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1. हे परमेश्वर, मेरी प्रार्थना की ओर कान लगा; और मेरी गिड़गिड़ाहट से मुंह न मोड़!
1. হে ঈশ্বর, আমার প্রার্থনায় কর্ণপাত কর, আমার বিনতি হইতে লুকাইও না।
2. मेरी ओर ध्यान देकर, मुझे उत्तर दे; मैं चिन्ता के मारे छटपटाता हूं और व्याकुल रहता हूं।
2. আমার প্রতি অবধান কর, আমাকে উত্তর দেও; আমি ভাবনায় অস্থির হইতেছি, কোঁকাইতেছি,
3. क्योंकि शत्रु कोलाहल और दुष्ट उपद्रव कर रहें हैं; वे मुझ पर दोषारोपण करते हैं, और क्रोध में आकर मुझे सताते हैं।।
3. শত্রুর রব হেতু, দুর্জ্জনের অত্যাচার হেতু; কেননা তাহারা আমাতে অধর্ম্ম আরোপ করে, ক্রোধে আমাকে তাড়না করে।
4. मेरा मन भीतर ही भीतर संकट में है, और मृत्यु का भय मुझ में समा गया है।
4. আমার অন্তরে চিত্ত বড়ই ব্যথিত হইতেছে; মৃত্যুর ত্রাস আমাকে আক্রমণ করিয়াছে।
5. भय और कंपकपी ने मुझे पकड़ लिया है, और भय के कारण मेरे रोंए रोंए खड़े हो गए हैं।
5. ভয় ও কম্প আমাতে প্রবেশ করিয়াছে, আমি মহাত্রাসে আচ্ছন্ন হইয়াছি।
6. और मैं ने कहा, भला होता कि मेरे कबूतर के से पंख होते तो मैं उड़ जाता और विश्राम पाता!
6. আমি কহিলাম, আহা! যদি কপোতের ন্যায় আমার পক্ষ হইত, তবে আমি উড়িয়া গিয়া সুস্থির হইতাম;
7. देखो, फिर तो मैं उड़ते उड़ते दूर निकल जाता और जंगल में बसेरा लेता,
7. দেখ, আমি ভ্রমণ করিয়া দূরে যাইতাম, প্রান্তরে প্রবাস করিতাম; সেলা।
8. मैं प्रचण्ड बयार और आन्धी के झोंके से बचकर किसी शरण स्थान में भाग जाता।।
8. আমি ত্বরায় রক্ষার্থে পলায়ন করিতাম, প্রচণ্ড বায়ু ও ঝটিকা হইতে পলায়ন করিতাম।
9. हे प्रभु, उनको सत्यानाश कर, और उनकी भाषा में गड़बड़ी डाल दे; क्योंकि मैं ने नगर में उपद्रव और झगड़ा देखा है।
9. গ্রাস কর, প্রভু, উহাদের জিহ্বা ভিন্ন কর; কেননা আমি নগরে দৌরাত্ম্য ও কলহ দেখিয়াছি।
10. रात दिन वे उसकी शहरपनाह पर चढ़कर चारों ओर घूमते हैं; और उसके भीतर दुष्टता और उत्पात होता है।
10. তাহারা দিবারাত্র প্রাচীরের উপর দিয়া নগর প্রদক্ষিণ করে, আর অধর্ম্ম ও অন্যায় তন্মধ্যে রহিয়াছে।
11. उसके भीतर दुष्टता ने बसेरा डाला है; और अन्धेर, अत्याचार और छल उसके चौक से दूर नहीं होते।।
11. তন্মধ্যে দুষ্টতা রহিয়াছে; উপদ্রব ও ছলনা তাহার চক ত্যাগ করে না।
12. जो मेरी नामधराई करता है वह शत्रु नहीं था, नहीं तो मैं उसको सह लेता; जो मेरे विरूद्व बड़ाई मारता है वह मेरा बैरी नहीं है, नहीं तो मैं उस से छिप जाता।
12. কোন শত্রু যে আমাকে তিরস্কার করিয়াছে, তাহা নয়, করিলে আমি তাহা সহিতে পারিতাম; বিদ্বেষীও আমার বিরুদ্ধে দর্প করে নাই, করিলে তাহা হইতে আপনাকে লুকাইতাম।
13. परन्तु वह तो तू ही था जो मेरी बराबरी का मनुष्य मेरा परममित्रा और मेरी जान पहचान का था।
13. কিন্তু, আমার সমকক্ষ মনুষ্য যে তুমি, আমার মিত্র ও আমার আত্মীয়, তুমিই তাহা করিয়াছ।
14. हम दोनों आपस में कैसी मीठी मीठी बातें करते थे; हम भीड़ के साथ परमेश्वर के भवन को जाते थे।
14. আমরা একত্র হইয়া মধুর মন্ত্রণা করিতাম, আমরা সদলে ঈশ্বরের গৃহে গমন করিতাম।
15. उनको मृत्यु अचानक आ दबाए; वे जीवित ही अधोलोक में उतर जाएं; क्योंकि उनके घर और मन दोनों में बुराइयां और उत्पात भरा है।।
15. মৃত্যু তাহাদের উপরে হঠাৎ আইসুক; তাহারা জীবদ্দশায় পাতালে নামুক; কারণ তাহাদের আলয়ে এবং তাহাদের অন্তরে দুষ্টতা আছে।
16. परन्तु मैं तो परमेश्वर को पुकारूंगा; और यहोवा मुझे बचा लेगा।
16. আমি কিন্তু ঈশ্বরকে ডাকিব, তাহাতে সদাপ্রভু আমাকে পরিত্রাণ করিবেন।
17. सांझ को, भोर को, दोपहर को, तीनों पहर मैं दोहाई दूंगा और कराहता रहूंगा। और वह मेरा शब्द सुन लेगा।
17. সন্ধ্যায়, প্রাতে ও মধ্যাহ্নে আমি বিলাপ করি ও কোঁকাই, আর তিনি আমার রব শুনেন।
18. जो लड़ाई मेरे विरूद्व मची थी उस से उस ने मुझे कुशल के साथ बचा लिया है। उन्हों ने तो बहुतों को संग लेकर मेरा साम्हना किया था।
18. তিনি আমার প্রতিকূল যুদ্ধ হইতে আমার প্রাণ কুশলে মুক্ত করিয়াছেন; কারণ অনেকে আমার বিপক্ষ ছিল!
19. ईश्वर जो आदि से विराजमान है यह सुनकर उनको उत्तर देगा। ये वे है जिन में कोई परिवर्तन नहीं और उन में परमेश्वर का भय है ही नहीं।।
19. ঈশ্বর শুনিবেন, তাহাদিগকে উত্তর দিবেন; তিনি চিরকালাবধি সমাসীন। সেলা। উহাদের পরিবর্ত্তন হয় নাই, আর উহারা ঈশ্বরকে ভয় করে না।
20. उस ने अपने मेल रखनेवालों पर भी हाथ छोड़ा है, उस ने अपनी वाचा को तोड़ दिया है।
20. ঐ ব্যক্তি আপন মিত্রদের বিরুদ্ধে হস্ত তুলিয়াছে, আপনার নিয়ম লঙ্ঘন করিয়াছে।
21. उसके मुंह की बातें तो मक्खन सी चिकनी थी परन्तु उसके मन में लड़ाई की बातें थीं; उसके वचन तेल से अधिक नरम तो थे परन्तु नंगी तलवारें थीं।।
21. তাহার মুখ নবনীতের ন্যায় কোমল, কিন্তু তাহার অন্তঃকরণ যুদ্ধময়; তাহার বাক্য সকল তৈল অপেক্ষা চিক্কণ, তথাপি সে সকল বিকোষিত খড়্গস্বরূপ।
22. अपना बोझ यहोवा पर डाल दे वह तुझे सम्भालेगा; वह धर्मी को कभी टलने न देगा।।1 पतरस 5:7
22. তুমি সদাপ্রভুতে আপনার ভার অর্পন কর; তিনিই তোমাকে ধরিয়া রাখিবেন, কখনও ধার্ম্মিককে বিচলিত হইতে দিবেন না।
23. परन्तु हे परमेश्वर, तू उन लोगों को विनाश के गड़हे में गिरा देगा; हत्यारे और छली मनुष्य अपनी आधी आयु तक भी जीवित न रहेंगे। परन्तु मैं तुझ पर भरोसा रखे रहूंगा।।
23. কিন্তু হে ঈশ্বর, তুমিই উহাদিগকে বিনাশের কূপে নামাইবে; রক্তপাতী ও ছলপ্রিয়েরা আয়ুর অর্দ্ধকালও বাঁচিবে না; কিন্তু আমি তোমার উপরে নির্ভর করিব।