1 Kings - 1 राजाओं 20 | View All

1. और अराम के राजा बेन्हदद ने अपनी सारी सेना इकट्ठी की, और उसके साथ बत्तीस राजा और घोड़े और रथ थे; उन्हें संग लेकर उस ने शोमरोन पर चढ़ाई की, और उसे घेर के उसके विरूद्ध लड़ा।
मत्ती 12:42, लूका 11:31

1. আর অরাম-রাজ বিন্‌হদদ আপনার সমস্ত সৈন্য একত্র করিলেন; তাঁহার সঙ্গে বত্রিশ জন রাজা এবং অনেক অশ্ব ও রথ ছিল; তিনি উঠিয়া গিয়া শমরিয়া অবরোধ করিলেন, ও সেই নগরের বিরুদ্ধে যুদ্ধ করিলেন।

2. और उस ने नगर में इस्राएल के राजा अहाब के पास दूतों को यह कहने के लिये भेजा, कि बेन्हदद तुझ से यों कहता है,

2. তিনি নগরে ইস্রায়েল-রাজ আহাবের নিকটে দূতগণকে পাঠাইয়া কহিলেন, বিন্‌হদদ এই কথা কহেন;

3. कि तेरा चान्दी सोना मेरा है, और तेरी स्त्रियों और लड़केबालों में जो जो उत्तम हैं वह भी सब मेरे हैं।

3. তোমার রৌপ্য ও তোমার স্বর্ণ আমার, এবং তোমার ভার্য্যা সকল ও তোমার সন্তানদের মধ্যে যাহারা উত্তম, তাহারা আমার।

4. इस्राएल के राजा ने उसके पास कहला भेजा, हे मेरे प्रभु ! हे राजा ! तेरे वचन के अनुसार मैं और मेरा जो कुछ है, सब तेरा है।

4. ইস্রায়েল-রাজ উত্তর করিলেন, হে আমার প্রভু মহারাজ, আপনার কথা যথার্থ, আমি আপনার, এবং আমার সর্ব্বস্বই আপনার।

5. उन्हीं दूतों ने फिर आकर कहा बेन्हदद तुझ से यों कहता है, कि मैं ने तेरे पास यह कहला भेजा था कि तुझे अपनी चान्दी सोना और स्त्रियां और बालक भी मुझे देने पड़ेंगे।

5. পরে দূতগণ আবার আসিয়া কহিল, বিন্‌হদদ এই কথা কহেন, আমি তোমার কাছে দূতগণকে পাঠাইয়া বলিয়াছিলাম, তুমি আপন রৌপ্য ও স্বর্ণ এবং স্ত্রী ও সন্তান সকলকে আমার কাছে সমর্পণ কর।

6. परन्तु कल इसी समय मैं अपने कर्मचारियों को तेरे पास भेजूंगा और वे तेरे और तेरे कर्मचारियों के धरों में ढूंढ़- ढांढ़ करेंगे, और तेरी जो जो मनभावनी वस्तुएं निकालें उन्हें वे अपने अपने हाथ में लेकर आएंगे।

6. কিন্তু কল্য এই সময়ে আমি আপন দাসদিগকে তোমার নিকটে পাঠাইব, তাহারা তোমার গৃহে ও তোমার দাসদের গৃহে অনুসন্ধান করিবে, এবং যত দ্রব্য তোমার দৃষ্টিতে রমণীয়, সেই সকল হস্তগত করিয়া লইয়া আসিবে।

7. तब इस्राएल के राजा ने अपने देश के सब पुरनियों को बुलवाकर कहा, सोच विचार करो, कि वह मनुष्य हमारी हानि ही का अभिलाषी है; उस ने मुझ से मेरी स्त्रियां, बालक, चान्दी सोना मंगा भेजा है, और मैं ने इन्कार न किया।

7. তখন ইস্রায়েলের রাজা দেশের সমস্ত প্রাচীনবর্গকে ডাকিয়া কহিলেন, বিনয় করি, বিবেচনা করিয়া দেখ, এ ব্যক্তি কেবল অনিষ্টের চেষ্টা করিতেছে, কেননা এ আমার স্ত্রী ও পুত্র সকলের জন্য এবং আমার রৌপ্য ও স্বর্ণের জন্য আদেশ পাঠাইলে আমি অস্বীকার করি নাই।

8. तब सब पुरनियों ने और सब साधारण लोगों ने उस से कहा, उसकी न सुनना; और न मानना।

8. সমস্ত প্রাচীন ও সমস্ত প্রজা তাঁহাকে কহিল, আপনি শুনিবেন না, সম্মত হইবেন না।

9. तब राजा ने बेन्हदद के दूतों से कहा, मेरे प्रभु राजा से मेरी ओर से कहो, जो कुुछ तू ने पहिले अपने दास से चाहा था वह तो मैं करूंगा, परन्तु यह मुझ से न होगा। तब बेन्हदद के दूतों ने जाकर उसे यह उत्तर सुना दिया।

9. তখন তিনি বিন্‌হদদের দূতগণকে কহিলেন, আমার প্রভু মহারাজকে বল, আপনি প্রথমে আপন দাসের নিকটে যাহা কিছু বলিয়া পাঠাইয়াছিলেন, সে সমস্ত আমি করিব; কিন্তু এই কার্য্য করিতে পারি না। পরে দূতগণ প্রস্থান করিল, এবং বিন্‌হদদকে সমাচার দিল।

10.

10. তখন তিনি তাঁহার কাছে লোক পাঠাইয়া কহিলেন, শমরিয়ার ধূলি যদি আমার পশ্চাদগামী সমস্ত লোকের মুষ্টিপূরণে কুলায়, তবে দেবগণ আমাকে অমুক ও ততোধিক দণ্ড দিউন।

11. तब बेन्हदद ने अहाब के पास कहला भेजा, यदि शोमरोन में इतनी धूलि निकले कि मेरे सब पीछे चलनेहारों की मुट्ठी भर कर अट जाए तो देवता मेरे साथ ऐसा ही वरन इस से भी अधिक करें।

11. তাহাতে ইস্রায়েলের রাজা উত্তর করিলেন, তোমরা তাঁহাকে বল, যে ব্যক্তি সজ্জা ধারণ করে, সে সজ্জাত্যাগীর ন্যায় শ্লাঘা না করুক।

12. इस्राएल के राजा ने उत्तर देकर कहा, उस से कहो, कि जो हथियार बान्धता हो वह उसकी नाई न फूले जो उन्हें उतारता हो।

12. এই উত্তর শ্রবণকালে বিন্‌হদদ ও অন্য রাজগণ কুটীরে কুটীরে পান করিতেছিলেন; তিনি আপন দাসদিগকে কহিলেন, সৈন্য রচনা কর। তাহাতে তাহারা নগরের বিরুদ্ধে সৈন্য রচনা করিতে লাগিল।

13. यह वचन सुनते ही वह जो और राजाओं समेत डेरों में पी रहा था, उस ने अपने कर्मचारियों से कहा, पांति बान्धो, तब उन्हों ने नगर के विरूद्ध पांति बान्धी।

13. আর দেখ, এক জন ভাববাদী ইস্রায়েল-রাজ আহাবের নিকটে আসিয়া কহিলেন, সদাপ্রভু এই কথা কহেন, তুমি কি ঐ সমস্ত মহালোকারণ্য দেখিয়াছ? দেখ, অদ্য আমি উহাদিগকে তোমার হস্তে সমর্পণ করিব; তাহাতে তুমি জানিতে পারিবে যে, আমিই সদাপ্রভু।

14. तब एक नबी ते इस्राएल के राजा अहाब के पास जाकर कहा, यहोवा तुझ से यों कहता है, यह बड़ी भीड़ जो तू ने देखी है, उस सब को मैं आज तेरे हाथ में कर दूंगा, इस से तू जान लेगा, कि मैं यहोवा हूँ।

14. আহাব কহিলেন, কাহার দ্বারা করিবেন? ভাববাদী কহিলেন, সদাপ্রভু এই কথা কহেন, প্রদেশাধ্যক্ষদের যুবকগণের দ্বারা। রাজা জিজ্ঞাসা করিলেন, যুদ্ধের আরম্ভ কে করিবে? তিনি কহিলেন, আপনি।

15. अहाब ने पूछा, किस के द्वारा? उस ने कहा यहोवा यों कहता है, कि प्रदेशों के हाकिमों के सेवकों के द्वारा ! फिर उस ने पूछा, युठ्ठ को कौन आरम्भ करे? उस ने उत्तर दिया, तू ही।

15. তখন তিনি প্রদেশাধ্যক্ষদের যুবকগণকে সংগ্রহ করিলেন, তাহারা দুই শত বত্রিশ জন হইল; এবং তাহাদের পশ্চাতে সমস্ত লোককে অর্থাৎ সমস্ত ইস্রায়েল-সন্তানকে সংগ্রহ করিলে সাত সহস্র জন হইল।

16. तब उस ने प्रदेशों के हाकिमों के सेवकों की गिनती ली, और वे दो सौ बत्तीस निकले; और उनके बाद उस ने सब इस्राएली लोगों की गिनती ली, और वे सात हजार निकले।

16. পরে তাহারা মধ্যাহ্নকালে বাহির হইল। তখন বিন্‌হদদ ও অন্য রাজগণ, তাঁহার সহায় বত্রিশ জন রাজা, কুটীরে কুটীরে পান করিয়া মত্ত হইয়াছিলেন।

17. ये दोपहर को निकल गए, उस समय बेन्हदद अपने सहायक बत्तीसों राजाओं समेत डेरों में दारू पीकर मतवाला हो रहा था।

17. প্রদেশাধ্যক্ষদের সেই যুবকগণ প্রথমেই বাহিরে গেল; তখন বিন্‌হদদ লোক পাঠাইলে তাহারা তাঁহাকে এই সমাচার দিল, শমরিয়া হইতে কতকগুলি লোক বাহির হইয়া আসিয়াছে।

18. प्रदेशों के हाकिमों के सेवक पहिले निकले। तब बेन्हदद ने दूत भेजे, और उन्हों ने उस से कहा, शोमरोन से कुछ मनुष्य निकले आते हैं।

18. তিনি বলিলেন, তাহারা যদি সন্ধির নিমিত্ত আসিয়া থাকে, তবে তোমরা তাহাদিগকে জীবন্ত ধর; যদি যুদ্ধের নিমিত্তও আসিয়া থাকে, তবু জীবন্ত ধর।

19. उस ने कहा, चाहे वे मेल करने को निकले हों, चाहे लड़ने को, तौभी उन्हें जीवित ही पकड़ लाओ।

19. ইতিমধ্যে উহারা, অর্থাৎ প্রদেশাধ্যক্ষদের সেই যুবকগণ ও তাহাদের পশ্চাদগামী সৈন্যদল নগর হইতে বাহির হইল।

20. तब प्रदेशों के हाकिमों के सेवक और उनके पीछे की सेना के सिपाही नगर से निकले।

20. আর তাহারা প্রত্যেকে আপন আপন প্রতিযোদ্ধাকে বধ করিল, তাহাতে অরামীয়েরা পলায়ন করিল, আর ইস্রায়েল তাহাদের পশ্চাতে পশ্চাতে তাড়া করিয়া গেল, এবং অরাম-রাজ বিন্‌হদদ অশ্বে উঠিয়া কয়েক জন অশ্বারোহী সৈন্যের সহিত পলাইয়া রক্ষা পাইলেন।

21. तौर वे अपने अपने साम्हने के पुरूष को पारने लगे; और अरामी भागे, और इस्राएल ने उनका पीछा किया, और अराम का राजा बेन्हदद, सवारों के संग घोड़े पर चढ़ा, और भागकर बच गया।

21. পরে ইস্রায়েলের রাজা বাহির হইয়া তাহাদের অশ্ব ও রথ সকল বিনষ্ট করিলেন, এবং মহাসংহারে অরামীয়দিগকে সংহার করিলেন।

22. तब इस्राएल के राजा ने भी निकलकर घोड़ों और रथों को मारा, और अरामियों को बड़ी मार से मारा।

22. পরে সেই ভাববাদী ইস্রায়েলের রাজার নিকটে আসিয়া কহিলেন, আপনি গিয়া আপনাকে বলবান করুন, এবং সাবধান হইয়া আপনার কর্ত্তব্য বিবেচনা করুন, কেননা বৎসর ফিরিলে অরামের রাজা আপনার বিরুদ্ধে উঠিয়া আসিবেন।

23. तब उस नबी ने इस्राएल के राजा के पास जाकर कहा, जाकर लड़ाई के लिये अपने को दृढ़ कर, और सचेत होकर सोच, कि क्या करना है, क्योंकि नये वर्ष के लगते ही अराम का राजा फिर तुझ पर चढ़ाई करेगा।

23. আর অরাম-রাজের দাসগণ তাঁহাকে কহিল, উহাদের দেবতা পর্ব্বতগণের দেবতা, এই জন্য আমাদের অপেক্ষা উহারা বলবান হইয়াছিল; কিন্তু চলুন, আমরা সমভূমিতে উহাদের সহিত যুদ্ধ করি, অবশ্য উহাদের অপেক্ষা বলবান হইব।

24. तब अराम के राजा के कर्मचारियों ने उस से कहा, उन लोगों का देवता पहाड़ी देवता है, इस कारण वे हम पर प्रबल हुए; इसलिये हम उन से चौरस भूमि पर लड़ें तो निश्चय हम उन पर प्रबल हो जाएंगे।

24. আপনি এই কর্ম্ম করুন, রাজাদিগকে স্থানচ্যুত করিয়া তাঁহাদের স্থানে সেনাপতিগণকে নিযুক্ত করুন।

25. और यह भी काम कर, अर्थात् सब राजाओं का पद ले ले, और उनके स्थान पर सेनापतियों को ठहरा दे।

25. আর আপনার পক্ষীয় যত সৈন্য, যত অশ্ব ও রথ পতিত হইয়াছে, তত সৈন্য, তত অশ্ব ও রথ সংগ্রহ করুন; পরে আমরা সমভূমিতে উহাদের সহিত যুদ্ধ করিব, করিলে অবশ্য উহাদের অপেক্ষা বলবান হইব। তিনি তাহাদের কথা শুনিয়া তদনুসারে কার্য্য করিলেন।

26. फिर एक और सेना जो तेरी उस सेना के बराबर हो जो नष्ट हो गई है, घोड़े के बदले घोड़ा, और रथ के बदले रथ, अपने लिये गिन ले; तब हम चौरस भूमि पर उन से लड़ें, और निश्चय उन पर प्रबल हो जाएंगे। उनकी यह सम्मति मानकर बेन्हदद ने वैसा ही किया।

26. বৎসর ফিরিয়া আসিলে বিন্‌হদদ অরামীয়দিগকে সংগ্রহ করিয়া ইস্রায়েলের সহিত যুদ্ধ করিতে অফেকে গেলেন।

27. और नये वर्ष के लगते ही बेन्हदद ने अरामियों को इकट्ठा किया, और इस्राएल से लड़ने के लिये अपेक को गया।

27. আর ইস্রায়েল-সন্তানগণকে সংগ্রহ করা হইল, এবং তাহারা খাদ্যদ্রব্যাদি প্রস্তুত করিয়া তাহাদের বিরুদ্ধে যাত্রা করিল; আর ইস্রায়েল-সন্তানগণ দুইটী ক্ষুদ্র ছাগপালের ন্যায় তাহাদের সম্মুখে শিবির স্থাপন করিল; কিন্তু অরামীয়েরা দেশময় ব্যাপিয়া গেল।

28. और इस्राएली भी इकट्ठे किए गए, और उनके भोजन की तैयारी हुई; तब वे उनका साम्हना करने को गए, और इस्राएली उनके साम्हने डेरे डालकर बकरियों के दो छोटे झुणड से देख पड़े, परन्तु अरामियों से देश भर गया।

28. পরে ঈশ্বরের এক জন লোক আসিয়া ইস্রায়েলের রাজাকে কহিলেন, সদাপ্রভু এই কথা কহেন, অরামীয়েরা বলিয়াছে, সদাপ্রভু পর্ব্বতগণের দেবতা, তলভূমির দেবতা নহেন; এই জন্য আমি এই সমস্ত মহাজনতাকে তোমার হস্তে সমর্পণ করিব, তখন তোমরা জানিবে যে, আমিই সদাপ্রভু।

29. तब परमेश्वर के उसी जन ने इस्राएल के राजा के पास जाकर कहा, यहोवा यों कहता है, अरामियों ने यह कहा है, कि यहोवा पहाड़ी देवता है, परन्तु नीची भूमि का नहीं है; इस कारण मैं उस बड़ी भीड़ को तेरे हाथ में कर दूंगा, तब तुम्हें बोध हो जाएगा कि मैं यहोवा हूँ।

29. আর তাহারা সাত দিন পর্য্যন্ত সম্মুখাসম্মুখি হইয়া শিবিরে রহিল, পরে সপ্তম দিবসে যুদ্ধ বাধিয়া গেল; তাহাতে ইস্রায়েল-সন্তানগণ এক দিনে অরামের এক লক্ষ পদাতিক সৈন্যকে সংহার করিল।

30. और वे सात दिन आम्हने साम्हने डेरे डाले पड़े रहे; तब सातवें दिन युठ्ठ छिड़ गया; और एक दिन में इस्राएलियों ने एक लाख अरामी पियादे मार डाले।

30. কিন্তু অবশিষ্ট সকলে অফেকে পলাইয়া গেল, নগরে প্রবেশ করিল; আর তাহারা প্রাচীর সেই অবশিষ্ট সাতাশ সহস্র লোকের উপরে পতিত হইল। আর বিন্‌হদদ পলাইয়া নগরে গিয়া এক ভিতরের কুঠরীতে প্রবেশ করিলেন।

31. जो बच गए, वह अपेक को भागकर नगर में घुसे, और वहां उन बचे हुए लोगों में से सत्ताईस हजार पुरूष श्हरपनाह की दीवाल के गिरने से दब कर मर गए। बेन्हदद भी भाग गया और नगर की एक भीतरी कोठरी में गया।

31. পরে তাঁহার দাসগণ তাঁহাকে কহিল, দেখুন, আমরা শুনিয়াছি, ইস্রায়েল-কুলের রাজারা দয়ালু রাজা, বিনয় করি, আমরা কটিদেশে চট পরিয়া মাথায় রজ্জু দিয়া বাহির হইয়া ইস্রায়েলের রাজার কাছে যাই; হয় ত তিনি আপনার প্রাণ রক্ষা করিবেন।

32. तब उसके कर्मचारियों ने उस से कहा, सुन, हम ने तो सुना है, कि इस्राएल के घराने के राजा दयालु राजा होते हैं, इसदिये हमें कमर में टाट और सिर पर रस्सियां बान्धे हुए इस्राएल के राजा के पास जाने दे, सम्भव है कि वह तेरा प्राण बचा ले।

32. পরে তাহারা কটিদেশে চট পরিয়া মাথায় রজ্জু দিয়া ইস্রায়েলের রাজার কাছে আসিয়া কহিল, আপনার দাস বিন্‌হদদ কহিতেছেন, বিনয় করি, আমার প্রাণ রক্ষা করুন। তিনি কহিলেন, তিনি কি এখনও জীবিত আছেন? তিনি আমার ভ্রাতা।

33. तब वे कमर में टाट और सिर पर रस्सियां बान्ध कर इस्राएल के राजा के पास जाकर कहने लगे, तेरा दास बेन्हदद तुझ से कहता है, कृपा कर के मुझे जीवित रहने दे। राजा ने उत्तर दिया, क्या वह अब तक जीवित है? वह तो मेरा भाई है।

33. সেই লোকেরা এইটী শুভ লক্ষণ বিবেচনা করিল, এবং তাঁহার মনের ভাব বুঝিবার জন্য ত্বরান্বিত হইল; তাহারা কহিল, আপনার ভ্রাতা বিন্‌হদদ। তিনি কহিলেন, তোমরা গিয়া তাঁহাকে আন। তাহাতে বিন্‌হদদ বাহির হইয়া তাঁহার নিকটে আসিলেন, আর তিনি তাঁহাকে রথে উঠাইয়া লইলেন।

34. उन लोगों ने इसे शुभ शकुन जानकर, फुत से बूझ लेने का यत्न किया कि यह उसके मन की बात है कि नहीं, और कहा, हां तेरा भाई बेन्हदद। राजा ने कहा, जाकर उसको ले आओ। तब बेन्हदद उसके पास निकल आया, और उस ने उसे अपने रथ पर चढ़ा लिया।

34. তখন [বিন্‌হদদ] তাঁহাকে কহিলেন, আপনার পিতা হইতে আমার পিতা যে সকল নগর হরণ করিয়াছিলেন, সেগুলি আমি ফিরাইয়া দিব; এবং আমার পিতা যেমন শমরিয়াতে পল্লী করিয়াছেন, তদ্রূপ আপনিও দম্মেশকে আপনার জন্য পল্লী করুন। [আহাব কহিলেন,] আমি এই নিয়মে আপনাকে ছাড়িয়া দিব। পরে তিনি তাঁহার সহিত নিয়ম স্থির করিয়া তাঁহাকে ছাড়িয়া দিলেন।

35. तब बेन्हदद ने उस से कहा, जो नगर मेरे पीता ने तेरे पिता से ले लिए थे, उनको मैं फेर दूंगा; और जैसे मेरे पिता ने शोमरोन में अपने लिये सड़कें बनवाई, वैसे ही तू दमिश्क में सड़कें बनवाना। अहाब ने कहा, मैं इसी वाचा पर तुझे छोड़ देता हूँ, तब उस ने बेन्हदद से वाचा बान्धकर, उसे स्वतन्त्रा कर दिया।

35. পরে শিষ্য-ভাববাদিগণের মধ্যে এক জন সদাপ্রভুর বাক্য দ্বারা আপন সহশিষ্যকে কহিল, তুমি আমাকে আঘাত কর। কিন্তু সে তাহাকে আঘাত করিতে সম্মত হইল না।

36. इसके बाद नबियों के चेलों में से एक जन ने यहोवा से वचन पाकर अपने संगी से कहा, मुझे मार, जब उस मनुष्य ने उसे मारने से इनकार किया,

36. তখন সে তাহাকে কহিল, তুমি সদাপ্রভুর রবে কর্ণপাত করিলে না, এ কারণ দেখ, আমার নিকট হইতে যাইবামাত্র এক সিংহ তোমাকে বধ করিবে। পরে সে তাহার নিকট হইতে যাইবামাত্র এক সিংহ তাহাকে দেখিতে পাইয়া বধ করিল।

37. तब उस ने उस से कहा, तू ने यहोवा का वचन नहीं माना, इस कारण सुन, ज्योंही तू मेरे पास से चला जाएगा, त्योंही सिंह से मार डाला जाएगा। तब ज्योंही वह उसके पास से चला गया, ज्योंही उसे एक सिंह मिला, और उसको मार डाला।

37. পরে সে আর এক জনকে দেখিতে পাইয়া কহিল, তুমি আমাকে আঘাত কর। এই ব্যক্তি তাহাকে আঘাত করিল, আঘাত করিয়া ক্ষত করিল।

38. फिर उसको दूसरा मनुष्य मिला, और उस से भी उस ने कहा, मुझे मार। और उस ने उसको ऐसा मारा कि वह घायल हुआ।

38. পরে সেই ভাববাদী গিয়া ছদ্মবেশী ভাবে চক্ষুর ঊর্দ্ধে পাগড়ী বাঁধিয়া পথে রাজার অপেক্ষায় দাঁড়াইয়া রহিল।

39. तब वह नबी चला गया, और आंखों को पगड़ी से ढांपकर राजा की बाट जोहता हुआ मार्ग पर खड़ा रहा।

39. পরে যখন রাজা নিকট দিয়া যাইতে লাগিলেন, সে রাজার কাছে কাঁদিয়া কহিল, আপনার দাস আমি যুদ্ধে গিয়াছিলাম, আর দেখুন, এক ব্যক্তি পার্শ্বে ফিরিয়া আমার নিকটে একটা লোককে আনিয়া কহিল, এই ব্যক্তিকে সাবধানে রাখ; ইহাকে যদি কোন ক্রমে না পাওয়া যায়, তবে ইহার প্রাণের পরিবর্ত্তে তোমার প্রাণ যাইবে, নতুবা তোমাকে এক তালন্ত রৌপ্য দিতে হইবে।

40. जब राजा पास होकर जा रहा था, तब उस ने उसकी दोहाई देकर कहा, कि जब तेरा दास युठ्ठ क्षेत्रा में गया था तब कोइ मनुष्य मेरी ओर मुड़कर किसी मनुष्य को मेरे पास ले आया, और मुझ से कहा, इस पतुष्य की चौकसी कर; यदि यह किसी रीति छूट जाए, तो उसके प्राण के बदले तुझे अपना प्राण देना होगा; नहीं तो किक्कार भर चान्दी देना पड़ेगा।

40. কিন্তু আপনার দাস আমি এদিকে ওদিকে ব্যস্ত ছিলাম, ইতিমধ্যে সে কোথায় চলিয়া গেল। তখন ইস্রায়েলের রাজা তাহাকে কহিলেন, ঐরূপই তোমার বিচার হইবে; তুমি আপনিই তাহা স্থির করিলে।

41. उसके बाद तेरा दास इधर उधर काम में फंस गया, फिर वह न मिला। इस्राएल के राजा ने उस से कहा, तेरा ऐसा ही न्याय होगा; तू ने आप अपना न्याय किया है।

41. পরে সে শীঘ্র আপন চক্ষুর ঊর্দ্ধ হইতে পাগড়ীটী উঠাইয়া লইল, তাহাতে ইস্রায়েলের রাজা চিনিতে পারিলেন যে, সে ভাববাদীদের মধ্যে এক জন।

42. नबी ने झट अपनी आंखों से पगड़ी उठाई, तब इस्राएल के राजा ने उसे पहिचान लिया, कि वह कोई नबी है।

42. পরে সে তাঁহাকে কহিল, সদাপ্রভু এই কথা কহেন, আমি যে ব্যক্তিকে বিনাশার্থে বর্জ্জনীয় করিয়াছিলাম, তাহাকে তুমি তোমার হস্ত হইতে ছাড়িয়া দিয়াছ; এই জন্য তাহার প্রাণের পরিবর্ত্তে তোমার প্রাণ, ও তাহার প্রজার পরিবর্ত্তে তোমার প্রজা যাইবে।

43. तब उस ने राजा से कहा, यहोवा तुझ से यों कहता है, इसलिये कि तू ने अपने हाथ से ऐसे ऐक मनुष्य को जाने दिया, जिसे मैं ने सत्यानाश हो जाने को ठहराया था, तुझे उसके प्राण की सन्ती अपना प्राण और उसकी प्रजा की सन्ती, अपनी प्रजा देनी पड़ेगी।

43. তখন ইস্রায়েলের রাজা বিষণ্ণ ও রুষ্ট হইয়া গৃহে গেলেন, পরে শমরিয়াতে উপস্থিত হইলেন।



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