1 Kings - 1 राजाओं 18 | View All

1. बहुत दिनों के बाद, तीसरे वर्ष में यहोवा का यह वचन एलिरयाह के पास पहुंचा, कि जाकर अपने अपप को अहाब को दिखा, और मैं भूमि पर मेंह बरसा दूंगा।
लूका 4:25

1. অনেক দিনের পর এইরূপ ঘটিল। তৃতীয় বৎসরে এলিয়ের নিকটে সদাপ্রভুর এই বাক্য উপস্থিত হইল, তুমি গিয়া আহাবকে দেখা দেও; পরে আমি ভূতলে বৃষ্টি প্রেরণ করিব।

2. तब एलिरयाह अपने आप को अहाब को दिखाने गया। उस समय शोमरोन में अकाल भारी था।

2. তাহাতে এলিয় আহাবকে দেখা দিতে গেলেন। তৎকালে শমরিয়ায় ভারী দুর্ভিক্ষ হইয়াছিল।

3. इसलिये अहाब ने ओबद्याह को जो उसके घराने का दीवान था बुलवाया।

3. আর আহাব রাজবাটীর অধ্যক্ষ ওবদিয়কে ডাকিলেন। ওবদিয় সদাপ্রভুকে অতিশয় ভয় করিতেন;

4. ओबद्याह तो यहोवा का भय यहां तक मानता था कि जब ईज़ेबेल यहोवा के नबियों को नाश करती थी, तब ओबद्याह ने एक सौ नबियों को लेकर पचास- पचास करके गुफाओं में छिपा रखा; और अन्न जल देकर उनका पालन- पोषण करता रहा।
इब्रानियों 11:38

4. আর যে সময়ে ঈষেবল সদাপ্রভুর ভাববাদিগণকে উচ্ছেদ করিতেছিল, সেই সময়ে ওবদিয় এক শত ভাববাদীকে লইয়া পঞ্চাশ পঞ্চাশ জন করিয়া গহ্বরের মধ্যে লুকাইয়া রাখিয়াছিলেন, আর তিনি অন্ন জল দিয়া তাহাদিগকে প্রতিপালন করিতেন।

5. और अहाब ने ओबद्याह से कहा, कि देश में जल के सब सोतों और सब नदियों के पास जा, कदाचित इतनी घास मिले कि हम घेड़ों और खच्चरों को जीवित बचा सकें,

5. আহাব ওবদিয়কে কহিলেন, দেশের মধ্যে যত জলের উনুই ও স্রোতমার্গ আছে, তুমি সেইগুলির কাছে যাও; হয় ত আমরা কিছু তৃণ পাইতে পারিব, এবং অশ্ব ও অশ্বতর সকলের প্রাণ রক্ষা করিব, নতুবা সমস্ত পশু হারাইতে হইবে।

6. और हमारे सब पशु न मर जाएं। और उन्हों ने आपस में देश बांटा कि उस में होकर चलें; एक ओर अहाब और दूसरी ओर ओबद्याह चला।

6. আর তাঁহারা দেশে পরিভ্রমণ করণার্থে আপনাদের মধ্যে দেশ দুই ভাগ করিয়া লইলেন; আহাব স্বতন্ত্র এক পথে গেলেন, এবং ওবদিয় স্বতন্ত্র অন্য পথে গেলেন।

7. ओबद्याह मार्ग में था, कि एलिरयाह उसको मिला; उसे चरन्ह कर वह मुंह के बल गिरा, और कहा, हे मेरे प्रभु एलिरयह, क्या तू है?

7. ওবদিয় পথ দিয়া যাইতেছিলেন, এমন সময়ে, দেখ, এলিয় তাঁহার সম্মুখে উপস্থিত; তখন ওবদিয় তাঁহাকে চিনিয়া উবুড় হইয়া পড়িয়া কহিলেন, আপনি কি আমার প্রভু এলিয়?

8. उस ने कहा हां मैं ही हूँ : जाकर अपने स्वामी से कह, कि एलिरयाह मिला है।

8. তিনি উত্তর করিলেন, আমি সেই; যাও, তোমার প্রভুকে বল, দেখুন, এলিয় উপস্থিত।

9. उस ने कहा, मैं ने ऐसा क्या पाप किया है कि तू मुझे मरवा डालने के लिये अहाब के हाथ करना चाहता है?

9. তিনি কহিলেন, আমি কি পাপ করিলাম যে, আপনি আপন দাস আমাকে বধ করণার্থে আহাবের হস্তে সমর্পণ করিতে চাহেন?

10. तेरे परमेश्वर यहोवा के जीवन की शपथ कोई ऐसी जाति वा राज्य नहीं, जिस में मेरे स्वामी ने तुझे ढूंढ़ने को न भेजा हो, और जब उन लोगों ने कहा, कि वह यहां नहीं है, तब उस ने उस राज्य वा जाति को इसकी शपथ खिलाई कि एलिरयाह नहीं मिला।

10. আপনার ঈশ্বর জীবন্ত সদাপ্রভুর দিব্য, এমন কোন জাতি কি রাজ্য নাই, যাহার নিকটে আমার প্রভু আপনার অন্বেষণে দূত পাঠান নাই; আর যখন তাহারা বলিল, সে ব্যক্তি নাই; তখন তাহারা আপনাকে পাইতে পারে নাই বলিয়া তিনি সেই সকল রাজ্যের ও জাতির লোকদিগকে শপথও করাইয়াছেন।

11. और अब तू कहता है कि जाकर अपने स्वामी से कह, कि एलिरयाह मिला !

11. এখন আপনি বলিতেছেন, যাও, তোমার প্রভুকে বল, দেখুন, এলিয় উপস্থিত।

12. फिर ज्यों ही मैं तेरे पास से चला जाऊंगा, त्यों ही यहोवा का आत्मा तुझे न जाने कहां उठा ले जाएगा, सो जब मैं जाकर अहाब को बताऊंगा, और तू उसे न मिलेगा, तब वह मुझे मार डालेगा : परन्तु मैं तेरा दास अपने लड़कपन से यहोवा का भय मानता आया हूँ !
प्रेरितों के काम 8:39

12. আর আমি আপনার নিকট হইতে গেলেই সদাপ্রভুর আত্মা আমার অজ্ঞাত কোন স্থানে আপনাকে লইয়া যাইবেন, তাহাতে আমি গিয়া আহাবকে সংবাদ দিলে যদি তিনি আপনার উদ্দেশ না পান, তবে আমাকে বধ করিবেন; কিন্তু আপনার দাস আমি বাল্যাবধি সদাপ্রভুকে ভয় করিয়া আসিতেছি।

13. क्या मेरे प्रभु को यह नहीं बताया गया, कि जब ईज़ेबेल यहोवा के नबियों को घात करती थी तब मैं ने क्या किया? कि यहोवा के नबियों में से एक सौ लेकर पचाय- पचाय करके गुफाओं में छिपा रखा, और उन्हें अन्न जल देकर पालता रहा।
इब्रानियों 11:38

13. ঈষেবল যখন সদাপ্রভুর ভাববাদিগণকে বধ করিতেছিলেন, তখন আমি যাহা করিয়াছিলাম, তাহা কি আমার প্রভু শুনেন নাই? আমি পঞ্চাশ পঞ্চাশ জন করিয়া সদাপ্রভুর এক শত ভাববাদীকে গহ্বরে লুকাইয়া রাখিয়া অন্নজল দিয়া প্রতিপালন করিয়াছি।

14. फिर अब तू कहता है, जाकर अपने स्वामी से कह, कि एलिरयाह मिला है ! तब वह मुझे घात करेगा।

14. আর এখন আপনি বলিতেছেন, যাও, তোমার প্রভুকে বল, দেখুন, এলিয় উপস্থিত; তিনি ত আমাকে বধ করিবেন।

15. एलिरयाह ने कहा, सेनाओं का यहोवा जिसके साम्हने मैं रहता हूँ, उसके जीवन की शपथ आज मैं अपने अप को उसे दिखाऊंगा।

15. এলিয় কহিলেন, আমি যাঁহার সাক্ষাতে দণ্ডায়মান, সেই বাহিনীগণের জীবন্ত সদাপ্রভুর দিব্য, আমি অদ্য অবশ্য তাঁহাকে দেখা দিব।

16. तब ओबद्याह अहाब से मिलने गया, और उसको बता दिया, सो अहाब एलिरयाह से मिलने चला।

16. তখন ওবদিয় আহাবের সহিত সাক্ষাৎ করিতে গেলেন ও তাঁহাকে সংবাদ দিলেন; তাহাতে আহাব এলিয়ের সহিত সাক্ষাৎ করিতে গেলেন।

17. एलिरयाह को देखते ही अहाब ने कहा, हे इस्राएल के सतानेवाले क्या तू ही है?
प्रेरितों के काम 16:20

17. এলিয়ের দেখা পাইবামাত্র আহাব তাঁহাকে কহিলেন, হে ইস্রায়েলের কন্টক, এ কি তুমি?

18. उस ने कहा, मैं ने इस्राएल को कष्ट नहीं दिया, परन्तु तू ही ने और तेरे पिता के घराने ने दिया है; क्योंकि तुम यहोवा की आज्ञाओ को टालकर बाल देवताओं की उपासना करने लगे।

18. এলিয় কহিলেন, আমি ইস্রায়েলের কন্টক হই নাই, কিন্তু আপনি ও আপনার পিতৃকুল; কেননা আপনারা সদাপ্রভুর আজ্ঞা সকল ত্যাগ করিয়াছেন, এবং আপনি বালবেদগণের অনুগামী হইয়াছেন।

19. अब दूत भेजकर सारे इस्राएल को और बाल के साढ़े चार सौ नबियों और अशेरा के चार सौ नबियों को जो ईज़ेबेल की मेज पर खाते हैं, मेरे पास कर्म्मेल पर्वत पर इकट्ठा कर ले।

19. এখন লোক পাঠাইয়া সমস্ত ইস্রায়েলকে কর্ম্মিল পর্ব্বতে আমার নিকটে একত্র করুন, এবং বালের ভাববাদী সেই চারি শত পঞ্চাশ জনকে ও আশেরার ভাববাদী সেই চারি শত জনকেও উপস্থিত করুন, যাহারা ঈষেবলের মেজে ভোজন করিয়া থাকে।

20. तब अहाब ने सारे इस्राएलियों को बुला भेजा और नबियों को कर्म्मेल पर्वत पर इकट्ठा किया।

20. তাহাতে আহাব সমস্ত ইস্রায়েল-সন্তানের কাছে লোক পাঠাইলেন, এবং সেই ভাববাদিগণকে কর্ম্মিল পর্ব্বতে একত্র করিলেন।

21. और एलिरयाह सब लोगों के पास आकर कहने लगा, तुम कब तक दो विचारों में लटके रहोगे, यदि यहोवा परमेश्वर हो, तो उसके पीछे हो लेओे; और यदि बाल हो, तो उसके पीछे हो लेओ। लोगों ने उसके उत्तर में एक भी बात न कही।

21. পরে এলিয় সমস্ত লোকের নিকটে উপস্থিত হইয়া কহিলেন, তোমরা কত কাল দুই নৌকায় পা দিয়া থাকিবে? সদাপ্রভু যদি ঈশ্বর হন, তবে তাঁহার অনুগামী হও; আর বাল যদি ঈশ্বর হয়, তবে তাঁহার অনুগামী হও। কিন্তু লোকেরা তাঁহাকে কোন উত্তর দিল না।

22. तब एलिरयाह ने लोगों से कहा, यहोवा के नबियों में से केवल मैं ही रह गया हूँ; और बाल के नबी साढ़े चार सौ मनुष्य हैं।

22. তখন এলিয় লোকদিগকে কহিলেন, আমি, কেবল একা আমিই, সদাপ্রভুর ভাববাদী অবশিষ্ট আছি; কিন্তু বালের ভাববাদিগণ চারি শত পঞ্চাশ জন আছে।

23. इसलिये दो बछड़े लाकर हमें दिए जाएं, और वे एक अपने लिये चुनकर उसे टुकड़े टुकड़े काटकर लकड़ी पर रख दें, और कुछ आग न लगाएं; और मैं दूसरे बछड़े को तैयार करके लकड़ी पर रखूंगा, और कुछ आग न लगाऊंगा।

23. আমাদিগকে দুইটী বৃষ দত্ত হউক; উহারা আপনাদের জন্য একটী বৃষ মনোনীত করুক, ও খণ্ড খণ্ড করিয়া কাষ্ঠের উপরে রাখুক, কিন্তু তাহাতে আগুন না দিউক; পরে আমি অন্য বৃষটী প্রস্তুত করিয়া কাষ্ঠের উপরে রাখিব, কিন্তু তাহাতে আগুন দিব না।

24. तब तुम तो अपने दवता से प्रार्थना करना, और मैं यहोवा से प्रार्थना करूंगा, और जो आग गिराकर उत्तर दे वही परमेश्वर ठहरे। तब सब लोग बोल उठे, अच्छी बात।
प्रकाशितवाक्य 13:13

24. পরে তোমরা আপনাদের দেবতার নামে ডাকিও, এবং আমি সদাপ্রভুর নামে ডাকিব; আর যে ঈশ্বর আগুনের দ্বারা উত্তর দিবেন, তিনিই ঈশ্বর হউন।

25. और एलिरयाह ने बाल के नबियों से कहा, पहिले तुम एक बछड़ा चुनकर तैयार कर लो, क्योंकि तुम तो बहुत हो; तब अपने देवता से प्रार्थना करना, परन्तु आग न लगाना।

25. সকল লোক উত্তর করিল, এ বেশ কথা। পরে এলিয় বালের ভাববাদিগণকে কহিলেন, তোমরা ত অনেকে আছ, অগ্রে তোমরাই আপনাদের জন্য একটা বৃষ মনোনীত করিয়া প্রস্তুত কর, এবং আপনাদের দেবতার নামে ডাক, কিন্তু আগুন দিও না।

26. तब उन्हों ने उस बछड़े को जो उन्हें दिया गया था लेकर तैयार किया, और भोर से लेकर दोपहर तक वह यह कहकर बाल से प्रार्थना करते रहे, कि हे बाल हमारी सुन, हे बाल हमारी सुन ! परन्तु न कोई शब्द और न कोई उत्तर देनेवाला हुआ। तब वे अपनी बनाई हुई वेदी पर उछलने कूदने लगे।

26. পরে তাহাদিগকে যে বৃষ দত্ত হইল, তাহা লইয়া তাহারা প্রস্তুত করিল, এবং প্রাতঃকাল হইতে মধ্যাহ্নকাল পর্য্যন্ত এই বলিয়া বালের নামে ডাকিতে লাগিল, হে বাল, আমাদিগকে উত্তর দেও। কিন্তু কোন বাণী হইল না, এবং কেহই উত্তর দিল না। আর তাহারা নির্ম্মিত যজ্ঞবেদির কাছে খোঁড়ার ন্যায় নাচিতে লাগিল।

27. दोपहर को एलिरयाह ने यह कहकर उनका ठट्ठा किया, कि ऊंचे शब्द से पुकारो, वह तो देवता है; वह तो ध्यान लगाए होगा, वा कहीं गया होगा वा यात्रा में होगा, वा हो सकता है कि सोता हो और उसे जगाना चाहिए।

27. পরে মধ্যাহ্নকালে এলিয় তাহাদিগকে বিদ্রূপ করিয়া কহিলেন, উচ্চৈঃস্বরে ডাক; কেননা সে দেবতা; সে ধ্যান করিতেছে, বা কোথাও গিয়াছে, বা পথে চলিতেছে, কিম্বা হয় ত নিদ্রা গিয়াছে, তাহাকে জাগান চাই।

28. और उन्हों ने बड़े शब्द से पुकार पुकार के अपनी रीति के अनुसार छुरियों और बर्छियों से अपने अपने को यहां तक घायल किया कि लोहू लुहान हो गए।

28. তখন তাহারা উচ্চৈঃস্বরে ডাকিল, এবং আপনাদের ব্যবহারানুসারে গাত্রে রক্তের ধারা বহন পর্য্যন্ত ছুরিকা ও শলাকা দ্বারা আপনাদিগকে ক্ষতবিক্ষত করিল।

29. वे दोपहर भर ही क्या, वरन भेंट चढ़ाने के समय तक नबूवत करते रहे, परन्तु कोई शब्द सुन न पड़ा; और न तो किसी ने उत्तर दिया और न कान लगाया।

29. আর মধ্যাহ্নকাল অতীত হইলে তাহারা [বৈকালের] বলিদানের সময় পর্য্যন্ত ভাবোক্তি প্রচার করিল, তথাপি কোন বাণীও হইল না, কেহ উত্তরও দিল না, কেহ মনোযোগও করিল না।

30. तब एलिरयाह ने सब लोगों से कहा, मेरे निकट आओ; और सब लोग उसके निकट आए। तब उस ने यहोवा की वेदी की जो गिराई गई थी मरम्मत की।

30. পরে এলিয় সমস্ত লোককে কহিলেন, আমার নিকটে আইস; তাহাতে সমস্ত লোক তাঁহার নিকটে আসিল। আর তিনি সদাপ্রভুর ভগ্ন যজ্ঞবেদি সারাইলেন।

31. फिर एलिरयाह ने याकूब के पुत्रों की गिनती के अनुसार जिसके पास यहोवा का यह पचन आया था,

31. কারণ ‘তোমার নাম ইস্রায়েল হইবে, ‘ ইহা বলিয়া সদাপ্রভুর বাক্য যে যাকোবের কাছে উপস্থিত হইয়াছিল, তাঁহার সন্তানদের বংশ-সংখ্যানুসারে এলিয় বারোখানা প্রস্তর গ্রহণ করিলেন।

32. कि तेरा नाम इस्राएल होगा, बारह पत्थ्र छांटे, और उन पत्थरों से यहोवा के नाम की एक वेदी बनाई; और उसके चारों ओर इतना बड़ा एक गड़हा खोद दिया, कि उस में दो सआ बीज समा सके।

32. আর তিনি সেই প্রস্তরগুলি দিয়া সদাপ্রভুর নামে এক যজ্ঞবেদি নির্ম্মাণ করিলেন, এবং বেদির চারিদিকে দুই কাঠা বীজ ধরিতে পারে, এমন এক প্রণালী খুদিলেন।

33. तब उस ने वेदी पर लकड़ी को सजाया, और बछड़े को टुकड़े टुकड़े काटकर लकड़ी पर धर दिया, और कहा, चार घड़े पानी भर के होमबलि, पशु और लकड़ी पर उणडेल दो।

33. পরে তিনি কাষ্ঠ সাজাইয়া বৃষটী খণ্ড খণ্ড করিয়া কাষ্ঠের উপরে রাখিলেন। আর কহিলেন, চারি জালা জল ভরিয়া এই হোমবলির উপরে ও কাষ্ঠের উপরে ঢালিয়া দেও।

34. तब उस ने कहा, दूसरी बार वैसा ही करो; तब लोगों ने दूसरी बार वैसा ही किया। फिर उस ने कहा, तीसरी बार करो; तब लोगों ने तीसरी बार भी वैसा ही किया।

34. পরে তিনি কহিলেন, দ্বিতীয় বার উহা কর; তাহারা দ্বিতীয় বার তাহা করিল। পরে তিনি কহিলেন, তৃতীয় বার কর; তাহারা তৃতীয় বার তাহা করিল।

35. और जल वेदी के चारों ओर बह गया, और गड़हे को भी उस ने जल से भर दिया।

35. তখন বেদির চারিদিকে জল গেল, এবং তিনি ঐ প্রণালীও জলে পরিপূর্ণ করিলেন।

36. फिर भेंट चढ़ाने के समय एलिरयाह नबी समीप जाकर कहने लगा, हे इब्राहीम, इसहाक और इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ! आज यह प्रगट कर कि इस्राएल में तू ही परमेश्वर है, और मैं तेरा दास हूँ, और मैं ने ये सब काम तझ से वचन पाकर किए हैं।

36. পরে [বৈকালের] বলিদান সময়ে এলিয় ভাববাদী নিকটে আসিয়া কহিলেন, হে সদাপ্রভু, অব্রাহামের, ইস্‌হাকের ও ইস্রায়েলের ঈশ্বর, অদ্য জানাইয়া দেও যে, ইস্রায়েলের মধ্যে তুমিই ঈশ্বর, এবং আমি তোমার দাস, ও তোমার বাক্যানুসারেই এই সকল কর্ম্ম করিলাম।

37. हे यहावा ! मेरी सुन, मेरी सुन, कि ये लोग जान लें कि हे यहोवा, तू ही परमेश्वर है, और तू ही उनका मन लौटा लेता है।

37. হে সদাপ্রভু, আমাকে উত্তর দেও, আমাকে উত্তর দেও; যেন এই লোকেরা জানিতে পারে যে, হে সদাপ্রভু, তুমিই ঈশ্বর, এবং তুমিই ইহাদের হৃদয় ফিরাইয়া আনিয়াছ।

38. तब यहोवा की आग आकाश से प्रगट हुई और होमबलि को लकड़ी और पत्थ्रों और धूलि समेत भस्म कर दिया, और गड़हे में का जल भी सुखा दिया।

38. তখন সদাপ্রভুর অগ্নি পতিত হইল, এবং হোমবলি, কাষ্ঠ, প্রস্তর ও ধূলি গ্রাস করিল, এবং প্রণালীস্থিত জলও চাটিয়া খাইল।

39. यह देख सब लोग मुंह के बल गिरकर बोल उठे, यहोवा ही परमेश्वर है, यहोवा ही परमेश्वर है;

39. তাহা দেখিয়া সমস্ত লোক উবুড় হইয়া পড়িয়া কহিল, সদাপ্রভুই ঈশ্বর, সদাপ্রভুই ঈশ্বর।

40. एलिरयाह ने उन से कहा, बाल के नबियों को पकड़ लो, उन में से एक भी छूटते न पाए; तब उन्हों ने उनको पकड़ लिया, और एलिरयाह ने उन्हें नीचे किशोन के नाले में ले जाकर मार डाला।

40. তখন এলিয় তাহাদিগকে কহিলেন, তোমরা বালের ভাববাদিগণকে ধর, তাহাদের এক জনকেও পলাইয়া রক্ষা পাইতে দিও না। তখন তাহারা তাহাদিগকে ধরিল, আর এলিয় তাহাদিগকে লইয়া কীশোন স্রোতোমার্গে নামিয়া গেলেন, এবং সেখানে তাহাদিগকে বধ করিলেন।

41. फिर एलिरयाह ने अहाब से कहा, उठकर खा पी, क्योंकि भारी वर्षा की सनसनाहट सुन पडती है।

41. পরে এলিয় আহাবকে কহিলেন, আপনি উঠিয়া গিয়া ভোজন পান করুন, কেননা ভারী বৃষ্টির শব্দ হইতেছে।

42. तब अहाब खाने पीने चला गया, और एलिरयाह कर्म्मेल की चोटी पर चढ़ गया, और भूमि पर गिर कर अपना मुंह घुटनों के बीच किया।
याकूब 5:18

42. তাহাতে আহাব ভোজন পান করিতে উঠিয়া গেলেন। আর এলিয় কর্ম্মিলের শৃঙ্গে উঠিলেন; এবং ভূমির দিকে নত হইয়া আপন মুখ দুই জানুর মধ্যে রাখিলেন।

43. और उस ने अपने सेवक से कहा, चढ़कर समुद्र की ओर दृष्टि कर देख, तब उस ने चढ़कर देखा और लौटकर कहा, कुछ नहीं दीखता। एलिरयाह ने कहा, फिर सात बार जा।

43. আর তিনি আপন চাকরকে কহিলেন, তুমি উঠিয়া যাও, সমুদ্রের দিকে দৃষ্টিপাত কর। তাহাতে সে গিয়া দৃষ্টিপাত করিয়া কহিল, কিছুই নাই। এলিয় কহিলেন, আবার যাও; সাত বার।

44. सातवीं बार उस ने कहा, देख समुद्र में से मनुष्य का हाथ सा एक छोटा आदल उठ रहा है। एलिरयाह ने कहा, अहाब के पास जाकर कह, कि रथ जुतवा कर नीचे जा, कहीं ऐसा न हो कि नू वर्षा के कारण रूक जाए।

44. পরে সপ্তম বারে সে কহিল, দেখুন, মনুষ্যহস্তের ন্যায় ক্ষুদ্র একখানি মেঘ সমুদ্র হইতে উঠিতেছে। তখন এলিয় কহিলেন, উঠিয়া গিয়া আহাবকে বল, [রথে অশ্ব] যুড়িয়া নামিয়া যাউন, পাছে বৃষ্টিতে আপনার গমনের ব্যাঘাত হয়।

45. थोड़ी ही देर में आकाश वायु से उड़ाई हुई घटाओं, और आन्धी से काला हो गया और भरी वर्षा होने लगी; और अहाब सवार होकर यिज्रेल को चला।

45. আর অমনি মেঘে ও বায়ুতে আকাশ ঘোর হইয়া উঠিল ও ভারী বৃষ্টি হইল; তাহাতে আহাব শকটারোহণে যিষ্রিয়েলে গমন করিলেন।

46. तब यहोवा की शक्ति एलिरयाह पर ऐसी हुई; कि वह कमर बान्धकर अहाब के आगे आगे यिज्रेल तक दौड़ता चला गया।
लूका 12:35

46. আর সদাপ্রভুর হস্ত এলিয়ের উপরে অবস্থিতি করিতেছিল, তাই তিনি কটি বন্ধন করিয়া যিষ্রিয়েলের প্রবেশ-স্থান পর্য্যন্ত আহাবের অগ্রে অগ্রে দৌড়িয়া গেলেন।



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