Genesis - उत्पत्ति 31 | View All

1. फिर लाबान के पुत्रों की ये बातें याकूब के सुनने में आई, कि याकूब ने हमारे पिता का सब कुछ छीन लिया है, और हमारे पिता के धन के कारण उसकी यह प्रतिष्ठा है।

1. পরে তিনি লাবনের পুত্রদের এই কথা শুনিতে পাইলেন, যাকোব আমাদের পিতার সর্ব্বস্ব হরণ করিয়াছে, আমাদের পিতার ধন হইতে তাহার এই সমস্ত ঐশ্বর্য্য হইয়াছে।

2. और याकूब ने लाबान के मुखड़े पर दृष्टि की और ताड़ लिया, कि वह उसके प्रति पहले के समान नहीं है।

2. আর যাকোব লাবনের মুখ দেখিলেন, আর দেখ, উহা আর তাঁহার প্রতি পূর্ব্বকার মত নয়।

3. तब यहोवा ने याकूब से कहा, अपने पितरों के देश और अपनी जन्मभूमि को लौट जा, और मैं तेरे संग रहूंगा।

3. আর সদাপ্রভু যাকোবকে কহিলেন, তুমি আপন পৈতৃক দেশে জ্ঞাতিদের নিকটে ফিরিয়া যাও, আমি তোমার সহবর্ত্তী হইব।

4. तब याकूब ने राहेल और लिआ: को, मैदान में अपनी भेड़- बकरियों के पास, बुलवाकर कहा,

4. অতএব যাকোব লোক পাঠাইয়া মাঠে পশুদের নিকটে রাহেল ও লেয়াকে ডাকাইয়া কহিলেন,

5. तुम्हारे पिता के मुखडे से मुझे समझ पड़ता है, कि वह तो मुझे पहिले की नाई अब नहीं देखता; पर मेरे पिता का परमेश्वर मेरे संग है।

5. আমি তোমাদের পিতার মুখ দেখিয়া বুঝিতে পারিতেছি, উহা আর আমার প্রতি পূর্ব্বকার মত নয়, কিন্তু আমার পিতার ঈশ্বর আমার সহবর্ত্তী রহিয়াছেন।

6. और तुम भी जानती हो, कि मैं ने तुम्हारे पिता की सेवा शक्ति भर की है।

6. আর তোমরা আপনারা জান, আমি যথাশক্তি তোমাদের পিতার দাস্যকর্ম্ম করিয়াছি।

7. और तुम्हारे पिता ने मुझ से छल करके मेरी मजदूरी को दस बार बदल दिया; परन्तु परमेश्वर ने उसको मेरी हानि करने नहीं दिया।

7. তথাপি তোমাদের পিতা আমাকে প্রবঞ্চনা করিয়া দশ বার আমার বেতন অন্যথা করিয়াছেন; কিন্তু ঈশ্বর তাঁহাকে আমার ক্ষতি করিতে দেন নাই।

8. जब उस ने कहा, कि चित्तीवाले बच्चे तेरी मजदूरी ठहरेंगे, तब सब भेड़- बकरियां चित्तीवाले ही जनने लगीं, और जब उस ने कहा, कि धारीवाले बच्चे तेरी मजदूरी ठहरेंगे, तब सब भेड़- बकरियां धारीवाले जनने लगीं।

8. কেননা যখন তিনি কহিতেন, বিন্দুচিহ্নিত পশুগণ তোমার বেতনস্বরূপ হইবে, তখন সমস্ত পাল বিন্দুচিহ্নিত শাবক প্রসব করিত; এবং যখন কহিতেন, রেখাঙ্কিত পশু সকল তোমার বেতনস্বরূপ হইবে, তখন মেষাদি সকলে রেখাঙ্কিত শাবক প্রসব করিত।

9. इस रीति से परमेश्वर ने तुम्हारे पिता के पशु लेकर मुझ को दे दिए।

9. এইরূপে ঈশ্বর তোমাদের পিতার পশুধন লইয়া আমাকে দিয়াছেন।

10. भेड़- बकरियों के गाभिन होने के समय मैं ने स्वप्न में क्या देखा, कि जो बकरे बकरियों पर चढ़ रहे हैं, सो धारीवाले, चित्तीवाले, और धब्बेवाले है।

10. পশুদের গর্ভধারণকালে আমি স্বপ্নে চক্ষু তুলিয়া দেখিলাম, আর দেখ, পালের মধ্যে স্ত্রীপশুদের উপরে যত পুংপশু উঠিতেছে, সকলেই রেখাঙ্কিত, বিন্দুচিহ্নিত ও চিত্রবিচিত্র।

11. और परमेश्वर के दूत ने स्वप्न में मुझ से कहा, हे याकूब : मैं ने कहा, क्या आज्ञा।

11. তখন ঈশ্বরের দূত স্বপ্নে আমাকে বলিলেন, হে যাকোব; আর আমি কহিলাম, দেখুন, এই আমি। তিনি বলিলেন,

12. उस ने कहा, आंखे उठाकर उन सब बकरों को, जो बकरियों पर चढ़ रहे हैं, देख, कि वे धारीवाले, चित्तीवाले, और धब्बेवाले हैं; क्योंकि जो कुछ लाबान तुझ से करता है, सो मैं ने देखा है।

12. তোমার চক্ষু তুলিয়া দেখ, স্ত্রীপশুদের উপরে যত পুংপশু উঠিতেছে, সকলেই রেখাঙ্কিত, চিত্রাঙ্গ ও চিত্রবিচিত্র; কেননা, লাবন তোমার প্রতি যাহা যাহা করে, তাহা সকলই আমি দেখিলাম।

13. मैं उस बेतेल का ईश्वर हूं, जहां तू ने एक खम्भे पर तेल डाल दिया, और मेरी मन्नत मानी थी : अब चल, इस देश से निकलकर अपनी जन्मभूमि को लौट जा।

13. যে স্থানে তুমি স্তম্ভের অভিষেক ও আমার নিকটে মানত করিয়াছ, সেই বৈথেলের ঈশ্বর আমি; এখন উঠ, এই দেশ ত্যাগ করিয়া আপন জন্মভূমিতে ফিরিয়া যাও।

14. तब राहेल और लिआ : ने उस से कहा, क्या हमारे पिता के घर में अब भी हमारा कुछ भाग वा अंश बचा है?

14. তখন রাহেল ও লেয়া উত্তর করিয়া তাঁহাকে কহিলেন, পিতার বাটীতে আমাদের কি আর কিছু অংশ ও অধিকার আছে?

15. क्या हम उसकी दृष्टि में पराये न ठहरीं? देख, उस ने हम को तो बेच डाला, और हमारे रूपे को खा बैठा है।

15. আমরা কি তাঁহার কাছে বিদেশিনীরূপে গণ্য নহি? তিনি ত আমাদিগকে বিক্রয় করিয়াছেন এবং আমাদের রৌপ্য আপনি ভোগ করিয়াছেন।

16. सो परमेश्वर ने हमारे पिता का जितना धन ले लिया है, सो हमारा, और हमारे लड़केबालों को है : अब जो कुछ परमेश्वर ने तुझ से कहा सो कर।

16. ঈশ্বর আমাদের পিতা হইতে যে সকল ধন হরণ করিয়াছেন, সে সকলই আমাদের ও আমাদের সন্তানদের। অতএব ঈশ্বর তোমাকে যাহা কিছু বলিয়াছেন, তুমি তাহাই কর।

17. तब याकूब ने अपने लड़केबालों और स्त्रियों को ऊंटों पर चढ़ाया;

17. [17-18] তখন যাকোব উঠিয়া আপন সন্তানগণ ও স্ত্রীদিগকে উটে চড়াইয়া আপনার উপার্জ্জিত পশ্বাদি সকল ধন, অর্থাৎ পদ্দন-অরামে যে পশু ও যে সম্পত্তি উপার্জ্জন করিয়াছিলেন, তাহা লইয়া কনান দেশে আপন পিতা ইস্‌হাকের নিকটে যাত্রা করিলেন।

18. और जितने पशुओं को वह प नराम में इकट्ठा करके धनाढय हो गया था, सब को कनान में अपने पिता इसहाक के पास जाने की मनसा से, साथ ले गया।

18.

19. लाबान तो अपनी भेड़ों का ऊन कतरने के लिये चला गया था। और राहेल अपने पिता के गृहदेवताओं को चुरा ले गई।

19. তৎকালে লাবন মেষলোম ছেদন করিতে গিয়াছিলেন; তখন রাহেল আপন পিতার ঠাকুরগুলাকে হরণ করিলেন।

20. सो याकूब लाबान अरामी के पास से चोरी से चला गया, उसको न बताया कि मैं भागा जाता हूं।

20. আর যাকোব আপন পলায়নের কোন সংবাদ না দিয়া অরামীয় লাবনকে বঞ্চনা করিলেন।

21. वह अपना सब कुछ लेकर भागा : और महानद के पार उतरकर अपना मुंह गिलाद के पहाड़ी देश की ओर किया।।

21. তিনি আপনার সর্ব্বস্ব লইয়া পলায়ন করিলেন, এবং উঠিয়া [ফরাৎ] নদী পার হইয়া গিলিয়দ পর্ব্বত সম্মুখে রাখিয়া চলিলেন।

22. तीसरे दिन लाबान को समाचार मिला, कि याकूब भाग गया है।

22. পরে তৃতীয় দিনে লাবন যাকোবের পলায়নের সংবাদ পাইলেন, এবং

23. सो उस ने अपने भाइयों को साथ लेकर उसका सात दिन तक पीछा किया, और गिलाद के पहाड़ी देश में उसको जा पकड़ा।

23. আপন কুটুম্বদিগকে সঙ্গে লইয়া সাত দিনের পথ তাঁহার পশ্চাৎ ধাবমান হইলেন, ও গিলিয়দ পর্ব্বতে তাঁহার দেখা পাইলেন।

24. तब परमेश्वर ने रात के स्वप्न में आरामी लाबान के पास आकर कहा, सावधान रह, तू याकूब से न तो भला कहना और न बुरा।

24. কিন্তু ঈশ্বর রাত্রিতে স্বপ্নযোগে অরামীয় লাবনের নিকটে উপস্থিত হইয়া তাঁহাকে কহিলেন, সাবধান, যাকোবকে ভাল মন্দ কিছুই বলিও না।

25. और लाबान याकूब के पास पहुंच गया, याकूब तो अपना तम्बू गिलाद नाम पहाड़ी देश में खड़ा किए पड़ा था : और लाबान ने भी अपने भाइयों के साथ अपना तम्बू उसी पहाड़ी देश में खड़ा किया।

25. লাবন যখন যাকোবের দেখা পাইলেন, তখন যাকোবের তাম্বু পর্ব্বতের উপরে স্থাপিত ছিল; তাহাতে লাবনও কুটুম্বদের সহিত গিলিয়দ পর্ব্বতের উপরে তাম্বু স্থাপন করিলেন।

26. तब लाबान याकूब से कहने लगा, तू ने यह क्या किया, कि मेरे पास से चोरी से चला आया, और मेरी बेटियों को ऐसा ले आया, जैसा कोई तलवार के बल से बन्दी बनाए गए?

26. পরে লাবন যাকোবকে কহিলেন, তুমি কেন এমন কর্ম্ম করিলে? আমাকে বঞ্চনা করিয়া আমার কন্যাদিগকে কেন খড়গধৃত বন্দিগণের ন্যায় লইয়া আসিলে?

27. तू क्यों चुपके से भाग आया, और मुझ से बिना कुछ कहे मेरे पास से चोरी से चला आया; नहीं तो मैं तुझे आनन्द के साथ मृदंग और वीणा बजवाते, और गीत गवाते विदा करता ?

27. তুমি আমাকে বঞ্চনা করিয়া কেন গোপনে পলাইলে? কেন আমাকে সংবাদ দিলে না? দিলে আমি তোমাকে আহলাদ ও গান এবং তবলের ও বীণার বাদ্য পুরঃসর বিদায় করিতাম।

28. तू ने तो मुझे अपने बेटे बेटियों को चूमने तक न दिया? तू ने मूर्खता की है।

28. তুমি আমার পুত্র কন্যাগণকে চুম্বন করিতেও আমাকে দিলে না; এ অজ্ঞানের কর্ম্ম করিয়াছ।

29. तुम लोगों की हानि करने की शक्ति मेरे हाथ में तो है; पर तुम्हारे पिता के परमेश्वर ने मुझ से बीती हुई रात में कहा, सावधान रह, याकूब से न तो भला कहना और न बुरा।

29. তোমাদের হিংসা করিতে আমার হস্ত সমর্থ; কিন্তু গত রাত্রিতে তোমাদের পৈতৃক ঈশ্বর আমাকে কহিলেন, সাবধান, যাকোবকে ভাল মন্দ কিছুই বলিও না।

30. भला अब तू अपने पिता के घर का बड़ा अभिलाषी होकर चला आया तो चला आया, पर मेरे देवताओं को तू क्यों चुरा ले आया है?

30. এখন পিত্রালয়ে যাইবার আকাঙ্ক্ষায় ম্লানবদন হওয়াতে তুমি যাত্রা করিলে বটে; কিন্তু আমার দেবতাদিগকে কেন চুরি করিলে?

31. याकूब ने लाबान को उत्तर दिया, मैं यह सोचकर डर गया था : कि कहीं तू अपनी बेटियों को मुझ से छीन न ले।

31. যাকোব লাবনকে উত্তর করিলেন, আমি ভীত হইয়াছিলাম; কারণ ভাবিয়াছিলাম, পাছে আপনি আমা হইতে আপনার কন্যাগণকে বলে কাড়িয়া লন।

32. जिस किसी के पास तू अपने देवताओं को पाए, सो जीता न बचेगा। मेरे पास तेरा जो कुछ निकले, सो भाई- बन्धुओं के साम्हने पहिचानकर ले ले। क्योंकि याकूब न जानता था कि राहेल गृहदेवताओं को चुरा ले आई है।

32. আপনি যাহার কাছে আপনার দেবতাদিগকে পাইবেন, সে বাঁচিবে না। আমাদের কুটুম্বদের সাক্ষাতে অন্বেষণ করিয়া আমার কাছে আপনার যাহা আছে, তাহা লউন। বাস্তবিক যাকোব জানিতেন না যে, রাহেল সেগুলা চুরি করিয়াছেন।

33. यह सुनकर लाबान, याकूब और लिआ : और दोनों दासियों के तम्बुओं मे गया; और कुछ न मिला। तब लिआ: के तम्बू में से निकलकर राहेल के तम्बू में गया।

33. তখন লাবন যাকোবের তাম্বুতে ও লেয়ার তাম্বুতে ও দুই দাসীর তাম্বুতে প্রবেশ করিলেন, কিন্তু পাইলেন না। পরে তিনি লেয়ার তাম্বু হইতে রাহেলের তাম্বুতে প্রবেশ করিলেন।

34. राहेल तो गृहदेवताओं को ऊंट की काठी में रखके उन पर बैठी थी। सो लाबान ने उसके सारे तम्बू में टटोलने पर भी उन्हें न पाया।

34. কিন্তু রাহেল সেই ঠাকুরগুলাকে লইয়া উষ্ট্রের গদীর ভিতরে রাখিয়া তাহাদের উপরে বসিয়াছিলেন; সেই জন্য লাবন তাঁহার তাম্বুর সকল স্থান হাঁতড়াইলেও তাহাদিগকে পাইলেন না।

35. राहेल ने अपने पिता से कहा, हे मेरे प्रभु; इस से अप्रसन्न न हो, कि मैं तेरे साम्हने नहीं उठी; क्योंकि मैं स्त्रीधर्म से हूं। सो उसके ढूंढ़ ढांढ़ करने पर भी गृहदेवता उसको न मिले।

35. তখন রাহেল পিতাকে কহিলেন, কর্ত্তা, আপনার সাক্ষাতে আমি উঠিতে পারিলাম না, ইহাতে বিরক্ত হইবেন না, কেননা আমি স্ত্রীধর্ম্মিণী আছি। এইরূপে তিনি অন্বেষণ করিলেও সেই ঠাকুরগুলাকে পাইলেন না।

36. तब याकूब क्रोधित होकर लाबान से झगड़ने लगा, और कहा, मेरा क्या अपराध है? मेरा क्या पाप है, कि तू ने इतना क्रोधित होकर मेरा पीछा किया है ?

36. তখন যাকোব ক্রুদ্ধ হইয়া লাবনের সহিত বিবাদ করিতে লাগিলেন। যাকোব লাবনকে কহিলেন, আমার অধর্ম্ম কি, ও আমার পাপ কি যে, তুমি প্রজ্বলিত হইয়া আমার পশ্চাৎ পশ্চাৎ দৌড়িয়া আসিয়াছ?

37. तू ने जो मेरी सारी सामग्री को टटोलकर देखा, सो तुझ को सारी सामग्री में से क्या मिला? कुछ मिला हो तो उसको यहां अपने और मेरे भाइयों के सामहने रख दे, और वे हम दोनों के बीच न्याय करें।

37. তুমি আমার সকল সামগ্রী হাঁতড়াইয়া তোমার বাটীর কোন্ দ্রব্য পাইলে? আমার ও তোমার এই কুটুম্বদের সাক্ষাতে তাহা রাখ, ইহাঁরা উভয় পক্ষের বিচার করুন।

38. इन बीस वर्षों से मै तेरे पास रहा; उन में न तो तेरी भेड़- बकरियों के गर्भ गिरे, और न तेरे मेढ़ों का मांस मै ने कभी खाया।

38. এই বিংশতি বৎসর আমি তোমার নিকটে আছি; তোমার মেষীদের কি ছাগীদের গর্ভপাত হয় নাই, এবং আমি তোমার পালের মেষদিগকে খাই নাই;

39. जिसे बनैले जन्तुओं ने फाड़ डाला उसको मैं तेरे पास न लाता था, उसकी हानि मैं ही उठाता था; चाहे दिन को चोरी जाता चाहे रात को, तू मुझ ही से उसको ले लेता था।

39. বিদীর্ণ মেষ তোমার নিকটে আনিতাম না; সে ক্ষতি আপনি স্বীকার করিতাম; দিনে কিম্বা রাত্রিতে যাহা চুরি হইত, তাহার পরিবর্ত্ত তুমি আমা হইতে লইতে।

40. मेरी तो यह दशा थी, कि दिन को तो घाम और रात को पाला मुझे खा गया; और नीन्द मेरी आंखों से भाग जाती थी।

40. আমার এরূপ দশা হইত, আমি দিবাতে উত্তাপের ও রাত্রিতে শীতের গ্রাসে পতিত হইতাম; নিদ্রা আমার চক্ষু হইতে দূরে পলায়ন করিত।

41. बीस वर्ष तक मैं तेरे घर में रहो; चौदह वर्ष तो मै ने तेरी दोनो बेटियों के लिये, और छ: वर्ष तेरी भेड़- बकरियों के लिये सेवा की : और तू ने मेरी मजदूरी को दस बार बदल डाला।

41. এই বিংশতি বৎসর আমি তোমার বাটীতে রহিয়াছি; তোমার দুই কন্যার জন্য চৌদ্দ বৎসর, ও তোমার পশুপালের জন্য ছয় বৎসর দাস্যবৃত্তি করিয়াছি; ইহার মধ্যে তুমি দশ বার আমার বেতন অন্যথা করিয়াছ।

42. मेरे पिता का परमेश्वर अर्थात् इब्राहीम का परमेश्वर, जिसका भय इसहाक भी मानता है, यदि मेरी ओर न होता, तो निश्चय तू अब मुझे छूछे हाथ जाने देता। मेरे दु:ख और मेरे हाथों के परिश्रम को देखकर परमेश्वर ने बीती हुई रात में तुझे दपटा।

42. আমার পৈতৃক ঈশ্বর, অব্রাহামের ঈশ্বর ও ইস্‌হাকের ভয়স্থান যদি আমার পক্ষ না হইতেন, তবে অবশ্য এখন তুমি আমাকে রিক্তহস্তে বিদায় করিতে। ঈশ্বর আমার দুঃখ ও হস্তের পরিশ্রম দেখিয়াছেন, এই জন্য গত রাত্রিতে তোমাকে ধম্‌কাইলেন।

43. लाबान ले याकूब से कहा, ये बेटियों तो मेरी ही हैं, और ये पुत्रा भी मेरे ही हैं, और ये भेड़- बकरियों भी मेरी ही हैं, और जो कुछ तुझे देख पड़ता है सो सब मेरा ही है : और अब मैं अपनी इन बेटियों वा इनके सन्तान से क्या कर सकता हूं ?

43. তখন লাবন উত্তর করিয়া যাকোবকে কহিলেন, এই কন্যাগণ আমারই কন্যা, এই বালকেরা আমারই বালক, এবং এই পশুপাল আমারই পশুপাল; যাহা যাহা দেখিতেছ, এ সকলই আমার। এখন আমার এই কন্যাদিগকে ও ইহাদের প্রসূত এই বালকদিগকে আমি কি করিব?

44. अब आ मैं और तू दोनों आपस में वाचा बान्धें, और वह मेरे और तेरे बीच साक्षी ठहरी रहे।

44. আইস, তোমাতে ও আমাতে নিয়ম স্থির করি, তাহা তোমার ও আমার সাক্ষী থাকিবে।

45. तब याकूब ने एक पत्थर लेकर उसका खम्भा खड़ा किया।

45. তখন যাকোব এক প্রস্তর লইয়া স্তম্ভরূপে স্থাপন করিলেন।

46. तब याकूब ने अपने भाई- बन्धुओं से कहा, पत्थर इकट्ठा करो; यह सुनकर उन्हों ने पत्थर इकट्ठा करके एक ढेर लगाया और वहीं ढेर के पास उन्हों ने भोजन किया।

46. আর যাকোব আপন কুটুম্বদিগকে কহিলেন, আপনারাও প্রস্তর সংগ্রহ করুন। তাহাতে তাঁহারা প্রস্তর আনিয়া এক রাশি করিলেন, এবং সেই স্থানে ঐ রাশির নিকটে ভোজন করিলেন।

47. उस ढेर का नाम लाबान ने तो यज्र सहादुथा, पर याकूब ने जिलियाद रखा।

47. আর লাবন তাহার নাম যিগর্-সাহদূথা [সাক্ষি-রাশি] রাখিলেন, কিন্তু যাকোব তাহার নাম গল্-এদ [সাক্ষি-রাশি] রাখিলেন।

48. लाबान ने कहा, कि यह ढेर आज से मेरे और तेरे बीच साक्षी रहेगा। इस कारण उसका नाम जिलियाद रखा गया,

48. তখন লাবন কহিলেন, এই রাশি অদ্য তোমার ও আমার সাক্ষী থাকিল।

49. और मिजपा भी; क्योंकि उस ने कहा, कि जब हम उस दूसरे से दूर रहें तब यहोवा मेरी और तेरी देखभाल करता रहे।

49. এই জন্য তাহার নাম গিলিয়দ, এবং মিস্পা [প্রহরি-স্থান] রাখা গেল; কেননা তিনি কহিলেন, আমরা পরস্পর অদৃশ্য হইলে সদাপ্রভু আমার ও তোমার প্রহরী থাকিবেন।

50. यदि तू मेरी बेटियों को दु:ख दे, वा उनके सिवाय और स्त्रियां ब्याह ले, तो हमारे साथ कोई मनुष्य तो न रहेगा; पर देख मेरे तेरे बीच में परमेश्वर साक्षी रहेगा।

50. তুমি যদি আমার কন্যাদিগকে দুঃখ দেও, আর যদি আমার কন্যা ব্যতিরেকে অন্য স্ত্রীকে বিবাহ কর, তবে কোন মনুষ্য আমাদের নিকটে থাকিবে না বটে, কিন্তু দেখ, ঈশ্বর আমার ও তোমার সাক্ষী হইবেন।

51. फिर लाबान ने याकूब से कहा, इस ढेर को देख और इस खम्भे को भी देख, जिनको मैं ने अपने और तेरे बीच में खड़ा किया है।

51. লাবন যাকোবকে আরও কহিলেন, এই রাশি দেখ, এবং এই স্তম্ভ দেখ, আমার ও তোমার মধ্যে আমি ইহা স্থাপন করিলাম।

52. यह ढेर और यह खम्भा दोनों इस बात के साक्षी रहें, कि हानि करने की मनसा से न तो मैं इस ढेर को लांघकर तेरे पास जाऊंगा, न तू इस ढेर और इस खम्भे को लांघकर मेरे पास आएगा।

52. হিংসাভাবে আমিও এই রাশি পার হইয়া তোমার নিকটে যাইব না, এবং তুমিও এই রাশি ও এই স্তম্ভ পার হইয়া আমার নিকটে আসিবে না, ইহার সাক্ষী এই রাশি ও ইহার সাক্ষী এই স্তম্ভ;

53. इब्राहीम और नाहोर और उनके पिता; तीनों का जो परमेश्वर है, सो हम दोनो के बीच न्याय करे। तब याकूब ने उसकी शपथ खाई जिसका भय उसका पिता इसहाक मानता था।

53. অব্রাহামের ঈশ্বর, নাহোরের ঈশ্বর ও তাঁহাদের পিতার ঈশ্বর আমাদের মধ্যে বিচার করিবেন। তখন যাকোব আপন পিতা ইস্‌হাকের ভয়স্থানের দিব্য করিলেন।

54. और याकूब ने उस पहाड़ पर मेलबलि चढ़ाया, और अपने भाई- बन्धुओं को भोजन करने के लिये बुलाया, सो उन्हों ने भोजन करके पहाड़ पर रात बिताई।

54. পরে যাকোব সেই পর্ব্বতে বলিদান করিয়া আহার করিতে আপন কুটুম্বদিগকে নিমন্ত্রণ করিলেন, তাহাতে তাঁহারা ভোজন করিয়া পর্ব্বতে রাত্রি যাপন করিলেন।

55. बिहान को लाबान तड़के उठा, और अपने बेटे बेटियों को चूमकर और आशीर्वाद देकर चल दिया, और अपने स्थान को लौट गया।

55. পরে লাবন প্রত্যূষে উঠিয়া আপন পুত্র কন্যাগণকে চুম্বনপূর্ব্বক আশীর্ব্বাদ করিলেন। আর লাবন স্বস্থানে ফিরিয়া গেলেন।



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