16. हे उत्तर वायु जाग, और हे दक्खिनी वायु चली आ! मेरी बारी पर बह, जिस से उसका सुगन्ध फैले। मेरा प्रेमी अपनी बारी में आये, और उसके उत्तम उत्तम फल खाए।।
16. Awake, O north wind, and come, O south, Cause my garden to breathe forth, its spices let flow, Let my beloved come to his garden, And eat its pleasant fruits!