32. और वह तुरही के बड़े शब्द के साथ, अपने दूतों को भेजेगा, और वे आकाश के इस छोर से उस छोर तक, चारों दिशा से उसके चुने हुओं को इकट्ठे करेंगे।
32. Now, from the fig-tree, learn ye, the parable: When, already, her young branch, becometh tender, and the leaves, may be sprouting, ye observe, that, near, is, the summer: