15. तब राजा आहाज ने ऊरिरयाह याजक को यह आज्ञा दी, कि भोर के होपबलि और सांझ के अन्नबलि, राजा के होमबलि और उसके अन्नबलि, और सब साधारण लोगों के होमबलि और अर्ध बड़ी वेदी पर चढ़ाया कर, और होमबलियों और मेलबलियों का सब लोहू उस पर छिड़क; और पीतल की वेदी के विषय मैं विचार करूंगा।
15. And Achas the kynge comaunded Vrias ye prest, & sayde: Vpo the greate altare shalt thou kyndle ye burntoffrynge in the mornynge, & the meatoffrynge in the euenynge, & the kynges burntoffrynge & his meatoffrynge, & the burntoffrynge of all the people in the londe, wt their meatoffrynge & drynkoffrynge. And all the bloude of the burntofferynges, & all the bloude of the other offrynges shalt thou sprenkle theron: but with the brasen altare wyll I deuyse what I can.