Deuteronomy - व्यवस्थाविवरण 28 | View All

1. यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा की सब आज्ञाएं, जो मैं आज तुझे सुनाता हूं, चौकसी से पूरी करने का चित्त लगाकर उसकी सुने, तो वह तुझे पृथ्वी की सब जातियों में श्रेष्ठ करेगा।

1. Now if you give ear to the voice of the Lord your God, and keep with care all these orders which I have given you today, then the Lord your God will put you high over all the nations of the earth:

2. फिर अपने परमेश्वर यहोवा की सुनने के कारण ये सब आर्शीवाद तुझ पर पूरे होंगे।

2. And all these blessings will come on you and overtake you, if your ears are open to the voice of the Lord your God.

3. धन्य हो तू नगर में, धन्य हो तू खेत में।

3. A blessing will be on you in the town, and a blessing in the field.

4. धन्य हो तेरी सन्तान, और तेरी भूमि की उपज, और गाय और भेड़- बकरी आदि पशुओं के बच्चे।
लूका 1:42

4. A blessing will be on the fruit of your body, and on the fruit of your land, on the fruit of your cattle, the increase of your herd, and the young of your flock.

5. धन्य हो तेरी टोकरी और तेरी कठौती।

5. A blessing will be on your basket and on your bread-basin.

6. धन्य हो तू भीतर आते समय, और धन्य हो तू बाहर जाते समय।

6. A blessing will be on your coming in and on your going out.

7. यहोवा ऐसा करेगा कि तेरे शत्रु जो तुझ पर चढ़ाई करेंगे वे तुझ से हार जाएंगे; वे एक मार्ग से तुझ पर चढ़ाई करेंगे, परन्तु तेरे साम्हने से सात मार्ग से होकर भाग जाएंगे।

7. By the power of the Lord, those who take arms against you will be overcome before you: they will come out against you one way, and will go in flight from you seven ways.

8. तेरे खत्तों पर और जितने कामों में तू हाथ लगाएगा उन सभों पर यहोवा आशीष देगा; इसलिये जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उस में वह तुझे आशीष देगा।

8. The Lord will send his blessing on your store-houses and on everything to which you put your hand: his blessing will be on you in the land which the Lord your God is giving you.

9. यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञाओं को मानते हुए उसके मार्गों पर चले, तो वह अपनी शपथ के अनुसार तुझै अपनी पवित्रा प्रजा करके स्थिर रखेगा।

9. The Lord will keep you as a people holy to himself, as he has said to you in his oath, if you keep the orders of the Lord your God and go on walking in his ways.

10. और पृथ्वी के देश देश के सब लोग यह देखकर, कि तू यहोवा का कहलाता है, तुझ से डर जाएंगे।

10. And all the peoples of the earth will see that the name of the Lord is on you, and they will go in fear of you.

11. और जिस देश के विषय यहोवा ने तेरे पूर्वजों से शपथ खाकर तुझे देने को कहा, था उस में वह तेरी सन्तान की, और भूमि की उपज की, और पशुओं की बढ़ती करके तेरी भलाई करेगा।

11. And the Lord will make you fertile in every good thing, in the fruit of your body, and the fruit of your cattle, and the fruit of your fields, in the land which the Lord, by his oath to your fathers, said he would give you.

12. यहोवा तेरे लिये अपने आकाशरूपी उत्तम भण्डार को खोलकर तेरी भूमि पर समय पर मेंह बरसाया करेगा, और तेरे सारे कामों पर आशीष देगा; और तू बहुतेरी जातियों को उधार देगा, परन्तु किसी से तुझे उधार लेना न पड़ेगा।

12. Opening his store-house in heaven, the Lord will send rain on your land at the right time, blessing all the work of your hands: other nations will make use of your wealth, and you will have no need of theirs.

13. और यहोवा तुझ को पुंछ नहीं, किन्तु सिर ही ठहराएगा, और तू नीचे नहीं, परन्तु ऊपर ही रहेगा; यदि परमेश्वर यहोवा की आज्ञाएं जो मैं आज तुझ को सुनाता हूं, तू उनके मानने में मन लगाकर चौकसी करे;

13. The Lord will make you the head and not the tail; and you will ever have the highest place, if you give ear to the orders of the Lord your God which I give you today, to keep and to do them;

14. और जिन वचनों की मैं आज तुझे आज्ञा देता हूं उन में से किसी से दहिने वा बाएं मुड़के पराये देवताओं के पीछे न हो ले, और न उनकी सेवा करे।।

14. Not turning away from any of the orders which I give you today, to the right hand or to the left, or going after any other gods to give them worship.

15. परन्तु यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा की बात न सुने, और उसकी सारी आज्ञाओं और विधियों के पालने में जो मैं आज सुनाता हूं चौकसी नहीं करेगा, तो ये सब शाप तुझ पर आ पड़ेंगे।

15. But if you do not give ear to the voice of the Lord your God, and take care to do all his orders and his laws which I give you today, then all these curses will come on you and overtake you:

16. अर्थात् शापित हो तू नगर में, शापित हो तू खेत में।

16. You will be cursed in the town and cursed in the field.

17. शापित हो तेरी टोकरी और तेरी कठौती।

17. A curse will be on your basket and on your bread-basin.

18. शापित हो तेरी सन्तान, और भूमि की उपज, और गायों और भेड़- बकरियों के बच्चे।

18. A curse will be on the fruit of your body, and on the fruit of your land, on the increase of your cattle, and the young of your flock.

19. शापित हो तू भीतर आते समय, और शापित हो तू बाहर जाते समय।

19. You will be cursed when you come in and cursed when you go out.

20. फिर जिस जिस काम में तू हाथ लगाए, उस में यहोवा तब तक तुझ को शाप देता, और भयातुरं करता, और धमकी देता रहेगा, जब तक तू मिट न जाए, और शीघ्र नष्ट न हो जाए; यह इस कारण होगा कि तू यहोवा को त्यागकर दुष्ट काम करेगा।

20. The Lord will send on you cursing and trouble and punishment in everything to which you put your hand, till sudden destruction overtakes you; because of your evil ways in which you have been false to me.

21. और यहोवा ऐसा करेगा कि मरी तुझ में फैलकर उस समय तक लगी रहेगी, जब तक जिस भूमि के अधिकारी होने के लिये तू जा रहा है उस से तेरा अन्त न हो जाए।

21. The Lord will send disease after disease on you, till you have been cut off by death from the land to which you are going.

22. यहोवा तुझ को क्षयरोग से, और ज्वर, और दाह, और बड़ी जलन से, और तलवार से, और झुलस, और गेरूई से मारेगा; और ये उस समय तक तेरा पीछा किये रहेंगे, तब तक तू सत्यानाश न हो जाए।

22. The Lord will send wasting disease, and burning pain, and flaming heat against you, keeping back the rain till your land is waste and dead; so will it be till your destruction is complete.

23. और तेरे सिर के ऊपर आकाश पीतल का, और तेरे पांव के तले भूमि लोहे की हो जाएगी।

23. And the heaven over your heads will be brass, and the earth under you hard as iron.

24. यहोवा तेरे देश में पानी के बदले बालू और धूलि बरसाएगा; वह आकाश से तुझ पर यहां तक बरसेगी कि तू सत्यानाश हो जाएगा।

24. The Lord will make the rain of your land powder and dust, sending it down on you from heaven till your destruction is complete.

25. यहोवा तुझ को शत्रुओं से हरवाएगा; और तू एक मार्ग से उनका साम्हना करने को जाएगा, परन्तु सात मार्ग से होकर उनके साम्हने से भाग जाएगा; और पृथ्वी के सब राज्यों में मारा मारा फिरेगा।

25. The Lord will let you be overcome by your haters: you will go out against them one way, and you will go in flight before them seven ways: you will be the cause of fear among all the kingdoms of the earth.

26. और तेरी लोथ आकाश के भांति भांति के पक्षियों, और धरती के पशुओं का आहार होगी; और उनका कोई हाँकनेवाला न होगा।

26. Your bodies will be meat for all the birds of the air and the beasts of the earth; there will be no one to send them away.

27. यहोवा तुझ को मि के से फोड़े, और बवासीर, और दाद, और खुजली से ऐसा पीड़ित करेगा, कि तू चंगा न हो सकेगा।

27. The Lord will send on you the disease of Egypt, and other sorts of skin diseases which nothing will make well.

28. यहोवा तुझे पागल और अन्धा कर देगा, और तेरे मन को अत्यन्त घबरा देगा;

28. He will make your minds diseased, and your eyes blind, and your hearts wasted with fear:

29. और जैसे अन्धा अन्धियारे में टटोलता है वैसे ही तू दिन दुपहरी में टटोलता फिरेगा, और तेरे काम काज सुफल न होंगे; और तू सदैव केवल अन्धेर सहता और लुटता ही रहेगा, और तेरा कोई छुड़ानेवाला न होगा।

29. You will go feeling your way when the sun is high, like a blind man for whom all is dark, and nothing will go well for you: you will be crushed and made poor for ever, and you will have no saviour.

30. तू स्त्री से ब्याह की बात लगाएगा, परन्तु दूसरा पुरूष उसको भ्रष्ट करेगा; घर तू बनाएगा, परन्तु उस में बसने न पाएगा; दाख की बारी तू लगाएगा, परन्तु उसके फल खाने न पाएगा।

30. You will take a wife, but another man will have the use of her: the house which your hands have made will never be your resting-place: you will make a vine-garden, and never take the fruit of it.

31. तेरा बैल तेरी आंखों के साम्हने मारा जाएगा, और तू उसका मांस खाने न पाएगा; तेरा गदहा तेरी आंख के साम्हने लूट में चला जाएगा, और तुझे फिर न मिलेगा; तेरी भेड़- बकरियां तेरे शत्रुओं के हाथ लग जाएंगी, और तेरी ओर से उनका कोई छुडानेवाला न होगा।

31. Your ox will be put to death before your eyes, but its flesh will not be your food: your ass will be violently taken away before your face, and will not be given back to you: your sheep will be given to your haters, and there will be no saviour for you.

32. तेरे बेटे- बेटियां दूसरे देश के लोगों के हाथ लग जाएंगे, और उनके लिये चाव से देखते देखते तेरी आंखे रह जाएंगी; और तेरा कुछ बस न चलेगा।

32. Your sons and your daughters will be given to another people, and your eyes will be wasted away with looking and weeping for them all the day: and you will have no power to do anything.

33. तेरी भूमि की उपज और तेरी सारी कमाई एक अनजाने देश के लोगे खा जाएंगे; और सर्वदा तू केवल अन्धेर सहता और पीसा जाता रहेगा;

33. The fruit of your land and all the work of your hands will be food for a nation which is strange to you and to your fathers; you will only be crushed down and kept under for ever:

34. यहां तक कि तू उन बातों के कारण जो अपनी आंखों से देखेगा पागल हो जाएगा।

34. So that the things which your eyes have to see will send you out of your minds.

35. यहोवा तेरे घुटनों और टांगों में, वरन नख से शिख तक भी असाध्य फोड़े निकालकर तुझ को पीड़ित करेगा।
प्रकाशितवाक्य 16:2

35. The Lord will send a skin disease, attacking your knees and your legs, bursting out from your feet to the top of your head, so that nothing will make you well.

36. यहोवा तुझ को उस राजा समेत, जिस को तू अपने ऊपर ठहराएगा, तेरी और तेरे पूर्वजों से अनजानी एक जाति के बीच पहुंचाएगा; और उसके मध्य में रहकर तू काठ और पत्थर के दूसरे देवताओं की उपासना और पूजा करेगा।

36. And you, and the king whom you have put over you, will the Lord take away to a nation strange to you and to your fathers; there you will be servants to other gods of wood and stone.

37. और उन सब जातियों में जिनके मध्य में यहोवा तुझ को पहुंचाएगा, वहां के लोगों के लिये तू चकित होने का, और दृष्टान्त और शाप का कारण समझा जाएगा।

37. And you will become a wonder and a name of shame among all the nations where the Lord will take you.

38. तू खेत में बीज तो बहुत सा ले जाएगा, परन्तु उपज थोड़ी ही बटोरेगा; क्योंकि टिडि्डयां उसे खा जाएंगी।

38. You will take much seed out into the field, and get little in; for the locust will get it.

39. तू दाख की बारियां लगाकर उन मे काम तो करेगा, परन्तु उनकी दाख का मधु पीने न पाएगा, वरन फल भी तोड़ने न पाएगा; क्योंकि कीड़े उनको खा जाएंगे।

39. You will put in vines and take care of them, but you will get no wine or grapes from them; for they will be food for worms.

40. तेरे सारे देश में जलपाई के वृक्ष तो होंगे, परन्तु उनका तेल तू अपने शरीर में लगाने न पाएगा; क्योंकि वे झड़ जाएंगे।

40. Your land will be full of olive-trees, but there will be no oil for the comfort of your body; for your olive-tree will give no fruit.

41. तेरे बेटे- बेटियां तो उत्पन्न होंगे, परन्तु तेरे रहेंगे नहीं; क्योंकि वे बन्धुवाई में चले जाएंगे।

41. You will have sons and daughters, but they will not be yours; for they will go away prisoners into a strange land.

42. तेरे सब वृक्ष और तेरी भूमि की उपज टिडि्डयां खा जाएंगी।

42. All your trees and the fruit of your land will be the locust's.

43. जो परदेशी तेरे मध्य में रहेगा वह तुझ से बढ़ता जाएगा; और तू आप घटता चला जाएगा।

43. The man from a strange land who is living among you will be lifted up higher and higher over you, while you go down lower and lower.

44. वह तुझ को उधार देगा, परन्तु तू उसको उधार न दे सकेगा; वह तो सिर और तू पूंछ ठहरेगा।

44. He will let you have his wealth at interest, and will have no need of yours: he will be the head and you the tail.

45. तू जो अपने परमेश्वर यहोवा की दी हुई आज्ञाओं और विधियों के मानने को उसकी न सुनेगा, इस कारण ये सब शाप तुझ पर आ पड़ेंगे, और तेरे पीछे पड़े रहेंगे, और तुझ को पकड़ेंगे, और अन्त में तू नष्ट हो जाएगा।

45. And all these curses will come after you and overtake you, till your destruction is complete; because you did not give ear to the voice of the Lord your God, or keep his laws and his orders which he gave you:

46. और वे तुझ पर और तेरे वंश पर सदा के लिये बने रहकर चिन्ह और चमत्कार ठहरेंगे;

46. These things will come on you and on your seed, to be a sign and a wonder for ever;

47. तू जो सब पदार्थ की बहुतायत होने पर भी आनन्द और प्रसन्नता के साथ अपने परमेश्वर यहोवा की सेवा नहीं करेगा,

47. Because you did not give honour to the Lord your God, worshipping him gladly, with joy in your hearts on account of all your wealth of good things;

48. इस कारण तुझ को भूखा, प्यासा, नंगा, और सब पदार्थों से रहित होकर अपने उन शत्रुओं की सेवा करनी पड़ेगी जिन्हें यहोवा तेरे विरूद्ध भेजेगा; और जब तक तू नष्ट न हो जाए तब तक वह तेरी गर्दन पर लेहे का जूआ डाल रखेगा।

48. For this cause you will become servants to those whom the Lord your God will send against you, without food and drink and clothing, and in need of all things: and he will put a yoke of iron on your neck till he has put an end to you.

49. यहोवा तेरे विरूद्ध दूर से, वरन पृथ्वी के छोर से वेग उड़नेवाले उकाब सी एक जाति को चढ़ा लाएगा जिसकी भाषा को तू न समझेगा;

49. The Lord will send a nation against you from the farthest ends of the earth, coming with the flight of an eagle; a nation whose language is strange to you;

50. उस जाति के लोगों का व्यवहार क्रूर होगा, वे न तो बूढ़ों का मुंह देखकर आदर करेंगे, और न बालकों पर दया करेंगे;

50. A hard-faced nation, who will have no respect for the old or mercy for the young:

51. और वे तेरे पशुओं के बच्चे और भूमि की उपज यहां तक खा जांएगे कि तू नष्ट हो जाएगा; और वे तेरे लिये न अन्न, और न नया दाखमधु, और न टटका तेल, और न बछड़े, न मेम्ने छोड़ेंगे, यहां तक कि तू नाश हो जाएगा।

51. He will take the fruit of your cattle and of your land till death puts an end to you: he will let you have nothing of your grain or wine or oil or any of the increase of your cattle or the young of your flock, till he has made your destruction complete.

52. और वे तेरे परमेश्वर यहोवा के दिये हुए सारे देश के सब फाटकों के भीतर तुझे घेर रखेंगे; वे तेरे सब फाटकों के भीतर तुझे उस समय तक घेरेंगे, जब तक तेरे सारे देश में तेरी ऊंची ऊंची और दृढ़ शहरपनाहें जिन पर तू भरोसा करेगा गिर न जाएं।

52. Your towns will be shut in by his armies, till your high walls, in which you put your faith, have come down: his armies will be round your towns, through all your land which the Lord your God has given you.

53. तब घिर जाने और उस सकेती के समय जिस में तेरे शत्रु तुझ को डालेंगे, तू अपने निज जन्माए बेटे- बेटियों का मांस जिन्हें तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ को देगा खाएगा।

53. And your food will be the fruit of your body, the flesh of the sons and daughters which the Lord your God has given you; because of your bitter need and the cruel grip of your haters.

54. और तुझ में जो पुरूष कोमल और अति सुकुमार हो वह भी अपने भाई, और अपनी प्राणप्यारी, और अपने बचे हुए बालकों को क्रूर दृष्टि से देखेगा;

54. That man among you who is soft and used to comfort will be hard and cruel to his brother, and to his dear wife, and to of those his children who are still living;

55. और वह उन में से किसी को भी अपने बालकों के मांस में से जो वह आप खाएगा कुछ न देगा, क्योंकि घिर जाने और उस सकेती में, जिस में तेरे शत्रु तेरे सारे फाटकों के भीतर तुझे घेर डालेंगे, उसके पास कुछ न रहेगा।

55. And will not give to any of them the flesh of his children which will be his food because he has no other; in the cruel grip of your haters on all your towns.

56. और तुझ में जो स्त्री यहां तक कोमल और सुकुमार हो कि सुकुमारपन के और कोमलता के मारे भूमि पर पांव धरते भी डरती हो, वह भी अपने प्राणप्रिय पति, और बेटे, और बेटी को,

56. The most soft and delicate of your women, who would not so much as put her foot on the earth, so delicate is she, will be hard-hearted to her husband and to her son and to her daughter;

57. अपनी खेरी, वरन अपने जने हुए बच्चों को क्रूर दृष्टि से देखेगी, क्योंकि घिर जाने और सकेती के समय जिस में तेरे शत्रु तुझे तेरे फाटकों के भीतर घेरकर रखेंगे, वह सब वस्तुओं की घटी के मारे उन्हें छिप के खाएगी।

57. And to her baby newly come to birth, and to the children of her body; for having no other food, she will make a meal of them secretly, because of her bitter need and the cruel grip of your haters on all your towns.

58. यदि तू इन व्यवस्था के सारे वचनों के पालने में, जो इस पुस्तक में लिखें है, चौकसी करके उस आदरनीय और भययोग्य नाम का, जो यहोवा तेरे परमेश्वर का है भय न माने,

58. If you will not take care to do all the words of this law, recorded in this book, honouring that name of glory and of fear, THE LORD YOUR GOD;

59. तो यहोवा तुझ को और तेरे वंश को अनोखे अनोखे दण्ड देगा, वे दुष्ट और बहुत दिन रहनेवाले रोग और भारी भारी दण्ड होंगे।

59. Then the Lord your God will make your punishment, and the punishment of your seed, a thing to be wondered at; great punishments and cruel diseases stretching on through long years.

60. और वह मि के उन सब रोगों को फिर तेरे ऊपर लगा देगा, जिन से तू भय खाता था; और वे तुझ में लगे रहेंगे।

60. He will send on you again all the diseases of Egypt, which were a cause of fear to you, and they will take you in their grip.

61. और जितने रोग आदि दण्ड इस व्यवस्था की पुस्तक में नहीं लिखे हैं, उन सभों को भी यहोवा तुझ को यहां तक लगा देगा, कि तू सत्यानाश हो जाएगा।

61. And all the diseases and the pains not recorded in the book of this law will the Lord send on you till your destruction is complete.

62. और तू जो अपने परमेश्वर यहोवा की न मानेगा, इस कारण आकाश के तारों के समान अनगिनित होने की सन्ती तुझ में से थोड़े ही मनुष्य रह जाएंगे।

62. And you will become a very small band, though your numbers were like the stars of heaven; because you did not give ear to the voice of the Lord your God.

63. और जैसे अब यहोवा की तुम्हारी भलाई और बढ़ती करने से हर्ष होता है, वैसे ही तब उसको तुम्हें नाश वरन सत्यानाश करने से हर्ष होगा; और जिस भूमि के अधिकारी होने को तुम जा रहे हो उस पर से तुम उखाड़े जाओगे।

63. And as the Lord took delight in doing you good and increasing you, so the Lord will take pleasure in cutting you off and causing your destruction, and you will be uprooted from the land which you are about to take as your heritage.

64. और यहोवा तुझ को पृथ्वी के इस छोर से लेकर उस छोर तक के सब देशों के लोगों में तित्तर बित्तर करेगा; और वहां रहकर तू अपने और अपने पुरखाओं के अनजाने काठ और पत्थर के दूसरे देवताओं की उपासना करेगा।

64. And the Lord will send you wandering among all peoples, from one end of the earth to the other: there you will be servants to other gods, of wood and stone, gods of which you and your fathers had no knowledge.

65. और उन जातियों में तू कभी चैन न पाएगा, और न तेरे पांव को ठिकाना मिलेगा; क्योंकि वहां यहोवा ऐसा करेगा कि तेरा हृदय कांपता रहेगा, और तेरी आंखे धुंधली पड़ जाएगीं, और तेरा मन कलपता रहेगा;

65. And even among these nations there will be no peace for you, and no rest for your feet: but the Lord will give you there a shaking heart and wasting eyes and weariness of soul:

66. और तुझ को जीवन का नित्य सन्देह रहेगा; और तू दिन रात थरथराता रहेगा, और तेरे जीवन का कुछ भरोसा न रहेगा।

66. Your very life will be hanging in doubt before you, and day and night will be dark with fears, and nothing in life will be certain:

67. तेरे मन में जो भय बना रहेगा, उसके कारण तू भोर को आह मारके कहेगा, कि सांझ कब होगी! और सांझ को आह मारके कहेगा, कि भोर कब होगा।

67. In the morning you will say, If only it was evening! And at evening you will say, If only morning would come! Because of the fear in your hearts and the things which your eyes will see.

68. और यहोवा तुझ को नावों पर चढ़ाकर मि में उस मार्ग से लौटा देगा, जिसके विषय में मैं ने तुझ से कहा था, कि वह फिर तेरे देखने में न आएगा; और वहंा तुम अपने शत्रुओं के हाथ दास- दासी होने के लिये बिकाऊ तो रहोगे, परन्तु तुम्हारा कोई ग्राहक न होगा।।

68. And the Lord will take you back to Egypt again in ships, by the way of which I said to you, You will never see it again: there you will be offering yourselves as men-servants and women-servants to your haters for a price, and no man will take you.



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