2 Chronicles - 2 इतिहास 9 | View All

1. जब शीबा की रानी ने सुलैमान की कीर्त्ति सुनी, तब वह कठिन कठिन प्रश्नों से उसकी परीक्षा करने के लिये यरूशलेम को चली । वह बहुत भारी दल और मसालों और बहुत सोने और मणि से लदे ऊंट साथ लिये हुए आई, और सुलैमान के पास पहुंचकर उससे अपने मन की सब बातों के विषय बातें कीं।
मत्ती 6:29, मत्ती 12:42, लूका 11:31

1. And the queen of Sheba had heard of Solomon's fame. And she came to test Solomon with sharp questions at Jerusalem, with a very great train, and camels bearing spices, and gold in abundance, and precious stones. And she came in to Solomon and spoke with him all that was in her heart.

2. सुलैमान ने उसके सब प्रश्नों का उत्तर दिया, कोई बात सुलैमान की बुध्दि से ऐसी बाहर न रही कि वह उसे न बता सके।

2. And Solomon told her all her matters; and there was nothing hidden from Solomon that he did not declare to her.

3. जब शीबा की रानी ने सुलैमान की बुध्दिमानी और उसका बनाया हुआ भवन
लूका 12:27

3. And the queen of Sheba saw the wisdom of Solomon, and the house that he had built,

4. और उसकी मेज पर का भोजन देखा, और उसके कर्मचारी किस रीति बैठते और उसके ठहलुए किस रीति खड़े रहते और कैसे कैसे कपड़े पहिने रहते हैं, और उसके पिलानेवाले कैसे हैं, और वे कैसे कपड़े पहिने हैं, और वह कैसी चढ़ाई है जिस से वह यहोवा के भवन को जाया करता है, जब उस ने यह सब देखा, तब वह चकित हो गई।

4. and the food of his table, and the sitting of his servants, and the standing of his ministers, and their clothing, and his cupbearers, and their clothing, and his burnt offerings that he offered up in the house of Jehovah; and there was no more spirit in her.

5. तब उस ने राजा से कहा, मैं ने तेरे कामों और बुध्दिमानी की जो कीर्त्ति अपने देश में सुनी वह सच ही है।

5. And she said to the king, The word that I heard in my land concerning your matters and concerning your wisdom is true.

6. परन्तु जब तक मैं ने आप ही आकर अपनी आंखों से यह न देखा, तब तक मैं ने उनकी प्रतीति न की; परन्तु तेरी बुध्दि की आधी बड़ाई भी मुझे न बताई गई थी; तू उस कीर्त्ति से बढ़कर है जो मैं ने सुनी थी।

6. But I had given no credence to their words, until I had come and my eyes had seen. And, behold, there was not declared to me half of the greatness of your wisdom. You exceeded the report that I heard.

7. धन्य हैं तेरे जन, धन्य हैं तेरे ये सेवक, जो नित्य तेरे सम्मुख उपस्थित रहकर तेरी बुध्दि की बातें सुनते हैं।

7. Oh the happiness of your men, and the happiness of your servants, these who stand before you continually and hear your wisdom!

8. धन्य है तेरा परमेश्वर यहोवा, जो तुझ से ऐसा प्रसन्न हुआ, कि तुझे अपनी राजगद्दी पर इसलिये विराजमान किया कि तू अपने परमेश्वर यहोवा की ओर से राज्य करे; तेरा परमेश्वर जो इस्राएल से प्रेम करके उन्हें सदा के लिये स्थ्रि करना जाहता थ, उसी कारण उस ने तुझे न्याय और धर्म करने को उनका राजा बना दिया।

8. May Jehovah your God be blessed, who has delighted in you, to put you on His throne to be king for Jehovah your God. In the love of your God toward Israel, to make it stand forever, He has put you over them as king, to do judgment and righteousness.

9. और उस ने राजा को एक सौ बीस किक्कार सोना, बहुत सा सुगन्ध द्ररय, और मणि दिए; जैसे सुगन्धद्ररय शीबा की रानी ने राजा सुलैमान को दिए, वैसे देखने में नहीं आए।

9. And she gave to the king a hundred and twenty talents of gold, and spices in great plenty, and precious stones. And there has not been any spice as that which the queen of Sheba gave to King Solomon.

10. फिर हूराम और सुलैमान दोनों के जहाजी जो ओषीर से सोना लाते थे, वे चन्दन की लकड़ी और मणि भी लाते थे।

10. And also the servants of Hiram and the servants of Solomon, who brought in gold from Ophir, brought in algum trees and precious stones.

11. और राजा ने चन्दन की लकड़ी से यहोवा के भवन और राजभवन के लिये चबूतरे और गवैयों के लिये वीणाएं और सारंगियां बनवाई; ऐसी वस्तुएं उस से पहिले यहूदा देश में न देख पड़ी थीं

11. And the king fashioned the algum trees into steps for the house of Jehovah, and for the king's house, and lyres and harps for singers. And there was none like these before in the land of Judah.

12. और शीबा की रानी ने जो कुछ चाहा वही राजा सुलैमान ने उसको उसकी इच्छा के अनुसार दिया; यह उस से अधिक था, जो वह राजा के पास ले आई थी। तब वह अपने जनों समेत अपने देश को लौट गई।

12. And King Solomon gave to the queen of Sheba all her desire that she asked, besides that which she had brought to the king. And she turned and went to her land, she and her servants.

13. जो सोना प्रति वर्ष सुलैमान के पास पहुचा करता था, उसका तौल छे सौ छियासठ किक्कार था।

13. And the weight of the gold that came to Solomon in one year was six hundred and sixty six talents of gold,

14. यह उस से अधिक था जो सौदागर और रयापारी लाते थे; और अरब देश के सब राजा और देश के अधिपति भी सुलैमान के पास सोना चान्दी लाते थे।

14. besides that from the traders, and that the merchants were bringing in. And all the kings of Arabia, and the rulers of the land, were bringing in gold and silver to Solomon.

15. और राजा सुलैमान ने सोना गढ़ाकर दो सौ बड़ी बड़ी ढालें बनवाई; एक एक ढाल में छेछेसौ शेकेल गढ़ा हुआ सोना लगा।

15. And King Solomon made two hundred bucklers of beaten gold; he put six hundred shekels of beaten gold on the one buckler;

16. फिर उस ने सोना गढ़ाकर तीन सौ छोटी ढालें और भी बनवाई; एक एक छोटी ढाल मे तीन सौ शेकेल सोना लगा, और राजा ने उनको लबानोनी बन नामक भवन में रखा दिया।

16. and three hundred shields of beaten gold; he put three hundred shekels of gold on the one shield. And the king put them in the house of the forest of Lebanon.

17. और राजा ने हाथीदांत का एक बड़ा सिंहासन बनाया और चोखे सोने से मढ़ाया।

17. And the king made a great throne of ivory and overlaid it with pure gold;

18. उस सिंहासन में छे सीढियां और सोने का एक पावदान था; ये सब सिंहासन से जुड़े थे, और बैठने के स्थान की दोनोें अलंग टेक लगी थी और दोनों टेकों के पास एक एक सिंह खड़ा हुआ बना था।

18. and there were six steps to the throne, and a footstool of gold was fastened to the throne; and hands were on this side and on that, at the place of the sitting; and two lions were standing near the hands;

19. और छहों सीढ़ियों की दोनों अलंग में एक एक सिंह खड़ा हुअ बना था, वे सब बारह हुए। किसी राज्य में ऐसा कभी न बना।

19. and twelve lions were standing there on the six steps on this side and on that. There was not any such made for any kingdom.

20. और रजा सुलैमान के पीने के सब पात्रा सोने के थे, और लबानोनी बन नामक भवन के सब पात्रा भी चोखे सोने के थे; सुलैमान के दिनों में चान्दी का कुछ हिसाब न था।

20. And all the drinking vessels of King Solomon were gold, and all the vessels of the house of the forest of Lebanon of refined gold. Silver was not counted for anything in the days of Solomon.

21. क्योंकि हूराम के जहाजियों के संग राजा के तश श को जानेवाले जहाज थे, और तीन तीन वर्ष के बाद वे तश श के जहाज सोना, चान्दी, हाथीदांत, बन्दर और मोर ले आते थे।

21. For the ships of the king were going to Tarshish with the servants of Hiram. Once in three years the ships came from Tarshish bearing gold, and silver, ivory, and apes, and peacocks.

22. यों राजा सुलैमान धन और बुध्दि में पृथ्वी के सब राजाओं से बढ़कर हो गया।

22. And King Solomon increased more than any of the kings of the earth for riches and wisdom.

23. और पृथ्वी के सब राजा सुलैमान की उस बुध्दि की बातें सुनने को जो परमेश्वर ने उसके मन में उपजाई थीं उसका दर्शन करना चाहते थे।

23. And all the kings of the earth were seeking the face of Solomon, to hear his wisdom that God had put in his heart.

24. और वे प्रति वर्ष अपनी अपनी भेंट अर्थात् चान्दी और सोने के पात्रा, वस्त्रा- शस्त्रा, सुगन्धद्ररय, घोड़े और खच्चर ले आते थे।

24. And they were each bringing his present, vessels of silver and vessels of gold, and garments, weapons, and spices, horses and mules, a rate year by year.

25. और अपने घेड़ों और रथों के लिये सुलैमान के चार हजार थान और बारह हजार सवार भी थे, जिनको उस ने रथों के नगरों में और यरूशलेम में राजा के पास ठहरा रखा।

25. And Solomon had four thousand stalls for horses and chariots, and twelve thousand horsemen. And he put them in the chariot cities, and with the king in Jerusalem.

26. और वह महानद से ले पलिश्तियों के देश और मिस्र के सिवाने तक के सब राजाओं पर प्रभुता करता था।

26. And he ruled over all the kings from the River even to the land of the Philistines, and to the border of Egypt.

27. और राजा ने ऐसा किया, कि बहुतायत के कारण यरूशलेम में चान्दी का मूल्य पत्थरों का और देवदार का मूल्य नीचे के देश के गूलरों का सा हो गया।

27. And the king made silver in Jerusalem as the stones. And he made the cedars as the sycamores in the low country for abundance.

28. और लोग मिस्र से और और सब देशों से सुलैमान के लिये घोड़े लाते थे।

28. And they brought out horses from Egypt to Solomon, and from all the lands.

29. आदि से अन्त तक सुलैमान के और सब काम क्या नातान नबी की पुस्तक में, और शीलोवासी अहिरयाह की तबूवत की पुस्तक में, और नबात के पुत्रा यारोबाम के विषय इद्दॊ दश के दर्शन की पुस्तक में नहीं लिखे हैं?

29. And the rest of the acts of Solomon, the first and the last, are they not written in the words of Nathan the prophet, and in the prophecy of Ahijah the Shilonite, and in the visions of Iddo the seer concerning Jeroboam the son of Nebat?

30. सुलैमान ने यरूशलेम में सारे इस्राएल पर चालीस वर्ष तक राज्य किया।

30. And Solomon reigned in Jerusalem over all Israel forty years.

31. और सुलैमान अपने पुरखाओं के संग सो गया और उसको उसके पिता दाऊद के नगर में मिट्टी दी गई; और उसका पुत्रा रहूबियाम उसके स्थान पर राजा हुआ।

31. And Solomon lay with his fathers, and they buried him in the city of his father David. And his son Rehoboam reigned in his place.



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