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1. कोरह जो लेवी का परपोता, कहात का पोता, और यिसहार का पुत्रा था, वह एलीआब के पुत्रा दातान और अबीराम, और पेलेत के पुत्रा ओन,
1. Korah, son of Izhar, son of Kohath, son of Levi, (and Dathan and Abiram, sons of Eliab, son of Pallu, son of Reuben) took
2. इन तीनों रूबेनियों से मिलकर मण्डली के अढ़ाई सौ प्रधान, जो सभासद और नामी थे, उनको संग लिया;
2. two hundred and fifty Israelites who were leaders in the community, members of the council and men of note. They stood before Moses,
3. और वे मूसा और हारून के विरूद्ध उठ खड़े हुए, और उन से कहने लगे, तुम ने बहुत किया, अब बस करो; क्योंकि सारी मण्डली का एक एक मनुष्य पवित्रा है, और यहोवा उनके मध्य में रहता है; इसलिये तुम यहोवा की मण्डली में ऊंचे पदवाले क्यों बन बैठे हो?
3. and held an assembly against Moses and Aaron, to whom they said, 'Enough from you! The whole community, all of them, are holy; the LORD is in their midst. Why then should you set yourselves over the LORD'S congregation?'
4. यह सुनकर मूसा अपने मुंह के बल गिरा;
4. When Moses heard this, he fell prostrate.
5. फिर उस ने कोरह और उसकी सारी मण्डली से कहा, कि बिहान को यहोवा दिखला देगा कि उसका कौन है, और पवित्रा कौन है, और उसको अपने समीप बुला लेगा; जिसको वह आप चुन लेगा उसी को अपने समीप बुला भी लेगा।2 तीमुथियुस 2:19
5. Then he said to Korah and to all his band, 'May the LORD make known tomorrow morning who belongs to him and who is the holy one and whom he will have draw near to him! Whom he chooses, he will have draw near him.
6. इसलिये, हे कोरह, तुम अपनी सारी मण्डली समेत यह करो, अर्थात् अपना अपना धूपदान ठीक करो;
6. Do this: take your censers (Korah and all his band)
7. और कल उन में आग रखकर यहोवा के साम्हने धूप देना, तब जिसको यहोवा चुन ले वही पवित्रा ठहरेगा। हे लेवियों, तुम भी बड़ी बड़ी बातें करते हो, अब बस करो।
7. and put fire in them and place incense in them before the LORD tomorrow. He whom the LORD then chooses is the holy one. Enough from you Levites!'
8. फिर मूसा ने कोरह से कहा, हे लेवियों, सुनो,
8. Moses also said to Korah, 'Listen to me, you Levites!
9. क्या यह तुम्हें छोटी बात जान पड़ती है, कि इस्त्राएल के परमेश्वर ने तुम को इस्त्राएल की मण्डली से अलग करके अपने निवास की सेवकाई करने, और मण्डली के साम्हने खड़े होकर उसकी भी सेवा टहल करने के लिये अपने समीप बुला लिया है;
9. Is it too little for you that the God of Israel has singled you out from the community of Israel, to have you draw near him for the service of the LORD'S Dwelling and to stand before the community to minister for them?
10. और तुझे और तेरे सब लेवी भाइयों को भी अपने समीप बुला लिया है? फिर भी तुम याजक पद के भी खोजी हो?
10. He has allowed you and your kinsmen, the descendants of Levi, to approach him, and yet you now seek the priesthood too.
11. और इसी कारण तू ने अपनी सारी मण्डली को यहोवा के विरूद्ध इकट्ठी किया है; हारून कौन है कि तुम उस पर बुड़बुड़ाते हो?
11. It is therefore against the LORD that you and all your band are conspiring. For what has Aaron done that you should grumble against him?'
12. फिर मूसा ने एलीआब के पुत्रा दातान और अबीराम को बुलवा भेजा; और उन्हों ने कहा, हम तेरे पास नहीं आएंगे।
12. Moses summoned Dathan and Abiram, sons of Eliab, but they answered, 'We will not go.
13. क्या यह एक छोटी बात है, कि तू हम को ऐसे देश से जिस में दूध और मधु की धाराएं बहती है इसलिये निकाल लाया है, कि हमें जंगल में मार डाले, फिर क्या तू हमारे ऊपर प्रधान भी बनकर अधिकार जताता है?
13. Are you not satisfied with having led us here away from a land flowing with milk and honey, to make us perish in the desert, that you must now lord it over us?
14. फिर तू हमें ऐसे देश में जहां दूध और मधु की धाराएं बहती हैं नहीं पहुंचाया, और न हमें खेतों और दाख की बारियों के अधिकारी किया। क्या तू इन लोगों की आंखों में धूलि डालेगा? हम तो नहीं आएंगे।
14. Far from bringing us to a land flowing with milk and honey, or giving us fields and vineyards for our inheritance, will you also gouge out our eyes? No, we will not go.'
15. तब मूसा का कोप बहुत भड़क उठा, और उस ने यहोवा से कहा, उन लोगों की भेंट की ओर दृष्टि न कर। मैं ने तो उन से एक गदहा भी नहीं लिया, और न उन में से किसी की हानि की है।
15. Then Moses became very angry and said to the LORD, 'Pay no heed to their offering. I have never taken a single ass from them, nor have I wronged any one of them.'
16. तब मूसा ने कोरह से कहा, कल तू अपनी सारी मण्डली को साथ लेकर हारून के साथ यहोवा के साम्हने हाजिर होना;
16. Moses said to Korah, 'You and all your band shall appear before the LORD tomorrow-- you and they and Aaron too.
17. और तुम सब अपना अपना धूपदान लेकर उन में धूप देना, फिर अपना अपना धूपदान जो सब समेत अढ़ाई सौ होंगे यहोवा के साम्हने ले जाना; विशेष करके तू और हारून अपना अपना धूपदान ले जाना।
17. Then each of your two hundred and fifty followers shall take his own censer, put incense in it, and offer it to the LORD; and you and Aaron, each with his own censer, shall do the same.'
18. सो उन्हों ने अपना अपना धूपदान लेकर और उन में आग रखकर उन पर धूप डाला; और मूसा और हारून के साथ मिलापवाले तम्बू के द्वार पर खड़े हुए।
18. So they all took their censers, and laying incense on the fire they had put in them, they took their stand by the entrance of the meeting tent along with Moses and Aaron.
19. और कोरह ने सारी मण्डली को उनके विरूद्ध मिलापवाले तम्बू के द्वार पर इकट्ठा कर लिया। तब यहोवा का तेज सारी मण्डली को दिखाई दिया।।यहूदा 1:11
19. Then, when Korah had assembled all his band against them at the entrance of the meeting tent, the glory of the LORD appeared to the entire community,
20. तब यहोवा ने मूसा और हारून से कहा,
20. and the LORD said to Moses and Aaron,
21. उस मण्डली के बीच में से अलग हो जाओ। कि मैं उन्हें पल भर में भस्म कर डालूं।
21. 'Stand apart from this band, that I may consume them at once.'
22. तब वे मुंह के बल गिरके कहने लगे, हे ईश्वर, हे सब प्राणियों के आत्माओं के परमेश्वर, क्या एक पुरूष के पाप के कारण तेरा क्रोध सारी मण्डली पर होगा?इब्रानियों 12:9
22. But they fell prostrate and cried out, 'O God, God of the spirits of all mankind, will one man's sin make you angry with the whole community?'
23. यहोवा ने मूसा से कहा,
23. The LORD answered Moses,
24. मण्डली के लोगों से कह, कि कोरह, दातान, और अबीराम के तम्बुओं के आसपास से हट जाओ।
24. 'Speak to the community and tell them: Withdraw from the space around the Dwelling' (of Korah, Dathan and Abiram).
25. तब मूसा उठकर दातान और अबीराम के पास गया; और इस्त्राएलियों के वृद्ध लोग उसके पीछे पीछे गए।
25. Moses, followed by the elders of Israel, arose and went to Dathan and Abiram.
26. और उस ने मण्डली के लोगों से कहा, तुम उन दुष्ट मनुष्यों के डेरों के पास से हट जाओ, और उनकी कोई वस्तु न छूओ, कहीं ऐसा न हो कि तुम भी उनके सब पापों में फंसकर मिट जाओ।2 तीमुथियुस 2:19
26. Then he warned the community, 'Keep away from the tents of these wicked men and do not touch anything that is theirs: otherwise you too will be swept away because of all their sins.'
27. यह सुन वे कोरह, दातान, और अबीराम के तम्बुओं के आसपास से हट गए; परन्तु दातान और अबीराम निकलकर अपनी पत्नियों, बेंटों, और बालबच्चों समेत अपने अपने डेरे के द्वार पर खड़े हुए।
27. When Dathan and Abiram had come out and were standing at the entrances of their tents with their wives and sons and little ones,
28. तब मूसा ने कहा, इस से तुम जान लोगे कि यहोवा ने मुझे भेजा है कि यह सब काम करूं, क्योंकि मैं ने अपनी इच्छा से कुछ नहीं किया।
28. Moses said, 'This is how you shall know that it was the LORD who sent me to do all I have done, and that it was not I who planned it:
29. यदि उन मनुष्यों की मृत्यु और सब मनुष्यों के समान हो, और उनका दण्ड सब मनुष्यों के समान हो, तब जानों कि मैं यहोवा का भेजा हुआ नहीं हूं।
29. if these men die an ordinary death, merely suffering the fate common to all mankind, then it was not the LORD who sent me.
30. परन्तु यदि यहोवा अपनी अनोखी शक्ति प्रकट करे, और पृथ्वी अपना मुंह पसारकर उनको, और उनका सब कुछ निगल जाए, और वे जीते जी अधोलोक में जा पड़ें, तो तुम समझ लो कि इन मनुष्यों ने यहोवा का अपमान किया है।
30. But if the LORD does something entirely new, and the ground opens its mouth and swallows them alive down into the nether world, with all belonging to them, then you will know that these men have defied the LORD.'
31. वह ये सब बातें कह ही चुका था, कि भूमि उन लोगों के पांव के नीचे फट गई;
31. No sooner had he finished saying all this than the ground beneath them split open,
32. और पृथ्वी ने अपना मुंह खोल दिया और उनका और उनका घरद्वार का सामान, और कोरह के सब मनुष्यों और उनकी सारी सम्पत्ति को भी निगल लिया।
32. and the earth opened its mouth and swallowed them and their families (and all of Korah's men) and all their possessions.
33. और वे और उनका सारा घरबार जीवित ही अधोलोक में जा पड़े; और पृथ्वी ने उनको ढंाप लिया, और वे मण्डली के बीच में से नष्ट हो गए।
33. They went down alive to the nether world with all belonging to them; the earth closed over them, and they perished from the community.
34. और जितने इस्त्राएली उनके चारों ओर थे वे उनका चिल्लाना सुन यह कहते हुए भागे, कि कहीं पृथ्वी हम को भी निगल न ले!
34. But all the Israelites near them fled at their shrieks, saying, 'The earth might swallow us too!'
35. तब यहोवा के पास से आग निकली, और उन अढ़ाई सौ धूप चढ़ानेवालों को भस्म कर डाला।।
35. So they withdrew from the space around the Dwelling (of Korah, Dathan and Abiram). And fire from the LORD came forth which consumed the two hundred and fifty men who were offering the incense.