2. बातें करने में उतावली न करना, और न अपने मन से कोई बात उतावली से परमेश्वर के साम्हने निकालना, क्योंकि परमेश्वर स्वर्ग में हैं और तू पृथ्वी पर है; इसलिये तेरे वचन थोड़े ही हों।।
2. Be not rash with thy mouth, and, with thy heart, be not in haste to bring forth a word, before God, for, God, is in the heavens, and, thou, upon the earth, for this cause, let thy words be few.