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1. एक दिन ऐसा हुआ कि जब वह मन्दिर में लोगों को उपदेश देता और सुसमाचार सुना रहा था, तो महायाजक और शास्त्री, पुरनियों के साथ पास आकर खड़े हुए।
1. One day as He was teaching the people in the temple complex and proclaiming the good news, the chief priests and the scribes, with the elders, came up
2. और कहने लगे, कि हमें बता, तू इन कामों को किस अधिकार से करता है, और वह कौन है, जिस ने तुझे यह अधिकार दिया है?
2. and said to Him: 'Tell us, by what authority are You doing these things? Who is it who gave You this authority?'
3. उस ने उन को उत्तर दिया, कि मैं भी तुम में से एक बात पूछता हूं; मुझे बताओ।
3. He answered them, 'I will also ask you a question. Tell Me,
4. यूहन्ना का बपतिस्मा स्वर्ग की ओर से था या मनुष्यों की ओर से था?
4. was the baptism of John from heaven or from men?'
5. तब वे आपस में कहने लगे, कि यदि हम कहें स्वर्ग की ओर से, तो वह कहेगा; फिर तुम ने उस की प्रतीति क्यों न की?
5. They discussed it among themselves: 'If we say, 'From heaven,' He will say, 'Why didn't you believe him?'
6. और यदि हम कहें, मनुष्यों की ओर से, तो सब लोग हमें पत्थरवाह करेंगे, क्योंकि वे सचमुच जानते हैं, कि यूहन्ना भविष्यद्वकता था।
6. But if we say, 'From men,' all the people will stone us, because they are convinced that John was a prophet.'
7. सो उन्हों ने उत्तर दिया, हम नहीं जानते, कि वह किस की ओर से था।
7. So they answered that they did not know its origin.
8. यीशु ने उन से कहा, तो मैं भी तुम को नहीं बताता, कि मैं ये काम किस अधिकार से करता हूं।
8. And Jesus said to them, 'Neither will I tell you by what authority I do these things.'
9. तब वह लोगों से यह दृष्टान्त कहने लगा, कि किसी मनुष्य ने दाख की बारी लगाई, और किसानों को उसका ठेका दे दिया और बहुत दिनों के लिये परेदश चला गया।यशायाह 5:1-7
9. Then He began to tell the people this parable: 'A man planted a vineyard, leased it to tenant farmers, and went away for a long time.
10. समय पर उस ने किसानों के पास एक दास को भेजा, कि वे दाख की बारी के कुछ फलों का भाग उसे दें, पर किसानों ने उसे पीटकर छूछे हाथ लौटा दिया।2 इतिहास 36:15-16
10. At harvest time he sent a slave to the farmers so that they might give him some fruit from the vineyard. But the farmers beat him and sent him away empty-handed.
11. फिर उस ने एक और दास को भेजा, ओर उन्हों ने उसे भी पीटकर और उसका अपमान करके छूछे हाथ लौटा दिया।
11. He sent yet another slave, but they beat that one too, treated him shamefully, and sent him away empty-handed.
12. फिर उस ने तीसरा भेजा, और उन्हों ने उसे भी घायल करके निकाल दिया।
12. And he sent yet a third, but they wounded this one too and threw him out.
13. तब दाख की बारी के स्वामी ने कहा, मैं क्या करूं? मैं अपने प्रिय पुत्रा को भेजूंगा क्या जाने वे उसका आदर करें।
13. 'Then the owner of the vineyard said, 'What should I do? I will send my beloved son. Perhaps they will respect him.'
14. जब किसानों ने उसे देखा तो आपस में विचार करने लगे, कि यह तो वारिस है; आओ, हम उसे मार डालें, कि मिरास हमारी हो जाए।
14. 'But when the tenant farmers saw him, they discussed it among themselves and said, 'This is the heir. Let's kill him, so the inheritance will be ours!'
15. और उन्हों ने उसे दाख की बारी से बाहर निकालकर मार डाला: इसलिये दाख की बारी का स्वामी उन के साथ क्या करेगा?
15. So they threw him out of the vineyard and killed him. 'Therefore, what will the owner of the vineyard do to them?
16. वह आकर उन किसानों को नाश करेगा, और दाख की बारी औरों को सौंपेगा : यह सुनकर उन्हों ने कहा, परमेश्वर ऐसा न करे।
16. He will come and destroy those farmers and give the vineyard to others.' But when they heard this they said, 'No-- never!'
17. उस ने उन की ओर देखकर कहा; फिर यह क्या, लिखा है, कि जिस पत्थर को राजमिस्त्रियों ने निकम्मा ठहराया था, वही कोने का सिरा हो गया।भजन संहिता 118:22-23
17. But He looked at them and said, 'Then what is the meaning of this Scripture: The stone that the builders rejected-- this has become the cornerstone?
18. जो कोई उस पत्थर पर गिरेगा वह चकनाचूर हो जाएगा, और जिस पर वह गिरेगा, उसे वह पीस डालेगा।।दानिय्येल 2:34-35
18. Everyone who falls on that stone will be broken to pieces, and if it falls on anyone, it will grind him to powder!'
19. उसी घड़ी शास्त्रियों और महायाजकों ने उसे पकड़ना चाहा, क्योंकि समझ गए, कि उस ने हम पर यह दृष्टान्त कहा, परन्तु वे लोगों से डरे।
19. Then the scribes and the chief priests looked for a way to get their hands on Him that very hour, because they knew He had told this parable against them, but they feared the people.
20. और वे उस की ताक में लगे और भेदिये भेजे, कि धर्म का भेष धरकर उस की कोई न कोई बात पकड़ें, कि उसे हाकिम के हाथ और अधिकार में सौंप दें।
20. They watched closely and sent spies who pretended to be righteous, so they could catch Him in what He said, to hand Him over to the governor's rule and authority.
21. उन्हों ने उस से यह पूछा, कि हे गुरू, हम जानते हैं कि तू ठीक कहता, और सिखाता भी है, और किसी का पक्षपात नहीं करता; बरन परमेश्वर का मार्ग सच्चाई से बताता है।
21. They questioned Him, 'Teacher, we know that You speak and teach correctly, and You don't show partiality, but teach truthfully the way of God.
22. क्या हमें कैसर को कर देना उचित है, कि नहीं।
22. Is it lawful for us to pay taxes to Caesar or not?'
23. उस ने उन की चतुराई को ताड़कर उन से कहा; एक दीनार मुझे दिखाओ।
23. But detecting their craftiness, He said to them,
24. इस पर किस की मूर्त्ति और नाम है? उन्हों ने कहा, कैसर का।
24. 'Show Me a denarius. Whose image and inscription does it have?' 'Caesar's,' they said.
25. उस ने उन से कहा; तो जो कैसर का है, वह कैसर को दो और जो परमेश्वर का है, वह परमेश्वर को दो।
25. Well then,' He told them, 'give back to Caesar the things that are Caesar's and to God the things that are God's.'
26. वे लोगोें के साम्हने उस बात को पकड़ न सके, बरन उसके उत्तर से अचम्भित होकर चुप रह गए।
26. They were not able to catch Him in what He said in public, and being amazed at His answer, they became silent.
27. फिर सदूकी जो कहते हैं, कि मरे हुओं का जी उठना है ही नहीं, उन में से कितनों ने उसके पास आकर पूछा।
27. Some of the Sadducees, who say there is no resurrection, came up and questioned Him:
28. कि हे गुरू, मूसा ने हमारे लिये यह लिखा है, कि यदि किसी का भाई अपनी पत्नी के रहते हुए बिना सन्तान मर जाए, तो उसका भाई उस की पत्नी को ब्याह ले, और अपने भाई के लिये वंश उत्पन्न करे।उत्पत्ति 38:8, व्यवस्थाविवरण 25:5
28. Teacher, Moses wrote for us that if a man's brother has a wife, and dies childless, his brother should take the wife and produce offspring for his brother.
29. सो सात भाई थे, पहिला भाई ब्याह करके बिना सन्तान मर गया।
29. Now there were seven brothers. The first took a wife and died without children.
30. फिर दूसरे और तीसरे ने भी उस स्त्री को ब्याह लिया।
30. Also the second
31. इसी रीति से सातों बिना सन्तान मर गए।
31. and the third took her. In the same way, all seven died and left no children.
32. सब के पीछे वह स्त्री भी मर गई।
32. Finally, the woman died too.
33. सो जी उठने पर वह उन में से किस की पत्नी होगी, क्योंकि वह सातों की पत्नी हो चुकी थी।
33. Therefore, in the resurrection, whose wife will the woman be? For all seven had married her.'
34. यीशु ने उन से कहा; कि इस युग के सन्तानों में तो ब्याह शादी होती है।
34. Jesus told them, 'The sons of this age marry and are given in marriage.
35. पर जो लोग इस योग्य ठहरेंगे, कि उस युग को और मरे हुओं में से जी उठना प्राप्त करें, उन में ब्याह शादी न होगी।
35. But those who are counted worthy to take part in that age and in the resurrection from the dead neither marry nor are given in marriage.
36. वे फिर मरने के भी नहीं; क्योंकि वे स्वर्गदूतों के समान होंगे, और जी उठने के सन्तान होने से परमेश्वर के भी सन्तान होंगे।
36. For they cannot die anymore, because they are like angels and are sons of God, since they are sons of the resurrection.
37. परन्तु इस बात को कि मरे हुए जी उठते हैं, मूसा न भी झाड़ी की कथा में प्रगट की है, कि वह प्रभु को इब्राहीम का परमेश्वर, और इसहाक का परमेश्वर, और याकूब का परमशॆवर कहता है।निर्गमन 3:2, निर्गमन 3:6
37. Moses even indicated [in the passage] about the burning bush that the dead are raised, where he calls the Lord the God of Abraham and the God of Isaac and the God of Jacob.
38. परमेश्वर तो मुरदों का नहीं परन्तु जीवतों का परमेश्वर है: क्योंकि उसके निकट सब जीवित हैं।
38. He is not God of the dead but of the living, because all are living to Him.'
39. तब यह सुनकर शास्त्रियों में से कितनों ने कहा, कि हे गुरू, तू ने अच्छा कहा।
39. Some of the scribes answered, 'Teacher, You have spoken well.'
40. और उन्हें फिर उस से कुछ और पूछने का हियाव न हुआ।।
40. And they no longer dared to ask Him anything.
41. फिर उस ने उन से पूछा, मसीह को दाऊद का सन्तान क्योंकर कहते हैं।
41. Then He said to them, 'How can they say that the Messiah is the Son of David?
42. दाऊद आप भजनसंहिता की पुस्तक में कहता है, कि प्रभु ने मेरे प्रभु से कहा।भजन संहिता 110:1
42. For David himself says in the Book of Psalms: The Lord declared to my Lord, 'Sit at My right hand
43. मेरे दहिने बैठ, जब तक कि मैं तेेरे बैरियों को तेरे पांवों के तले न कर दूं।भजन संहिता 110:1
43. until I make Your enemies Your footstool.'
44. दाऊद तो उसे प्रभु कहता है; तो फिर वह उस की सन्तान क्योंकर ठहरा?
44. David calls Him 'Lord'; how then can the Messiah be his Son?'
45. जब सब लोग सुन रहे थे, तो उस ने अपने चेलों से कहा।
45. While all the people were listening, He said to His disciples,
46. शास्त्रियों से चौकस रहो, जिन को लम्बे लम्बे वस्त्रा पहिने हुए फिरना भला है, और जिन्हें बाजारों में नमस्कार, और सभाओं में मुख्य आसन और जेवनारों में मुख्य स्थान प्रिय लगते हैं।
46. 'Beware of the scribes, who want to go around in long robes and who love greetings in the marketplaces, the front seats in the synagogues, and the places of honor at banquets.
47. वे विधवाओं के घर खा जाते हैं, और दिखाने के लिये बड़ी देर तक प्रार्थना करते रहते हैं: ये बहुत ही दण्ड पाएंगे।।
47. They devour widows' houses and say long prayers just for show. These will receive greater punishment.'