Jeremiah - यिर्मयाह 17 | View All

1. यहूदा का पाप लोहे की टांकी और हीरे की नोक से लिखा हुआ है; वह उनके हृदयरूपी पटिया और उनकी वेदियों के सींगों पर भी खुदा हुआ है।

1. The sin of Judah is written with a style of iron, with the point of a diamond, engraven upon the tablet of their heart, and upon the horns of your altars;

2. उनकी वेदियां और अशेरा नाम देवियां जो हरे पेड़ों के पास और ऊंचे टीलों के ऊपर हैं, वे उनके लड़कों को भी स्मरण रहती हैं।

2. whilst their children remember their altars and their Asherahs, by the green trees, upon the high hills.

3. हे मेरे पर्वत, तू जो मैदान में है, तेरी धन- सम्पत्ति और भण्डार मैं तेरे पाप के कारण लुट जाने दूंगा, और तेरे पूजा के ऊंचे स्थान भी जो तेरे देश में पाए जाते हैं।

3. My mountain in the field, thy substance, all thy treasures will I give for a spoil, -- thy high places, because of sin throughout thy borders.

4. तू अपने ही दोष के कारण अपने उस भाग का अधिकारी न रहने पाएगा जो मैं ने तुझे दिया है, और मैं ऐसा करूंगा कि तू अनजाने देश में अपने शत्रुओं की सेवा करेगा, क्योंकि तू ने मेरे क्रोध की आग ऐसी भड़काई जो सर्वदा जलती रहेगी।

4. And of thyself thou shalt let go thine inheritance which I gave thee; and I will cause thee to serve thine enemies in a land that thou knowest not; for ye have kindled a fire in mine anger, -- it shall burn for ever.

5. यहोवा यों कहता है, स्रापित है वह पुरूष जो मनुष्य पर भरोसा रखता है, और उसका सहारा लेता है, जिसका मन यहोवा से भटक जाता है।

5. Thus saith Jehovah: Cursed is the man that confideth in man, and maketh flesh his arm, and whose heart departeth from Jehovah.

6. वह निर्जल देश के अधमूए पेड़ के समान होगा और कभी भलाई न देखेगा। वह निर्जल और निर्जन तथा लोनछाई भूमि पर बसेगा।

6. And he shall be like the heath in the desert, and shall not see when good cometh; but he shall inhabit the parched places in the wilderness, a salt land and not inhabited.

7. धन्य है वह पुरूष जो यहोवा पर भरोसा रखता है, जिस ने परमेश्वर को अपना आधार माना हो।

7. Blessed is the man that confideth in Jehovah, and whose confidence Jehovah is.

8. वह उस वृक्ष के समान होगा जो नदी के तीर पर लगा हो और उसकी जड़ जल के पास फैली हो; जब घाम होगा तब उसको न लगेगा, उसके पत्ते हरे रहेंगे, और सूखे वर्ष में भी उनके विषय में कुछ चिन्ता न होगी, क्योंकि वह तब भी फलता रहेगा।

8. For he shall be like a tree planted by the waters, and that spreadeth out its roots by the stream, and he shall not see when heat cometh, but his leaf shall be green; and in the year of drought he shall not be careful, neither shall he cease to yield fruit.

9. मन तो सब वस्तुओं से अधिक धोख देनेवाला होता है, उस में असाध्य रोग लगा है; उसका भेद कौन समझ सकता है?

9. The heart is deceitful above all things, and incurable; who can know it?

10. मैं यहोवा मन की खोजता और हृदय को जांचता हूँ ताकि प्रत्येक जन को उसकी चाल- चलन के अनुसार अर्थात् उसके कामों का फल दूं।
1 पतरस 1:17, प्रकाशितवाक्य 2:23, प्रकाशितवाक्य 20:12-13, प्रकाशितवाक्य 22:12

10. I Jehovah search the heart, I try the reins, even to give each one according to his ways, according to the fruit of his doings.

11. जो अन्याय से धन बटोरता है वह उस तीतर के समान होता है जो दूसरी चिड़िया के दिए हुए अंडों को सेती है, उसकी आधी आयु में ही वह उस धन को छोड़ जाता है, और अन्त में वह मूढ़ ही ठहरता है।

11. [As] the partridge sitteth on [eggs] it hath not laid, [so] is he that getteth riches and not by right: in the midst of his days shall he leave them, and at his end shall be a fool.

12. हमारा पवित्रा आराधनालय आदि से ऊंचे स्थान पर रखे हुए एक तेजोमय सिंहासन के समान है।

12. A throne of glory, [set] on high from the beginning, is the place of our sanctuary.

13. हे यहोवा, हे इस्राएल के आधार, जितने तुझे छोड देते हैं वे सब लज्जित होंगे; जो तुझ से भटक जाते हैं उनके नाम भूमि ही पर लिखे जाएंगे, क्योंकि उन्हों ने बहते जल के सोते यहोवा को त्याग दिया है।

13. Thou hope of Israel, Jehovah! all that forsake thee shall be ashamed. They that depart from me shall be written in the earth; because they have forsaken Jehovah, the fountain of living waters.

14. हे यहोवा मुझे चंगा कर, तब मैं चंगा हो जाऊंगा; मुझे बचा, तब मैं बच जाऊंगा; क्योंकि मैं तेरी ही स्तुति करता हूँ।

14. Heal me, Jehovah, and I shall be healed; save me, and I shall be saved: for thou art my praise.

15. सुन, वे मुझ से कहते हैं, यहोवा का वचन कहां रहा? वह अभी पूरा हो जाए !

15. Behold, these say unto me, Where is the word of Jehovah? let it then come!

16. परन्तु तू मेरा हाल जानता है, मैं ने तेरे पीछे चलते हुए उतावली करके चरवाहे का काम नहीं छोड़ा; न मैं ने उस आनेवाली विपत्ति के दिन की लालसा की है; जो कुछ मैं बोला वह तुझ पर प्रगट था।

16. But as for me, I have not hastened from being a shepherd in following thee, neither have I desired the fatal day, thou knowest: that which came out of my lips was before thy face.

17. मुझे न घबरा; संकट के दिन तू ही मेरा शरणस्थान है।

17. Be not a terror unto me: thou art my refuge in the day of evil.

18. हे यहोवा, मेरी आशा टूटने न दे, मेरे सतानेवालों ही की आशा टूटे; उन्हीं को विस्मित कर; परन्तु मुझे निराशा से बचा; उन पर विपत्ति डाल और उनको चकनाचूर कर दे !

18. Let them be ashamed that persecute me, but let not me be ashamed; let them be dismayed, but let not me be dismayed; bring upon them the day of evil, and break them with a double breaking.

19. यहोवा ने मुझ से यों कहा, जाकर सदर फाटक में खड़ा हो जिस से यहूदा के राजा वरन यरूशलेम के सब रहनेवाले भीतर- बाहर आया जाया करते हैं;

19. Thus hath Jehovah said unto me: Go and stand in the gate of the children of the people, by which the kings of Judah come in, and by which they go out, and in all the gates of Jerusalem;

20. और उन से कह, हे यहूदा के राजाओ और सब यहूदियो, हे यरूशलेम के सब निवासियो, और सब लोगो जो इन फाटकों में से होकर भीतर जाते हो, यहोवा का वचन सुनो।

20. and say unto them, Hear the word of Jehovah, ye kings of Judah, and all Judah, and all the inhabitants of Jerusalem, that enter in by these gates;

21. यहोवा यों कहता है, सावधान रहो, विश्राम के दिन कोई बोझ मत उठाओ; और न कोई बोझ यरूशलेम के फाटकों के भीतर ले आओ।
यूहन्ना 5:10

21. thus saith Jehovah: Take heed to your souls, and bear no burden on the sabbath day, and bring nothing in through the gates of Jerusalem;

22. विश्राम के दिन अपने अपने घर से भी कोई बोझ बाहर मत लेओ और न किसी रीति का काम काज करो, वरन उस आज्ञा के अनुसार जो मैं ने तुम्हारे पुरखाओं को दी थी, विश्राम के दिन को पवित्रा माना करो।

22. and carry forth no burden out of your houses on the sabbath day, neither do any work; but hallow ye the sabbath day, as I commanded your fathers,

23. परन्तु उन्हों ने न सुना और न कान लगाया, परन्तु इसके विपरीत हठ किया कि न सुनें और ताड़ना से भी न मानें।

23. but they hearkened not, neither inclined their ear, but hardened their neck, that they might not hear nor receive instruction.

24. परन्तु यदि तुम सचमुच मेरी सुनो, यहोवा की यह वाणी है, और विश्राम के दिन इस नगर के फाटकों के भीतर कोई बोझ न ले आओ और विश्रामदिन को पवित्रा मानो, और उस में किसी रीति का काम काज न करो,

24. And it shall come to pass, if ye diligently hearken unto me, saith Jehovah, to bring in no burden through the gates of this city on the sabbath day, and to hallow the sabbath day, to do no work therein;

25. तब तो दाऊद की गद्दी पर विराजमान राजा, रथों और घोड़ों पर चढ़े हुए हाकिम और यहूदा के लोग और यरूशलेम के निवासी इस नगर के फाटकों से होकर प्रवेश किया करेंगे और यह नगर सर्वदा बसा रहेगा।

25. then shall there enter in, through the gates of this city, kings and princes sitting upon the throne of David, riding in chariots and on horses, they and their princes, the men of Judah and the inhabitants of Jerusalem: and this city shall be inhabited for ever.

26. और लोग होमबलि, मेलबलि अन्नबलि, लोबान और धन्यवादबलि लिए हुए यहूदा के नगरों से और यरूशलेम के आसपास से, बिन्यामीन के देश और नीचे के देश से, पहाड़ी देश और दक्खिन देश से, यहोवा के भवन में आया करेंगे।

26. And they shall come from the cities of Judah, and from the places around Jerusalem, and from the land of Benjamin, and from the lowland, and from the hill-country, and from the south, bringing burnt-offerings, and sacrifices, and oblations, and incense, and bringing thanksgiving unto the house of Jehovah.

27. परन्तु यदि तुम मेरी सुनकर विश्राम के दिन को पवित्रा न मानो, और उस दिन यरूशलेम के फाटकों से बोझ लिए हुए प्रवेश करते रहो, तो मैं यरूशलेम के फाटकों में आग लगाऊंगा; और उस से यरूशलेम के महल भी भस्म हो जाएंगे और वह आग फिर न बुझेगी।

27. But if ye will not hearken unto me, to hallow the sabbath day and not to bear a burden and enter in through the gates of Jerusalem on the sabbath day, then will I kindle a fire in the gates thereof, and it shall devour the palaces of Jerusalem, and it shall not be quenched.



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