12. जो मेरी नामधराई करता है वह शत्रु नहीं था, नहीं तो मैं उसको सह लेता; जो मेरे विरूद्व बड़ाई मारता है वह मेरा बैरी नहीं है, नहीं तो मैं उस से छिप जाता।
12. For it is, not an enemy, that reproacheth me, Or I could bear it, Not one that hath hated me, who, against me, hath magnified himself, Or I might hide myself from him;