2 Samuel - 2 शमूएल 14 | View All

1. और सरूयाह का पुत्रा योआब ताड़ गया कि राजा का मन अबशालोम की ओर लगा है।

1. And Joab, son of Zeruiah, perceived that the heart of the king was towards Absolom.

2. इसलिये योआब ने तको नगर में दूत भेजकर वहां से एक बुध्दिमान स्त्री को बुलवाया, और उस से कहा, शोक करनेवाली बन, अर्थात् शोक का पहिरावा पहिन, और तेल न लगा; परन्तु ऐसी स्त्री बन जो बहुत दिन से मुए के लिये विलाप करती रही हो।

2. So Joab sent to Tekoa, and fetched from thence, a wise woman, and said unto her I pray thee, feign thyself a mourner, and put on, I pray thee, mourning apparel, and do not anoint thyself with oil, but be as a woman that hath, these many days, been mourning for the dead;

3. तब राजा के पास जाकर ऐसी ऐसी बातें कहना। और योआब ने उसको जो कुछ कहना था वह सिखा दिया।

3. so shalt thou come in unto the king, and speak unto him, after this manner. And Joab put the words in her mouth.

4. जब वह तकोइन राजा से बातें करने लगी, तब मुंह के बल भूमि पर गिर दणडवत् करके कहने लगी, राजा की दोहाई

4. And, when the woman of Tekoa came in unto the king, she fell on her face to the ground, and did homage, and said Save, O king!

5. राजा ने उस से पूछा, तुझे क्या चाहिये? उस ने कहा, सचमुच मेरा पति मर गया, और मैं विधवा हो गई।

5. And the king said to her What aileth thee? And she said Of a truth, a widow woman, am I, for my husband is dead.

6. और तेरी दासी के दो बेटे थे, और उन दोनों ने मैदान में मार पीट की; और उनको छुड़ानेवाला कोई न था, इसलिए एक ने दूसरे को ऐसा मारा कि वह मर गया।

6. Now, thy maidservant, had two sons, and they two strove together in the field, with none to tear them apart, so the one smote the other, and slew him.

8. राजा ने स्त्री से कहा, अपते घर जा, और मैं तेरे विषय आज्ञा दूंगा।

8. And the king said unto the woman Go to thy house, and, I, will give command concerning thee.

9. तकोइन ने राजा से कहा, हे मेरे प्रभु, हे राजा, दोष मुझी को और मेरे पिता के घराने ही को लगे; और राजा अपनी गद्दी समेत निदष ठहरे।

9. Then said the woman of Tekoa unto the king, Upon me, my lord, O king, be the iniquity, and upon the house of my father, but, the king and his throne, be guiltless.

10. राजा ने कहा, जो कोई तुझ से कुछ बोले उसको मेरे पास ला, तब वह फिर तुझे छूने न पाएगा।

10. And the king said, He that speaketh unto thee, bring him in unto me, and he shall, no more, annoy thee.

11. उस ने कहा, राजा अपने परमेश्वर यहोवा को स्मरण करे, कि खून का पलटा लेनेवाला औैर नाश करने न पाए, और मेरे बेटे का नाश न होने पाए। उस ने कहा, यहोवा के जीवन की शपथ, तेरे बेटे का एक बाल भी भूमि पर गिरने न पाएगा।
प्रेरितों के काम 27:34

11. Then said she: Let the king, I pray thee, remember Yahweh thy God; so that the blood-redeemer may not make utter ruin, and that they destroy not my son. And he said By the life of Yahweh, not one hair of thy son shall fall to the earth.

12. स्त्री बोली, तेरी दासी अपने प्रभु राजा से एक बात कहने पाए।

12. Then said the woman, Pray let thy maidservant speak unto my lord the king, a word. And he said Speak.

13. उस ने कहा, कहे जा। स्त्री कहने लगी, फिर तू ने परमेश्वर की प्रजा की हानि के लिये ऐसी ही युक्ति क्यों की है? राजा ने जो यह वचन कहा है, इस से वह दोषी सा ठहरता है, क्योंकि राजा अपने निकाले हुए को लौटा नहीं लाता।

13. And the woman said, Wherefore, then, hast thou devised the like of this, for the people of God; and yet the king, in speaking this word, is verily guilty, unless the king, bring back his fugitive?

14. हम को तो मरना ही है, और भूमि पर गिरे हुए जल के समान ठहरेंगे, जो फिर उठाया नहीं जाता; तौभी परमेश्वर प्राण नहीं लेता, वरन ऐसी युकित करता है कि निकाला हुआ उसके पास से निकाला हुआ न रहे।

14. For, when we, die, we become as water poured on the ground, which cannot be gathered up again, therefore doth God not take away the life, but deviseth plans so as not to thrust out from him, a fugitive.

15. और अब मैं जो अपने प्रभु राजा से यह बात कहने को आई हूं, इसका कारण यह है, कि लोगों ने मुझे डरा दिया था; इसलिये तेरी दासी ने सोचा, कि मैं राजा से बोलूंगी, कदाचित राजा अपनी दासी की बिनती को पूरी करे।

15. Now, therefore, is it that I have come to speak unto the king my lord this word, because the people kept putting me in fear, so thy maidservant said Do let me, I pray you, speak unto the king! peradventure the king will fulfil the request of his handmaid.

16. निेसन्देह राजा सुनकर अवश्य अपनी दासी को उस मनुष्य के हाथ से बचाएगा जो पाझे और मेरे बेटे दोनों को परमेश्वर के भाग में से नाश करना चाहता है।

16. For the king can hearken, to rescue his handmaid out of the power of the man who would seek to destroy both me and my son together, out of the inheritance of God.

17. सो तेरी दासी ने सोचा, कि मेरे प्रभु राजा के वचन से शान्ति मिले; क्योंकि मेरा प्रभु राजा परमेश्वर के किसी दूत की नाई भले- बुरे में भेद कर सकता है; इसलिये तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे संग रहे।

17. So thy maidservant said, Pray let the word of my lord the king be comforting, for, as the messenger of God, so is my lord the king, in hearing the good and the bad, Yahweh thy God, then, be with thee.

18. राजा ने उत्तर देकर उस स्त्री से कहा, जो बात मैं तुझ से पूछता हूं उसे मुझ से न छिपा। स्त्री ने कहा, मेरा प्रभु राजा कहे जाए।

18. Then responded the king, and said unto the woman, Nay, now! do not hide from me, the thing which I am about to ask thee. And the woman said, Pray let my lord the king speak.

19. राजा ने पूछा, इस बात में क्या योआब तेरा संगी है? स्त्री ने उत्तर देकर कहा, हे मेरे प्रभुु, हे राजा, तेरे प्राण की शपथ, जो कुछ मेरे प्रभु राजा ने कहा है, उस से कोई न दाहिनी ओर मुड़ सकता है और न बाई। तेरे दास योआब ही ने मुझे आज्ञा दी, और ये सब बातें उसी ने तेरी दासी को सिखाई है।

19. Then said the king, Is, the hand of Joab, with thee, in all this? And the woman answered and said By the life of thy soul, my lord, O king, there is no way to the right or to the left, of anything that my lord the king hath spoken, for, thy servant Joab himself, charged me, and, himself, put, in the mouth of thy maidservant, all these words:

20. तेरे दास योआब ने यह काम इसलिये किया कि बात का रंग बदले। और मेरा प्रभु परमेश्वर के एक दूत के तुल्य बुध्दिमान है, यहां तक कि धरती पर जो कुछ होता है उन सब को वह जानता है।

20. for the purpose of turning round the face of the matter, hath thy servant Joab done this thing, my lord being wise, as with the wisdom of a messenger of God, in knowing all that is done in the land.

21. तब राजा ने योआब से कहा, सुन, मैं ने यह बात मानी है; तू जाकर अबशालोम जवान को लौटा ला।

21. Then said the king unto Joab, See, I pray thee, I a have done this thing, go then bring back the young man, Absolom.

22. तब योआब ने भूमि पर मुंह के बल गिर दणडवत् कर राजा को आशीर्वाद दिया; और योआब कहने लगा, हे मेरे प्रभु, हे राजा, आज तेरा दास जान गया कि मुझ पर तेरी अनग्रह की दृष्टि है, क्योंकि राजा ने अपने दास की बिनती सुनी है।

22. So Joab fell with his face to the earth, and did homage, and blessed the king, and Joab said To-day, doth thy servant know, that I have found favour in thine eyes, my lord O king, in that the king hath fulfilled the request of thy servant.

23. और योआब उठकर गशूर को गया, और अबशालोम को यरूशलेम ले आया।

23. And Joab arose, and went to Geshur, and brought Absolom to Jerusalem.

24. तब राजा ने कहा, वह अपने घर जाकर रहे; और मेरा दर्शन न पाए। तब अबशालोम अपने घर जा रहा, और राजा का दर्शन न पाया।

24. And the king said Let him go round to his own house, and, my face, let him not see. So Absolom went round, unto his own house, and, the face of the king, saw he not.

25. समस्त इस्राएल में सुन्दरता के कारण बहुत प्रशंसा योग्य अबशालोम के तुल्य और कोई न था; वरन उस में नख से सिख तक कुछ दोष न था।

25. Now, like unto Absolom, was there no man handsome in all Israel, to be greatly praised, from the sole of his foot, even unto the crown of his head, there was not, in him, a blemish.

26. और वह वर्ष के अन्त में अपना सिर मुंढ़वाता था ( उसके बाल उसको भारी जान पड़ते थे, इस कारण वह उसे मुंड़ाता था ); और जब जब वह उसे मुंड़ाता तब तब अपने सिर के बाल तौलकर राजा के तौल के अनुसार दो सौ शेकेल भर पाता था।

26. And when he polled his head and it was at every year's end that he used to poll it, because it was heavy upon him, therefore he used to poll it he would weigh the hair of his head, two hundred shekels, by the royal standard.

27. और अबशालोम के तीन बेटे, और तामार नाम एक बेटी उत्पन्न हुई थी; और यह रूपवती स्त्री थी।

27. And there were born to Absolom three sons, and one daughter, whose name, was Tamar, she, was a woman beautiful to look upon.

28. और अबशालोम राजा का दर्शन बिना पाए यरूशलेम में दो वर्ष रहा।

28. So Absolom dwelt in Jerusalem two years of days, and, the face of the king, had he not seen.

29. तब अबशालोम ने योआब को बुलवा भेजा कि उसे राजा के पास भेजे; परन्तु योआब ने उसके पास आने से इनकार किया। और उस ने उसे दूसरी बार बुलवा भेजा, परन्तु तब भी उस ने आने से इनकार किया।

29. Then sent Absolom unto Joab, to send him unto the king, but he would not come to him, so he sent yet a second time, but he would not come.

30. तब उस ने अपने सेवकों से कहा, सुनो, योआब का एक खेत मेरी भूमि के निकट है, और उस में उसका जव खड़ा है; तुम जाकर उस में आग लगाओ। और अबशालोम के सेवकों ने उस खेत में आग लगा दी।

30. Then said he unto his servants See, the allotted portion of Joab, adjoineth me, and, he, hath barley there, go, and set it on fire. So the servants of Absolom set the portion on fire.

31. तब योआब उठा, और अबशालोम के घर में उसके पास जाकर उस से पूछने लगा, तेरे सेवकों ने मेरे खेत में क्यों आग लगाई है?

31. Then rose Joab, and went unto Absolom, in his house, and said unto him, Wherefore, have thy servants set the portion that pertaineth to me, on fire?

32. अबशालोम ने योआब से कहा, मैं ने तो तेरे पास यह कहला भेजा था, कि यहां आना कि मैं तुझे राजा के पास यह कहने को भेजूं, कि मैं गशूर से क्यों आया? मैं अब तक वहां रहता तो अच्छा होता। इसलिये अब राजा मुझे दर्शन दे; और यदि मैं दोषी हूं, तो वह मुझे मार डाले।

32. And Absolom said unto Joab Lo! I sent unto thee, saying Come hither, that I may send thee unto the king, saying Wherefore, am I come from Geshur? I, might as well have yet been there. Now, therefore, let me see the face of the king, and, if there is in me iniquity, then let him put me to death.

33. तो योआब ने राजा के पास जाकर उसको यह बात सुनाई; और राजा ने अबशालोम को बुलवाया। और वह उसके पास गया, और उसके सम्मुख भूमि पर मुंह के बल गिरके दणडवत् की; और राजा ने अबशालोम को चूमा।

33. So Joab came unto the king, and told him, and the king called for Absolom, and he came in unto the king, and bowed himself down with his face to the ground, before the king, and the king kissed Absolom.



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