1 Kings - 1 राजाओं 11 | View All

1. परन्तु राजा सुलैमान फ़िरौन की बेटी, और बहुतेरी और पराये स्त्रियों से, जो मोआबी, अम्मोनी, एदोमी, सीदोती, और हित्ती थीं, प्रीति करने लगा।

1. And King Solomon loved many foreign women, even the daughter of Pharaoh, Moabites, Ammonites, Edomites, Sidonians, Hittites;

2. वे उन जातियों की थीं, जिनके विषय में यहोवा ने इस्राएलियों से कहा था, कि तुम उनके मध्य में न जाना, और न वे तुम्हारे मध्य में आने पाएं, वे तुम्हारा मन अपने देवताओं की ओर निेसन्देह फेरेंगी; उन्हीं की प्रीति में सुलैमान लिप्त हो गया।

2. of the nations which Jehovah said to the sons of Israel, You shall not go in to them, and they shall not go in to you; they shall turn aside your heart after their gods; Solomon clung to these in love.

3. और उसके सात सौ रानियां, और तीन सौ रखेलियां हो गई थीं और उसकी इन स्त्रियों ने उसका मन बहका दिया।

3. And he had seven hundred wives, princesses, and three hundred concubines; and his wives turned away his heart.

4. सो जब सुलैमान बूढ़ा हुआ, तब उसकी स्त्रियों ने उसका मन पराये देवताओं की ओर बहका दिया, और उसका मन अपने पिता दाऊद की नाई अपने परमेश्वर यहोवा पर पूरी रीति से लगा न रहा।

4. And it happened, at the time Solomon was old, his wives turned away his heart after other gods, and his heart was not perfect with Jehovah his God, like the heart of his father David.

5. सुलैमान तो सीदोनियों की अशतोरेत नाम देवी, और अम्मोनियों के मिल्कोम नाम घृणित देवता के पीछे चला।

5. And Solomon went after Ashtoreth, goddess of the Sidonians, and after Milcom, the abomination of the Ammonites;

6. और सुलैमान ने वह किया जो यहोवा की दृष्टि में बुरा है, और यहोवा के पीछे अपने पिता दाऊद की नाई पूरी रीति से न चला।

6. and Solomon did evil in the sight of Jehovah, and did not go fully after Jehovah like his father David.

7. उन दिनों सुलैमान ने यरूशलेम के साम्हने के पहाड़ पर मोआबियों के कमोश नाम घृणित देवता के लिये और अम्मोनियों के मोलेक नाम घृणित देवता के लिये एक एक ऊंचा स्थान बनाया।

7. Then Solomon built a high place for Chemosh, the abomination of Moab, in the hill that is before Jerusalem, and for Molech, the abomination of the sons of Ammon;

8. और अपनी सब पराये स्त्रियों के लिये भी जो अपने अपने देवताओं को धूप जलातीं और बलिदान करती थीं, उस ने ऐसा ही किया।

8. and so he did for all his foreign wives, who burnt incense and sacrificed to their gods.

9. तब यहोवा ने सुलैमान पर क्रोध किया, क्योंकि उसका मन इस्राएल के परमेश्वर यहोवा से फिर गया था जिस ने दो बार उसको दर्शन दिया था।

9. And Jehovah was angry with Solomon, for his heart had bent away from Jehovah, God of Israel who had appeared to him twice,

10. और उस ने इसी बात के विषय में आज्ञा दी थी, कि पराये देवताओं के पीछे न हो लेना, तौभी उस ने यहोवा की आज्ञा न मानी।

10. and had given a charge to him concerning this thing, not to go after other gods; and he did not keep that which Jehovah commanded.

11. और यहोवा ने सुलैमान से कहा, तुझ से जो ऐसा काम हुआ है, और मेरी बन्धाई हुई वाचा और दी हुई वीधि तू ने पूरी नहीं की, इस कारण मैं जाज्य को निश्चय तूझ से छीनकर तेरे एक कर्मचारी को दे दूंगा।

11. And Jehovah said to Solomon, Because this has been done by you, and you have not kept My covenant and My statutes that I charged on you, I shall surely tear the kingdom from you and shall give it to your servant.

12. तौभी तेरे पिता दाऊद के कारण तेरे दिनो में तो ऐसा न करूंगा; परन्तु तेरे पुत्रा के हाथ से राज्य छीन लूंगा।

12. Only, I will not do it in your days, for the sake of your father David; I shall tear it out of your son's hand.

13. फिर भी मैं पूर्ण राज्य तो न छीन लूंगा, परन्तु अपने दास दाऊद के कारण, और अपने चुने हुए यरूशलेम के कारण, मैं तेरे पुत्रा के हाथ में एक गोत्रा छोड़ दूंगा।

13. Only I will not tear away all the kingdom; I will give one tribe to your son for my servant David's sake, and for the sake of Jerusalem that I have chosen.

14. सो यहोवा ने एदोमी हदद को जो एदोमी राजवंश का था, सुलैमान का शत्रु बना दिया।

14. And it happened, Jehovah raised an adversary to Solomon, Hadad the Edomite; he was of the seed of the king in Edom.

15. क्योंकि जब दाऊद एदोम में था, और योआब सेनापति मारे हुओं को मिट्ट देने गया,

15. And it happened when David was in Edom, and Joab the commander of the army had gone up to bury the ones who died, after he had stricken every male in Edom;

16. ( योआब तो समस्त इस्राएल समेत वहां छे महीने रहा, जब तक कि उस ने एदोम के सब मुरूषों को नाश न कर दियाि)

16. Joab and all Israel remained there six months until every male in Edom was cut off.

17. तब हदद जो छोटा लड़का था, अपने पिता के कई एक एदोमी सेवकों के संग मिस्र को जाने की मनसा से भागा।

17. And Hadad fled, he and certain Edomites of his father's servants with him, to go into Egypt; and Hadad was a little child.

18. और वे मिद्यान से होकर परान को आए, और परान में से कई पुरूषों को संग लेकर मिस्र में फ़िरौन राजा के पास गए, और फ़िरौन ने उसको घर दिया, और उसको भोजन मिलने की आज्ञा दी और कुछ भूमि भी दी।

18. And they rose up out of Midian and came to Paran, and they took men with them out of Paran and came into Egypt, to Pharaoh the king of Egypt. And he gave him a house and commanded bread for him, and gave land to him.

19. और हदद पर फ़िरौन की बड़े अनुग्रह की दृष्टि हुई, और उस ने उसको अपनी साली अर्थात् तहपनेस रानी की बहिन ब्याह दी।

19. And Hadad found much favor in the eyes of Pharaoh, and he gave him a wife, the sister of his own wife, the sister of Tahpenes the queen.

20. और तहपनेस की बहिन से गनूबत उत्पन्न हुआ और इसका दूध तहपनेस ने फ़िरौन के भवन में छुड़ाया; तब बनूबत फ़िरौन के भवन में उसी के पुत्रों के साथ रहता था।

20. And the sister of Tahpenes bore him a son, Genubath, and Tahpenes weaned him in Pharaoh's house among Pharaoh's sons.

21. जब हदद ने मिस्र में रहते यह सुना, कि दाऊद अपने पुरखाओं के संग सो गया, और योआब सेनापति भी मर गया है, तब उस ने फ़िरौन से कहा, मुझे आज्ञा दे कि मैं अपने देश को जाऊं !

21. And Hadad had heard in Egypt that David had slept with his fathers, and that Joab the commander of the army was dead. And Hadad said to Pharaoh, Send me away and I will go to my land.

22. फ़िरौन ने उस से कहा, क्यों? मेरे यहां तुझे क्या घटी हुई कि तू अपने देश को जला जाना चाहता है? उस ने उत्तर दिया, कुछ नहीं हुई, तौभी मुझे अपश्य जाने दे।

22. And Pharaoh said to him, But what are you lacking with me, that, lo, you are seeking to go to your land? And he said, Nothing. However, you shall certainly send me away.

23. फिर परमेश्वर ने उसका एक और शत्रु कर दिया, अर्थात् एल्यादा के पुत्रा रजोन को, वह तो अपने स्वामी सोबा के राजा हददेजेर के पास से भागा था;

23. And God raised up an adversary to him, Rezon the son of Eliadah, who fled from his lord Hadadezer the king of Zobah.

24. और जब दाऊद ने सोबा के जनों को घात किया, तब रजोन अपने पास कई पुरूषों को इकट्ठे करके, एक दल का प्रधान हो गया, और वह दमिश्क को जाकर वहीं रहने और राज्य करने लगा।

24. And he gathered men to himself, and was head of a troop when David killed them. And they went to Damascus and lived in it, and reigned in Damascus.

25. और उस हानि को छोड़ जो हदद ने की, रजोन भी, सुलैमान के जीवन भर अस्राएल का शत्रु बना रहा; और वह इस्राएल से घृणा रखता हुआ अराम पर राज्य करता था

25. And he was an adversary to Israel all the days of Solomon, besides the evil that Hadad did; and he despised Israel and reigned over Syria.

26. फिर नबात का और सरूआह नाम एक विधवा का पुत्रा यारोबाम नाम एक एप्रैमी सरेदाबासी जो सुलैमान का कर्मचारी था, उस ने भी राजा के विरूद्ध सिर उठाया।

26. And Jeroboam the son of Nebat, an Ephrathite of Zereda, a servant of Solomon (and his mother's name was Zeruah, a widow woman) he also lifted up a hand against the king.

27. उसका राजा के विरूद्ध सिर अठाने का यह कारण हुआ, कि सुलैमान मिल्लो को बना रहा था ओर अपने पिता दाऊद के नगर के दरार बन्द कर रहा था।

27. And this was the thing for which he lifted up his hand against the king: Solomon built Millo, repairing the breaks of the city of his father David.

28. यारोबाम बड़ा हाूरवीर था, और जब सुलैमान ने जवान को देखा, कि यह परिश्रमी ह; तब उस ने उसको यूसुफ के घराने के सब काम पर मुखिया ठहराया।

28. And the man Jeroboam was a mighty warrior. And Solomon saw the young man, that he was doing work. And he appointed him to all the burden of the house of Joseph.

29. उन्हीं दिनों में यारोबाम यरूशलेम से निकलकर जा रहा था, कि शीलोबासी अहिरयाह नबी, नई च र ओढ़े हुए मार्ग पर उस से मिला; और केवल वे ही दोनों मैदान में थे।

29. And at that time it happened that Jeroboam had gone out from Jerusalem, and Ahijah the Shilonite, the prophet, found him in the way. And he covered himself with a new garment, and both of them were by themselves in a field.

30. अपैर अहिरयाह ने अपनी उस नई च र को ले लिया, और उसे फाड़कर बारह टुकड़े कर दिए।

30. And Ahijah laid hold on the new garment on him and tore it into twelve pieces.

31. तब उस ने यारोबाम से कहा, दस टुकड़े ले ले; क्योंकि, इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यों कहता है, कि सुन, मैं राज्य को सुलैमान के हाथ से छीन कर दस गोत्रा तेरे हाथ में कर दूंगा।

31. And he said to Jeroboam, Take ten pieces for yourself. For so says Jehovah, God of Israel, Behold, I am tearing the kingdom from the hand of Solomon and giving to you the ten tribes.

32. परन्तु मेरे दास दाऊद के कारण और यरूशलेम के कारण जो मैं ने इस्राएल के सब गोत्रों में से चुना है, उसका एक गोत्रा बना रहेगा।

32. And he shall have the one tribe for my servant David's sake, and for Jerusalem's sake, the city which I have chosen out of all the tribes of Israel.

33. इसका कारण यह है कि उन्हों ने मुझे त्याग कर सीदोनियों की देवी अश्तोरेत और मोआबियों के देवता कमोश, और अम्मोनियों के देवता मिल्कोम को दणडवत की, और मेरे माग पर नहीं चले : और जो मेरी दृष्टि में ठीक है, वह नहीं किया, और मेरी वेधियों और नियमों को नहीं माना जैसा कि उसके पिता दाऊद ने किया।

33. Because they have forsaken Me, and bow themselves to Ashtoreth the goddess of the Sidonians, to Chemosh the god of Moab, to Milcom the god of the sons of Ammon; and have not walked in My ways, to do the right in My eyes, and My statutes and My judgments, as his father David did.

34. तौभी मैं उसके हाथ से पूर्ण राज्य न ले लूंगा, परन्तु मेरा चुना हुआ दास दाऊद जो मेरी आज्ञाएं और विधियां मानता रहा, उसके कारण मैं उसको जीवन भर प्रधान ठहराए रखूंगा।

34. But I will not take the whole kingdom out of his hand, but I will make him ruler all the days of his life, for My servant David's sake, whom I chose, because he kept My commands and My statutes.

35. परन्तु उसके पुत्रा के हाथ से मैं राज्य अर्थात् दस गोत्रा लेकर तुझे दे दूंगा।

35. But I will take the kingdom out of his son's hand, and will give it to you, ten tribes.

36. और उसके पुत्रा को मैं एक गोत्रा दूंगा, इसलिये कि यरूश्सलेम अर्थात् उस नगर में जिसे अपना नाम रखने को मैं ने चुना है, मेरे दास दाऊद का दीपक मेरे साम्हने सदैव बना रहे।

36. And I will give one tribe to his son, that there may be a lamp to My servant David before Me all the days in Jerusalem the city that I have chosen to Myself, to put My name there.

37. परन्तु तुझे मैं ठहरा लूंगा, और तू अपनी इच्छा भर इस्राएल पर राज्य करेगा।

37. And I will take you, and you shall reign according to all that your soul desires, and shall be king over Israel.

38. और यदि तू मेरे दास दाऊद की नाई मेरी सब आज्ञाएं, और मेरे माग पर चले, और जो काम मेरी दृष्टि में ठीक है, वही करे, और मेरी विधियां और आाएं मानता रहे, तो मैं तेरे संग रहूंगा, और जिस तनह मैं ने दाऊद का घराना बनाए रखा है, वैसे ही तेरा भी घराना बनाए रखूंगा, और तेरे हाथ इस्राएल को दूंगा।

38. And it shall be, if you shall hear all that I command you, and shall walk in My ways, and do that which is right in My eyes, to keep My statutes and My commands, as My servant David did, then I shall be with you and shall build a sure house for you, as I built for David, and shall give Israel to you.

39. इस पाप के कारण मैं दाऊद के वंश को दु:ख दूंगा, तौभी सदा तक नहीं।

39. And for this I will humble the seed of David; but not forever.

40. और सुलैमान ने यारोबाम को मार डालना चाहा, परन्तु यारोबाम मिस्र के राजा शीशक के पास भाग गया, और सुलैमान के मरने नक वहीं रहा।

40. And Solomon sought to put Jeroboam to death, and Jeroboam rose up and fled to Egypt, to Shishak the king of Egypt; and he was in Egypt until the death of Solomon.

41. सुलैमान की और सब बातें और उसके सब काम और उसकी बुध्दिमानी का वर्णन, क्या सुलैमान के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखा है?

41. And the rest of the matters of Solomon, and all that he did, and his wisdom, are they not written in the Book of the Acts of Solomon?

42. सुलैमान को यरूशलेम में सब इस्राएल पर राज्य करते हुए चालीस वर्ष बीते।

42. And the days that Solomon reigned in Jerusalem over all Israel were forty years;

43. और सुलैमान अपने पुरखाओं के संग सोया, और उसको उसके पिता दाऊद के नगर में मिट्टी दी गई, और उसका पुत्रा रहूबियाम उसके स्थान पर राजा हुआ।

43. and Solomon lay with his fathers and was buried in the city of his father David; and his son Rehoboam reigned in his place.



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