Luke - लूका 12 | View All

1. इतने में जब हजारों की भीड़ लग गई, यहां तक कि एक दूसरे पर गिरे पड़ते थे, तो वह सब से पहिले अपने चेलों से कहने लगा, कि फरीसियों के कपटरूपी खमीर से चौकस रहना।

1. ইতিমধ্যে যখন সহস্র সহস্র লোক সমাগত হইয়া এক জন অন্যের উপর পড়িতে লাগিল, তখন তিনি প্রথমে আপন শিষ্যদিগকে বলিতে লাগিলেন, তোমরা ফরীশীদের তাড়ী হইতে সাবধান থাক, তাহা কপটতা।

2. कुछ ढपा नहीं, जो खोला न जाएगा; और न कुछ छिपा है, जो जाना न जाएगा।

2. কিন্তু এমন ঢাকা কিছুই নাই, যাহা প্রকাশ পাইবে না, এবং এমন গুপ্ত কিছুই নাই, যাহা জানা যাইবে না।

3. इसलिये जो कुछ तुम ने अन्धेरे में कहा है, वह उजाने में सुना जाएगा: और जो तुम ने कोठरियों में कानों कान कहा है, वह कोठों पर प्रचार किया जाएगा।

3. অতএব তোমরা অন্ধকারে যাহা কিছু বলিয়াছ, তাহা আলোতে শুনা যাইবে; এবং অন্তরাগারে কাণে কাণে যাহা বলিয়াছ, তাহা ছাদের উপরে প্রচারিত হইবে।

4. परन्तु मैं तुम से जो मेरे मित्रा हो कहता हूं, कि जो शरीर को घात करते हैं परन्तु उसके पीछे और कुछ नहीं कर सकते उन से मत डरो।

4. আর, হে আমার বন্ধুরা, আমি তোমাদিগকে বলিতেছি, যাহারা শরীর বধ করিয়া পশ্চাৎ আর কিছু করিতে পারে না, তাহাদিগকে ভয় করিও না।

5. मैं तुम्हें चिताता हूं कि तुम्हें किस से डरना चाहिए, घात करते के बाद जिस को नरक में डालने का अधिकार है, उसी से डरो : बरन मैं तुम से कहता हूं उसी से डरो।

5. তবে কাহাকে ভয় করিবে, তাহা বলিয়া দিই; বধ করিয়া পশ্চাৎ নরকে নিক্ষেপ করিতে যাঁহার ক্ষমতা আছে, তাঁহাকেই ভয় কর; হাঁ, আমি তোমাদিগকে বলিতেছি, তাঁহাকেই ভয় কর।

6. क्या दो पैसे की पांच गौरैयां नहीं बिकती? तौभी परमेश्वर उन में से एक को भी नहीं भूलता।

6. পাঁচটী চড়াই পাখী কি দুই পয়সায় বিক্রয় হয় না? আর তাহাদের মধ্যে একটীও ঈশ্বরের দৃষ্টিগোচরে গুপ্ত নয়।

7. बरन तुम्हारे सिर के सब बाल भी गिने हुए हैं, सो डरो नहीं, तुम बहुत गौरैयों से बढ़कर हो।

7. এমন কি, তোমাদের মস্তকের কেশগুলিও সমস্ত গণিত আছে। ভয় করিও না, তোমরা অনেক চড়াই পাখী হইতে শ্রেষ্ঠ।

8. मैं तुम से कहता हूं जो कोई मनुष्यों के साम्हने मुझे मान लेगा उसे मनुष्य का पुत्रा भी परमेश्वर के स्वर्गदूतों के सामहने मान लेगा।

8. আর আমি তোমাদিগকে বলিতেছি, যে কেহ মনুষ্যদের সাক্ষাতে আমাকে স্বীকার করে, মনুষ্যপুত্রও ঈশ্বরের দূতগণের সাক্ষাতে তাহাকে স্বীকার করিবেন;

9. परन्तु जो मनुष्यों के साम्हने मुझे इन्कार करे उसका परमेश्वर के स्वर्गदूतों के साम्हने इन्कार किया जाएगा।

9. কিন্তু যে কেহ মনুষ্যদের সাক্ষাতে আমাকে অস্বীকার করে, ঈশ্বরের দূতগণের সাক্ষাতে তাহাকে অস্বীকার করা যাইবে।

10. जो कोई मनुष्य के पुत्रा के विरोध में कोई बात कहे, उसका वह अपराध क्षमा किया जाएगा।

10. আর যে কেহ মনুষ্যপুত্রের বিরুদ্ধে কোন কথা কহে, সে ক্ষমা পাইবে; কিন্তু যে কেহ পবিত্র আত্মার নিন্দা করে, সে ক্ষমা পাইবে না।

11. जब लोग तुम्हें सभाओं और हाकिमों और अधिकारियों के साम्हने ले जाएं, तो चिन्ता न करना कि हम किस रीति से या क्या उत्तर दें, या क्या कहें।

11. আর লোকে যখন তোমাদিগকে সমাজ-গৃহে এবং শাসনকর্ত্তাদের ও কর্ত্তৃপক্ষদের সম্মুখে লইয়া যাইবে, তখন কিরূপে কি উত্তর দিবে, অথবা কি বলিবে, সে বিষয়ে ভাবিত হইও না;

12. क्योंकि पवित्रा आत्मा उसी घड़ी तुम्हें सिखा देगा, कि क्या कहना चाहिए।।

12. কেননা কি কি বলা উচিত, তাহা পবিত্র আত্মা সেই দণ্ডে তোমাদিগকে শিক্ষা দিবেন।

13. फिर भीड़ में से एक ने उस से कहा, हे गुरू, मेरे भाई से कह, कि पिता की संपत्ति मुझे बांट दे।

13. পরে লোকসমূহের মধ্য হইতে এক ব্যক্তি তাঁহাকে বলিল, হে গুরু, আমার ভ্রাতাকে বলুন, যেন আমার সহিত পৈতৃক ধন বিভাগ করে।

14. उस ने उस से कहा; हे मनुष्य, किस ने मुझे तुम्हारा न्यायी या बांटनेवाला नियुक्त किया है?
निर्गमन 2:14

14. কিন্তু তিনি তাহাকে কহিলেন, মনুষ্য, তোমাদের উপরে বিচারকর্ত্তা বা বিভাগকর্ত্তা করিয়া আমাকে কে নিযুক্ত করিয়াছে?

15. और उस ने उन से कहा, चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो: क्योंकि किसी का जीवन उस की संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता।

15. পরে তিনি তাহাদিগকে বলিলেন, সাবধান, সর্ব্বপ্রকার লোভ হইতে আপনাদিগকে রক্ষা করিও, কেননা উপচিয়া পড়িলেও মনুষ্যের সম্পত্তিতে তাহার জীবন হয় না।

16. उस ने उन से एक दृष्टान्त कहा, कि किसी धनवान की भूमि में बड़ी उपज हुई।

16. আর তিনি তাহাদিগকে এই দৃষ্টান্ত কহিলেন, এক জন ধনবানের ভূমিতে প্রচুর শস্য উৎপন্ন হইয়াছিল।

17. तब वह अपने मन में विचार करने लगा, कि मैं क्या करूं, क्योंकि मेरे यहां जगह नहीं, जहां अपनी उपज इत्यादि रखूं।

17. তাহাতে সে মনে মনে বিবেচনা করিতে লাগিল, কি করি? আমার শস্য রাখিবার ত স্থান নাই।

18. और उस ने कहा; मैं यह करूंगा: मैं अपनी बखारियां तोड़ कर उन से बड़ी बनाऊंगा;

18. পরে কহিল, এইরূপ করিব, আমার গোলাঘর সকল ভাঙ্গিয়া বড় বড় গোলাঘর নির্ম্মাণ করিব, এবং তাহার মধ্যে আমার সমস্ত শস্য ও আমার দ্রব্য রাখিব।

19. और वहां अपना सब अन्न और संपत्ति रखूंगा: और अपने प्राण से कहूंगा, कि प्राण, तेरे पास बहुत वर्षों के लिये बहुत संपत्ति रखी है; चैन कर, खा, पी, सुख से रह।

19. আর আপন প্রাণকে বলিব, প্রাণ, বহুবৎসরের নিমিত্ত তোমার জন্য অনেক দ্রব্য সঞ্চিত আছে; বিশ্রাম কর, ভোজন পান কর, আমোদ প্রমোদ কর।

20. परन्तु परमेश्वर ने उस से कहा; हे मूर्ख, इसी रात तेरा प्राण तुझ से ले लिया जाएगा: तब जो कुछ तू ने इकट्ठा किया है, वह किस का होगा?

20. কিন্তু ঈশ্বর তাহাকে কহিলেন, হে নির্ব্বোধ, অদ্য রাত্রিতেই তোমার প্রাণ তোমা হইতে দাবি করিয়া লওয়া যাইবে, তবে তুমি এই যে আয়োজন করিলে, এ সকল কাহার হইবে?

21. ऐसा ही वह मनुष्य भी है जो अपने लिये धन बटोरता है, परन्तु परमेश्वर की दृष्टि में धनी नहीं।।

21. যে কেহ আপনার জন্য ধন সঞ্চয় করে, এবং ঈশ্বরের উদ্দেশে ধনবান্‌ নয়, সে এইরূপ।

22. फिर उस ने अपने चेलों से कहा; इसलिये मैं तुम से कहता हूं, अपने प्राण की चिन्ता न करो, कि हम क्या खाएंगे; न अपने शरीर की कि क्या पहिनेंगे।

22. পরে তিনি আপন শিষ্যগণকে কহিলেন, এই কারণ আমি তোমাদিগকে বলিতেছি, ‘কি ভোজন করিব’ বলিয়া প্রাণের বিষয়ে, কিম্বা ‘কি পরিব’ বলিয়া শরীরের বিষয়ে ভাবিত হইও না।

23. क्योंकि भोजन से प्राण, और वस्त्रा से शरीर बढ़कर है।

23. কেননা ভক্ষ্য হইতে প্রাণ ও বস্ত্র হইতে শরীর বড় বিষয়।

24. कौवों पर ध्यान दो; वे न बोते हैं, न काटते; न उन के भण्डार और न खत्ता होता है; तौभी परमेश्वर उन्हें पालता है; तुम्हारा मूल्य पक्षियों से कहीं अधिक है।
भजन संहिता 147:9

24. কাকদের বিষয় আলোচনা কর; তাহারা বুনেও না, কাটেও না; তাহাদের ভাণ্ডারও নাই, গোলাঘরও নাই; আর ঈশ্বর তাহাদিগকে আহার দিয়া থাকেন;

25. तुम में से ऐसा कौन है, जो चिन्ता करने से अपनी अवस्था में ऐक घड़ी भी बड़ा सकता है?

25. পক্ষিগণ হইতে তোমরা কত অধিক শ্রেষ্ঠ! আর তোমাদের মধ্যে কে ভাবিত হইয়া আপন বয়স এক হস্তমাত্র বৃদ্ধি করিতে পারে?

26. इसलिये यदि तुम सब से छोटा काम भी नहीं कर सकते, तो और बातों के लिये क्यों चिन्ता करते हो?
निर्गमन 3:15

26. অতএব তোমরা অতি ক্ষুদ্র কর্ম্মও যদি করিতে না পার, তবে অন্য অন্য বিষয়ে কেন ভাবিত হও?

27. सोसनों के पेड़ों पर ध्यान करो कि वे कैसे बढ़ते हैं; वे न परिश्रम करते, न कातते हैं: तौभी मैं तुम से कहता हूं, कि सुलैमान भी, अपने सारे विभव में, उन में से किसी एक के समान वस्त्रा पहिने हुए न था।
1 राजाओं 10:4-7, 2 इतिहास 9:3-6

27. কানুড়পুষ্পের বিষয় বিবেচনা কর, সেগুলি কেমন বাড়ে; সে সকল কোন শ্রম করে না, সূতাও কাটে না, তথাপি আমি তোমাদিগকে বলিতেছি, শলোমনও আপনার সমস্ত প্রতাপে ইহার একটীর ন্যায় সুসজ্জিত ছিলেন না।

28. इसलिये यदि परमेश्वर मैदान की घास को जो आज है, और कर भाड़ में झोंकी जाएगी, ऐसा पहिनाता है; तो हे अल्प विश्वासियों, वह तुम्हें क्यों न पहिनाएगा?

28. ভাল, ক্ষেত্রের যে তৃণ আজ আছে ও কাল চুলায় ফেলিয়া দেওয়া যাইবে, তাহা যদি ঈশ্বর এরূপ বিভূষিত করেন, তবে হে অল্পবিশ্বাসীরা, তোমাদিগকে কত অধিক নিশ্চয় বিভূষিত করিবেন!

29. और तुम इस बात की खोज में न रहो, कि क्या खाएंगे और क्या पीएंगे, और न सन्देह करो।

29. আর, কি ভোজন করিবে, কি পান করিবে, এ বিষয়ে তোমরা সচেষ্ট হইও না, এবং সন্দিগ্ধচিত্ত হইও না;

30. क्योंकि संसार की जातियां इन सब वस्तुओं की खोज में रहती हैं: और तुम्हारा पिता जानता है, कि तुम्हें इन वस्तुओं की आवश्यकता है।

30. কেননা জগতের জাতিগণ এই সকল বিষয়ে সচেষ্ট; কিন্তু তোমাদের পিতা জানেন যে, এই সকল দ্রব্যে তোমাদের প্রয়োজন আছে।

31. परन्तु उसके राज्य की खोज में रहो, तो ये वस्तुएें भी तुम्हें मिल जाएंगी।

31. তোমরা বরং তাঁহার রাজ্যের বিষয়ে সচেষ্ট হও, তাহা হইলে এই সকলও তোমাদিগকে দেওয়া যাইবে।

32. हे छोटे झुण्ड, मत डर; क्योंकि तुम्हारे पिता को यह भाया है, कि तुम्हें राज्य दे।

32. হে ক্ষুদ্র মেষপাল, ভয় করিও না, কেননা তোমাদিগকে সেই রাজ্য দিতে তোমাদের পিতার হিতসঙ্কল্প হইয়াছে।

33. अपनी संपत्ति बेचकर दान कर दो; और अपने लिये ऐसे बटुए बनाओ, जो पुराने नहीं होते, अर्थात् स्वर्ग पर ऐसा धन इकट्ठा करो जो घटता नहीं और जिस के निकट चोर नहीं जाता, और कीड़ा नहीं बिगाड़ता।

33. তোমাদের যাহা আছে, বিক্রয় করিয়া দান কর। আপনাদের জন্য এমন থলী প্রস্তুত কর, যাহা জীর্ণ হয় না, স্বর্গে অক্ষয় ধন সঞ্চয় কর, যেখানে চোর নিকটে আইসে না, কীটেও ক্ষয় করে না;

34. क्योंकि जहां तुम्हारा धन है, वहां तुम्हारा मन भी लगा रहेगा।।

34. কেননা যেখানে তোমাদের ধন, সেইখানে তোমাদের মনও থাকিবে।

35. तुम्हारी कमरें बन्धी रहें, और तुम्हारे दीये जलते रहें।
निर्गमन 12:11, 1 राजाओं 18:46, 2 राजाओं 4:29, 2 राजाओं 9:1, अय्यूब 38:3, अय्यूब 40:7, नीतिवचन 31:17, यिर्मयाह 1:17

35. তোমাদের কটি বাঁধিয়া রাখ ও প্রদীপ জ্বালিয়া রাখ;

36. और तुम उन मनुष्यों के समान बनो, जो अपने स्वामी की बाट देख रहे हों, कि वह ब्याह से कब लौटेगा; कि जब वह आकर द्वार खटखटाए,स्राते तुरन्त उसके खोल दें।

36. এবং তোমরা এমন লোকদের তুল্য হও, যাহারা আপনাদের প্রভুর অপেক্ষায় থাকে যে, তিনি বিবাহ-ভোজ হইতে কখন ফিরিয়া আসিবেন, যেন তিনি আসিয়া দ্বারে আঘাত করিলে তাহারা তখনই তাঁহার নিমিত্ত দ্বার খুলিয়া দিতে পারে।

37. धन्य हैं वे दास, जिन्हें स्वामी आकर जागते पाए; मैं तुम से सच कहता हूं, कि वह कमर बान्ध कर उन्हें भोजन करने को बैठाएगा, और पास आकर उन की सेवा करेगा।

37. ধন্য সেই দাসেরা, যাহাদিগকে প্রভু আসিয়া জাগিয়া থাকিতে দেখিবেন। আমি তোমাদিগকে সত্য বলিতেছি, তিনি কটি বাঁধিয়া তাহাদিগকে ভোজনে বসাইবেন, এবং নিকটে আসিয়া তাহাদের পরিচর্য্যা করিবেন।

38. यदि वह रात के दूसरे पहर या तीसरे पहर में आकर उन्हें जागते पाए, तो वे दास धन्य हैं।

38. যদি দ্বিতীয় প্রহরে কিম্বা যদি তৃতীয় প্রহরে আসিয়া তিনি সেইরূপ দেখেন, তবে তাহারা ধন্য।

39. परन्तु तुम यह जान रखो, कि यदि घर का स्वामी जानता, कि चोर किस घड़ी आएगा, तो जागता रहता, और अपने घर में सेंघ लगने न देता।

39. কিন্তু ইহা জানিও, চোর কোন্‌ দণ্ডে আসিবে, তাহা যদি গৃহকর্ত্তা জানিত, তবে জাগিয়া থাকিত, নিজ গৃহে সিঁধ কাটিতে দিত না।

40. तुम भी तैयार रहो; क्योंकि जिस घड़ी तुम सोचते भी नहीं, उस घड़ी मनुष्य का पुत्रा आ जावेगा।

40. তোমরাও প্রস্তুত থাক; কেননা যে দণ্ড মনে করিবে না, সেই দণ্ডে মনুষ্যপুত্র আসিবেন।

41. तब पतरस ने कहा, हे प्रभु, क्या यह दृष्टान्त तू हम ही से या सब से कहता है।

41. তখন পিতর বলিলেন, প্রভু, আপনি কি আমাদিগকে, না সকলকেই এই দৃষ্টান্ত বলিতেছেন?

42. प्रभु ने कहा; वह विश्वासयोग्य और बुद्धिमान भण्डारी कौन है, जिस का स्वामी उसे नौकर चाकरों पर सरदार ठहराए कि उन्हें समय पर सीधा दे।

42. প্রভু কহিলেন, সেই বিশ্বস্ত, সেই বুদ্ধিমান্‌ গৃহাধ্যক্ষ কে, যাহাকে তাহার প্রভু নিজ পরিজনদের উপরে নিযুক্ত করিবেন, যেন সে তাহাদিগকে উপযুক্ত সময়ে খাদ্যের নিরূপিত অংশ দেয়?

43. धन्य है वह दास, जिसे उसका स्वामी आकर ऐसा ही करते पाए।

43. ধন্য সেই দাস, যাহাকে তাহার প্রভু আসিয়া সেইরূপ করিতে দেখিবেন।

44. मैं तुम से सच कहता हूं; वह उसे अपनी सब संपत्ति पर सरदार ठहराएगा।

44. আমি তোমাদিগকে সত্য বলিতেছি, তিনি তাহাকে আপন সর্ব্বস্বের অধ্যক্ষ করিয়া নিযুক্ত করিবেন।

45. परन्तु यदि वह दास सोचने लगे, कि मेरा स्वामी आने में देर कर रहा है, और दासों और दासियों को मारने पीटने और खाने पीने और पियक्कड़ होने लगे।

45. কিন্তু সেই দাস যদি মনে মনে বলে, আমার প্রভুর আসিবার বিলম্ব আছে, এবং সে দাস দাসীদিগকে প্রহার করিতে, ভোজন পান করিতে ও মত্ত হইতে আরম্ভ করে,

46. तो उस दास का स्वामी ऐसे दिन कि वह उस की बाट जाहता न रहे, और ऐसी घड़ी जिसे वह जानता न हो आएगा, और उसे भारी ताड़ना देकर उसका भाग अविश्वासियों के साथ ठहराएगा।

46. তবে যে দিন সে অপেক্ষা না করিবে, ও যে দণ্ড সে না জানিবে, সেই দিন সেই দণ্ডে সেই দাসের প্রভু আসিবেন, এবং তাহাকে দ্বিখণ্ড করিয়া অবিশ্বস্তদের মধ্যে তাহার অংশ নিরূপণ করিবেন।

47. और वह दास जो अपने स्वामी की इच्छा जानता था, और तैयार न रहा और न उस की इच्छा के अनुसार चला बहुत मार खाएगा।

47. আর সেই দাস, যে নিজ প্রভুর ইচ্ছা জানিয়াও প্রস্তুত হয় নাই, ও তাঁহার ইচ্ছানুযায়ী কর্ম্ম করে নাই, সে অনেক প্রহারে প্রহারিত হইবে।

48. परन्तु जो नहीं जानकर मार खाने के योग्य काम करे वह थोड़ी मार खाएगा, इसलिये जिसे बहुत दिया गया है, उस से बहुत मांगा जाएगा, और जिसे बहुत सौंपा गया है, उस से बहुत मांगेंगें।।

48. কিন্তু যে না জানিয়া প্রহারের যোগ্য কর্ম্ম করিয়াছে, সে অল্প প্রহারে প্রহারিত হইবে। আর যে কোন ব্যক্তিকে অধিক দত্ত হইয়াছে, তাহার নিকটে অধিক দাবি করা যাইবে; এবং লোকে যাহার কাছে অধিক রাখিয়াছে, তাহার নিকটে অধিক চাহিবে।

49. मैं पृथ्वी पर आग लगाने आया हूं; और क्या चाहता हूं केवल यह कि अभी सुलग जाती !

49. আমি পৃথিবীতে অগ্নি নিক্ষেপ করিতে আসিয়াছি; আর এখন যদি তাহা প্রজ্বলিত হইয়া থাকে, তবে আর চাই কি?

50. मुझे तो एक बपतिस्मा लेता है; और जब तक वह न हो ले तब तक मैं कैसी सकेती में रहूंगा?

50. কিন্তু আমাকে এক বাপ্তিস্মে বাপ্তাইজিত হইতে হইবে, আর তাহা যাবৎ সিদ্ধ না হয়, তাবৎ আমি কত না সঙ্কুচিত হইতেছি!

51. क्या तुम समझते हो कि मैं पृथ्वी पर मिलाप कराने आया हूं? मैं कहता हूं; नहीं, बरन अलग कराने आया हूं।

51. তোমরা কি মনে করিতেছ, আমি পৃথিবীতে শান্তি দিতে আসিয়াছি? তোমাদিগকে বলিতেছি, তাহা নয়, বরং বিভেদ।

52. क्योंकि अब से एक घर में पांच जन आपस में विरोध रखेंगे, तीन दो से दो तीन से।

52. কারণ এখন অবধি এক বাটীতে পাঁচ জন ভিন্ন হইবে, তিন জন দুই জনের বিপক্ষে, ও দুই জন তিন জনের বিপক্ষে;

53. पिता पुत्रा से, और पुत्रा पिता से विरोध रखेगा; मां बेटी से, और बेटी मां से, सास बहू से, और बहू सास से विरोध रखेगी।।
मीका 7:6

53. পিতা পুত্রের বিপক্ষে, এবং পুত্র পিতার বিপক্ষে; মাতা কন্যার বিপক্ষে, এবং কন্যা মাতার বিপক্ষে; শাশুড়ী বধূর বিপক্ষে, এবং বধূ শাশুড়ীর বিপক্ষে ভিন্ন হইবে।

54. और उस ने भीड़ से भी कहा, जब बादल को पच्छिम से उठते देखते हो, तो तुरन्त कहते हो, कि वर्षा होगी; और ऐसा ही होता है।

54. আর তিনি লোকসমূহকে কহিলেন, তোমরা যখন পশ্চিমে মেঘ উঠিতে দেখ, তখন অমনি বলিয়া থাক, বৃষ্টি আসিতেছে; আর সেইরূপই ঘটে।

55. और जब दक्खिना चलती दखते हो तो कहते हो, कि लूह चलेगी, और ऐसा ही होता है।

55. আর যখন দক্ষিণ বাতাস বহিতে দেখ, তখন বলিয়া থাক, বড় রৌদ্র হইবে; এবং তাহাই ঘটে।

56. हे कपटियों, तुम धरती और आकाश के रूप में भेद कर सकते हो, परन्तु इस युग के विषय में क्यों भेद करना नहीं जानते?

56. কপটীরা, তোমরা পৃথিবীর ও আকাশের ভাব বুঝিতে পার, কিন্তু এই সময় বুঝিতে পার না, এ কেমন?

57. और तुम आप ही निर्णय क्यों नहीं कर लेते, कि उचित क्या है?

57. আর ন্যায্য কি, তাহা আপনারাই কেন বিচার কর না?

58. जब तू अपने मु ई के साथ हाकिम के पास जा रहा है, तो मार्ग ही में उस से छूटने का यत्न कर ले ऐसा न हो, कि वह तुझे न्यायी के पास खींच ले जाए, और न्यायी तुझे प्यादे को सौंपे और प्यादा तुझे बन्दीगृह में डाल दे।

58. ফলতঃ যখন বিপক্ষের সঙ্গে শাসনকর্ত্তার নিকটে যাইবে, পথের মধ্যে তাহা হইতে মুক্তি পাইতে যত্ন করিও; পাছে সে তোমাকে বিচারকর্ত্তার সম্মুখে টানিয়া লইয়া যায়, আর বিচারকর্ত্তা তোমাকে পদাতিকের হস্তে সমর্পণ করে, এবং পদাতিক তোমাকে কারাগারে নিক্ষেপ করে।

59. मैं तुम से कहता हूं, कि जब तक तू दमड़ी दमड़ी भर न देगा तब तक वहां से छूटने न पाएगा।।

59. আমি তোমাকে বলিতেছি, যাবৎ শেষ কড়িটী পর্য্যন্ত পরিশোধ না করিবে, তাবৎ তুমি কোন মতে তথা হইতে বাহিরে আসিতে পাইবে না।



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