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1. तीसवें वर्ष के चौथे महीने के पांचवें दिन, मैं बंधुओं के बीच कबार नदी के तीर पर था, तब स्वर्ग खुल गया, और मैं ने परमेश्वर के दर्शन पाए।प्रकाशितवाक्य 19:11
1. ত্রিংশ বৎসরের চতুর্থ মাসে, মাসের পঞ্চম দিবসে, যখন আমি কবার নদীতীরে নির্ব্বাসিত লোকদের মধ্যে ছিলাম, তখন স্বর্গ খুলিয়া গেল, আর আমি ঈশ্বরীয় দর্শন প্রাপ্ত হইলাম।
2. यहोयाकीम राजा की बंधुआई के पांचवें वर्ष के चौथे महीने के पांचवें दिन को, कसदियों के देश में कबार नदी के तीर पर,
2. রাজা যিহোয়াখীনের নির্ব্বাসনের পঞ্চম বৎসরের ঐ মাসের পঞ্চম দিনে কল্দীয়দের দেশে কবার নদীতীরে বুষির পুত্র যিহিষ্কেল যাজকের নিকটে সদাপ্রভুর বাক্য আসিয়া উপস্থিত হইল,
3. यहोवा का वचन बूजी के पुत्रा यहेजकेल याजक के पास पहुचा; और यहोवा की शक्ति उस पर वहीं प्रगट हुई।
3. এবং সেই স্থানে সদাপ্রভু তাঁহার উপরে হস্তার্পণ করিলেন।
4. जब मैं देखने लगा, तो क्या देखता हूँ कि उत्तर दिशा से बड़ी घटा, और लहराती हुई आग सहित बड़ी आंधी आ रही है; और घटा के चारों ओर प्रकाश और आग के बीचों- बीच से झलकाया हुआ पीतल सा कुछ दिखाई देता है।
4. আমি দৃষ্টি করিলাম, আর দেখ, উত্তরদিক্ হইতে ঘূর্ণ্যবায়ু, বৃহৎ মেঘ ও জাজ্বল্যমান অগ্নি আসিল, এবং তাহার চারিদিকে তেজ ও তাহার মধ্যস্থানে অগ্নির মধ্যবর্ত্তী প্রতপ্ত ধাতুর ন্যায় প্রভা ছিল।
5. फिर उसके बीच से चार जीवधारियों के समान कुछ निकले। और उनका रूप मनुष्य के समान था,प्रकाशितवाक्य 4:6
5. আর তাহার মধ্য হইতে চারি প্রাণীর মূর্ত্তি প্রকাশ পাইল। তাহাদের আকৃতি এই; তাহাদের রূপ মনুষ্যবৎ।
6. परन्तु उन में से हर एक के चार चार मुख और चार चार पंख थे।
6. আর প্রত্যেকের চারি চারি মুখ ও চারি চারি পক্ষ।
7. उनके पांव सीधे थे, और उनके पांवों के तलुए बछड़ों के खुरों के से थे; और वे झलकाए हुए पीतल की नाई चमकते थे।
7. তাহাদের চরণ সোজা, পদতল গোবৎসের পদতলের ন্যায়, এবং তাহারা পরিষ্কৃত পিত্তলের তেজের ন্যায় চাক্চিক্যশালী।
8. उनकी चारों अलंग पर पंखों के नीचे मनुष्य के से हाथ थे। और उन चारों के मुख और पंख इस प्रकार के थे
8. তাহাদের চারি পার্শ্বে পক্ষের নীচে মানুষের হস্ত ছিল; চারি প্রাণীরই এইরূপ মুখ ও পক্ষ ছিল;
9. उनके पंख एक दूसरे से परस्पर मिले हुए थे; वे अपने अपने साम्हने सीधे ही चलते हुए मुड़ते नहीं थे।
9. তাহাদের পক্ষ পরস্পর সংযুক্ত; গমনকালে তাহারা ফিরিত না, প্রত্যেকে সম্মুখ দিকে গমন করিত।
10. उनके साम्हने के मुखों का रूप मनुष्य का सा था; और उन चारों के दहिनी ओर के मुख सिंह के से, बाई ओर के मुख बैल के से थे, और चारों के पीछे के मुख उकाब पक्षी के से थे।प्रकाशितवाक्य 4:7
10. তাহাদের মুখের আকৃতি এই; তাহাদের মানুষের মুখ ছিল, আর দক্ষিণদিকে চারিটীর সিংহের মুখ, এবং বামদিকে চারিটীর গোরুর মুখ, আবার চারিটীর ঈগল পক্ষীর মুখ ছিল।
11. उनके चेहरे ऐसे थे। और उनके मुख और पंख ऊपर की ओर अलग अलग थे; हर एक जीवधारी के दो दो पंख थे, जो एक दूसरे के पंखों से मिले हुए थे, और दो दो पंखों से उनका शरीर ढंपा हुआ था।
11. উপরিভাগে তাহাদের মুখ ও পক্ষ বিভিন্ন ছিল, এক একটীর দুই দুই পক্ষ পরস্পর যোড়া ছিল, এবং আর দুই দুই পক্ষে গাত্র আচ্ছাদিত ছিল।
12. और वे सीधे अपने अपने साम्हने ही चलते थे; जिध्र आत्मा जाना चाहता था, वे उधर ही जाते थे, और चलते समय मुड़ते नहीं थे।
12. আর তাহারা প্রত্যেকে সম্মুখ দিকে গমন করিত; যে দিকে যাইতে আত্মার ইচ্ছা হইত, তাহারা সেই দিকে গমন করিত; গমনকালে ফিরিত না।
13. और जीबधारियों के रूप अंगारों और जलते हुए पलीतों के समान दिखाई देते थे, और वह आग जीवधारियों के बीच इधर उध्र चलती फिरती हुई बड़ा प्रकाश देती रही; और उस आग से बिजली निकलती थी।प्रकाशितवाक्य 4:5, प्रकाशितवाक्य 11:19
13. এই আকৃতিবিশিষ্ট প্রাণীদের আভা প্রজ্বলিত অঙ্গার ও মশালের আভার সদৃশ; [সেই অগ্নি] ঐ প্রাণীদের মধ্যে গমনাগমন করিত, সেই অগ্নি তেজোময়, ও সেই অগ্নি হইতে বিদ্যুৎ নির্গত হইত।
14. और जीवधारियों का चलना- फिरना बिजली का सा था।
14. আর ঐ প্রাণিগণের দ্রুত যাতায়াত বিদ্যুল্লতার আভার সদৃশ।
15. जब मैं जीवधारियों को देख ही रहा था, तो क्या देखा कि भूमि पर उनके पास चारों मुखें की गिनती के अनुसार, एक एक पहिया था।
15. আমি যখন ঐ প্রাণীদিগকে অবলোকন করিলাম, দেখ, ভূতলে ঐ প্রাণীদের পার্শ্বে চারি মুখের এক একটীর জন্য এক এক চক্র ছিল।
16. पहियों का रूप और बनावट फीरोजे की सी थी, और चारों का एक ही रूप था; और उनका रूप और बनावट ऐसी थी जैसे एक पहिये के बीच दूसरा पहिया हो।
16. চারি চক্রের আভা ও রচনা বৈদূর্য্যমণির প্রভার ন্যায়; চারিটীর রূপ একই, এবং তাহাদের আভা ও রচনা চক্রের মধ্যস্থিত চক্রের ন্যায় ছিল।
17. चलते समय वे अपनी चारों अलंगों की ओर चल सकते थे, और चलने में मुड़ते नहीं थे।
17. গমনকালে ঐ চারি চক্র চারি পার্শ্বে গমন করিত, গমনকালে ফিরিত না।
18. और उन चारों पहियों के घेरे बहुत बड़े और डरावने थे, और उनके घेरों में चारों ओर आंखें ही आंखें भरी हुई थीं।प्रकाशितवाक्य 4:6-8
18. তাহাদের নেমি উচ্চ ও ভয়ঙ্কর, এবং সেই চারিটী নেমির চারিদিক্ চক্ষুতে পরিপূর্ণ ছিল।
19. और जब जीवधारी चलते थे, तब पहिये भी उनके साथ चलते थे; और जब जीवधारी भूमि पर से उठते थे, तब पहिये भी उठते थे।
19. আর প্রাণিগণের গমনকালে তাহাদের পার্শ্বে ঐ চক্রগুলিও গমন করিত; এবং প্রাণিগণের ভূতল হইতে উত্থাপিত হইবার সময়ে চক্রগুলিও উত্থাপিত হইত।
20. जिधर आत्मा जाना चाहती थी, उधर ही वे जाते, और और पहिये जीवधारियों के साथ उठते थे; क्योंकि उनकी आत्मा पहियों में थी।
20. যে কোন স্থানে আত্মার ইচ্ছা হইত, সেই স্থানে তাহারা যাইত; সেই দিকেই আত্মার যাইবার ইচ্ছা হইত; আর তাহাদের পার্শ্বে পার্শ্বে চক্রগুলিও উঠিত, কেননা সেই প্রাণীর আত্মা ঐ চক্রগণে ছিল।
21. जब वे चलते थे तब ये भी चलते थे; और जब जब वे खड़े होते थे तब ये भी खड़े होते थे; और जब वे भूमि पर से उठते थे तब पहिये भी उनके साथ उठते थे; क्योंकि जीवधारियों की आत्मा पहियों में थी।
21. উহারা যখন চলিত, ইহারাও তখন চলিত; এবং উহারা যখন স্থগিত হইত, ইহারাও তখন স্থগিত হইত; আর উহারা যখন ভূতল হইতে উত্থাপিত হইত, চক্রগুলিও তখন পার্শ্বে পার্শ্বে উত্থাপিত হইত, কেননা সেই প্রাণীর আত্মা ঐ সকল চক্রে ছিল।
22. जीवधारियों के सिरों के ऊपर आकाश्मण्डल सा कुछ था जो बर्फ की नाई भयानक रीति से चमक्ता था, और वह उनके सिरों के ऊपर फैला हुआ था।प्रकाशितवाक्य 4:6
22. আর সেই প্রাণীর মস্তকের উপরে এক বিতানের আকৃতি ছিল, তাহা ভয়ঙ্কর স্ফটিকের আভার ন্যায় তাহাদের মস্তকের উপরে বিস্তারিত ছিল।
23. और आकाशमण्डल के नीचे, उनके पंख एक दूसरे की ओर सीधे फैले हुए थे; और हर एक जीवधारी के दो दो और पंख थे जिन से उनके शरीर ढंपे हुए थे।
23. সেই বিতানের নীচে তাহাদের পক্ষ সকল পরস্পরের দিকে ঋজুভাবে প্রসারিত ছিল, প্রত্যেক প্রাণীর এ দিকে দুই, ও দিকে দুই পক্ষ ছিল, সেগুলি তাহাদের গাত্র আচ্ছাদন করিয়াছিল।
24. और उनके चलते समय उनके पंखों की फड़फड़ाहट की आहट मुझे बहुत से जल, वा सर्पशक्तिमान की वाणी, वा सेना के हलचल की सी सुनाई पड़ती थी; और जब वे खड़े होते थे, तब अपने पंख लटका लेते थे।प्रकाशितवाक्य 1:15, प्रकाशितवाक्य 14:2, प्रकाशितवाक्य 19:6
24. আর তাহাদের গমন কালে আমি তাহাদের পক্ষ সকলের ধ্বনিও শুনিলাম, তাহা মহাজলরাশির কল্লোলের ন্যায়, সর্ব্বশক্তিমানের রবের ন্যায়, সৈন্যসামন্তের ধ্বনির ন্যায় তুমুল ধ্বনি। দণ্ডায়মান হইবার সময় তাহারা আপন আপন পক্ষ শিথিল করিত।
25. फिर उनके सिरों के ऊपर जो आकाशमण्डल था, उसके ऊपर से एक शब्द सुनाई पड़ता था; और जब वे खड़े होते थे, तब अपने पंख लटका लेते थे।
25. তাহাদের মস্তকের উপরিস্থ বিতানের ঊর্দ্ধে এক রব হইতেছিল; দণ্ডায়মান হইবার সময়ে তাহারা আপন আপন পক্ষ শিথিল করিত।
26. और जो आकाशमण्डल उनके सिरों के ऊपर था, उसके ऊपर मानो कुछ नीलम का बना हुआ सिंहासन था; इस सिंहासन के ऊपर मनुष्य के समान कोई दिखाई देता था।प्रकाशितवाक्य 1:13, प्रकाशितवाक्य 4:2-9-10, प्रकाशितवाक्य 5:1-7-13, प्रकाशितवाक्य 6:16, प्रकाशितवाक्य 7:10, प्रकाशितवाक्य 7:15, प्रकाशितवाक्य 19:4, प्रकाशितवाक्य 21:5, प्रकाशितवाक्य 4:3
26. আর তাহাদের মস্তকের উপরিস্থ বিতানের ঊর্দ্ধে এক সিংহাসনের, নীলকান্তমণিবৎ আভাবিশিষ্ট এক সিংহাসনের মূর্ত্তি ছিল; সেই সিংহাসন-মূর্ত্তির উপরে মনুষ্যের আকৃতিবৎ এক মূর্ত্তি ছিল, তাহা তাহার ঊর্দ্ধে ছিল।
27. और उसकी मानो कमर से लेकर ऊपर की ओर मुझे झलकाया हुआ पीतल सा दिखाई पड़ा, और उसके भीतर और चारों ओर आग सी दिखाई पड़ती थी; फिर उस मनुष्य की कमर से लेकर नीचे की ओर भी मुझे कुछ आग सी दिखाई पड़ती थी; और उसके चारों ओर प्रकाश था।
27. তাঁহার কটির আকৃতি অবধি উপরের দিকে আমি প্রতপ্ত ধাতুর ন্যায় আভা দেখিলাম; অগ্নির আভা যেন তাহার মধ্যে চারিদিকে ছিল; এবং তাঁহার কটির আকৃতি অবধি নীচের দিকে অগ্নিবৎ আভা দেখিলাম, এবং তাঁহার চারিদিকে তেজ ছিল।
28. जैसे वर्षा के दिन बादल में धनुष दिखाई पड़ता है, वैसे ही चारों ओर का प्रकाश दिखाई देता था। यहोवा के तेज का रूप ऐसा ही था। और उसे देखकर, मैं मुंह के बल गिरा, तब मैं ने एक शब्द सुना जैसे कोई बातें करता है।
28. বৃষ্টির দিনে মেঘে উৎপন্ন ধনুকের যেমন আভা, তাঁহার চারিদিকের তেজের আভা সেইরূপ ছিল। ইহা সদাপ্রভুর প্রতাপের মূর্ত্তির আভা। আমি তাহা দেখিবামাত্র উপুড় হইয়া পড়িলাম, এবং বাক্যবাদী এক ব্যক্তির রব শুনিতে পাইলাম।