1 Kings - 1 राजाओं 20 | View All

1. और अराम के राजा बेन्हदद ने अपनी सारी सेना इकट्ठी की, और उसके साथ बत्तीस राजा और घोड़े और रथ थे; उन्हें संग लेकर उस ने शोमरोन पर चढ़ाई की, और उसे घेर के उसके विरूद्ध लड़ा।
मत्ती 12:42, लूका 11:31

1. Now Ben-Hadad the king of Syria gathered all his forces together; thirty-two kings were with him, with horses and chariots. And he went up and besieged Samaria, and made war against it.

2. और उस ने नगर में इस्राएल के राजा अहाब के पास दूतों को यह कहने के लिये भेजा, कि बेन्हदद तुझ से यों कहता है,

2. And he sent messengers into the city to Ahab king of Israel, and said to him, Thus says Ben-Hadad:

3. कि तेरा चान्दी सोना मेरा है, और तेरी स्त्रियों और लड़केबालों में जो जो उत्तम हैं वह भी सब मेरे हैं।

3. Your silver and your gold are mine; your lovely wives and children are mine.

4. इस्राएल के राजा ने उसके पास कहला भेजा, हे मेरे प्रभु ! हे राजा ! तेरे वचन के अनुसार मैं और मेरा जो कुछ है, सब तेरा है।

4. And the king of Israel answered and said, My lord, O king, just as you say, I and all that I have are yours.

5. उन्हीं दूतों ने फिर आकर कहा बेन्हदद तुझ से यों कहता है, कि मैं ने तेरे पास यह कहला भेजा था कि तुझे अपनी चान्दी सोना और स्त्रियां और बालक भी मुझे देने पड़ेंगे।

5. And the messengers came back and said, Thus says Ben-Hadad, saying, Indeed I have sent to you, saying, You shall deliver to me your silver and your gold, your wives and your children;

6. परन्तु कल इसी समय मैं अपने कर्मचारियों को तेरे पास भेजूंगा और वे तेरे और तेरे कर्मचारियों के धरों में ढूंढ़- ढांढ़ करेंगे, और तेरी जो जो मनभावनी वस्तुएं निकालें उन्हें वे अपने अपने हाथ में लेकर आएंगे।

6. but I will send my servants to you tomorrow about this time, and they shall search your house and the houses of your servants. And it shall be, that whatever is pleasant in your eyes, they shall put it in their hands and take it away.

7. तब इस्राएल के राजा ने अपने देश के सब पुरनियों को बुलवाकर कहा, सोच विचार करो, कि वह मनुष्य हमारी हानि ही का अभिलाषी है; उस ने मुझ से मेरी स्त्रियां, बालक, चान्दी सोना मंगा भेजा है, और मैं ने इन्कार न किया।

7. So the king of Israel called all the elders of the land, and said, Notice, please, and see how this man seeks evil, for he sent to me for my wives, my children, my silver, and my gold; and I have not withheld from him.

8. तब सब पुरनियों ने और सब साधारण लोगों ने उस से कहा, उसकी न सुनना; और न मानना।

8. And all the elders and all the people said to him, Do not listen or consent.

9. तब राजा ने बेन्हदद के दूतों से कहा, मेरे प्रभु राजा से मेरी ओर से कहो, जो कुुछ तू ने पहिले अपने दास से चाहा था वह तो मैं करूंगा, परन्तु यह मुझ से न होगा। तब बेन्हदद के दूतों ने जाकर उसे यह उत्तर सुना दिया।

9. Therefore he said to the messengers of Ben-Hadad, Tell my lord the king, All that you sent for to your servant the first time I will do, but this thing I cannot do. And the messengers departed and brought back word to him.

10.

10. And Ben-Hadad sent to him and said, The gods do so to me, and more also, if enough dust is left of Samaria for a handful for each of the people who follow me.

11. तब बेन्हदद ने अहाब के पास कहला भेजा, यदि शोमरोन में इतनी धूलि निकले कि मेरे सब पीछे चलनेहारों की मुट्ठी भर कर अट जाए तो देवता मेरे साथ ऐसा ही वरन इस से भी अधिक करें।

11. And the king of Israel answered and said, Tell him, Let not the one who puts on his armor boast like the one who takes it off.

12. इस्राएल के राजा ने उत्तर देकर कहा, उस से कहो, कि जो हथियार बान्धता हो वह उसकी नाई न फूले जो उन्हें उतारता हो।

12. And it happened when Ben-Hadad heard this message, as he and the kings were drinking at the booths, that he said to his servants, Get ready. And they stationed themselves against the city.

13. यह वचन सुनते ही वह जो और राजाओं समेत डेरों में पी रहा था, उस ने अपने कर्मचारियों से कहा, पांति बान्धो, तब उन्हों ने नगर के विरूद्ध पांति बान्धी।

13. And behold, a certain prophet approached Ahab king of Israel, saying, Thus says Jehovah: Have you seen all this great multitude? Behold, I am delivering it into your hand today, and you shall know that I am Jehovah.

14. तब एक नबी ते इस्राएल के राजा अहाब के पास जाकर कहा, यहोवा तुझ से यों कहता है, यह बड़ी भीड़ जो तू ने देखी है, उस सब को मैं आज तेरे हाथ में कर दूंगा, इस से तू जान लेगा, कि मैं यहोवा हूँ।

14. So Ahab said, By whom? And he said, Thus says Jehovah: By the young rulers of the provinces. Then he said, Who shall begin the battle? And he answered, You.

15. अहाब ने पूछा, किस के द्वारा? उस ने कहा यहोवा यों कहता है, कि प्रदेशों के हाकिमों के सेवकों के द्वारा ! फिर उस ने पूछा, युठ्ठ को कौन आरम्भ करे? उस ने उत्तर दिया, तू ही।

15. Then he mustered the young rulers of the provinces, and there were two hundred and thirty-two; and after them he mustered all the people, all the sons of Israel; seven thousand.

16. तब उस ने प्रदेशों के हाकिमों के सेवकों की गिनती ली, और वे दो सौ बत्तीस निकले; और उनके बाद उस ने सब इस्राएली लोगों की गिनती ली, और वे सात हजार निकले।

16. So they went out at noon. Meanwhile Ben-Hadad and the thirty-two kings helping him were getting drunk in the booths.

17. ये दोपहर को निकल गए, उस समय बेन्हदद अपने सहायक बत्तीसों राजाओं समेत डेरों में दारू पीकर मतवाला हो रहा था।

17. And the young rulers of the provinces went out first. And Ben-Hadad sent out, and they reported to him, saying, Men have come out of Samaria!

18. प्रदेशों के हाकिमों के सेवक पहिले निकले। तब बेन्हदद ने दूत भेजे, और उन्हों ने उस से कहा, शोमरोन से कुछ मनुष्य निकले आते हैं।

18. And he said, If they have come out for peace, take them alive; and if they have come out for war, take them alive.

19. उस ने कहा, चाहे वे मेल करने को निकले हों, चाहे लड़ने को, तौभी उन्हें जीवित ही पकड़ लाओ।

19. And the young rulers of the provinces went out of the city with the army which followed them.

20. तब प्रदेशों के हाकिमों के सेवक और उनके पीछे की सेना के सिपाही नगर से निकले।

20. And each one struck his man; so the Syrians fled, and Israel pursued them; and Ben-Hadad the king of Syria escaped on a horse with the horsemen.

21. तौर वे अपने अपने साम्हने के पुरूष को पारने लगे; और अरामी भागे, और इस्राएल ने उनका पीछा किया, और अराम का राजा बेन्हदद, सवारों के संग घोड़े पर चढ़ा, और भागकर बच गया।

21. And the king of Israel went out and struck the horses and chariots, and struck the Syrians with a great slaughter.

22. तब इस्राएल के राजा ने भी निकलकर घोड़ों और रथों को मारा, और अरामियों को बड़ी मार से मारा।

22. And the prophet came to the king of Israel and said to him, Go, strengthen yourself; take note, and see what you should do, for at the return of the year the king of Syria will come up against you.

23. तब उस नबी ने इस्राएल के राजा के पास जाकर कहा, जाकर लड़ाई के लिये अपने को दृढ़ कर, और सचेत होकर सोच, कि क्या करना है, क्योंकि नये वर्ष के लगते ही अराम का राजा फिर तुझ पर चढ़ाई करेगा।

23. And the servants of the king of Syria said to him, Their gods are gods of the hills. Therefore they were stronger than us; but if we fight against them in the plain, will we not be stronger than them.

24. तब अराम के राजा के कर्मचारियों ने उस से कहा, उन लोगों का देवता पहाड़ी देवता है, इस कारण वे हम पर प्रबल हुए; इसलिये हम उन से चौरस भूमि पर लड़ें तो निश्चय हम उन पर प्रबल हो जाएंगे।

24. So do this thing: Remove the kings, each from his place, and put governors in their places;

25. और यह भी काम कर, अर्थात् सब राजाओं का पद ले ले, और उनके स्थान पर सेनापतियों को ठहरा दे।

25. and you shall muster an army like the army that you have lost, horse for horse and chariot for chariot. Then we shall fight against them in the plain; surely we will be stronger than them. And he heeded their voice and did so.

26. फिर एक और सेना जो तेरी उस सेना के बराबर हो जो नष्ट हो गई है, घोड़े के बदले घोड़ा, और रथ के बदले रथ, अपने लिये गिन ले; तब हम चौरस भूमि पर उन से लड़ें, और निश्चय उन पर प्रबल हो जाएंगे। उनकी यह सम्मति मानकर बेन्हदद ने वैसा ही किया।

26. So it was, at the turn of the year, that Ben-Hadad mustered the Syrians and went up to Aphek to fight against Israel.

27. और नये वर्ष के लगते ही बेन्हदद ने अरामियों को इकट्ठा किया, और इस्राएल से लड़ने के लिये अपेक को गया।

27. And the sons of Israel were mustered and given provisions, and they went against them. Now the sons of Israel encamped before them like two little flocks of goats, while the Syrians filled the land.

28. और इस्राएली भी इकट्ठे किए गए, और उनके भोजन की तैयारी हुई; तब वे उनका साम्हना करने को गए, और इस्राएली उनके साम्हने डेरे डालकर बकरियों के दो छोटे झुणड से देख पड़े, परन्तु अरामियों से देश भर गया।

28. And a man of God came and spoke to the king of Israel, and said, Thus says Jehovah: Because the Syrians have said, Jehovah is God of the hills, but He is not God of the valleys, therefore I will deliver all this great multitude into your hand, and you shall know that I am Jehovah.

29. तब परमेश्वर के उसी जन ने इस्राएल के राजा के पास जाकर कहा, यहोवा यों कहता है, अरामियों ने यह कहा है, कि यहोवा पहाड़ी देवता है, परन्तु नीची भूमि का नहीं है; इस कारण मैं उस बड़ी भीड़ को तेरे हाथ में कर दूंगा, तब तुम्हें बोध हो जाएगा कि मैं यहोवा हूँ।

29. And they encamped opposite each other for seven days. So it was that on the seventh day the battle was joined; and the children of Israel killed one hundred thousand foot soldiers of the Syrians in one day.

30. और वे सात दिन आम्हने साम्हने डेरे डाले पड़े रहे; तब सातवें दिन युठ्ठ छिड़ गया; और एक दिन में इस्राएलियों ने एक लाख अरामी पियादे मार डाले।

30. And the rest fled to Aphek, into the city; where a wall fell on twenty-seven thousand of the men who were left. And Ben-Hadad fled and came into the city, into an inner chamber.

31. जो बच गए, वह अपेक को भागकर नगर में घुसे, और वहां उन बचे हुए लोगों में से सत्ताईस हजार पुरूष श्हरपनाह की दीवाल के गिरने से दब कर मर गए। बेन्हदद भी भाग गया और नगर की एक भीतरी कोठरी में गया।

31. And his servants said to him, Behold now, we have heard that the kings of the house of Israel are merciful kings. Please, let us put sackcloth on our loins and ropes around our heads, and go out to the king of Israel; perhaps he will preserve alive your soul.

32. तब उसके कर्मचारियों ने उस से कहा, सुन, हम ने तो सुना है, कि इस्राएल के घराने के राजा दयालु राजा होते हैं, इसदिये हमें कमर में टाट और सिर पर रस्सियां बान्धे हुए इस्राएल के राजा के पास जाने दे, सम्भव है कि वह तेरा प्राण बचा ले।

32. So they girded sackcloth on their loins and put ropes around their heads, and came to the king of Israel and said, Your servant Ben-Hadad says, Please preserve my soul alive. And he said, Is he still alive? He is my brother.

33. तब वे कमर में टाट और सिर पर रस्सियां बान्ध कर इस्राएल के राजा के पास जाकर कहने लगे, तेरा दास बेन्हदद तुझ से कहता है, कृपा कर के मुझे जीवित रहने दे। राजा ने उत्तर दिया, क्या वह अब तक जीवित है? वह तो मेरा भाई है।

33. Now the men observed carefully, and they quickly grasped at this word and said, Your brother Ben-Hadad. And he said, Go, bring him. Then Ben-Hadad came out to him; and he had him come up into the chariot.

34. उन लोगों ने इसे शुभ शकुन जानकर, फुत से बूझ लेने का यत्न किया कि यह उसके मन की बात है कि नहीं, और कहा, हां तेरा भाई बेन्हदद। राजा ने कहा, जाकर उसको ले आओ। तब बेन्हदद उसके पास निकल आया, और उस ने उसे अपने रथ पर चढ़ा लिया।

34. And Ben-Hadad said to him, The cities which my father took from your father I will restore; and you shall make streets for yourself in Damascus, as my father did in Samaria. And Ahab said, I will send you away with this treaty. So he made a treaty with him and sent him away.

35. तब बेन्हदद ने उस से कहा, जो नगर मेरे पीता ने तेरे पिता से ले लिए थे, उनको मैं फेर दूंगा; और जैसे मेरे पिता ने शोमरोन में अपने लिये सड़कें बनवाई, वैसे ही तू दमिश्क में सड़कें बनवाना। अहाब ने कहा, मैं इसी वाचा पर तुझे छोड़ देता हूँ, तब उस ने बेन्हदद से वाचा बान्धकर, उसे स्वतन्त्रा कर दिया।

35. And a certain man of the sons of the prophets said to his neighbor, By the Word of Jehovah, Strike me, please. And the man refused to strike him.

36. इसके बाद नबियों के चेलों में से एक जन ने यहोवा से वचन पाकर अपने संगी से कहा, मुझे मार, जब उस मनुष्य ने उसे मारने से इनकार किया,

36. And he said to him, Because you have not obeyed the voice of Jehovah, behold, as soon as you depart from me, a lion shall kill you. And as soon as he left him, a lion found him and killed him.

37. तब उस ने उस से कहा, तू ने यहोवा का वचन नहीं माना, इस कारण सुन, ज्योंही तू मेरे पास से चला जाएगा, त्योंही सिंह से मार डाला जाएगा। तब ज्योंही वह उसके पास से चला गया, ज्योंही उसे एक सिंह मिला, और उसको मार डाला।

37. And he found another man, and said, Strike me, please. So the man struck him, to strike and wound him.

38. फिर उसको दूसरा मनुष्य मिला, और उस से भी उस ने कहा, मुझे मार। और उस ने उसको ऐसा मारा कि वह घायल हुआ।

38. And the prophet departed and waited for the king by the road, and disguised himself with a cover over his eyes.

39. तब वह नबी चला गया, और आंखों को पगड़ी से ढांपकर राजा की बाट जोहता हुआ मार्ग पर खड़ा रहा।

39. And as the king passed by, he cried out to the king and said, Your servant went out into the midst of the battle; and there, a man came over and brought a man to me, and said, Guard this man; if by any means he is missing, your soul shall be for his soul, or else you shall pay a talent of silver.

40. जब राजा पास होकर जा रहा था, तब उस ने उसकी दोहाई देकर कहा, कि जब तेरा दास युठ्ठ क्षेत्रा में गया था तब कोइ मनुष्य मेरी ओर मुड़कर किसी मनुष्य को मेरे पास ले आया, और मुझ से कहा, इस पतुष्य की चौकसी कर; यदि यह किसी रीति छूट जाए, तो उसके प्राण के बदले तुझे अपना प्राण देना होगा; नहीं तो किक्कार भर चान्दी देना पड़ेगा।

40. And while your servant was busy here and there, he was gone. And the king of Israel said to him, So shall your judgment be; you yourself have decided it.

41. उसके बाद तेरा दास इधर उधर काम में फंस गया, फिर वह न मिला। इस्राएल के राजा ने उस से कहा, तेरा ऐसा ही न्याय होगा; तू ने आप अपना न्याय किया है।

41. And he hastened to take the covering away from his eyes; and the king of Israel recognized him as one of the prophets.

42. नबी ने झट अपनी आंखों से पगड़ी उठाई, तब इस्राएल के राजा ने उसे पहिचान लिया, कि वह कोई नबी है।

42. And he said to him, Thus says Jehovah: Because you have sent away out of your hand a man whom I devoted to utter destruction, therefore your soul shall go for his soul, and your people for his people.

43. तब उस ने राजा से कहा, यहोवा तुझ से यों कहता है, इसलिये कि तू ने अपने हाथ से ऐसे ऐक मनुष्य को जाने दिया, जिसे मैं ने सत्यानाश हो जाने को ठहराया था, तुझे उसके प्राण की सन्ती अपना प्राण और उसकी प्रजा की सन्ती, अपनी प्रजा देनी पड़ेगी।

43. So the king of Israel went to his house sullen and angry, and came to Samaria.



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