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1. फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,
1. The word of the LORD came to me:
2. हे मनुष्य के सन्तान, प्रभु यहोवा इस्राएल की भूमि के विषय में यों कहता है, कि अन्त हुआ; चारों कोनों समेत देश का अन्त आ गया है।प्रकाशितवाक्य 7:1, प्रकाशितवाक्य 20:8
2. 'Son of man, this is what the Sovereign LORD says to the land of Israel: The end! The end has come upon the four corners of the land.
3. तेरा अन्त भी आ गया, और मैं अपना कोप तुझ पर भड़काकर तेरे चालचलन के अनुसार तुझे दण्ड दूंगा; और तेरे सारे घिनौने कामों का फल तुझे दूंगा।
3. The end is now upon you and I will unleash my anger against you. I will judge you according to your conduct and repay you for all your detestable practices.
4. मेरी दयादृष्टि तुझ पर न होगी, और न मैं कोतलता करूंगा; और जब तक तेरे घिनौने पाप तुझ में बने रहेंगे तब तक मैं तेरे चालचलन का फल तुझे दूंगा। तब तू जान लेगा कि मैं यहोवा हूँ।
4. I will not look on you with pity or spare you; I will surely repay you for your conduct and the detestable practices among you. Then you will know that I am the LORD.
5. प्रभु यहोवा यों कहता है, विपत्ति है, एक बड़ी विपत्ति है ! देखो, वह आती है।
5. 'This is what the Sovereign LORD says: Disaster! An unheard-of disaster is coming.
6. अन्त आ गया है, सब का अन्त आया है; वह तेरे विरूद्ध जागा है। देखो, वह आता है।
6. The end has come! The end has come! It has roused itself against you. It has come!
7. हे देश के निवासी, तेरे लिये चक्र घूम चुका, समय आ गया, दिन निकट है; पहाड़ों पर आनन्द के शब्द का दिन नहीं, हुल्लड़ ही का होगा।
7. Doom has come upon you-- you who dwell in the land. The time has come, the day is near; there is panic, not joy, upon the mountains.
8. अब थोड़े दिनों में मैं अपनी जलजलाहट तुझ पर भड़काऊंगा, और तुझ पर पूरा कोप उण्डेलूंगा और तेरे चालचलन के अनुसार तुझे दण्ड दूंगा। और तेरे सारे घिनौने कामों का फल तुझे भुगताऊंगा।
8. I am about to pour out my wrath on you and spend my anger against you; I will judge you according to your conduct and repay you for all your detestable practices.
9. मेरी दयादृष्टि तुझ पर न होगी और न मैं तुझ पर कोपलता करूंगा। मैं तेरी चालचलन का फल तुझे भुगताऊंगा, और तेरे घिनौने पाप तुझ में बने रहेंगे। तब तुम जान लोगे कि मैं यहोवा दण्ड देनेवाला हूँ।
9. I will not look on you with pity or spare you; I will repay you in accordance with your conduct and the detestable practices among you. Then you will know that it is I the LORD who strikes the blow.
10. देखो, उस दिन को देखो, वह आता है ! चक्र घूम चुका, छड़ी फूल चुकी, अभिमान फूला है।
10. 'The day is here! It has come! Doom has burst forth, the rod has budded, arrogance has blossomed!
11. उपद्रव बढ़ते बढ़ते दुष्टता का दण्ड बन गया; उन में से कोई न बचेगा, और न उनकी भीड़- भाड़, न उनके धन में से कुछ रहेगा; और न उन में से किसी के लिये विलाप सुन पड़ेगा।
11. Violence has grown into a rod to punish wickedness; none of the people will be left, none of that crowd-- no wealth, nothing of value.
12. समय आ गया, दिन निकट आ गया है; न तो मोल लेनेवाला आनन्द करे और न बेचनेवाला शोक करे, क्योंकि उनकी सारी भीड़ पर कोप भड़क उठा है।
12. The time has come, the day has arrived. Let not the buyer rejoice nor the seller grieve, for wrath is upon the whole crowd.
13. चाहे वे जीवित रहें, तौभी बेचनेवाला बेची हुई वस्तु के पास कभी लौटने न पाएगा; क्योंकि दर्शन की यह बात देश की सारी भीड़ पर घटेगी; कोई न लौटेगा; कोई भी मनुष्य, जो अधर्म में जीवित रहता है, बल न पकड़ सकेगा।
13. The seller will not recover the land he has sold as long as both of them live, for the vision concerning the whole crowd will not be reversed. Because of their sins, not one of them will preserve his life.
14. उन्होंने नरसिंगा फूंका और सब कुछ तैयार कर दिया; परन्तु युठ्ठ में कोई नहीं जाता क्योंकि देश की सारी भीड़ पर मेरा कोप भड़का हुआ है।
14. Though they blow the trumpet and get everything ready, no one will go into battle, for my wrath is upon the whole crowd.
15. बाहर तलवार और भीतर महंगी और मरी हैं; जो मैदान में हो वह तलवार से मरेगा, और जोे नगर में हो वह भूख और मरी से मारा जाएगा।
15. 'Outside is the sword, inside are plague and famine; those in the country will die by the sword, and those in the city will be devoured by famine and plague.
16. और उन में से जो बच निकलेंगे वे बचेंगे तो सही परन्तु अपने अपने अधर्म में फसे रहकर तराइयों में रहनेवाले कबूतरों की नाई पहाड़ों के ऊपर विलाप करते रहेंगे।
16. All who survive and escape will be in the mountains, moaning like doves of the valleys, each because of his sins.
17. सब के हाथ ढीले और सब के घुटने अति निर्बल हो जाएंगे।
17. Every hand will go limp, and every knee will become as weak as water.
18. और वे कमर में टाट कसेंगे, और उनके रोए खड़े होंगे; सब के मुंह सूख जाएंगे और सब के सिर मूंड़े जाएंगे।
18. They will put on sackcloth and be clothed with terror. Their faces will be covered with shame and their heads will be shaved.
19. वे अपनी चान्दी सड़कों में फेंक देंगे, और उनका सोना अशुठ्ठ वस्तु छहरेगा; यहोवा की जलन के दिन उनका सोना चान्दी उनको बचा न सकेगी, न उस से उनका जी सन्तुष्ट होगा, न उनके पेट भरेंगे। क्योंकि वह उनके अधर्म के ठोकर का कारण हुआ है।
19. They will throw their silver into the streets, and their gold will be an unclean thing. Their silver and gold will not be able to save them in the day of the LORD's wrath. They will not satisfy their hunger or fill their stomachs with it, for it has made them stumble into sin.
20. उनका देश जो शोभायमान और शिरोमणि था, उसके विषय में उन्हों ने गर्व ही गर्व करके उस में अपनी घृणित वस्तु ओं की मूरतें, और घृणित वस्तुएं बना रखीं, इस कारण मैं ने उसे उनके लिये अशुठ्ठ वस्तु ठहराया हे।
20. They were proud of their beautiful jewelry and used it to make their detestable idols and vile images. Therefore I will turn these into an unclean thing for them.
21. और मैं उसे लूटने के लिये परदेशियों के हाथ, और घन छाीनने के लिये पृथ्वी के बुष्ट लोगों के वश में कर दूंगा; और वे उसे अपवित्रा कर डालेंगे।
21. I will hand it all over as plunder to foreigners and as loot to the wicked of the earth, and they will defile it.
22. मैं उन से मुंह फेर लूंगा, तब वे मेरे रक्षित स्थान को अपवित्रा करेंगे; डाकू उस में घुसकर उसे अपवित्रा करेंगे;
22. I will turn my face away from them, and they will desecrate my treasured place; robbers will enter it and desecrate it.
23. एक सांकल बना दे, क्योंकि देश अन्याय की हत्या से, और नगर उपद्रव से भरा हुआ है।
23. 'Prepare chains, because the land is full of bloodshed and the city is full of violence.
24. मैं अन्यजातियों के बुरे से बुरे लोगों को लाऊंगा, जो उनके घरों के स्वामी हो जाएंगे; और मैं सामर्थियों का गर्व तोड़ दूंगा और उनके पवित्रास्थान अपवित्रा किए जाएंगे।
24. I will bring the most wicked of the nations to take possession of their houses; I will put an end to the pride of the mighty, and their sanctuaries will be desecrated.
25. सत्यानाश होने पर है तब ढूंढ़ने पर भी उन्हें शान्ति न मिलेंगी।
25. When terror comes, they will seek peace, but there will be none.
26. विपत्ति पर विपत्ति आएगी और उड़ती हुई चर्चा पर चर्चा सुनाई पड़ेगी; और लोग भविष्यद्वक्ता से दर्शन की बात पूछेंगे, परन्तु याजक के पास से व्यवस्था, और पुरनिये के पास से सम्मति देने की शक्ति जाती रहेगी।
26. Calamity upon calamity will come, and rumor upon rumor. They will try to get a vision from the prophet; the teaching of the law by the priest will be lost, as will the counsel of the elders.
27. राजा तो शोक करेगा, और रईस उदासीरूपी वस्त्रा पहिनेंगे, और देश के लोगों के हाथ ढीले पड़ेंगे। मैं उनके चलन के अनुसार उन से बर्ताव करूंगा, और उनकी कमाई के समान उनको दण्ड दूंगा; तब वे जान लेंगे कि मैं यहोवा हूँ।
27. The king will mourn, the prince will be clothed with despair, and the hands of the people of the land will tremble. I will deal with them according to their conduct, and by their own standards I will judge them. Then they will know that I am the LORD.'