Ecclesiastes - सभोपदेशक 5 | View All

1. जब तू परमेश्वर के भवन में जाए, तब सावधानी से चलना; सुनने के लिये समीप जाना मूर्खों के बलिदान चढ़ाने से अच्छा है; क्योंकि वे नहीं जानते कि बुरा करते हैं।

1. (4:17) When thou commest into the house of God, kepe thy foote and drawe nye, that God which is at hande may heare that thou geue not the offerynges of fooles: for they knowe naught but to do euyll.

2. बातें करने में उतावली न करना, और न अपने मन से कोई बात उतावली से परमेश्वर के साम्हने निकालना, क्योंकि परमेश्वर स्वर्ग में हैं और तू पृथ्वी पर है; इसलिये तेरे वचन थोड़े ही हों।।

2. (5:1) Be not hastye with thy mouth, and let not thine heart speake any thyng rashly before God: For God is in heauen, and thou vpon earth, therfore let thy wordes be fewe.

3. क्योंकि जैसे कार्य की अधिकता के कारण स्वप्न देखा जाता है, वेैसे ही बहुत सी बातों का बोलनेवाला मूर्ख ठहरता है।

3. (5:2) For where much carefulnesse is, there are many dreames: and where many wordes are, there men may heare fooles.

4. जब तू परमेश्वर के लिये मन्नत माने, तब उसके पूरा करने में विलम्ब न करना; क्यांकि वह मूर्खों से प्रसन्न नहीं होता। जो मन्नत तू ने मानी हो उसे पूरी करना।

4. (5:3) If thou make a vowe vnto God, be not slacke to perfourme it: As for foolish vowes he hath no pleasure in them: yf thou promise any thyng, pay it.

5. मन्नत मानकर पूरी न करने से मन्नत का न मानना ही अच्छा है।

5. (5:4) For better is it that thou make no vowe, then that thou shouldest promise and not pay.

6. कोई वचन कहकर अपने को पाप में ने फंसाना, और न ईश्वर के दूत के साम्हने कहना कि यह भूल से हुआ; परमेश्वर क्यों तेरा बोल सुनकर अप्रसन्न हो, और तेरे हाथ के कार्यों को नष्ट करे?

6. (5:5) Suffer not thy mouth to cause thy fleshe for to sinne, neither say thou before the angell that it is thy ignoraunce: for then God wyll be angry at thy voyce, and destroy all the worke of thyne handes.

7. क्योंकि स्वप्नों की अधिकता से व्यर्थ बातों की बहुतायत होती है: परन्तु तू परमेश्वर को भय मानना।।

7. (5:6) And why? wheras are many dreames and many wordes, there are also diuers vanities: but loke that thou feare God.

8. यदि तू किसी प्रान्त में निर्धनों पर अन्धेर और न्याय और धर्म को बिगड़ता देखे, तो इस से चकित न होना; क्योंकि एक अधिकारी से बड़ा दूसरा रहता है जिसे इन बातों की सुधि रहती है, और उन से भी ओर अधिक बड़े रहते हैं।

8. (5:7) If thou seest the poore to be oppressed, and wrongfully dealt withall, so that equitie and right of the lawe is wrested in the lande, maruayle not thou at such a thyng: for he that is higher then the hyghest regardeth, and there be hygher then they.

9. भूमि की उपज सब के लिये है, वरन खेती से राजा का भी काम निकलता है।

9. (5:8) The encrease of the earth vpholdeth all thyng: yea the kyng hym selfe is maynteyned by husbandry.

10. जो रूपये से प्रीति रखता है वह रूपये से तृप्त न होगा; और न जो बहुत धन से प्रीति रखता है, लाभ से: यह भी व्यर्थ है।

10. (5:9) He that loueth money, wyll neuer be satisfied with money: and he that loueth riches, shalbe without the fruite therof: This is also a vayne thyng.

11. जब सम्पत्ति बढ़ती है, तो उसके खानेवाले भी बढ़ते हैं, तब उसके स्वामी को इसे छोड़ और क्या लाभ होता है कि उस सम्पत्ति को अपनी आंखों से देखे?

11. (5:10) Wheras much riches is, there are many also that spende them away: And what pleasure more hath he that possesseth them, sauyng that he may loke vpon them with his eyes?

12. परिश्रम करनेवाला चाहे थोड़ा खाए, या बहुत, तौभी उसकी नींद सुखदाई होती है; परन्तु धनी के धन के बढ़ने के कारण उसको नींद नहीं आती।

12. (5:11) A labouryng man sleepeth swetely, whether it be litle or much that he eateth: but the aboundaunce of the riche wyll not suffer him to sleepe.

13. मैं ने धरती पर एक बड़ी बुरी बला देखी है; अर्थात् वह धन जिसे उसके मालिक ने अपनी ही हानि के लिये रखा हो,

13. (5:12) Yet is there a sore plague which I haue seene vnder the sunne [namely] riches kept to the hurt of him that hath them in possession:

14. और वह किसी बुरे काम में उड़ जाता है; और उसके घर में बेटा उत्पन्न होता है परन्तु उसके हाथ मे कुछ नही रहता।

14. (5:13) For oft tymes they perishe with his great miserie and trouble: and yf he haue a chylde, it getteth nothyng.

15. जैसा वह मां के पेट से निकला वैसा ही लौट जाएगा; नंगा ही, जैसा आया था, और अपने परिश्रम के बदले कुछ भी न पाएगा जिसे वह अपने हाथ में ले जा सके।
1 तीमुथियुस 6:7

15. (5:14) Lyke as he came naked out of his mothers wombe, so goeth he thyther agayne, and caryeth nothyng away with him of all his labour.

16. यह भी एक बड़ी बला है कि जैसा वह आया, ठीक वैसा ही वह जाएगा; उसे उस व्यर्थ परिश्रम से और क्या लाभ है?

16. (5:15) This is a miserable plague, that he shall go euen as he came away: What helpeth it him then that he hath laboured in the wynde?

17. केवल इसके कि उस ने जीवन भर बेचैनी से भोजन किया, और बहुत ही दु:खित और रोगी रहा और क्रोध भी करता रहा?

17. (5:16) All the dayes of his lyfe also he dyd eate in the darke, with great carefulnesse, sicknesse, and sorowe.

18. सुन, जो भली बात मैं ने देखी है, वरन जो उचित है, वह यह कि मनुष्य खाए और पीए और अपने परिश्रम से जो वह धरती पर रिता है, अपनी सारी आयु भर जो परमेश्वर ने उसे दी है, सुखी रहे: क्योंकि उसका भाग यही है।

18. (5:17) Therfore me thinke it a better and a fayrer thyng, a man to eate and drynke, and to be refresshed of all his labour that he taketh vnder the sunne, all the dayes of his lyfe which God geueth him: for this is his portion.

19. वरन हर एक मनुष्य जिसे परमेश्वर ने धन सम्पत्ति दी हो, और उन से आनन्द भोगने और उस में से अपना भाग लेने और परिश्रम करते हुए आनन्द करने को शक्ति भी दी हो- यह परमेश्वर का वरदान है।

19. (5:18) For vnto whom soeuer God geueth riches, goodes, and power, he geueth it him to enioy it, to take it for his portion, and to be refresshed of his labour: this is the gyft of God.

20. इस जीवन के दिन उसे बहुत स्मरण न रहेंगे, क्योंकि परमेश्वर उसकी सुन सुनकर उसके मन को आनन्दमय रखता है।।

20. (5:19) For he thinketh not much howe long he shall lyue, forasmuch as God fylleth his heart with gladnesse.



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