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1. पहिले महीने में सारी इस्त्राएली मण्डली के लोग सीनै नाम जंगल में आ गए, और कादेश में रहने लगे; और वहां मरियम मर गई, और वहीं उसको मिट्टी दी गई।
1. The Israelites, the whole community, arrived in the first month at the desert of Zin. The people settled at Kadesh. There Miriam died and was buried.
2. वहां मण्डली के लोगों के लिये पानी न मिला; सो वे मूसा और हारून के विरूद्ध इकट्ठे हुए।इब्रानियों 3:8
2. There was no water for the community, so they banded together against Moses and Aaron.
3. और लोग यह कहकर मूसा से झगड़ने लगे, कि भला होता कि हम उस समय ही मर गए होते जब हमारे भाई यहोवा के साम्हने मर गए!
3. The people laid the blame on Moses. 'We would rather have died', they said, 'as our brothers died before Yahweh!
4. और तुम यहोवा की मण्डली को इस जंगल में क्यों ले आए हो, कि हम अपने पशुओं समेत यहां मर जाए?
4. Why have you brought Yahweh's community into this desert, for us and our livestock to die here?
5. और तुम ने हम को मि से क्यों निकालकर इस बुरे स्थान में पहुंचाया है? यहां तो बीच, वा अंजीर, वा दाखलता, वा अनार, कुछ नहीं है, यहां तक कि पीने को कुछ पानी भी नहीं है।
5. Why did you lead us out of Egypt, only to bring us to this wretched place? It is a place unfit for sowing, it has no figs, no vines, no pomegranates, and there is not even water to drink!'
6. तब मूसा और हारून मण्डली के साम्हने से मिलापवाले तम्बू के द्वार पर जाकर अपने मुंह के बल गिरे। और यहोवा का तेज उनको दिखाई दिया।
6. Leaving the assembly, Moses and Aaron went to the entrance of the Tent of Meeting. They threw themselves on their faces, and the glory of Yahweh appeared to them.
7. तब यहोवा ने मूसा से कहा,
7. Yahweh then spoke to Moses and said,
8. उस लाठी को ले, और तू अपने भाई हारून समेत मण्डली को इकट्ठा करके उनके देखते उस चट्टान से बातें कर, तब वह अपना जल देगी; इस प्रकार से तू चट्टान में से उनके लिये जल निकाल कर मण्डली के लोगों और उनके पशुओं को पिला।
8. 'Take the branch and call the community together, you and your brother Aaron. Then, in full view of them, order this rock to release its water. You will release water from the rock for them and provide drink for the community and their livestock.'
9. यहोवा की इस आज्ञा के अनुसार मूसा ने उसके साम्हने से लाठी को ले लिया।
9. Moses took up the branch from before Yahweh, as he had directed him.
10. और मूसा और हारून ने मण्डली को उस चट्टान के साम्हने इकट्ठा किया, तब मूसा ने उस से कह, हे दंगा करनेवालो, सुनो; क्या हम को इस चट्टान में से तुम्हारे लिये जल निकालना होगा?
10. Moses and Aaron then called the assembly together in front of the rock. He then said to them, 'Listen now, you rebels. Shall we make water gush from this rock for you?'
11. तब मूसा ने हाथ उठाकर लाठी चट्टान पर दो बार मारी; और उस में से बहुत पानी फूट निकला, और मण्डली के लोग अपने पशुओं समेत पीने लगे।1 कुरिन्थियों 10:4
11. Moses then raised his hand and struck the rock twice with the branch; water gushed out in abundance, and the community and their livestock drank.
12. परन्तु मूसा और हारून से यहोवा ने कहा, तुम ने जो मुझ पर विश्वास नहीं किया, और मुझे इस्त्राएलियों की दृष्टि में पवित्रा नहीं ठहराया, इसलिये तुम इस मण्डली को उस देश में पहुंचाने न पाओगे जिसे मैं ने उन्हें दिया है।
12. Yahweh then said to Moses and Aaron, 'Because you did not believe that I could assert my holiness before the Israelites' eyes, you will not lead this assembly into the country which I am giving them.'
13. उस सोते का नाम मरीबा पड़ा, क्योंकि इस्त्राएलियों ने यहोवा से झगड़ा किया था, और वह उनके बीच पवित्रा ठहराया गया।।
13. These were the Waters of Meribah, where the Israelites laid the blame on Yahweh and where, by their means, he asserted his holiness.
14. फिर मूसा ने कादेश से एदोम के राजा के पास दूत भेजे, कि तेरा भाई इस्त्राएल यों कहता है, कि हम पर जो जो क्लेश पड़े हैं वह तू जानता होगा;
14. Moses sent messengers from Kadesh: 'To the king of Edom. Your brother Israel says this: You are aware of the great hardships we have encountered.
15. अर्थात् यह कि हमारे पुरखा मि में गए थे, और हम मि में बहुत दिन रहे; और मिस्त्रियों ने हमारे पुरखाओं के साथ और हमारे साथ भी बुरा बर्ताव किया;
15. Our ancestors went down to Egypt and there we stayed for a long time. But the Egyptians treated us badly, as they had our ancestors.
16. परन्तु जब हम ने यहोवा की दोहाई दी तब उस ने हमारी सुनी, और एक दूत को भेजकर हमें मि से निकाल ले आया है; सो अब हम कादेश नगर में हैं जो तेरे सिवाने ही पर है।
16. When we appealed to Yahweh, he heard our cry and, sending an angel, brought us out of Egypt, and here we are, now, at Kadesh, a town on the borders of your territory.
17. सो हमें अपने देश में से होकर जाने दे। हम किसी खेत वा दाख की बारी से होकर न चलेंगे, और कूओं का पानी न पीएंगे; सड़क- सड़क होकर चले जाएंगे, और जब तक तेरे देश से बाहर न हो जाएं, तब तक न दहिने न बाएं मुड़ेंगे।
17. We ask permission to pass through your country. We shall not go through the fields or vineyards; we shall not drink the water from the wells; we shall keep to the king's highway without turning to right or left until we have passed through your territory.'
18. परन्तु एदोमियों ने उसके पास कहला भेजा, कि तू मेरे देश में से होकर मत जा, नहीं तो मैं तलवार लिये हुए तेरा साम्हना करने को निकलूंगा।
18. To which, Edom replied, 'You will not pass through my country; if you do, I shall oppose you by force of arms.'
19. इस्त्राएलियों ने उसके पास फिर कहला भेजा, कि हम सड़क ही सड़क चलेंगे, और यदि हम और हमारे पशु तेरा पानी पीएं, तो उसका दाम देंगे, हम को और कुछ नहीं, केवल पांव पांव चलकर निकल जाने दे।
19. To which the Israelites replied, 'We shall keep to the high road; if I and my flocks drink any of your water, I am willing to pay for it. All I am asking is to pass through on foot.'
20. परन्तु उस ने कहा, तू आने न पाएगा। और एदोम बड़ी सेना लेकर भुजबल से उसका साम्हना करने को निकल आया।
20. Edom replied: 'You shall not pass,' and Edom opposed them in great numbers and great force.
21. इस प्रकार एदोम ने इस्त्राएल को अपने देश के भीतर से होकर जाने देने से इन्कार किया; इसलिये इस्त्राएल उसकी ओर से मुड़ गए।।
21. At Edom's refusal to grant Israel passage through his territory, Israel turned away.
22. तब इस्त्राएलियों की सारी मण्डली कादेश से कूच करके होर नाम पहाड़ के पास आ गई।
22. They set out from Kadesh, and the Israelites, the whole community, came to Mount Hor.
23. और एदोम देश के सिवाने पर होर पहाड़ में यहोवा ने मूसा और हारून से कहा,
23. Yahweh spoke to Moses and Aaron at Mount Hor, on the frontier of Edom, and said,
24. हारून अपने लोगों मे जा मिलेगा; क्योंकि तुम दोनो ने जो मरीबा नाम सोते पर मेरा कहना छोड़कर मुझ से बलवा किया है, इस कारण वह उस देश में जाने न पाएगा जिसे मैं ने इस्त्राएलियों को दिया है।
24. 'Aaron is to be gathered to his people; he will not enter the country which I have given to the Israelites, since you both disobeyed my order at the Waters of Meribah.
25. सो तू हारून और उसके पुत्रा एलीआजर को होर पहाड़ पर ले चल;
25. Take Aaron and his son Eleazar and bring them up Mount Hor.
26. और हारून के वस्त्रा उतारके उसके पुत्रा एलीआजर को पहिना; तब हारून वहीं मरकर अपने लोगों मे जा मिलेगा।
26. Then take Aaron's robes off him and dress his son Eleazar in them. Aaron will then be gathered to his people; that is where he will die.'
27. यहोवा की इस आज्ञा के अनुसार मूसा ने किया; वे सारी मण्डली के देखते होर पहाड़ पर चढ़ गए।
27. Moses did as Yahweh ordered. With the whole community watching, they went up Mount Hor.
28. तब मूसा ने हारून के वस्त्रा उतारके उसके पुत्रा एलीआजर को पहिनाए और हारून वहीं पहाड़ की चोटी पर मर गया। तब मूसा और एलीआजर पहाड़ पर से उतर आए।
28. Moses took Aaron's robes off him and dressed his son Eleazar in them, and there Aaron died, on the mountain-top. Moses and Eleazar then came back down the mountain.
29. और जब इस्त्राएल की सारी मण्डली ने देखा कि हारून का प्राण छूट गया है, तब इस्त्राएल के सब घराने के लोग उसके लिये तीस दिन तक रोते रहे।।
29. The whole community saw that Aaron had died, and for thirty days the whole House of Israel mourned for Aaron.