Psalms - भजन संहिता 52 | View All

1. हे वीर, तू बुराई करने पर क्यों घमण्ड करता है? ईश्वर की करूणा तो अनन्त है।

1. Unto the end, for Maeleth, understandings to David. The fool said in his heart: There is no God.

2. तेरी जीभ केवल दुष्टता गढ़ती है; सारे धरे हुए अस्तुरे की नाईं वह छल का काम करती है।

2. They are corrupted, and become abominable in iniquities: there is none that doth good.

3. तू भलाई से बढ़कर बुराई में और अधर्म की बात से बढ़कर झूठ से प्रीति रखता है।

3. God looked down from heaven on the children of men: to see if there were any that did understand, or did seek God.

4. हे छली जीभ तू सब विनाश करनेवाली बातों से प्रसन्न रहती है।।

4. All have gone aside, they are become unprofitable together, there is none that doth good, no not one.

5. हे ईश्वर तुझे सदा के लिये नाश कर देगा; वह तुझे पकड़कर तेरे डेरे से निकाल देगा; और जीवतों के लोक में तुझे उखाड़ डालेगा।

5. Shall not all the workers of iniquity know, who eat up my people as they eat bread?

6. तब धर्मी लोग इस घटना को देखकर डर जाएंगे, और यह कहकर उस पर हंसेंगे, कि

6. They have not called upon God: there have they trembled for fear, where there was no fear. For God hath scattered the bones of them that please men: they have been confounded, because God hath despised them.

7. देखो, यह वही पुरूष है जिस ने परमेश्वर को अपनी शरण नहीं माना, परन्तु अपने धन की बहुतायत पर भरोसा रखता था, और अपने को दुष्टता में दृढ़ करता रहा!

7. Who will give out of Sion the salvation of Israel? when God shall bring back the captivity of his people, Jacob shall rejoice, and Israel shall be glad.



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