े फाड़े, और भीड़ में लपक गए, और पुकारकर कहने लगे; हे लोगो तुम क्या करते हो?

14. কিন্তু প্রেরিতেরা, বার্ণবা ও পৌল, তাহা শুনিয়া আপন আপন বস্ত্র ছিঁড়িয়া, দৌড়িয়া বাহির হইয়া লোকদের মধ্যে গিয়া উচ্চৈঃস্বরে বলিতে লাগিলেন, মহাশয়েরা,

15. हम भी तो तुम्हारे समान दु:ख- सुख भोगी मनुष्य हैं, और तुम्हें सुसमाचार सुनाते हैं, कि तुम इन व्यर्थ वस्तुओं से अलग होकर जीवते परमेश्वर की ओर फिरो, जिस ने स्वर्ग और पृथ्वी और समुद्र और जो कुछ उन में है बनाया।
निर्गमन 20:11, भजन संहिता 146:6

15. এ সকল কেন করিতেছেন? আমরাও আপনাদের ন্যায় সুখদুঃখভোগী মনুষ্য; আমরা আপনাদিগকে এই সুসমাচার জানাইতেছি যে, এই সকল অসার বস্তু হইতে সেই জীবন্ত ঈশ্বরের প্রতি ফিরিয়া আসিতে হইবে, যিনি আকাশ, পৃথিবী, সমুদ্র এবং সেই সকলের মধ্যবর্ত্তী সমস্তই নির্ম্মাণ করিয়াছেন।

16. उस ने बीते समयों में सब जातियों को अपने अपने मार्गों में चलने दिया।

16. তিনি অতীত পুরুষপরম্পরায় সমস্ত জাতিকে আপন আপন পথে গমন করিতে দিয়াছেন;

17. तौभी उस ने अपने आप को बे- गवाह न छोड़ा; किन्तु वह भलाई करता रहा, और आकाश से वर्षा और फलवन्त ऋतु देकर, तुम्हारे मन को भोजन और आनन्द से भरता रहा।
भजन संहिता 147:8, यिर्मयाह 5:24

17. তথাপি তিনি আপনাকে সাক্ষ্যবিহীন রাখেন নাই, কেননা, তিনি মঙ্গল করিতেছেন, আকাশ হইতে আপনাদিগকে বৃষ্টি এবং ফলোৎপাদক ঋতুগণ দিয়া ভক্ষ্যে ও আনন্দে আপনাদের হৃদয় পরিতৃপ্ত করিয়া আসিতেছেন।

18. यह कहकर भी उन्हों ने लोगों को कठिनता से रोका कि उन के लिये बलिदान न करें।।

18. এই সকল কথা বলিয়া তাঁহারা কষ্টে সৃষ্টে তাঁহাদের উদ্দেশে বলিদান করণ হইতে লোকসমূহকে নিবৃত্ত করিলেন।

19. परन्तु कितने यहूदियों ने अन्ताकिया और इकुनियम से आकर लोगों को अपनी ओर कर लिया, और पौलुस को पत्थरवाह किया, और मरा समझकर उसे नगर के बाहर घसीट ले गए।

19. কিন্তু আন্তিয়খিয়া ও ইকনিয় হইতে কয়েক জন যিহূদী আসিল; আর তাহারা লোকসমূহকে প্রবৃত্তি দিয়া পৌলকে পাথর মারিল, এবং নগরের বাহিরে টানিয়া লইয়া গেল, মনে করিল, তিনি মরিয়া গিয়াছেন।

20. पर जब चेले उस की चारों ओर आ खड़े हुए, तो वह उठकर नगर में गया और दूसरे दिन बरनबास के साथ दिरबे को चला गया।

20. কিন্তু শিষ্যগণ তাঁহার চারি পার্শ্বে দাঁড়াইলে তিনি উঠিয়া নগরমধ্যে প্রবেশ করিলেন। পরদিন তিনি বার্ণবার সহিত দর্বীতে চলিয়া গেলেন।

21. और वे उस नगर के लोगों को सुसमाचार सुनाकर, और बहुत से चेले बनाकर, लुस्त्रा और इकुनियम और अन्ताकिया को लौट आए।

21. আর সেই নগরে সুসমাচার প্রচার করিয়া এবং অনেক লোককে শিষ্য করিয়া তাঁহারা লুস্ত্রায়, ইকনিয়ে ও আন্তিয়খিয়ায় ফিরিয়া গেলেন;

22. और चेलों के मन को स्थिर करते रहे और यह उपदेश देते थे, कि हमें बड़े क्लेश उठाकर परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना होगा।

22. যাইতে যাইতে তাঁহারা শিষ্যদের মন সুস্থির করিলেন, এবং তাহাদিগকে আশ্বাস দিতে লাগিলেন, যেন তাহারা বিশ্বাসে স্থির থাকে, আর কহিলেন, অনেক ক্লেশের মধ্য দিয়া আমাদিগকে ঈশ্বরের রাজ্যে প্রবেশ করিতে হইবে।

23. और उन्हों ने हर एक कलीसिया में उन के लिये प्राचीन ठहराए, और उपवास सहित प्रार्थना करके, उन्हें प्रभु के हाथ सौंपा जिस पर उन्हों ने विश्वास किया था।

23. আর তাঁহারা তাহাদের জন্য প্রত্যেক মণ্ডলীতে প্রাচীনবর্গ নিযুক্ত করিয়া, এবং উপবাস পূর্ব্বক প্রার্থনা করিয়া, যে প্রভুতে তাহারা বিশ্বাস করিয়াছিল, তাঁহার হস্তে তাহাদিগকে সমর্পণ করিলেন।

24. और पिसिदिया से होते हुए वे पंफूलिया में पहुंचे;

24. পরে তাঁহারা পিষিদিয়ার মধ্য দিয়া গমন করিয়া পাম্ফুলিয়ায় উপস্থিত হইলেন।

25. और पिरगा में वचन सुनाकर अत्तलिया में आए।

25. আর তাঁহারা পর্গাতে বাক্য প্রচার করিয়া অত্তালিয়াতে চলিয়া গেলেন;

26. और वहां से जहाज से अन्ताकिया में आए, जहां से वे उस काम के लिये जो उन्हों ने पूरा किया था परमेश्वर के अनुग्रह पर सौंपे गए थे।

26. এবং তথা হইতে জাহাজে আন্তিয়খিয়ায় যাত্রা করিলেন, যে কার্য্য তাঁহারা সাধন করিয়া আসিয়াছেন, এই স্থান হইতেই তাঁহারা তজ্জন্য ঈশ্বরের অনুগ্রহে সমর্পিত হইয়াছিলেন।

27. वहां पहुंचकर, उन्हों ने कलीसिया इकट्ठी की और बताया, कि परमेश्वर ने हमारे साथ होकर कैसे बड़े बड़े काम किए! और अन्यजातियों के लिये विश्वास का द्वार खोल दिया।

27. তাঁহারা যখন উপস্থিত হইলেন, ও মণ্ডলীকে একত্র করিলেন, তখন ঈশ্বর তাঁহাদের সঙ্গে সঙ্গে থাকিয়া যে কত কার্য্য করিয়াছিলেন ও তিনি যে পরজাতীয়দের নিমিত্তে বিশ্বাসদ্বার খুলিয়া দিয়াছিলেন, সেই সকল বর্ণনা করিলেন।

28. और वे चेलों के साथ बहुत दिन तक रहे।।

28. পরে তাঁহারা শিষ্যদের সঙ্গে অনেক দিন থাকিলেন।



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