Ezekiel - यहेजकेल 7 | View All

1. फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,

1. And the word of Jehovah came unto me, saying,

2. हे मनुष्य के सन्तान, प्रभु यहोवा इस्राएल की भूमि के विषय में यों कहता है, कि अन्त हुआ; चारों कोनों समेत देश का अन्त आ गया है।
प्रकाशितवाक्य 7:1, प्रकाशितवाक्य 20:8

2. And thou, son of man, thus saith the Lord Jehovah unto the land of Israel: An end, the end is come upon the four corners of the land.

3. तेरा अन्त भी आ गया, और मैं अपना कोप तुझ पर भड़काकर तेरे चालचलन के अनुसार तुझे दण्ड दूंगा; और तेरे सारे घिनौने कामों का फल तुझे दूंगा।

3. Now is the end upon thee; and I will send mine anger upon thee, and will judge thee according to thy ways, and will bring upon thee all thine abominations.

4. मेरी दयादृष्टि तुझ पर न होगी, और न मैं कोतलता करूंगा; और जब तक तेरे घिनौने पाप तुझ में बने रहेंगे तब तक मैं तेरे चालचलन का फल तुझे दूंगा। तब तू जान लेगा कि मैं यहोवा हूँ।

4. And mine eye shall not spare thee, neither will I have pity; but I will bring thy ways upon thee, and thine abominations shall be in the midst of thee; and ye shall know that I [am] Jehovah.

5. प्रभु यहोवा यों कहता है, विपत्ति है, एक बड़ी विपत्ति है ! देखो, वह आती है।

5. Thus saith the Lord Jehovah: An evil, an only evil! behold, it is come.

6. अन्त आ गया है, सब का अन्त आया है; वह तेरे विरूद्ध जागा है। देखो, वह आता है।

6. The end is come, the end is come; it awaketh against thee: behold, it cometh.

7. हे देश के निवासी, तेरे लिये चक्र घूम चुका, समय आ गया, दिन निकट है; पहाड़ों पर आनन्द के शब्द का दिन नहीं, हुल्लड़ ही का होगा।

7. The doom is come unto thee, inhabitant of the land; the time is come, the day is near, -- tumult, and not the joyous cry from the mountains.

8. अब थोड़े दिनों में मैं अपनी जलजलाहट तुझ पर भड़काऊंगा, और तुझ पर पूरा कोप उण्डेलूंगा और तेरे चालचलन के अनुसार तुझे दण्ड दूंगा। और तेरे सारे घिनौने कामों का फल तुझे भुगताऊंगा।

8. Now will I soon pour out my fury upon thee, and accomplish mine anger against thee; and I will judge thee according to thy ways, and will bring upon thee all thine abominations.

9. मेरी दयादृष्टि तुझ पर न होगी और न मैं तुझ पर कोपलता करूंगा। मैं तेरी चालचलन का फल तुझे भुगताऊंगा, और तेरे घिनौने पाप तुझ में बने रहेंगे। तब तुम जान लोगे कि मैं यहोवा दण्ड देनेवाला हूँ।

9. And mine eye shall not spare, neither will I have pity: I will render unto thee according to thy ways, and thine abominations shall be in the midst of thee; and ye shall know that it is I, Jehovah, that smite.

10. देखो, उस दिन को देखो, वह आता है ! चक्र घूम चुका, छड़ी फूल चुकी, अभिमान फूला है।

10. Behold the day, behold, it is come: the doom is gone forth; the rod hath blossomed, pride is full blown.

11. उपद्रव बढ़ते बढ़ते दुष्टता का दण्ड बन गया; उन में से कोई न बचेगा, और न उनकी भीड़- भाड़, न उनके धन में से कुछ रहेगा; और न उन में से किसी के लिये विलाप सुन पड़ेगा।

11. Violence is risen up into a rod of wickedness: nothing of them [shall remain], nor of their multitude, nor of their wealth, nor of the magnificence in the midst of them.

12. समय आ गया, दिन निकट आ गया है; न तो मोल लेनेवाला आनन्द करे और न बेचनेवाला शोक करे, क्योंकि उनकी सारी भीड़ पर कोप भड़क उठा है।

12. The time is come, the day draweth near: let not the buyer rejoice, nor the seller mourn; for fierce anger is upon all the multitude thereof.

13. चाहे वे जीवित रहें, तौभी बेचनेवाला बेची हुई वस्तु के पास कभी लौटने न पाएगा; क्योंकि दर्शन की यह बात देश की सारी भीड़ पर घटेगी; कोई न लौटेगा; कोई भी मनुष्य, जो अधर्म में जीवित रहता है, बल न पकड़ सकेगा।

13. For the seller shall not return to that which is sold, even though he were yet alive amongst the living: for the vision is touching the whole multitude thereof; it shall not be revoked; and none shall through his iniquity assure his life.

14. उन्होंने नरसिंगा फूंका और सब कुछ तैयार कर दिया; परन्तु युठ्ठ में कोई नहीं जाता क्योंकि देश की सारी भीड़ पर मेरा कोप भड़का हुआ है।

14. They have blown the trumpet and made all ready, but none goeth to the battle; for my fierce anger is upon all the multitude thereof.

15. बाहर तलवार और भीतर महंगी और मरी हैं; जो मैदान में हो वह तलवार से मरेगा, और जोे नगर में हो वह भूख और मरी से मारा जाएगा।

15. The sword is without, and the pestilence and the famine within: he that is in the field shall die by the sword; and he that is in the city, famine and pestilence shall devour him.

16. और उन में से जो बच निकलेंगे वे बचेंगे तो सही परन्तु अपने अपने अधर्म में फसे रहकर तराइयों में रहनेवाले कबूतरों की नाई पहाड़ों के ऊपर विलाप करते रहेंगे।

16. And they that escape of them shall escape, and shall be on the mountains like doves of the valleys, all of them moaning, every one for his iniquity.

17. सब के हाथ ढीले और सब के घुटने अति निर्बल हो जाएंगे।

17. All hands shall be feeble, and all knees shall melt into water.

18. और वे कमर में टाट कसेंगे, और उनके रोए खड़े होंगे; सब के मुंह सूख जाएंगे और सब के सिर मूंड़े जाएंगे।

18. And they shall gird on sackcloth, and horror shall cover them; and shame shall be upon all faces, and baldness upon all their heads.

19. वे अपनी चान्दी सड़कों में फेंक देंगे, और उनका सोना अशुठ्ठ वस्तु छहरेगा; यहोवा की जलन के दिन उनका सोना चान्दी उनको बचा न सकेगी, न उस से उनका जी सन्तुष्ट होगा, न उनके पेट भरेंगे। क्योंकि वह उनके अधर्म के ठोकर का कारण हुआ है।

19. They shall cast their silver in the streets, and their gold shall be as an impurity: their silver and their gold shall not be able to deliver them in the day of Jehovah's wrath; they shall not satisfy their souls, neither fill their belly; for it hath been the stumbling-block of their iniquity.

20. उनका देश जो शोभायमान और शिरोमणि था, उसके विषय में उन्हों ने गर्व ही गर्व करके उस में अपनी घृणित वस्तु ओं की मूरतें, और घृणित वस्तुएं बना रखीं, इस कारण मैं ने उसे उनके लिये अशुठ्ठ वस्तु ठहराया हे।

20. And he set in majesty his beautiful ornament; but they made therein the images of their abominations [and] of their detestable things: therefore have I made it an impurity unto them.

21. और मैं उसे लूटने के लिये परदेशियों के हाथ, और घन छाीनने के लिये पृथ्वी के बुष्ट लोगों के वश में कर दूंगा; और वे उसे अपवित्रा कर डालेंगे।

21. And I will give it into the hands of strangers for a prey, and to the wicked of the earth for a spoil; and they shall profane it.

22. मैं उन से मुंह फेर लूंगा, तब वे मेरे रक्षित स्थान को अपवित्रा करेंगे; डाकू उस में घुसकर उसे अपवित्रा करेंगे;

22. And I will turn my face from them; and they shall profane my secret [place]; and the violent shall enter into it, and profane it.

23. एक सांकल बना दे, क्योंकि देश अन्याय की हत्या से, और नगर उपद्रव से भरा हुआ है।

23. Make the chain; for the land is full of bloody crimes, and the city is full of violence.

24. मैं अन्यजातियों के बुरे से बुरे लोगों को लाऊंगा, जो उनके घरों के स्वामी हो जाएंगे; और मैं सामर्थियों का गर्व तोड़ दूंगा और उनके पवित्रास्थान अपवित्रा किए जाएंगे।

24. Therefore will I bring the worst of the nations, and they shall possess their houses; and I will make the pride of the strong to cease; and their sanctuaries shall be profaned.

25. सत्यानाश होने पर है तब ढूंढ़ने पर भी उन्हें शान्ति न मिलेंगी।

25. Destruction cometh; and they shall seek peace, but there shall be none.

26. विपत्ति पर विपत्ति आएगी और उड़ती हुई चर्चा पर चर्चा सुनाई पड़ेगी; और लोग भविष्यद्वक्ता से दर्शन की बात पूछेंगे, परन्तु याजक के पास से व्यवस्था, और पुरनिये के पास से सम्मति देने की शक्ति जाती रहेगी।

26. Mischief shall come upon mischief, and rumour shall be upon rumour; and they shall seek a vision from a prophet; but the law shall perish from the priest, and counsel from the elders.

27. राजा तो शोक करेगा, और रईस उदासीरूपी वस्त्रा पहिनेंगे, और देश के लोगों के हाथ ढीले पड़ेंगे। मैं उनके चलन के अनुसार उन से बर्ताव करूंगा, और उनकी कमाई के समान उनको दण्ड दूंगा; तब वे जान लेंगे कि मैं यहोवा हूँ।

27. The king shall mourn, and the prince shall be clothed with dismay, and the hands of the people of the land shall tremble: I will do unto them according to their way, and with their judgments will I judge them; and they shall know that I [am] Jehovah.



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