Genesis - उत्पत्ति 6 | View All

1. फिर जब मनुष्य भूमि के ऊपर बहुत बढ़ने लगे, और उनके बेटियां उत्पन्न हुई,
1 पतरस 3:20

1. এইরূপে যখন ভূমণ্ডলে মনুষ্যদের সংখ্যা বৃদ্ধি পাইতে লাগিল ও অনেক কন্যা জন্মিল,

2. तब परमेश्वर के पुत्रों ने मनुष्य की पुत्रियों को देखा, कि वे सुन्दर हैं; सो उन्हों ने जिस जिसको चाहा उन से ब्याह कर लिया।

2. তখন ঈশ্বরের পুত্রেরা মনুষ্যদের কন্যাগণকে সুন্দরী দেখিয়া, যাহার যাহাকে ইচ্ছা, সে তাহাকে বিবাহ করিতে লাগিল।

3. और यहोवा ने कहा, मेरा आत्मा मनुष्य से सदा लों विवाद करता न रहेगा, क्योंकि मनुष्य भी शरीर ही है : उसकी आयु एक सौ बीस वर्ष की होगी।

3. তাহাতে সদাপ্রভু কহিলেন, আমার আত্মা মনুষ্যদের মধ্যে নিত্য অধিষ্ঠান করিবেন না, তাহাদের বিপথগমনে তাহারা মাংসমাত্র; পরন্তু তাহাদের সময় এক শত বিংশতি বৎসর হইবে।

4. उन दिनों में पृथ्वी पर दानव रहते थे; और इसके पश्चात् जब परमेश्वर के पुत्रा मनुष्य की पुत्रियों के पास गए तब उनके द्वारा जो सन्तान उत्पन्न हुए, वे पुत्रा शूरवीर होते थे, जिनकी कीर्त्ति प्राचीनकाल से प्रचलित है।

4. তৎকালে পৃথিবীতে মহাবীরগণ ছিল, এবং তৎপরেও ঈশ্বরের পুত্রেরা মনুষ্যদের কন্যাদের কাছে গমন করিলে তাহাদের গর্ভে সন্তান জন্মিল, তাহারাই সেকালের প্রসিদ্ধ বীর।

5. और यहोवा ने देखा, कि मनुष्यों की बुराई पृथ्वी पर बढ़ गई है, और उनके मन के विचार में जो कुछ उत्पन्न होता है सो निरन्तर बुरा ही होता है।
रोमियों 7:18, लूका 17:26

5. আর সদাপ্রভু দেখিলেন, পৃথিবীতে মনুষ্যের দুষ্টতা বড় এবং তাহার অন্তঃকরণের চিন্তার সমস্ত কল্পনা নিরন্তর কেবল মন্দ।

6. और यहोवा पृथ्वी पर मनुष्य को बनाने से पछताया, और वह मन में अति खेदित हुआ।

6. তাই, সদাপ্রভু পৃথিবীতে মনুষ্যের নির্ম্মাণ প্রযুক্ত অনুশোচনা করিলেন, ও মনঃপীড়া পাইলেন।

7. तब यहोवा ने सोचा, कि मै मनुष्य को जिसकी मै ने सृष्टि की है पृथ्वी के ऊपर से मिटा दूंगा क्योंकि मैं उनके बनाने से पछताता हूं।

7. আর সদাপ্রভু কহিলেন, আমি যে মনুষ্যকে সৃষ্টি করিয়াছি, তাহাকে ভূমণ্ডল হইতে উচ্ছিন্ন করিব; মনুষ্যের সহিত পশু, সরীসৃপ জীব ও আকাশের পক্ষীিদগকেও উচ্ছিন্ন করিব; কেননা তাহাদের নির্ম্মাণ প্রযুক্ত আমার অনুশোচনা হইতেছে।

8. परन्तु यहोवा के अनुग्रह की दृष्टि नूह पर बनी रही।।

8. কিন্তু নোহ সদাপ্রভুর দৃষ্টিতে অনুগ্রহ প্রাপ্ত হইলেন।

9. नूह की वंशावली यह है। नूह धर्मी पुरूष और अपने समय के लोगों में खरा था, और नूह परमेश्वर ही के साथ साथ चलता रहा।
मत्ती 24:37

9. [9-10] নোহের বংশ-বৃত্তান্ত এই। নোহ তাৎকালিক লোকদের মধ্যে ধার্ম্মিক ও সিদ্ধ লোক ছিলেন, নোহ ঈশ্বরের সহিত গমনাগমন করিতেন। নোহ শেম, হাম ও যেফৎ নামে তিন পুত্রের জন্ম দেন।

10. और नूह से, शेम, और हाम, और येपेत नाम, तीन पुत्रा उत्पन्न हुए।

10.

11. उस समय पृथ्वी परमेश्वर की दृष्टि में बिगड़ गई थी, और उपद्रव से भर गई थी।

11. তৎকালে পৃথিবী ঈশ্বরের সাক্ষাতে ভ্রষ্ট, পৃথিবী দৌরাত্ম্যে পরিপূর্ণ ছিল।

12. और परमेश्वर ने पृथ्वी पर जो दृष्टि की तो क्या देखा, कि वह बिगड़ी हुई है; क्योंकि सब प्राणियों ने पृथ्वी पर अपनी अपनी चाल चलन बिगाड़ ली थी।

12. আর ঈশ্বর পৃথিবীতে দৃষ্টিপাত করিলেন, আর দেখ, সে ভ্রষ্ট হইয়াছে, কেননা পৃথিবীস্থ সমুদয় প্রাণী ভ্রষ্টাচারী হইয়াছিল।

13. तब परमेश्वर ने नूह से कहा, सब प्राणियों के अन्त करने का प्रश्न मेरे साम्हने आ गया है; क्योंकि उनके कारण पृथ्वी उपद्रव से भर गई है, इसलिये मै उनको पृथ्वी समेत नाश कर डालूंगा।
इब्रानियों 11:7, मत्ती 24:38-39

13. তখন ঈশ্বর নোহকে কহিলেন, আমার গোচরে সকল প্রাণীর অন্তিমকাল উপস্থিত, কেননা তাহাদের দ্বারা পৃথিবী দৌরাত্ম্যে পরিপূর্ণ হইয়াছে; আর দেখ, আমি পৃথিবীর সহিত তাহাদিগকে বিনষ্ট করিব।

14. इसलिये तू गोपेर वृक्ष की लकड़ी का एक जहाज बना ले, उस में कोठरियां बनाना, और भीतर बाहर उस पर राल लगाना।

14. তুমি গোফর কাষ্ঠ দ্বারা এক জাহাজ নির্ম্মাণ কর; সেই জাহাজের মধ্যে কুঠরী নির্ম্মাণ করিবে, ও তাহার ভিতরে ও বাহিরে ধূনা দিয়া লেপন করিবে।

15. और इस ढंग से उसको बनाना : जहाज की लम्बाई तीन सौ हाथ, चौड़ाई पचास हाथ, और ऊंचाई तीस हाथ की हो।

15. এই প্রকারে তাহা নির্ম্মাণ করিবে। জাহাজ দীর্ঘে তিন শত হাত, প্রস্থে পঞ্চাশ হাত ও উচ্চতায় ত্রিশ হাত হইবে।

16. जहाज में एक खिड़की बनाना, और इसके एक हाथ ऊपर से उसकी छत बनाना, और जहाज की एक अलंग में एक द्वार रखना, और जहाज में पहिला, दूसरा, तीसरा खण्ड बनाना।

16. আর তাহার ছাদের এক হাত নীচে বাতায়ন প্রস্তুত করিয়া রাখিবে, ও জাহাজের পার্শ্বে দ্বার রাখিবে; তাহার প্রথম, দ্বিতীয় ও তৃতীয় তালা নির্ম্মাণ করিবে।

17. और सुन, मैं आप पृथ्वी पर जलप्रलय करके सब प्राणियों को, जिन में जीवन की आत्मा है, आकाश के नीचे से नाश करने पर हूं : और सब जो पृथ्वी पर है मर जाएंगे।

17. আর দেখ, আকাশের নীচে প্রাণবায়ুবিশিষ্ট যত জীবজন্তু আছে, সকলকে বিনষ্ট করণার্থে আমি পৃথিবীর উপরে জলপ্লাবন আনিব, পৃথিবীস্থ সকলে প্রাণত্যাগ করিবে।

18. परन्तु तेरे संग मै वाचा बान्धता हूं : इसलिये तू अपने पुत्रों, स्त्री, और बहुओं समेत जहाज में प्रवेश करना।

18. কিন্তু তোমার সহিত আমি আপনার নিয়ম স্থির করিব; তুমি আপন পুত্রগণ, স্ত্রী ও পুত্রবধূদিগকে সঙ্গে লইয়া সেই জাহাজে প্রবেশ করিবে।

19. और सब जीवित प्राणियों में से, तू एक एक जाति के दो दो, अर्थात् एक नर और एक मादा जहाज में ले जाकर, अपने साथ जीवित रखना।

19. আর মাংসবিশিষ্ট সমস্ত জীবজন্তুর স্ত্রীপুরুষ যোড়া যোড়া লইয়া তাহাদের প্রাণরক্ষার্থে আপনার সহিত সেই জাহাজে প্রবেশ করাইবে;

20. एक एक जाति के पक्षी, और एक एक जाति के पशु, और एक एक जाति के भूमि पर रेंगनेवाले, सब में से दो दो तेरे पास आएंगे, कि तू उनको जीवित रखे।

20. সর্ব্বজাতীয় পক্ষী ও সর্ব্বজাতীয় পশু ও সর্ব্বজাতীয় ভূচর সরীসৃপ যোড়া যোড়া প্রাণরক্ষার্থে তোমার নিকটে প্রবেশ করিবে।

21. और भांति भांति का भोज्य पदार्थ जो खाया जाता है, उनको तू लेकर अपने पास इकट्ठा कर रखना सो तेरे और उनके भोजन के लिये होगा।

21. আর তোমার ও তাহাদের আহারার্থে তুমি সর্ব্বপ্রকার খাদ্য সামগ্রী আনিয়া আপনার নিকটে সঞ্চয় করিবে।

22. परमेश्वर की इस आज्ञा के अनुसार नूह ने किया।

22. তাহাতে নোহ সেইরূপ করিলেন, ঈশ্বরের আজ্ঞানুসারেই সকল কর্ম্ম করিলেন।



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