Ezekiel - यहेजकेल 1 | View All

1. तीसवें वर्ष के चौथे महीने के पांचवें दिन, मैं बंधुओं के बीच कबार नदी के तीर पर था, तब स्वर्ग खुल गया, और मैं ने परमेश्वर के दर्शन पाए।
प्रकाशितवाक्य 19:11

1. Now it came to pass in the thirtieth year, in the fourth month, in the fifth day of the month, as I was among the captives by the river of Chebar, that the heavens were opened, and I saw visions of God.

2. यहोयाकीम राजा की बंधुआई के पांचवें वर्ष के चौथे महीने के पांचवें दिन को, कसदियों के देश में कबार नदी के तीर पर,

2. In the fifth day of the month, which was the fifth year of king Jehoiachin's captivity,

3. यहोवा का वचन बूजी के पुत्रा यहेजकेल याजक के पास पहुचा; और यहोवा की शक्ति उस पर वहीं प्रगट हुई।

3. The word of the LORD came expressly to Ezekiel the priest, the son of Buzi, in the land of the Chaldeans by the river Chebar; and the hand of the LORD was there on him.

4. जब मैं देखने लगा, तो क्या देखता हूँ कि उत्तर दिशा से बड़ी घटा, और लहराती हुई आग सहित बड़ी आंधी आ रही है; और घटा के चारों ओर प्रकाश और आग के बीचों- बीच से झलकाया हुआ पीतल सा कुछ दिखाई देता है।

4. And I looked, and, behold, a whirlwind came out of the north, a great cloud, and a fire enfolding itself, and a brightness was about it, and out of the middle thereof as the color of amber, out of the middle of the fire.

5. फिर उसके बीच से चार जीवधारियों के समान कुछ निकले। और उनका रूप मनुष्य के समान था,
प्रकाशितवाक्य 4:6

5. Also out of the middle thereof came the likeness of four living creatures. And this was their appearance; they had the likeness of a man.

6. परन्तु उन में से हर एक के चार चार मुख और चार चार पंख थे।

6. And every one had four faces, and every one had four wings.

7. उनके पांव सीधे थे, और उनके पांवों के तलुए बछड़ों के खुरों के से थे; और वे झलकाए हुए पीतल की नाई चमकते थे।

7. And their feet were straight feet; and the sole of their feet was like the sole of a calf's foot: and they sparkled like the color of burnished brass.

8. उनकी चारों अलंग पर पंखों के नीचे मनुष्य के से हाथ थे। और उन चारों के मुख और पंख इस प्रकार के थे

8. And they had the hands of a man under their wings on their four sides; and they four had their faces and their wings.

9. उनके पंख एक दूसरे से परस्पर मिले हुए थे; वे अपने अपने साम्हने सीधे ही चलते हुए मुड़ते नहीं थे।

9. Their wings were joined one to another; they turned not when they went; they went every one straight forward.

10. उनके साम्हने के मुखों का रूप मनुष्य का सा था; और उन चारों के दहिनी ओर के मुख सिंह के से, बाई ओर के मुख बैल के से थे, और चारों के पीछे के मुख उकाब पक्षी के से थे।
प्रकाशितवाक्य 4:7

10. As for the likeness of their faces, they four had the face of a man, and the face of a lion, on the right side: and they four had the face of an ox on the left side; they four also had the face of an eagle.

11. उनके चेहरे ऐसे थे। और उनके मुख और पंख ऊपर की ओर अलग अलग थे; हर एक जीवधारी के दो दो पंख थे, जो एक दूसरे के पंखों से मिले हुए थे, और दो दो पंखों से उनका शरीर ढंपा हुआ था।

11. Thus were their faces: and their wings were stretched upward; two wings of every one were joined one to another, and two covered their bodies.

12. और वे सीधे अपने अपने साम्हने ही चलते थे; जिध्र आत्मा जाना चाहता था, वे उधर ही जाते थे, और चलते समय मुड़ते नहीं थे।

12. And they went every one straight forward: where the spirit was to go, they went; and they turned not when they went.

13. और जीबधारियों के रूप अंगारों और जलते हुए पलीतों के समान दिखाई देते थे, और वह आग जीवधारियों के बीच इधर उध्र चलती फिरती हुई बड़ा प्रकाश देती रही; और उस आग से बिजली निकलती थी।
प्रकाशितवाक्य 4:5, प्रकाशितवाक्य 11:19

13. As for the likeness of the living creatures, their appearance was like burning coals of fire, and like the appearance of lamps: it went up and down among the living creatures; and the fire was bright, and out of the fire went forth lightning.

14. और जीवधारियों का चलना- फिरना बिजली का सा था।

14. And the living creatures ran and returned as the appearance of a flash of lightning.

15. जब मैं जीवधारियों को देख ही रहा था, तो क्या देखा कि भूमि पर उनके पास चारों मुखें की गिनती के अनुसार, एक एक पहिया था।

15. Now as I beheld the living creatures, behold one wheel on the earth by the living creatures, with his four faces.

16. पहियों का रूप और बनावट फीरोजे की सी थी, और चारों का एक ही रूप था; और उनका रूप और बनावट ऐसी थी जैसे एक पहिये के बीच दूसरा पहिया हो।

16. The appearance of the wheels and their work was like to the color of a beryl: and they four had one likeness: and their appearance and their work was as it were a wheel in the middle of a wheel.

17. चलते समय वे अपनी चारों अलंगों की ओर चल सकते थे, और चलने में मुड़ते नहीं थे।

17. When they went, they went on their four sides: and they turned not when they went.

18. और उन चारों पहियों के घेरे बहुत बड़े और डरावने थे, और उनके घेरों में चारों ओर आंखें ही आंखें भरी हुई थीं।
प्रकाशितवाक्य 4:6-8

18. As for their rings, they were so high that they were dreadful; and their rings were full of eyes round about them four.

19. और जब जीवधारी चलते थे, तब पहिये भी उनके साथ चलते थे; और जब जीवधारी भूमि पर से उठते थे, तब पहिये भी उठते थे।

19. And when the living creatures went, the wheels went by them: and when the living creatures were lifted up from the earth, the wheels were lifted up.

20. जिधर आत्मा जाना चाहती थी, उधर ही वे जाते, और और पहिये जीवधारियों के साथ उठते थे; क्योंकि उनकी आत्मा पहियों में थी।

20. Wherever the spirit was to go, they went, thither was their spirit to go; and the wheels were lifted up over against them: for the spirit of the living creature was in the wheels.

21. जब वे चलते थे तब ये भी चलते थे; और जब जब वे खड़े होते थे तब ये भी खड़े होते थे; और जब वे भूमि पर से उठते थे तब पहिये भी उनके साथ उठते थे; क्योंकि जीवधारियों की आत्मा पहियों में थी।

21. When those went, these went; and when those stood, these stood; and when those were lifted up from the earth, the wheels were lifted up over against them: for the spirit of the living creature was in the wheels.

22. जीवधारियों के सिरों के ऊपर आकाश्मण्डल सा कुछ था जो बर्फ की नाई भयानक रीति से चमक्ता था, और वह उनके सिरों के ऊपर फैला हुआ था।
प्रकाशितवाक्य 4:6

22. And the likeness of the firmament on the heads of the living creature was as the color of the terrible crystal, stretched forth over their heads above.

23. और आकाशमण्डल के नीचे, उनके पंख एक दूसरे की ओर सीधे फैले हुए थे; और हर एक जीवधारी के दो दो और पंख थे जिन से उनके शरीर ढंपे हुए थे।

23. And under the firmament were their wings straight, the one toward the other: every one had two, which covered on this side, and every one had two, which covered on that side, their bodies.

24. और उनके चलते समय उनके पंखों की फड़फड़ाहट की आहट मुझे बहुत से जल, वा सर्पशक्तिमान की वाणी, वा सेना के हलचल की सी सुनाई पड़ती थी; और जब वे खड़े होते थे, तब अपने पंख लटका लेते थे।
प्रकाशितवाक्य 1:15, प्रकाशितवाक्य 14:2, प्रकाशितवाक्य 19:6

24. And when they went, I heard the noise of their wings, like the noise of great waters, as the voice of the Almighty, the voice of speech, as the noise of an host: when they stood, they let down their wings.

25. फिर उनके सिरों के ऊपर जो आकाशमण्डल था, उसके ऊपर से एक शब्द सुनाई पड़ता था; और जब वे खड़े होते थे, तब अपने पंख लटका लेते थे।

25. And there was a voice from the firmament that was over their heads, when they stood, and had let down their wings.

26. और जो आकाशमण्डल उनके सिरों के ऊपर था, उसके ऊपर मानो कुछ नीलम का बना हुआ सिंहासन था; इस सिंहासन के ऊपर मनुष्य के समान कोई दिखाई देता था।
प्रकाशितवाक्य 1:13, प्रकाशितवाक्य 4:2-9-10, प्रकाशितवाक्य 5:1-7-13, प्रकाशितवाक्य 6:16, प्रकाशितवाक्य 7:10, प्रकाशितवाक्य 7:15, प्रकाशितवाक्य 19:4, प्रकाशितवाक्य 21:5, प्रकाशितवाक्य 4:3

26. And above the firmament that was over their heads was the likeness of a throne, as the appearance of a sapphire stone: and on the likeness of the throne was the likeness as the appearance of a man above on it.

27. और उसकी मानो कमर से लेकर ऊपर की ओर मुझे झलकाया हुआ पीतल सा दिखाई पड़ा, और उसके भीतर और चारों ओर आग सी दिखाई पड़ती थी; फिर उस मनुष्य की कमर से लेकर नीचे की ओर भी मुझे कुछ आग सी दिखाई पड़ती थी; और उसके चारों ओर प्रकाश था।

27. And I saw as the color of amber, as the appearance of fire round about within it, from the appearance of his loins even upward, and from the appearance of his loins even downward, I saw as it were the appearance of fire, and it had brightness round about.

28. जैसे वर्षा के दिन बादल में धनुष दिखाई पड़ता है, वैसे ही चारों ओर का प्रकाश दिखाई देता था। यहोवा के तेज का रूप ऐसा ही था। और उसे देखकर, मैं मुंह के बल गिरा, तब मैं ने एक शब्द सुना जैसे कोई बातें करता है।

28. As the appearance of the bow that is in the cloud in the day of rain, so was the appearance of the brightness round about. This was the appearance of the likeness of the glory of the LORD. And when I saw it, I fell on my face, and I heard a voice of one that spoke.



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