Deuteronomy - व्यवस्थाविवरण 28 | View All

1. यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा की सब आज्ञाएं, जो मैं आज तुझे सुनाता हूं, चौकसी से पूरी करने का चित्त लगाकर उसकी सुने, तो वह तुझे पृथ्वी की सब जातियों में श्रेष्ठ करेगा।

1. 'And it hath been, if thou dost hearken diligently to the voice of Jehovah thy God, to observe to do all His commands which I am commanding thee to-day, that Jehovah thy God hath made thee uppermost above all the nations of the earth,

2. फिर अपने परमेश्वर यहोवा की सुनने के कारण ये सब आर्शीवाद तुझ पर पूरे होंगे।

2. and all these blessings have come upon thee, and overtaken thee, because thou dost hearken to the voice of Jehovah thy God:

3. धन्य हो तू नगर में, धन्य हो तू खेत में।

3. 'Blessed [art] thou in the city, and blessed [art] thou in the field.

4. धन्य हो तेरी सन्तान, और तेरी भूमि की उपज, और गाय और भेड़- बकरी आदि पशुओं के बच्चे।
लूका 1:42

4. 'Blessed [is] the fruit of thy womb, and the fruit of thy ground, and the fruit of thy cattle, increase of thine oxen, and wealth of thy flock.

5. धन्य हो तेरी टोकरी और तेरी कठौती।

5. 'Blessed [is] thy basket and thy kneading-trough.

6. धन्य हो तू भीतर आते समय, और धन्य हो तू बाहर जाते समय।

6. 'Blessed [art] thou in thy coming in, and blessed [art] thou in thy going out.

7. यहोवा ऐसा करेगा कि तेरे शत्रु जो तुझ पर चढ़ाई करेंगे वे तुझ से हार जाएंगे; वे एक मार्ग से तुझ पर चढ़ाई करेंगे, परन्तु तेरे साम्हने से सात मार्ग से होकर भाग जाएंगे।

7. 'Jehovah giveth thine enemies, who are rising up against thee -- smitten before thy face; in one way they come out unto thee, and in seven ways they flee before thee.

8. तेरे खत्तों पर और जितने कामों में तू हाथ लगाएगा उन सभों पर यहोवा आशीष देगा; इसलिये जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उस में वह तुझे आशीष देगा।

8. 'Jehovah commandeth with thee the blessing in thy storehouses, and in every putting forth of thy hand, and hath blessed thee in the land which Jehovah thy God is giving to thee.

9. यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञाओं को मानते हुए उसके मार्गों पर चले, तो वह अपनी शपथ के अनुसार तुझै अपनी पवित्रा प्रजा करके स्थिर रखेगा।

9. 'Jehovah doth establish thee to Himself for a holy people, as He hath sworn to thee, when thou keepest the commands of Jehovah thy God, and hast walked in His ways;

10. और पृथ्वी के देश देश के सब लोग यह देखकर, कि तू यहोवा का कहलाता है, तुझ से डर जाएंगे।

10. and all the peoples of the land have seen that the name of Jehovah is called upon thee, and they have been afraid of thee.

11. और जिस देश के विषय यहोवा ने तेरे पूर्वजों से शपथ खाकर तुझे देने को कहा, था उस में वह तेरी सन्तान की, और भूमि की उपज की, और पशुओं की बढ़ती करके तेरी भलाई करेगा।

11. 'And Jehovah hath made thee abundant in good, in the fruit of the womb, and in the fruit of thy cattle, and in the fruit of thy ground, on the ground which Jehovah hath sworn to thy fathers to give to thee.

12. यहोवा तेरे लिये अपने आकाशरूपी उत्तम भण्डार को खोलकर तेरी भूमि पर समय पर मेंह बरसाया करेगा, और तेरे सारे कामों पर आशीष देगा; और तू बहुतेरी जातियों को उधार देगा, परन्तु किसी से तुझे उधार लेना न पड़ेगा।

12. 'Jehovah doth open to thee his good treasure -- the heavens -- to give the rain of thy land in its season, and to bless all the work of thy hand, and thou hast lent to many nations, and thou -- thou dost not borrow.

13. और यहोवा तुझ को पुंछ नहीं, किन्तु सिर ही ठहराएगा, और तू नीचे नहीं, परन्तु ऊपर ही रहेगा; यदि परमेश्वर यहोवा की आज्ञाएं जो मैं आज तुझ को सुनाता हूं, तू उनके मानने में मन लगाकर चौकसी करे;

13. 'And Jehovah hath given thee for head, and not for tail; and thou hast been only above, and art not beneath, for thou dost hearken unto the commands of Jehovah thy God, which I am commanding thee to-day, to keep and to do,

14. और जिन वचनों की मैं आज तुझे आज्ञा देता हूं उन में से किसी से दहिने वा बाएं मुड़के पराये देवताओं के पीछे न हो ले, और न उनकी सेवा करे।।

14. and thou dost not turn aside from all the words which I am commanding you to-day -- right or left -- to go after other gods, to serve them.

15. परन्तु यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा की बात न सुने, और उसकी सारी आज्ञाओं और विधियों के पालने में जो मैं आज सुनाता हूं चौकसी नहीं करेगा, तो ये सब शाप तुझ पर आ पड़ेंगे।

15. 'And it hath been, if thou dost not hearken unto the voice of Jehovah thy God to observe to do all His commands, and His statutes, which I am commanding thee to-day, that all these revilings have come upon thee, and overtaken thee:

16. अर्थात् शापित हो तू नगर में, शापित हो तू खेत में।

16. 'Cursed [art] thou in the city, and cursed [art] thou in the field.

17. शापित हो तेरी टोकरी और तेरी कठौती।

17. 'Cursed [is] thy basket and thy kneading-trough.

18. शापित हो तेरी सन्तान, और भूमि की उपज, और गायों और भेड़- बकरियों के बच्चे।

18. 'Cursed [is] the fruit of thy body, and the fruit of thy land, increase of thine oxen, and wealth of thy flock.

19. शापित हो तू भीतर आते समय, और शापित हो तू बाहर जाते समय।

19. 'Cursed [art] thou in thy coming in, and cursed [art] thou in thy going out.

20. फिर जिस जिस काम में तू हाथ लगाए, उस में यहोवा तब तक तुझ को शाप देता, और भयातुरं करता, और धमकी देता रहेगा, जब तक तू मिट न जाए, और शीघ्र नष्ट न हो जाए; यह इस कारण होगा कि तू यहोवा को त्यागकर दुष्ट काम करेगा।

20. 'Jehovah doth send on thee the curse, the trouble, and the rebuke, in every putting forth of thy hand which thou dost, till thou art destroyed, and till thou perish hastily, because of the evil of thy doings [by] which thou hast forsaken Me.

21. और यहोवा ऐसा करेगा कि मरी तुझ में फैलकर उस समय तक लगी रहेगी, जब तक जिस भूमि के अधिकारी होने के लिये तू जा रहा है उस से तेरा अन्त न हो जाए।

21. 'Jehovah doth cause to cleave to thee the pestilence, till He consume thee from off the ground whither thou art going in to possess it.

22. यहोवा तुझ को क्षयरोग से, और ज्वर, और दाह, और बड़ी जलन से, और तलवार से, और झुलस, और गेरूई से मारेगा; और ये उस समय तक तेरा पीछा किये रहेंगे, तब तक तू सत्यानाश न हो जाए।

22. 'Jehovah doth smite thee with consumption, and with fever, and with inflammation, and with extreme burning, and with sword, and with blasting, and with mildew, and they have pursued thee till thou perish

23. और तेरे सिर के ऊपर आकाश पीतल का, और तेरे पांव के तले भूमि लोहे की हो जाएगी।

23. 'And thy heavens which [are] over thy head have been brass, and the earth which [is] under thee iron;

24. यहोवा तेरे देश में पानी के बदले बालू और धूलि बरसाएगा; वह आकाश से तुझ पर यहां तक बरसेगी कि तू सत्यानाश हो जाएगा।

24. Jehovah giveth the rain of thy land -- dust and ashes; from the heavens it cometh down on thee till thou art destroyed.

25. यहोवा तुझ को शत्रुओं से हरवाएगा; और तू एक मार्ग से उनका साम्हना करने को जाएगा, परन्तु सात मार्ग से होकर उनके साम्हने से भाग जाएगा; और पृथ्वी के सब राज्यों में मारा मारा फिरेगा।

25. 'Jehovah giveth thee smitten before thine enemies; in one way thou goest out unto them, and in seven ways dost flee before them, and thou hast been for a trembling to all kingdoms of the earth;

26. और तेरी लोथ आकाश के भांति भांति के पक्षियों, और धरती के पशुओं का आहार होगी; और उनका कोई हाँकनेवाला न होगा।

26. and thy carcase hath been for food to every fowl of the heavens, and to the beast of the earth, and there is none causing trembling.

27. यहोवा तुझ को मि के से फोड़े, और बवासीर, और दाद, और खुजली से ऐसा पीड़ित करेगा, कि तू चंगा न हो सकेगा।

27. 'Jehovah doth smite thee with the ulcer of Egypt, and with emerods, and with scurvy, and with itch, of which thou art not able to be healed.

28. यहोवा तुझे पागल और अन्धा कर देगा, और तेरे मन को अत्यन्त घबरा देगा;

28. 'Jehovah doth smite thee with madness, and with blindness, and with astonishment of heart;

29. और जैसे अन्धा अन्धियारे में टटोलता है वैसे ही तू दिन दुपहरी में टटोलता फिरेगा, और तेरे काम काज सुफल न होंगे; और तू सदैव केवल अन्धेर सहता और लुटता ही रहेगा, और तेरा कोई छुड़ानेवाला न होगा।

29. and thou hast been gropling at noon, as the blind gropeth in darkness; and thou dost not cause thy ways to prosper; and thou hast been only oppressed and plundered all the days, and there is no saviour.

30. तू स्त्री से ब्याह की बात लगाएगा, परन्तु दूसरा पुरूष उसको भ्रष्ट करेगा; घर तू बनाएगा, परन्तु उस में बसने न पाएगा; दाख की बारी तू लगाएगा, परन्तु उसके फल खाने न पाएगा।

30. 'A woman thou dost betroth, and another man doth lie with her; a house thou dost build, and dost not dwell in it; a vineyard thou dost plant, and dost not make it common;

31. तेरा बैल तेरी आंखों के साम्हने मारा जाएगा, और तू उसका मांस खाने न पाएगा; तेरा गदहा तेरी आंख के साम्हने लूट में चला जाएगा, और तुझे फिर न मिलेगा; तेरी भेड़- बकरियां तेरे शत्रुओं के हाथ लग जाएंगी, और तेरी ओर से उनका कोई छुडानेवाला न होगा।

31. thine ox [is] slaughtered before thine eyes, and thou dost not eat of it; thine ass [is] taken violently away from before thee, and it is not given back to thee; thy sheep [are] given to thine enemies, and there is no saviour for thee.

32. तेरे बेटे- बेटियां दूसरे देश के लोगों के हाथ लग जाएंगे, और उनके लिये चाव से देखते देखते तेरी आंखे रह जाएंगी; और तेरा कुछ बस न चलेगा।

32. 'Thy sons and thy daughters [are] given to another people, and thine eyes are looking and consuming for them all the day, and thy hand is not to God!

33. तेरी भूमि की उपज और तेरी सारी कमाई एक अनजाने देश के लोगे खा जाएंगे; और सर्वदा तू केवल अन्धेर सहता और पीसा जाता रहेगा;

33. The fruit of thy ground, and all thy labour, eat up doth a people whom thou hast not known; and thou hast been only oppressed and bruised all the days;

34. यहां तक कि तू उन बातों के कारण जो अपनी आंखों से देखेगा पागल हो जाएगा।

34. and thou hast been mad, because of the sight of thine eyes which thou dost see.

35. यहोवा तेरे घुटनों और टांगों में, वरन नख से शिख तक भी असाध्य फोड़े निकालकर तुझ को पीड़ित करेगा।
प्रकाशितवाक्य 16:2

35. 'Jehovah doth smite thee with an evil ulcer, on the knees, and on the legs (of which thou art not able to be healed), from the sole of thy foot even unto thy crown.

36. यहोवा तुझ को उस राजा समेत, जिस को तू अपने ऊपर ठहराएगा, तेरी और तेरे पूर्वजों से अनजानी एक जाति के बीच पहुंचाएगा; और उसके मध्य में रहकर तू काठ और पत्थर के दूसरे देवताओं की उपासना और पूजा करेगा।

36. 'Jehovah doth cause thee to go, and thy king whom thou raisest up over thee, unto a nation which thou hast not known, thou and thy fathers, and thou hast served there other gods, wood and stone;

37. और उन सब जातियों में जिनके मध्य में यहोवा तुझ को पहुंचाएगा, वहां के लोगों के लिये तू चकित होने का, और दृष्टान्त और शाप का कारण समझा जाएगा।

37. and thou hast been for an astonishment, for a simile, and for a byword among all the peoples whither Jehovah doth lead thee.

38. तू खेत में बीज तो बहुत सा ले जाएगा, परन्तु उपज थोड़ी ही बटोरेगा; क्योंकि टिडि्डयां उसे खा जाएंगी।

38. 'Much seed thou dost take out into the field, and little thou dost gather in, for the locust doth consume it;

39. तू दाख की बारियां लगाकर उन मे काम तो करेगा, परन्तु उनकी दाख का मधु पीने न पाएगा, वरन फल भी तोड़ने न पाएगा; क्योंकि कीड़े उनको खा जाएंगे।

39. vineyards thou dost plant, and hast laboured, and wine thou dost not drink nor gather, for the worm doth consume it;

40. तेरे सारे देश में जलपाई के वृक्ष तो होंगे, परन्तु उनका तेल तू अपने शरीर में लगाने न पाएगा; क्योंकि वे झड़ जाएंगे।

40. olives are to thee in all thy border, and oil thou dost not pour out, for thine olive doth fall off.

41. तेरे बेटे- बेटियां तो उत्पन्न होंगे, परन्तु तेरे रहेंगे नहीं; क्योंकि वे बन्धुवाई में चले जाएंगे।

41. 'Sons and daughters thou dost beget, and they are not with thee, for they go into captivity;

42. तेरे सब वृक्ष और तेरी भूमि की उपज टिडि्डयां खा जाएंगी।

42. all thy trees and the fruit of thy ground doth the locust possess;

43. जो परदेशी तेरे मध्य में रहेगा वह तुझ से बढ़ता जाएगा; और तू आप घटता चला जाएगा।

43. the sojourner who [is] in thy midst goeth up above thee very high, and thou goest down very low;

44. वह तुझ को उधार देगा, परन्तु तू उसको उधार न दे सकेगा; वह तो सिर और तू पूंछ ठहरेगा।

44. he doth lend [to] thee, and thou dost not lend [to] him; he is for head, and thou art for tail.

45. तू जो अपने परमेश्वर यहोवा की दी हुई आज्ञाओं और विधियों के मानने को उसकी न सुनेगा, इस कारण ये सब शाप तुझ पर आ पड़ेंगे, और तेरे पीछे पड़े रहेंगे, और तुझ को पकड़ेंगे, और अन्त में तू नष्ट हो जाएगा।

45. 'And come upon thee have all these curses, and they have pursued thee, and overtaken thee, till thou art destroyed, because thou hast not hearkened to the voice of Jehovah thy God, to keep His commands, and His statutes, which he hath commanded thee;

46. और वे तुझ पर और तेरे वंश पर सदा के लिये बने रहकर चिन्ह और चमत्कार ठहरेंगे;

46. and they have been on thee for a sign and for a wonder, also on thy seed -- to the age.

47. तू जो सब पदार्थ की बहुतायत होने पर भी आनन्द और प्रसन्नता के साथ अपने परमेश्वर यहोवा की सेवा नहीं करेगा,

47. 'Because that thou hast not served Jehovah thy God with joy, and with gladness of heart, because of the abundance of all things --

48. इस कारण तुझ को भूखा, प्यासा, नंगा, और सब पदार्थों से रहित होकर अपने उन शत्रुओं की सेवा करनी पड़ेगी जिन्हें यहोवा तेरे विरूद्ध भेजेगा; और जब तक तू नष्ट न हो जाए तब तक वह तेरी गर्दन पर लेहे का जूआ डाल रखेगा।

48. thou hast served thine enemies, whom Jehovah sendeth against thee, in hunger, and in thirst, and in nakedness, and in lack of all things; and he hath put a yoke of iron on thy neck, till He hath destroyed thee.

49. यहोवा तेरे विरूद्ध दूर से, वरन पृथ्वी के छोर से वेग उड़नेवाले उकाब सी एक जाति को चढ़ा लाएगा जिसकी भाषा को तू न समझेगा;

49. 'Jehovah doth lift up against thee a nation, from afar, from the end of the earth, as the eagle it flieth; a nation whose tongue thou hast not heard,

50. उस जाति के लोगों का व्यवहार क्रूर होगा, वे न तो बूढ़ों का मुंह देखकर आदर करेंगे, और न बालकों पर दया करेंगे;

50. a nation -- fierce of countenance -- which accepteth not the face of the aged, and the young doth not favour;

51. और वे तेरे पशुओं के बच्चे और भूमि की उपज यहां तक खा जांएगे कि तू नष्ट हो जाएगा; और वे तेरे लिये न अन्न, और न नया दाखमधु, और न टटका तेल, और न बछड़े, न मेम्ने छोड़ेंगे, यहां तक कि तू नाश हो जाएगा।

51. and it hath eaten the fruit of thy cattle, and the fruit of thy ground, till thou art destroyed; which leaveth not to thee corn, new wine, and oil, increase of thine oxen, and wealth of thy flock, till it hath destroyed thee.

52. और वे तेरे परमेश्वर यहोवा के दिये हुए सारे देश के सब फाटकों के भीतर तुझे घेर रखेंगे; वे तेरे सब फाटकों के भीतर तुझे उस समय तक घेरेंगे, जब तक तेरे सारे देश में तेरी ऊंची ऊंची और दृढ़ शहरपनाहें जिन पर तू भरोसा करेगा गिर न जाएं।

52. 'And it hath laid siege to thee in all thy gates, till thy walls come down, the high and the fenced ones in which thou art trusting, in all thy land; yea, it hath laid siege to thee in all thy gates, in all thy land, which Jehovah thy God hath given to thee;

53. तब घिर जाने और उस सकेती के समय जिस में तेरे शत्रु तुझ को डालेंगे, तू अपने निज जन्माए बेटे- बेटियों का मांस जिन्हें तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ को देगा खाएगा।

53. and thou hast eaten the fruit of thy body, flesh of thy sons and thy daughters (whom Jehovah thy God hath given to thee), in the siege, and in the straitness with which thine enemies do straiten thee.

54. और तुझ में जो पुरूष कोमल और अति सुकुमार हो वह भी अपने भाई, और अपनी प्राणप्यारी, और अपने बचे हुए बालकों को क्रूर दृष्टि से देखेगा;

54. 'The man who is tender in thee, and who [is] very delicate -- his eye is evil against his brother, and against the wife of his bosom, and against the remnant of his sons whom he leaveth,

55. और वह उन में से किसी को भी अपने बालकों के मांस में से जो वह आप खाएगा कुछ न देगा, क्योंकि घिर जाने और उस सकेती में, जिस में तेरे शत्रु तेरे सारे फाटकों के भीतर तुझे घेर डालेंगे, उसके पास कुछ न रहेगा।

55. against giving to one of them of the flesh of his sons whom he eateth, because he hath nothing left to him, in the siege, and in the straitness with which thine enemy doth straiten thee in all thy gates.

56. और तुझ में जो स्त्री यहां तक कोमल और सुकुमार हो कि सुकुमारपन के और कोमलता के मारे भूमि पर पांव धरते भी डरती हो, वह भी अपने प्राणप्रिय पति, और बेटे, और बेटी को,

56. 'The tender woman in thee, and the delicate, who hath not tried the sole of her foot to place on the ground because of delicateness and because of tenderness -- her eye is evil against the husband of her bosom, and against her son, and against her daughter,

57. अपनी खेरी, वरन अपने जने हुए बच्चों को क्रूर दृष्टि से देखेगी, क्योंकि घिर जाने और सकेती के समय जिस में तेरे शत्रु तुझे तेरे फाटकों के भीतर घेरकर रखेंगे, वह सब वस्तुओं की घटी के मारे उन्हें छिप के खाएगी।

57. and against her seed which cometh out from between her feet, even against her sons whom she doth bear, for she doth eat them for the lacking of all things in secret, in the siege and in the straitness with which thine enemy doth straiten thee within thy gates.

58. यदि तू इन व्यवस्था के सारे वचनों के पालने में, जो इस पुस्तक में लिखें है, चौकसी करके उस आदरनीय और भययोग्य नाम का, जो यहोवा तेरे परमेश्वर का है भय न माने,

58. 'If thou dost not observe to do all the words of this law which are written in this book, to fear this honoured and fearful name -- Jehovah thy God --

59. तो यहोवा तुझ को और तेरे वंश को अनोखे अनोखे दण्ड देगा, वे दुष्ट और बहुत दिन रहनेवाले रोग और भारी भारी दण्ड होंगे।

59. then hath Jehovah made wonderful thy strokes, and the strokes of thy seed -- great strokes, and stedfast, and evil sicknesses, and stedfast.

60. और वह मि के उन सब रोगों को फिर तेरे ऊपर लगा देगा, जिन से तू भय खाता था; और वे तुझ में लगे रहेंगे।

60. 'And He hath brought back on thee all the diseases of Egypt, of the presence of which thou hast been afraid, and they have cleaved to thee;

61. और जितने रोग आदि दण्ड इस व्यवस्था की पुस्तक में नहीं लिखे हैं, उन सभों को भी यहोवा तुझ को यहां तक लगा देगा, कि तू सत्यानाश हो जाएगा।

61. also every sickness and every stroke which is not written in the book of this law; Jehovah doth cause them to go up upon thee till thou art destroyed,

62. और तू जो अपने परमेश्वर यहोवा की न मानेगा, इस कारण आकाश के तारों के समान अनगिनित होने की सन्ती तुझ में से थोड़े ही मनुष्य रह जाएंगे।

62. and ye have been left with few men, instead of which ye have been as stars of the heavens for multitude, because thou hast not hearkened to the voice of Jehovah thy God.

63. और जैसे अब यहोवा की तुम्हारी भलाई और बढ़ती करने से हर्ष होता है, वैसे ही तब उसको तुम्हें नाश वरन सत्यानाश करने से हर्ष होगा; और जिस भूमि के अधिकारी होने को तुम जा रहे हो उस पर से तुम उखाड़े जाओगे।

63. 'And it hath been, as Jehovah hath rejoiced over you to do you good, and to multiply you, so doth Jehovah rejoice over you to destroy you, and to lay you waste; and ye have been pulled away from off the ground whither thou art going in to possess it;

64. और यहोवा तुझ को पृथ्वी के इस छोर से लेकर उस छोर तक के सब देशों के लोगों में तित्तर बित्तर करेगा; और वहां रहकर तू अपने और अपने पुरखाओं के अनजाने काठ और पत्थर के दूसरे देवताओं की उपासना करेगा।

64. and Jehovah hath scattered thee among all the peoples, from the end of the earth even unto the end of the earth; and thou hast served there other gods which thou hast not known, thou and thy fathers -- wood and stone.

65. और उन जातियों में तू कभी चैन न पाएगा, और न तेरे पांव को ठिकाना मिलेगा; क्योंकि वहां यहोवा ऐसा करेगा कि तेरा हृदय कांपता रहेगा, और तेरी आंखे धुंधली पड़ जाएगीं, और तेरा मन कलपता रहेगा;

65. 'And among those nations thou dost not rest, yea, there is no resting-place for the sole of thy foot, and Jehovah hath given to thee there a trembling heart, and failing of eyes, and grief of soul;

66. और तुझ को जीवन का नित्य सन्देह रहेगा; और तू दिन रात थरथराता रहेगा, और तेरे जीवन का कुछ भरोसा न रहेगा।

66. and thy life hath been hanging in suspense before thee, and thou hast been afraid by night and by day, and dost not believe in thy life;

67. तेरे मन में जो भय बना रहेगा, उसके कारण तू भोर को आह मारके कहेगा, कि सांझ कब होगी! और सांझ को आह मारके कहेगा, कि भोर कब होगा।

67. in the morning thou sayest, O that it were evening! and in the evening thou sayest, O that it were morning! from the fear of thy heart, with which thou art afraid, and from the sight of thine eyes which thou seest.

68. और यहोवा तुझ को नावों पर चढ़ाकर मि में उस मार्ग से लौटा देगा, जिसके विषय में मैं ने तुझ से कहा था, कि वह फिर तेरे देखने में न आएगा; और वहंा तुम अपने शत्रुओं के हाथ दास- दासी होने के लिये बिकाऊ तो रहोगे, परन्तु तुम्हारा कोई ग्राहक न होगा।।

68. 'And Jehovah hath brought thee back to Egypt with ships, by a way of which I said to thee, Thou dost not add any more to see it, and ye have sold yourselves there to thine enemies, for men-servants and for maid-servants, and there is no buyer.'



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