27. व्यभिचार और चोचला और छिनालपन आदि तेरे घिनौने काम जो तू ने मैदान और टीलों पर किए हैं, वे सब मैं ने देखे हैं। हे यरूशलेम, तुझ पर हाय ! तू अपने आप को कब तक शुठ्ठ न करेगी? और कितने दिन तक तू बनी रहेगी?
27. Thine adulteries, and thy neighings, the lewdness of thy fornication, on the hills, in the fields, -- thine abominations, have I seen. Woe unto thee, Jerusalem! Wilt thou not be made clean? after how long a time yet?