Psalms - भजन संहिता 104 | View All

1. हे मेरे मन, तू यहोवा को धन्य कह! हे मेरे परमेश्वर यहोवा, तू अत्यन्त महान है! तू विभव और ऐश्वर्य का वस्त्रा पहिने हुए है,

1. naa praanamaa, yehovaanu sannuthinchumu. Yehovaa, naa dhevaa neevu adhika ghanathavahinchina vaadavu neevu mahaatmyamunu prabhaavamunu dharinchiyunnaavu.

2. जो उजियाले को चादर की नाई ओढ़े रहता है, और आकाश को तम्बू के समान ताने रहता है,
1 तीमुथियुस 6:16

2. vastramuvale velugunu neevu kappukoniyunnaavu. Teranu parachinattu aakaashavishaalamunu neevu parachi yunnaavu.

3. जो अपनी अटारियों की कड़ियां जल में धरता है, और मेघों को अपना रथ बनाता है, और पवन के पंखों पर चलता है,

3. jalamulalo aayana thana gadula doolamulanu vesi yunnaadu. Meghamulanu thanaku vaahanamugaa chesikoni gaali rekkalameeda gamanamu cheyuchunnaadu

4. जो पवनों को अपने दूत, और धधकती आग को अपने टहलुए बनाता है।।
इब्रानियों 1:7

4. vaayuvulanu thanaku doothalugaanu agnijvaalalanu thanaku parichaarakulugaanu aayana chesikoniyunnaadu.

5. तू ने पृथ्वी को उसकी नीव पर स्थिर किया है, ताकि वह कभी न डगमगाए।

5. bhoomi yennatikini kadalakundunatlu aayana daanini punaadulameeda sthiraparachenu.

6. तू ने उसको गहिरे सागर से ढांप दिया है जैसे वस्त्रा से; जल पहाड़ों के ऊपर ठहर गया।

6. daanimeeda agaadhajalamulanu neevu vastramuvale kappithivi. Kondalakupaigaa neellu nilichenu.

7. तेरी घुड़की से वह भाग गया; तेरे गरजने का शब्द सुनते ही, वह उतावली करके बह गया।

7. neevu gaddimpagaane avi paaripoyenu nee urumu shabdamu vini avi tvaragaa paaripoyenu.

8. वह पहाड़ों पर चढ़ गया, और तराईयों के मार्ग से उस स्थान में उतर गया जिसे तू ने उसके लिये तैयार किया था।

8. neevu vaatiki niyaminchinachootiki povutakai avi parvathamulekkenu pallamulaku digenu.

9. तू ने एक सिवाना ठहराया जिसको वह नहीं लांघ सकता है, और न फिरकर स्थल को ढांप सकता है।।

9. avi marali vachi bhoomini kappaka yundunatlu avi daataleni sarihaddulu neevu vaatiki niyaminchithivi.

10. तू नालों में सोतों को बहाता है; वे पहाड़ों के बीच से बहते हैं,

10. aayana kondaloyalalo neetibuggalanu puttinchunu avi manyamulalo paarunu.

11. उन से मैदान के सब जीव- जन्तु जल पीते हैं; जंगली गदहे भी अपनी प्यास बुझा लेते हैं।

11. avi adavijanthuvulannitiki daahamichunu. Vaativalana adavi gaadidalu dappitheerchukonunu.

12. उनके पास आकाश के पक्षी बसेरा करते, और डालियों के बीच में से बोलते हैं।
मत्ती 13:32

12. vaati odduna aakaashapakshulu vaasamu cheyunu kommala naduma avi sunaadamu cheyunu.

13. तू अपनी अटारियों में से पहाड़ों को सींचता है तेरे कामों के फल से पृथ्वी तृप्त रहती है।।

13. thana gadulalonundi aayana kondalaku jaladhaarala nichunu nee kriyala phalamuchetha bhoomi trupthiponduchunnadhi.

14. तू पशुओं के लिये घास, और मनुष्यों के काम के लिये अन्नादि उपजाता है, और इस रीति भूमि से वह भोजन- वस्तुएं उत्पन्न करता है,

14. pashuvulaku gaddini narula upayogamunaku koora mokkalanu aayana molipinchuchunnaadu

15. और दाखमधु जिस से मनुष्य का मन आनन्दित होता है, और तेल जिस से उसका मुख चमकता है, और अन्न जिस से वह सम्भल जाता है।

15. andumoolamuna bhoomilonundi aahaaramunu narula hrudayamunu santhooshapettu draakshaarasamunu vaari mogamulaku merugu nichu thailamunu narula hrudayamunu balaparachu aahaaramunu aayana puttinchuchunnaadu

16. यहोवा के वृक्ष तृप्त रहते हैं, अर्थात् लबानोन के देवदार जो उसी के लगाए हुए हैं।

16. yehovaa vrukshamulu trupthiponduchunnavi. aayana naatina lebaanonu dhevadaaru vrukshamulu trupthiponduchunnavi.

17. उन में चिड़ियां अपने घोंसले बनाती हैं; लगलग का बसेरा सनौवर के वृक्षों में होता है।

17. acchata pakshulu thama goollu kattukonunu acchata saralavrukshamulapaina kongalu nivaasamucheyu chunnavi.

18. ऊंचे पहाड़ जंगली बकरों के लिये हैं; और चट्टानें शापानों के शरणस्थान हैं।

18. goppa kondalu kondamekalaku unikipatlu kundhellaku bandalu aashrayasthaanamulu

19. उस ने नियत समयों के लिये चन्द्रमा को बनाया है; सूर्य अपने अस्त होने का समय जानता है।

19. ruthuvulanu teluputakai aayana chandruni niyaminchenu sooryuniki thana asthamayakaalamu teliyunu

20. तू अन्धकार करता है, तब रात हो जाती है; जिस में वन के सब जीव जन्तु घूमते फिरते हैं।

20. neevu chikati kalugacheyagaa raatriyaguchunnadhi appudu adavijanthuvulanniyu thirugulaaduchunnavi.

21. जवान सिंह अहेर के लिये गरजते हैं, और ईश्वर से अपना आहार मांगते हैं।

21. sinhapu pillalu vetakoraku garjinchuchunnavi thama aahaaramunu dhevuni chethilonundi theesikona joochuchunnavi.

22. सूर्य उदय होते ही वे चले जाते हैं और अपनी मांदों में जा बैठते हैं।

22. sooryudu udayimpagaane avi maralipoyi thama guhalalo pandukonunu.

23. तब मनुष्य अपने काम के लिये और सन्ध्या तक परिश्रम करने के लिये निकलता है।

23. saayankaalamuvaraku paatupadi thama panulanu jarupu konutakai manushyulu bayaluvelluduru.

24. हे यहोवा तेरे काम अनगिनित हैं! इन सब वस्तुओं को तू ने बुद्धि से बनाया है; पृथ्वी तेरी सम्पत्ति से परिपूर्ण है।

24. yehovaa, nee kaaryamulu ennenni vidhamulugaa nunnavi! gnaanamuchetha neevu vaatannitini nirminchithivi neevu kalugajesinavaatithoo bhoomi nindiyunnadhi.

25. इसी प्रकार समुद्र बड़ा और बहुत ही चौड़ा है, और उस में अनगिनित जलचरी जीव- जन्तु, क्या छोटे, क्या बड़े भरे पड़े हैं।

25. adhigo vishaalamaina mahaasamudramu andulo lekkaleni jalacharamulu daanilo chinnavi peddavi jeevaraasulunnavi.

26. उस में जहाज भी आते जाते हैं, और लिब्यातान भी जिसे तू ने वहां खेलने के लिये बनाया है।।

26. andulo odalu naduchuchunnavi daanilo aatalaadutaku neevu nirminchina makaramu lunnavi.

27. इन सब को तेरा ही आसरा है, कि तू उनका आहार समय पर दिया करे।

27. thagina kaalamuna neevu vaatiki aahaaramicchedavani ivanniyu nee dayakoraku kanipettuchunnavi

28. तू उन्हें देता हे, वे चुन लेते हैं; तू अपनी मुट्ठी खोलता है और वे उत्तम पदार्थों से तृप्त होते हैं।

28. neevu vaatiki pettunadhi avi koorchukonunu neevu guppili vippagaa avi manchivaatini thini trupthi parachabadunu.

29. तू मुख फेर लेता है, और वे घबरा जाते हैं; तू उनकी सांस ले लेता है, और उनके प्राण छूट जाते हैं और मिट्टी में फिर मिल जाते हैं।

29. neevu mukhamu maruguchesikonagaa avi kalathapadunu neevu vaati oopiri theesiveyunappudu avi praanamulu vidichi manti paalagunu.

30. फिर तू अपनी ओर से सांस भेजता है, और वे सिरजे जाते हैं; और तू धरती को नया कर देता है।।

30. neevu nee oopiri viduvagaa avi srujimpabadunu atlu neevu bhoothalamunu noothanaparachuchunnaavu.

31. यहोवा की महिमा सदा काल बनी रहे, यहोवा अपने कामों से आन्दित होवे!

31. yehovaa mahima nityamundunugaaka. Yehovaa thana kriyalanu chuchi aanandinchunu gaaka.

32. उसकी दृष्टि ही से पृथ्वी कांप उठती है, और उसके छूते ही पहाड़ों से धुआं निकलता है।

32. aayana bhoomini choodagaa adhi vanakunu aayana parvathamulanu muttagaa avi pogaraajunu

33. मैं जीवन भर यहोवा का गीत गाता रहूंगा; जब तक मैं बना रहूंगा तब तक अपने परमेश्वर का भजन गाता रहूंगा।

33. naa jeevithakaalamanthayu nenu yehovaaku keerthanalu paadedanu nenunnantha kaalamu naa dhevuni keerthinchedanu.

34. मेरा ध्यान करना, उसको प्रिय लगे, क्योंकि मैं तो याहेवा के कारण आनन्दित रहूंगा।

34. aayananugoorchina naa dhyaanamu aayanaku impugaa nundunugaaka nenu yehovaayandu santhooshinchedanu.

35. पापी लोग पृथ्वी पर से मिट जाएं, और दुष्ट लोग आगे को न रहें! हे मेरे मन यहोवा को धन्य कह! याह की स्तुति करो!
प्रकाशितवाक्य 19:1-6

35. paapulu bhoomimeedanundi layamaguduru gaaka bhakthiheenulu ika nundakapoduru gaaka naa praanamaa, yehovaanu sannuthinchumu yehovaanu sthuthinchudi.



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