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1. फिर वे लोग बुड़बुड़ाने और यहोवा के सुनते बुरा कहने लगे; निदान यहोवा ने सुना, और उसका कोप भड़क उठा, और यहोवा की आग उनके मध्य जल उठी, और छावनी के एक किनारे से भस्म करने लगी।
1. And the people were as murmurers, [speaking] evil in the ears of Yahweh: and when Yahweh heard it, his anger was kindled; and the fire of Yahweh burned among them, and devoured in the uttermost part of the camp.
2. तब मूसा के पास आकर चिल्लाए; और मूसा ने यहोवा से प्रार्थना की, तब वह आग बुझ गई,
2. And the people cried to Moses; and Moses prayed to Yahweh, and the fire abated.
3. और उस स्थान का नाम तबेरा पड़ा, क्योंकि यहोवा की आग उन में जल उठी थी।।
3. And the name of that place was called Taberah, because the fire of Yahweh burned among them.
4. फिर जो मिली- जुली भीड़ उनके साथ थी वह कामुकता करने लगी; और इस्त्राएली भी फिर रोने और कहने लगे, कि हमें मांस खाने को कौन देगा।1 कुरिन्थियों 10:6
4. And the mixed multitude that was among them lusted exceedingly: and the sons of Israel also wept again, and said, Who will give us flesh to eat?
5. हमें वे मछलियां स्मरण हैं जो हम मि में सेंतमेंत खाया करते थे, और वे खीरे, और खरबूजे, और गन्दने, और प्याज, और लहसुन भी;
5. We remember the fish, which we ate in Egypt for nothing; the cucumbers, and the melons, and the leeks, and the onions, and the garlic:
6. परन्तु अब हमारा जी घबरा गया है, यहां पर इस मन्ना को छोड़ और कुछ भी देख नहीं पड़ता।
6. but now our soul is dried away; there is nothing at all but this manna to look at.
7. मन्ना तो धनिये के समान था, और उसका रंग रूप मोती का सा था।यूहन्ना 6:31
7. And the manna was like coriander seed, and its appearance as the appearance of bdellium.
8. लोग इधर उधर जाकर उसे बटोरते, और चक्की में पीसते वा ओखली में कूटते थे, फिर तसले में पकाते, और उसके फुलके बनाते थे; और उसका स्वाद तेल में बने हुए पुए का सा था।
8. The people went about, and gathered it, and ground it in mills, or beat it in mortars, and boiled it in pots, and made cakes of it: and the taste of it was as the taste of fresh oil.
9. और रात को छावनी में ओस पड़ती थी तब उसके साथ मन्ना भी गिरता था।
9. And when the dew fell on the camp in the night, the manna fell on it.
10. और मूसा ने सब घरानों के आदमियों को अपने अपने डेरे के द्वार पर रोते सुना; और यहोवा का कोप अत्यन्त भड़का, और मूसा को भी बुरा मालूम हुआ।
10. And Moses heard the people weeping throughout their families, every man at the door of his tent: and the anger of Yahweh was kindled greatly; and Moses was displeased.
11. तब मूसा ने यहोवा से कहा, तू अपने दास से यह बुरा व्यवहार क्यों करता है? और क्या कारण है कि मैं ने तेरी दृष्टि में अनुग्रह नहीं पाया, कि तू ने इन सब लोगों का भार मुझ पर डाला है?
11. And Moses said to Yahweh, Why have you dealt ill with your slave? And why haven't I found favor in your sight, that you lay the burden of all this people on me?
12. क्या ये सब लोग मेरे ही कोख में पड़े थे? क्या मैं ही ने उनको उत्पन्न किया, जो तू मुझ से कहता है, कि जैसे पिता दूध पीते बालक को अपनी गोद में उठाए उठाए फिरता है, वैसे ही मैं इन लोगों को अपनी गोद में उठाकर उस देश में ले जाऊं, जिसके देने की शपथ तू ने उनके पूर्वजों से खाई है?
12. Have I become pregnant with all this people? Have I given birth to them, that you should say to me, Carry them in your bosom, as a foster-father carries the nursing child, to the land which you swore to their fathers?
13. मुझे इतना मांस कहां से मिले कि इन सब लोगों को दूं? ये तो यह कह कहकर मेरे पास रो रहे हैं, कि तू हमे मांस खाने को दे।
13. From where should I have flesh to give to all this people? For they weep to me, saying, Give us flesh, that we may eat.
14. मैं अकेला इन सब लोगों का भार नहीं सम्भाल सकता, कयोंकि यह मेरी शक्ति के बाहर है।
14. I am not able to bear all this people alone, because it is too heavy for me.
15. और जो तुझे मेरे साथ यही व्यवहार करना है, तो मुझ पर तेरा इतना अनुग्रह हो, कि तू मेरे प्राण एकदम ले ले, जिस से मैं अपनी दुर्दशा न देखने पाऊं।।
15. And if you deal thus with me, kill me, I pray you, out of hand, if I have found favor in your sight; and don't let me see my wretchedness.
16. यहोवा ने मूसा से कहा, इस्त्राएली पुरनियों में से सत्तर ऐसे पुरूष मेरे पास इकट्ठे कर, जिनको तू जानता है कि वे प्रजा के पुरनिये और उनके सरदार है कि वे प्रजा के पुरनिये और उनके सरदार हैं; और मिलापवाले तम्बू के पास ले आ, कि वे तेरे साथ यहां खड़े हों।
16. And Yahweh said to Moses, Gather to me seventy men of the elders of Israel, whom you know to be the elders of the people, and officers over them; and bring them to the tent of meeting, that they may stand there with you.
17. तब मैं उतरकर तुझ से वहां बातें करूंगा; और जो आत्मा तुझ में है उस में से कुछ लेकर उन में समवाऊंगा; और वे इन लोगों का भार तेरे संग उठाए रहेंगे, और तुझे उसको अकेले उठाना न पड़ेगा।
17. And I will come down and talk with you there: and I will take of the Spirit who is on you, and will put him on them; and they will bear the burden of the people with you, that you yourself don't bear it alone.
18. और लोगों से कह, कल के लिये अपने को पवित्रा करो, तब तुम्हें मांस खाने को मिलेगा; क्योंकि तुम यहोवा के सुनते हुए यह कह कहकर रोए हो, कि हमें मांस खाने को कौन देगा? हम मि ही में भले थे। सो यहोवा तुम को मांस खाने को देगा, और तुम खाना।
18. And you say to the people, Sanctify yourselves against tomorrow, and you+ will eat flesh; for you+ have wept in the ears of Yahweh, saying, Who will give us flesh to eat? For it was well with us in Egypt: therefore Yahweh will give you+ flesh, and you+ will eat.
19. फिर तुम एक दिन, वा दो, वा पांच, वा दस, वा बीस दिन ही नहीं,
19. You+ will not eat one day, nor two days, nor five days, neither ten days, nor twenty days,
20. परन्तु महीने भर उसे खाते रहोगे, जब तक वह तुम्हारे नथनों से निकलने न लगे और तुम को उस से घृणा न हो जाए, कयोंकि तुम लोगों ने यहोवा को जो तुम्हारे मध्य में है तुच्छ जाना है, और उसके साम्हने यह कहकर रोए हो, कि हम मि से क्यों निकल आए?
20. but a whole month, until it comes out at your+ nostrils, and it is loathsome to you+; because you+ have rejected Yahweh who is among you+, and have wept before him, saying, Why did we come forth out of Egypt?
21. फिर मूसा ने कहा, जिन लोगों के बीच मैं हूं उन में से छ: लाख तो प्यादे ही हैं; और तू ने कहा है, कि मैं उन्हें इतना मांस दूंगा, कि वे महीने भर उसे खाते ही रहेंगे।
21. And Moses said, The people, among whom I am, are six hundred thousand footmen; and you have said, I will give them flesh, that they may eat a whole month.
22. क्या वे सब भेड़- बकरी गाय- बैल उनके लिये मारे जाए, कि उनको मांस मिले? वा क्या समुद्र की सब मछलियां उनके लिये इकट्ठी की जाएं, कि उनको मांस मिले?
22. Will flocks and herds be slain for them, to suffice them? Or will all the fish of the sea be gathered together for them, to suffice them?
23. यहोवा ने मूसा से कहा, क्या यहोवा का हाथ छोटा हो गया है? अब तू देखेगा, कि मेरा वचन जो मैं ने तुझ से कहा है वह पूरा होता है कि नहीं।
23. And Yahweh said to Moses, Is Yahweh's hand waxed short? Now you will see whether my word will come to pass to you or not.
24. तब मूसा ने बाहर जाकर प्रजा के लोगों को यहोवा की बातें कह सुनाई; और उनके पुरनियों में से सत्तर पुरूष इकट्ठे करके तम्बू के चारों ओर खड़े किए।
24. And Moses went out, and told the people the words of Yahweh: and he gathered seventy men of the elders of the people, and set them round about the Tent.
25. तब यहोवा बादल में होकर उतरा और उस ने मूसा से बातें की, और जो आत्मा उस में थी उस में से लेकर उन सत्तर पुरनियों में समवा दिया; और जब वह आत्मा उन में आई तब वे नबूवत करने लगे। परन्तु फिर और कभी न की।
25. And Yahweh came down in the cloud, and spoke to him, and took of the Spirit that was on him, and put it on the seventy elders: and it came to pass, that, when the Spirit rested on them, they prophesied, but they did so no more.
26. परन्तु दो मनुष्य छावनी में रह गए थे, जिस में से एक का नाम एलदाद और दूसरे का मेदाद था, उन में भी आत्मा आई; ये भी उन्हीं में से थे जिनके नाम लिख लिये गये थे, पर तम्बू के पास न गए थे, और वे छावनी ही में नबूवत करने लगे।
26. But there remained two men in the camp, the name of the one was Eldad, and the name of the other Medad: and the Spirit rested on them; and they were of those who were written, but had not gone out to the Tent; and they prophesied in the camp.
27. तब किसी जवान ने दौड़ कर मूसा को बतलाया, कि एलदाद और मेदाद छावनी में नबूवत कर रहे हैं।
27. And there ran a young man, and told Moses, and said, Eldad and Medad are prophesying in the camp.
28. तब नून का पुत्रा यहोशू, जो मूसा का टहलुआ और उसके चुने हुए वीरों में से था, उस ने मूसा से कहा, हे मेरे स्वामी मूसा, उनको रोक दे।
28. And Joshua the son of Nun, the minister of Moses, one of his chosen men, answered and said, My lord Moses, forbid them.
29. मूसा ने उन से कहा, क्या तू मेरे कारण जलता है? भला होता कि यहोवा की सारी प्रजा के लोग नबी होते, और यहोवा अपना आत्मा उन सभों में समवा देता!1 कुरिन्थियों 14:5
29. And Moses said to him, Are you jealous for my sake? Oh that all Yahweh's people were prophets, that Yahweh would put his Spirit on them!
30. तब फिर मूसा इस्त्राएल के पुरनियों समेत छावनी में चला गया।
30. And Moses got himself into the camp, he and the elders of Israel.
31. तब यहोवा की ओर से एक बड़ी आंधी आई, और वह समुद्र से बटेरें उड़ाके छावनी पर और उसके चारों ओर इतनी ले आईं, कि वे इधर उधर एक दिन के मार्ग तक भूमि पर दो हाथ के लगभग ऊंचे तक छा गए।
31. And a wind went forth from Yahweh, and brought quails from the sea, and let them fall by the camp, about a day's journey on this side, and a day's journey on the other side, round about the camp, and about two cubits above the face of the earth.
32. और लोगों ने उठकर उस दिन भर और रात भर, और दूसरे दिन भी दिन भर बटेरों को बटोरते रहे; जिस ने कम से कम बटोरा उस ने दस होमेर बटोरा; और उन्हों ने उन्हें छावनी के चारों ओर फैला दिया।
32. And the people rose up all that day, and all the night, and all the next day, and gathered the quails: he who gathered least gathered ten homers: and they spread them all abroad for themselves round about the camp.
33. मांस उनके मुंह ही में था, और वे उसे खाने न पाए थे, कि यहोवा का कोप उन पर भड़क उठा, और उस ने उनको बहुत बड़ी मार से मारा।
33. While the flesh was yet between their teeth, before it was chewed, the anger of Yahweh was kindled against the people, and Yahweh struck the people with a very great plague.
34. और उस स्थान का नाम किब्रोथत्तावा पड़ा, क्योंकि जिन लोगों ने कामुकता की थी उनको वहां मिट्टी दी गई।1 कुरिन्थियों 10:6
34. And the name of that place was called Kibrothhattaavah, because there they buried the people who lusted.
35. फिर इस्त्राएली किब्रोथत्तावा से प्रस्थान करके हसेरोत में पहुंचे, और वहीं रहे।।
35. From Kibrothhattaavah the people journeyed to Hazeroth; and they remained at Hazeroth.