1. इस्राएल एक लहलहाती हुई दाखलता सी है, जिस में बहुत से फल भी लगे, परन्तु ज्यों ज्यों उसके फल बढ़े, त्यों त्यों उस ने अधिक वेदियां बनाईं जैसे जैसे उसकी भूमि सुधरी, वैसे ही वे सुन्दर लाटें बनाते गये।
1. 'An empty vine [is] Israel, Fruit he maketh like to himself, According to the abundance of his fruit, He hath multiplied for the altars, According to the goodness of his land, They have made goodly standing-pillars.