35. पापी लोग पृथ्वी पर से मिट जाएं, और दुष्ट लोग आगे को न रहें! हे मेरे मन यहोवा को धन्य कह! याह की स्तुति करो!प्रकाशितवाक्य 19:1-6 इस के बाद मैं ने स्वर्ग में मानो बड़ी भीड़ को ऊंचे शब्द से यह कहते सुना, कि हल्लिलूरयाह उद्धार, और महिमा, और सामर्थ हमारे परमेश्वर ही की है।क्योंकि उसके निर्णय सच्चे और ठीक हैं, इसलिये कि उस ने उस बड़ी वेश्या का जो अपने व्यभिचार से पृथ्वी को भ्रष्ट करती थी, न्याय किया, और उस से अपने दासों के लोहू का पलटा लिया है।फिर दूसरी बार उन्हों ने हल्लिलूरयाह कहा: और उसके जलने का धुआं युगानुयुग उठता रहेगा।और चौबीसों प्राचीनों और चारों प्राणियों ने गिरकर परमेश्वर को दण्डवत् किया; जो सिंहासन पर बैठा था, और कहा, आमीन, हल्लिलूरयाह।और सिंहासन में से एक शब्द निकला, कि हे हमारे परमेश्वर से सब डरनेवाले दासों, क्या छोटे, क्या बड़े; तुम सब उस की स्तुति करो।फिर मैं ने बड़ी भीड़ का सा, और बहुत जल का सा शब्द, और गर्जनों का सा बड़ा शब्द सुना, कि हल्लिलूरयाह, इसलिये कि प्रभु हमारा परमेश्वर, सर्वशक्तिमान राज्य करता है।