26. तब जीवित बालक की माता का मन अपने बेटे के स्नेह से भर आया, और उस ने राजा से कहा, हे मेरे प्रभु ! जीवित बालक उसी को दे; परन्तु उसको किसी भांति न मार। दूसरी स्त्री ने कहा, वह न तो मेरा हो और न तेरा, वह दो टुकड़े किया जाए।
26. Then spake the woman whose the living child was unto the king, for her bowels yearned upon her son, and she said, O my master, give her the living child, and in no wise slay it. But the other said, Let it be neither mine nor thine, but divide it.