2 Chronicles - 2 इतिहास 6 | View All

1. तब सुलैमान कहने लगा, यहोवा ने कहा था, कि मैं घोर अंधकार मैं वास किए रहूंगा।

1. Then sayde Salomon: The LORDE sayde, that he wolde dwell in a darck cloude:

2. परन्तु मैं ने तेरे लिये एक वासस्थान वरन ऐसा दृढ़ स्थान बनाया है, जिस में तू युग युग रहे।
प्रेरितों के काम 7:47

2. I haue buylded an house to be an habitacion vnto the: & a seate, yt thou mayest dwell there for euer.

3. और राजा ने इस्राएल की पूरी सभा की ओर मुंह फेरकर उसको आशीर्वाद दिया, और इस्राएल की पूरी सभा खड़ी रही।

3. And the kynge turned his face, and blessed all the congregacion of Israel: for the whole cogregacion of Israel stode,

4. और उस ने कहा, धन्य है इस्राएल का परमेश्वर यहोवा, जिस ने अपने मुंह से मेरे पिता दाऊद को यह वचन दिया था, और अपने हाथों से इसे पूरा किया है,

4. & he sayde: Praysed be the LORDE God of Israel, which promysed by his mouth vnto my father Dauid, and with his hande hath fulfylled it, wha he sayde:

5. कि जिस दिन से मैं अपनी प्रजा को मिस्र देश से निकाल लाया, तब से मैं ने न तो इस्राएल के किसी गोत्रा का कोई नगर चुना जिस में मेरे नाम के निवास के लिये भवन बनाया जाए, और न कोई मनुष्य चुना कि वह मेरी प्रजा इस्राएल पर प्रधान हो।

5. Sece the tyme that I broughte my people out of the londe of Egipte, I haue chosen no cite in all ye trybes of Israel, to buylde an house for my name to be there, nether haue I chosen eny man to be prynce ouer my people of Israel.

6. परन्तु मैं ने यरूशलेम को इसलिये चुना है, कि मेरा नाम वहां हो, और दाऊद को चुन लिया है कि वह मेरी प्रजा इस्राएल पर प्रधान हो।

6. But Ierusalem haue I chosen, for my name to be there: & Dauid haue I electe, to be prynce ouer my people of Israel.

7. मेरे पिता दाऊद की यह मनसा थी कि इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के नाम का एक भवन बनवाए।
प्रेरितों के काम 7:45-46

7. And whan my father Dauid was mynded to buylde an house vnto the name of the LORDE God of Israel,

8. परन्तु यहोवा ने मेरे पिता दाऊद से कहा, तेरी जो मनसा है कि यहोवा के नाम का एक भवन बनाए, ऐसी मनसा करके नू ने भला तो किया;
प्रेरितों के काम 7:45-46

8. the LORDE sayde vnto Dauid my father: Where as thou wast mynded to buylde an house vnto my name, thou hast done well:

9. तौभी तू उस भवन को बनाने न पाएगा : तेरा जो निज पुत्रा होगा, वही मेरे नाम का भवन बनाएगा।

9. howbeit thou shalt not buylde the house, but thy sonne which shall come out of thy loynes, shal buylde the house vnto my name.

10. Thus hath ye LORDE now perfourmed his worde, that he spake: for I am come vp in my father Dauids steade, and syt vpon the seate of Israel, euen as the LORDE sayde, & haue buylded an house vnto the name of ye LORDE God of Israel,

11. यह वचन जो यहोवा ने कहा था, उसे उस ने पूरा भी किया है; ओर मैं अपने पिता दाऊद के स्थान पर उठकर यहोवा के वचन के अनुसार इस्राएल की गद्दी पर विराजमान हूँ, और इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के नाम के इस भवन को बनाया है।

11. & in it haue I put ye Arke, wherin is the couenaunt of ye LORDE, which he made with the childre of Israel.

12. और इस में मैं ने उस सन्दूक को रख दिया है, जिस में यहोवा की वह वाचा है, जो उस ने इस्राएलियों से बान्धी थी।

12. And he stode before the altare of the LORDE in the presence of the whole congregacion of Israel, and spred out his handes:

13. तब वह इस्राएल की सारी सभा के देखते यहोवा की वेदी के साम्हने खड़ा हुआ और अपने हाथ फैलाए।

13. for Salomon had made a brasen pulpit, and set it in the myddes of the courte, fyue cubites longe, and fyue cubites brode, and thre cubites hye: vpon the same stode he, and fell downe vpon his knees in the presence of the whole cogregacion of Israel, and helde out his handes towarde heaue

14. सुलैमान ने पांच हाथ लम्बी, पांच हाथ चौड़ी और तीन हाथ ऊंची पीतल की एक चौकी बनाकर आंगन के बीच रखवाई थी; उसी पर खड़े होकर उस ने सारे इस्राएल की सभा के सामने घुटने टेककर स्वर्ग की ओर हाथ फैलाए हुए कहा,

14. and sayde: O LORDE God of Israel, there is no god like the, nether in heauen ner vpon earth, thou that kepest couenaunt and mercy for thy seruauntes, that walke before the with all their hert.

15. हे यहोवा, हे इस्राएल के परमेश्वर, तेरे समान न तो स्वर्ग में और न पृथ्वी पर कोई ईश्वर है : तेरे जो दास अपने सारे मन से अपने को तेरे सम्मुख जानकर जलते हैं, उनके लिये तू अपनी वाचा पूरी करता और करूणा करता रहता है।

15. Thou hast kepte promes wt my father Dauid thy seruaunt: With thy mouth thou saydest it, and with thy hande hast thou fulfylled it, as it is come to passe this daye.

16. तू ने जो वचन मेरे पिता दाऊद को दिया था, उसका तू ने पालन किया है; जैसा तू ने अपने मुंह से कहा था, वैसा ही अपने हाथ से उसको हमारी आंखों के साम्हने पूरा भी किया है।

16. Now LORDE God of Israel, make good vnto my father Dauid yi seruaunt, that which thou hast promysed him, & sayde: Thou shalt not want a man before me, to syt vpon the seate of Israel: yf thy children kepe their waye, so yt they walke in my lawe, like as thou hast walked before me:

17. इसलिये अब हे इस्राएल के परमेश्वर यहोवा इस वचन को भी मूरा कर, जो तू ने अपने दास मेरे पिता दाऊद को दिया था, कि तेरे कुल में मेरे साम्हने इस्राएल की गद्दी पर विराजनेवाले सदा बने रहेंगे, यह हो कि जैसे तू अपने को मेरे सम्मुख जानकर चलता रहा, वैसे ही तेरे वंश के लोग अपनी चाल चलन में ऐसी चौकसी करें, कि मेरी रयवस्था पर चलें।

17. Now LORDE God of Israel, let yi worde be verified, which thou hast promysed vnto Dauid thy seruaunt.

18. अब हे इस्राएल के परमेश्वर यहोवा जो वचन तू ने अपने दास दाऊद को दिया थ, वह सव्चा किया जाए।
प्रेरितों के काम 17:24, प्रकाशितवाक्य 21:3

18. For thinkest thou that God in very dede dwelleth amonge men vpon earth? Beholde, the heauen and ye heauens of all heauens maye not coteyne the: how shulde then this house do it, which I haue buylded?

19. परन्तु क्या परमेश्वर सचमुच मनुष्यों के संग पुथ्वी पर वास करेगा? स्वर्ग में वरन सब से ऊंचे स्वर्ग में भी तू नहीं समाता, फिर मेरे बनाए हुए इस भवन में तू क्योंकर समाएगा?

19. But turne the vnto the prayer of thy seruaunt, and to his supplicacio (O LORDE my God) that thou mayest heare the thankesgeuynge and prayer, which thy seruaunt maketh before the,

20. तौभी हे मेरे परमेश्वर यहोवा, अपने दास की प्रार्थना और गिड़गिड़ाहट की ओर ध्यान दे और मेरी पुकार और यह प्रार्थना सुन, जो मैं तेरे साम्हने कर रहा हूँ।

20. so that thine eyes be open ouer this house daye and night, euen ouer this place (wherin thou saydest thou woldest set thy name) that thou mayest heare the prayer, which thy seruaunt shall make in this place.

21. वह यह है कि तेरी आंखें इस भवन की ओर, अर्थत् इसी स्थान की ओर जिसके विषय में तू ने कहा है कि मैं उस में अपना नाम रखूंगा, रात दिन खुली रहें, और जो प्रार्थना तेरा दास इस स्थान की ओर करे, उसे तू सुन ले।

21. Heare now therfore the intercession of thy seruaunt and of thy people of Israel, what so euer they shall desyre in this place: heare thou it from the place of thy habitacion, eue from heauen: and whan thou hearest it, be mercifull.

22. और अपने दास, और अपनी प्रजा इस्राएल की प्रार्थना जिसको वे इस स्थान की ओर मुंह किए हुए गिड़गिड़ाकर करें, उसे सुन लेना; स्वर्ग में से जो तेरा निवासस्थान है, सुन लेना; और सुनकर क्षमा करना।

22. Whan eny ma synneth agaynst his neghboure, and an ooth be put vpon him which he ought to sweare, and the ooth commeth before thine altare in this house,

23. जब कोई किसी दूसरे का अपराध करे और उसको शपथ खिलाई जाए, और वह आकर इस भवन में तेरी वेदी के साम्हने शपथ खाए,

23. then heare thou from heauen, and se yt thy seruaunt haue righte, so that thou rewarde the vngodly, and recopence him his waye vpon his awne heade, and to iustifye the righteous, and to geue him acordinge to his righteousnes.

24. तब तू स्वर्ग में से सुनना और मानना, और अपने दासों का न्याय करके दुष्ट को बदला देना, और उसकी चाल उसी के सिर लैटा देना, और निदष को निदष ठहराकर, उसके धर्म के अनुसार उसको फल देना।

24. Whan thy people of Israel is smytte before their enemies (whyle they haue synned agaynst the) and yf they turne vnto the, and knowlege thy name, and make their prayer and intercession before the in this house,

25. फिर यदि तेरी प्रजा इस्राएल तेरे विरूद्ध पाप करने के कारण अपने शत्रुओं से हार जाएं, और तेरी ओर फिरका तेरा नाम मानें, और इस भवन में तुझ से प्रार्थना और गिड़गिड़ाहट करें,

25. then heare thou them from heauen, and be mercifull vnto the synne of thy people of Israel, & brynge them agayne into the londe, yt thou hast geuen them and their fathers.

26. तो तू स्वर्ग में से सुनना; और अपनी प्रजा इस्राएल का पाप क्षमा करना, और उन्हें इस देश में लौटा ले आना जिसे तू ने उनको और उनके पुरखाओं को दिया है।

26. Whan the heauen is shut vp, so that it rayne not (for so moch as they haue synned agaynst the) and yf they make their prayer in this place, and knowlege thy name, and turne from their synnes (whan thou hast brought them lowe)

28. तो तू स्वर्ग में से सुनना, और अपने दासों और अपनी प्रजा इस्राएल के पाप को क्षमा करना; तू जो उनको वह भला मार्ग दिखाता है जिस पर उन्हें चलना चाहिये, इसलिये अपने इस देश पर जिसे तू ने अपनी प्रजा का भाग करके दिया है, पानी बरसा देना।

28. Whan a derth, or pestilence, or drouth, or blastinge, or greshopper or catirpiller, is in the londe: Or whan their enemye layeth sege to their portes in the lode, or whan eny other plage or disease happeneth,

29. जब इस देश में काल वा मरी वा झुलस हो वा गेरूई वा टिडि्डयां वा कीड़े लगें, वा उनके शत्रु उनके देश के फाटकों में उन्हें घेर रखें, वा कोई विपत्ति वा रोग हो;

29. who so euer the maketh his prayer or peticion amonge eny maner of men, or amonge all thy people of Israel, yf eny man fele his plage and disease, and spredeth out his handes vnto this house,

30. तब यदि कोई मनुष्य वा तेरी सारी प्रजा इस्राएल जो अपना अपना दु:ख और अपना अपना खेद जान कर और गिड़गिड़ाहट के साथ प्रार्थना करके अपने हाथ इस भवन की ओर फैलाए;

30. heare thou then from heauen, euen from ye seate of thy habitacion, and be mercifull: and geue euery man acordinge to all his wayes, in so moch as thou knowest his hert (for thou onely knowest the hert of the children of men)

31. जो तू अपने स्वग य निवासस्थान से सुनकर क्षमा करना, और एक एक के मन की जानकर उसकी चाल के अनुसार उसे फल देना; (तू ही तो आदमियों के मन का जाननेवाला है);

31. that they maye feare the, and allwaye walke in thy wayes, as longe as they lyue in the londe, which thou hast geuen vnto oure fathers.

32. कि वे जितने दिन इस देश में रहें, जिसे तू ने उनके पुरखाओं को दिया था, उतने दिन तक तेरा भय मानते हुए तेरे माग पर चनते रहें।

32. And whan eny straunger which is not of thy people of Israel, commeth out of a farre countre because of thy greate name, and mightie hande, and out stretched arme, and commeth to make his prayer in this house,

33. फिर परदेशी भी जो तेरी प्रजा इस्राएल का न हो, जब वह तेरे बड़े नाम और बलवन्त हाथ और बढ़ाई हुई भुजा के कारण दूर देश से आए, और आकर इस भवन की ओर मुंह किए हुए प्रार्थना करे,

33. heare thou him then from heaue, euen from the seate of thy habitacion: and do all for ye which that straunger calleth vpo the, that all the nacions vpon earth maye knowe thy name, and feare the, as thy people of Israel do: and that they maye knowe, how yt this house which I haue buylded, is named after thy name.

34. तब तू अपने स्वग य निवासस्थान में से सुने, और जिस बात के लिये ऐसा परदेशी तुझे पुकारे, उसके अनुसार करना; जिस से पुथ्वी के सब देशों के लोग तेरा नाम जानकर, तेरी प्रजा इस्राएल की नाई तेरा भय मानें; और निश्चय करें, कि यह भवन जो मैं ने बनाया है, वह तेरा ही कहलाता हैं।

34. Whan thy people go forth to ye battayll agaynst their enemies, the waye that thou shalt sende them, and shall praye vnto the towarde the waye of this cite which thou hast chosen, and towarde the house that I haue buylded vnto thy name,

35. जब तेरी प्रजा के लोग जहां कहीं तू उन्हें भेजे वहां अपने शत्रुओं से लड़ाई करने को निकल जाएं, और इस नगर की ओर जिसे तू ने चुना है, और इस भवन की ओर जिसे मैं ने तेरे नाम का बनाया है, मुंह किए हुए तुझ से प्रार्थना करें,

35. heare thou the their prayer and peticion from heauen, and helpe them to their righte.

36. तब तू स्वर्ग में से उनकी प्रार्थना और गिड़गिड़ाहट सुनना, और उनका न्याय करना।

36. Whan they synne agaynst the ( for there is no man that synneth not) and thou be wroth at them, and geue them ouer before their enemyes, so that they cary them awaye captyue in to a countre farre or nye,

37. निष्पाप तो कोई मनुष्य नहीं है, यदि वे भी तेरे विरूद्ध पाप करें और तू उन पर कोप करके उन्हें शत्रुओं के हाथ कर दे, और वे उन्हेें बन्धुआ करके किसी देश को, चाहे वह दूर हो, चाहे निकट, ले जाएं,

37. and yf they turne within their hertes in the londe where they are presoners, and so conuerte, and make their intercession vnto the in the londe of their captiuyte, and saye: We haue synned, and done amysse, and haue bene vngodly:

38. तो यदि वे बन्धुआई के देश में सोच विचर करें, और फिरकर अपनी बन्धुआई करनेवालों के देश में तुझ से गिड़गिड़ाकर कहें, कि हम ने पाप किया, और कुटिलता और दूष्टता की है;

38. and so turne them selues vnto ye with all their hert and with all their soule in the londe of their captiuyte, wherin they are presoners: and make their prayer towarde the waye of their owne londe, which thou gauest vnto their fathers, and towarde the cite which thou hast chosen, and towarde the house that I haue buylded vnto thy name:

39. सो यदि वे अपनी बन्धुआई के देश में जहां वे उन्हें बन्धुआ करके ले गए हों अपने पूरे मन और सारे जीव से तेरी ओर फिरें, और अपने इस देश की ओर जो तू ने उनके पुरखाओं को दिया था, और इस नगर की ओर जिसे तू ने चुना है, और इस भवन की ओर जिसे मैं ने तेरे नाम का बनाया है, मुंह किए हुए तुझ से प्रार्थना करें,

39. then heare thou their prayer and supplicacion from heauen, euen from the seate of thy dwellynge, and helpe them to their righte, and be mercifull vnto thy people that haue synned agaynst the.

40. तो तू अपने स्वग य निवासस्थान में से उनकी प्रार्थना और गिड़गिड़ाहट सुनना, और उनका न्याय करना और जो पाप तेरी प्रजा के लोग तेरे विरूद्ध करें, उन्हें क्षमा करना।

40. My God, let thine eyes now be ope, and let thine eares geue hede vnto prayer in this place.

41. और हे मेरे परमेश्वर ! जो प्रार्थना इस स्थान में की जाए उसकी ओर अपनी आंखें खोले रह और अपने कान लगाए रख।

41. Aryse now O LORDE God vnto thy restinge place, thou and the Arke of thy strength. Let thy prestes O LORDE God be clothed with health, and let thy sayentes reioyse ouer this good.

42. अब हे यहोवा परमेश्वर, उठकर अपने सामर्थ्य के सन्दूक समेत अपने विश्रामस्थान में आ, हे यहोवा परमेश्वर तेरे याजक उठ्ठाररूपी वस्त्रा पहिने रहें, और तेरे भक्त लोग भलाई के कारण आनन्द करते रहें।

42. LORDE God, turne not awaye the face of thine anoynted: thinke vpon the mercies of thy seruaunt Dauid.



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