1 Samuel - 1 शमूएल 9 | View All

1. बिन्यामीन के गोत्रा में कीश नाम का एक पुरूष था, जो अपीह के पुत्रा बकोरत का परपोता, और सरोर का पोता, और अबीएल का पुत्रा था; वह एक बिन्यामीनी पुरूष का पुत्रा और बड़ा शक्तिशाली सूरमा था।

1. Now there was a man of Benjamin named Kish, the son of Abiel, the son of Zeror, the son of Becorath, the son of Aphiah, a Benjamite, a man of wealth.

2. उसके शाऊल नाम एक जवान पुत्रा था, जो सुन्दर था, और इस्राएलियों में कोई उस से बढ़कर सुन्दर न था; वह इतना लम्बा था कि दूसरे लोग उसके कान्धे ही तक आते थे।

2. He had a son named Saul, a specially good-looking young man; there was no one better-looking among the children of Israel: he was taller by a head than any other of the people.

3. जब शाऊल के पिता कीश की गदहियां खो गईं, तब कीश ने अपने पुत्रा शाऊल से कहा, एक सेवक को अपने साथ ले जा और गदहियों को ढूंढ ला।

3. Now the asses of Saul's father Kish had gone wandering away. And Kish said to his son Saul, Take one of the servants with you, and get up and go in search of the asses.

4. तब वह एप्रैम के पहाड़ी देश और शलीशा देश होते हुए गया, परन्तु उन्हें न पाया। तब वे शालीम नाम देश भी होकर गए, और वहां भी न पाया। फिर बिन्यामीन के देश में गए, परन्तु गदहियां न मिलीं।

4. So they went through the hill-country of Ephraim and through the land of Shalishah, but they saw no sign of them: then they went through the land of Shaalim, but they were not there: and they went through the land of the Benjamites, but they did not come across them.

5. जब वे सूफ नाम देश में आए, तब शाऊल ने अपने साथ के सेवक से कहा, आ, हम लौट चलें, ऐसा न हो कि मेरा पिता गदहियों की चिन्ता छोड़कर हमारी चिन्ता करने लगे।

5. And when they had come to the land of Zuph, Saul said to the servant who was with him, Come, let us go back, or my father may give up caring about the asses and be troubled about us.

6. उस ने उस से कहा, सुन, इस नगर में परमेश्वर का एक जन है जिसका बड़ा आदरमान होता है; और जो कुछ वह कहता है वह बिना पूरा हुए नहीं रहता। अब हम उधर चलें, सम्भव है वह हम को हमार मार्ग बताए कि किधर जाएं।

6. But the servant said to him, See now, in this town there is a man of God, who is highly honoured, and everything he says comes true: let us go there now; it may be that he will give us directions about our journey.

7. शाऊल ने अपने सेवक से कहा, सुन, यदि हम उस पुरूष के पास चलें तो उसके लिये क्या ले चलें? देख, हमारी थैलियों में की रोटी चुक गई है और भेंट के योग्य कोई वस्तु है ही नहीं, जो हम परमेश्वर के उस जन को दें। हमारे पास क्या है?

7. Then Saul said to his servant, But if we go, what are we to take the man? all our bread is gone, and we have no offering to take to the man of God: what are we to do?

8. सेवक ने फिर शाऊल से कहा, कि मेरे पास तो एके शेकेल चान्दी की चौथाई है, वही मैं परमेश्वर के जन को दूंगा, कि वह हम को बताए कि किधर जाएं।

8. But the servant said in answer, I have here a fourth part of a shekel of silver: I will give that to the man of God, and he will give us directions about our way.

9. पूर्वकाल में तो इस्राएल में जब कोई ऐसा कहता था, कि चलो, हम दर्शी के पास चलें; क्योंकि जो आज कल नबी कहलाता है वह पूर्वकाल में दर्शी कहलाता था।

9. (In the past in Israel, when a man went to get directions from God, he said, Come let us go to the Seer, for he who now is named Prophet was in those days given the name of Seer.)

10. तब शाऊल ने अपने सेवक से कहा, तू ने भला कहा है; हम चलें। सो वे उस नगर को चले जहां परमेश्वर का जन था।

10. Then Saul said to his servant, You have said well; come, let us go. So they went to the town where the man of God was.

11. उस नगर की चढ़ाई पर चढ़ते समय उन्हें कई एक लड़कियां मिलीं जो पानी भरने को निकली थीं; उन्हों ने उन से पूछा, क्या दर्शी यहां है?

11. And when they were on the way up to the town, they saw some young girls going out to get water and said to them, Is the seer here?

12. उन्हों ने उत्तर दिया, कि है; देखो, वह तुम्हारे आगे है। अब फुर्ती करो; आज ऊंचे स्थान पर लोगों का यज्ञ है, इसलिये वह आज नगर में आया हुआ है।

12. And they said, He is; in fact he is before you: go quickly now, for he has come into the town today, for the people are making an offering in the high place today:

13. ज्योंही तुम नगर में पहुंचो त्योंही वह तुम को ऊंचे स्थान पर खाना खाने को जाने से पहिले मिलेगा; क्योंकि जब तक वह न पहुंचे तब तक लोग भोजन करेंगे, इसलिये कि यज्ञ के विषय में वही धन्यवाद करता; तब उसके पीछे ही न्योतहरी भोजन करते हैं। इसलिये तुम अभी चढ़ जाओ, इसी समय वह तुम्हें मिलेगा।

13. When you come into the town you will see him straight away, before he goes up to the high place for the feast: the people are waiting for his blessing before starting the feast, and after that the guests will take part in it. So go up now and you will see him.

14. वे नगर में चढ़ गए और ज्योंही नगर के भीतर पहुंचे त्योंही शमूएल ऊंचे स्थान पर चढ़ने की मनसा से उनके साम्हने आ रहा था।।

14. So they went up to the town, and when they came inside the town, Samuel came face to face with them on his way to the high place.

15. शाऊल के आने से एक दिन पहिले यहोवा ने शमूएल को यह चिता रखा था,

15. Now the day before Saul came, the word of God had come to Samuel, saying,

16. कि कल इसी समय मैं तेरे पास बिन्यामीन के देश से एक पुरूश को भेजूंगा, उसी को तू मेरी इस्राएली प्रजा के ऊपर प्रधान होने के लिये अभिषेक करता। और वह मेरी प्रजा को पलिश्तियों के हाथ से छुड़ाएगा; क्योंकि मैं ने अपनी प्रजा पर कृपा दृष्टि की है, इसलिये कि उनकी चिल्लाहट मेरे पास पंहुची है।

16. Tomorrow about this time I will send you a man from the land of Benjamin, and on him you are to put the holy oil, making him ruler over my people Israel, and he will make my people safe from the hands of the Philistines: for I have seen the sorrow of my people, whose cry has come up to me.

17. फिर जब शमूएल को शाऊल देख पड़ा, तब यहोवा ने उस से कहा, जिस पुरूष की चर्चा मैं ने तु से की थी वह यही है; मेरी प्रजा पर यही अधिकार करेगा।

17. And when Samuel saw Saul, the Lord said to him, This is the man of whom I gave you word! he it is who is to have authority over my people.

18. तब शाऊल फाटक में शमूएल के निकट जाकर कहने लगा, मुझे बता कि दर्शी का घर कहां है?

18. Then Saul came up to Samuel in the doorway of the town and said, Give me directions, if you will be so good, to the house of the seer.

19. उस ने कहा, दर्शी तो मैं हूं; मेरे आगे आगे ऊंचे स्थान पर चढ़ जा, क्योंकि आज के दिन तुम मेरे साथ भोरन खाओगे, और बिहान को जो कुछ तेरे मन में हो सब कुछ मैं तुझे बताकर विदा करूंगा।

19. Then Samuel said to Saul, I am the seer; go up before me to the high place and take food with me today: and in the morning I will let you go, after opening to you all the secrets of your heart.

20. और तेरी गदहियां जो तीन दिन तुए खो गई थीं उनकी कुछ भी चिन्ता न कर, क्योंकि वे मिल गईं। और इस्राएल में जो कुछ मनभाऊ है वह किस का है? क्या वह तेरा और तेरे पिता के सारे घराने का नहीं है?

20. As for your asses which have been wandering for three days, give no thought to them, for they have come back. And for whom are all the desired things in Israel? are they not for you and your father's family?

21. शाऊल ने उत्तर देकर कहा, क्या मैं बिन्यामीनी, अर्थात् सब इस्राएली गोत्रों में से छोटे गोत्रा का नहीं हूं? और क्या मेरा कुल बिन्यामीनी के गोत्रा के सारे कुलों में से छोटा नहीं है? इसलिये तू मुझ से ऐसी बातें क्यों कहता है?

21. And Saul said, Am I not a man of Benjamin, the smallest of all the tribes of Israel? and my family the least of the families of Benjamin? why then do you say these words to me?

22. तब शमूएल ने शाऊल और उसके सेवक को कोठरी में पहुंचाकर न्योताहारी, जो लगभग तीस जन थे, उनके साथ मुख्य स्थान पर बैठा दिया।

22. Then Samuel took Saul and his servant into the guest room, and made them take the chief place among all the guests who were there, about thirty persons.

23. फिर शमूएल ने रसोइये से कहा, जो टुकड़ा मैं ने तुझे देकर, अपने पास रख छोड़ने को कहा था, उसे ले आ।

23. And Samuel said to the cook, Give me that part which I gave you orders to keep by you.

24. तो रसोइये ने जांघ को मांस समेत उठाकर शाऊल के आगे धर दिया; तब शमूएल ने कहा, जो रखा गया था उसे देख, और अपने साम्हने धरके खा; क्योंकि वह तेरे लिये इसी नियत समय तक, जिसकी चर्चा करके मैं ने लोगों को न्योता दिया, रखा हुआ है। और शाऊल ने उस दिन शमूएल के साथ भोजन किया।

24. And the cook took up the leg with the fat tail on it, and put it before Saul. And Samuel said, This is the part which has been kept for you: take it as your part of the feast; because it has been kept for you till the right time came and till the guests were present. So that day Saul took food with Samuel.

25. तब वे ऊंचे स्थान से उतरकर नगर में आए, और उस ने घर की छत पर शाऊल से बातें कीं।

25. And when they had come down from the high place into the town, where a bed was made ready for Saul, he went to rest.

26. बिहान को वे तड़के उठे, और पह फटते फटते शमूएल ने शाऊल को छत पर बुलाकर कहा, उठ, मैं तुम को विदा करूंगा। तब शाऊल उठा, और वह और शमूएल दोनों बाहर निकल गए।

26. And about dawn Samuel said to Saul on the roof, Get up so that I may send you away. So Saul got up, and he and Samuel went out together.

27. और नगर के सिरे की उतराई पर चलते चलते शमूएल ने शाऊल से कहा, अपने सेवक को हम से आगे बढ़ने की आज्ञा दे, (वह आगे बढ़ गया,) परन्तु तू अभी खड़ा रह कि मैं तुझे परमेश्वर का वचन सुनाऊं।।

27. And on their way down to the end of the town, Samuel said to Saul, Give your servant orders to go on in front of us, (so he went on,) but you keep here, so that I may give you the word of God.



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