Judges - न्यायियों 9 | View All

1. यरूब्बाल का पुत्रा अबीमेलेक शकेम को अपने मामाओं के पास जाकर उन से और अपने नाना के सब घराने से यों कहने लगा,

1. পরে যিরুব্বালের পুত্র অবীমেলক শিখিমে আপন মাতার আত্মীয়দের নিকটে গিয়া তাহাদিগকে এবং নিজ মাতার পিতৃকুলের সমস্ত গোষ্ঠীকে এই কথা কহিল;

2. शकेम के सब मनुष्यों से यह पूछो, कि तुम्हारे लिये क्या भला है? क्या यह कि यरूब्बाल के सत्तर पुत्रा तुम पर प्रभुता करें? वा यह कि एक ही पुरूष तुम पर प्रभुता करे? और यह भी स्मरण रखो कि मैं तुम्हारा हाड़ मांस हूं।

2. নিবেদন করি, তোমরা শিখিমের সমস্ত গৃহস্থের কর্ণগোচরে এই কথা বল, তোমাদের পক্ষে ভাল কি? তোমাদের উপরে যিরুব্বালের সমুদয় পুত্রের অর্থাৎ সত্তর জনের কর্ত্তৃত্ব ভাল, না এক জনের কর্ত্তৃত্ব ভাল? আর ইহাও স্মরণ কর, আমি তোমাদের অস্থি ও তোমাদের মাংস।

3. तब उसके मामाओं ने शकेम के सब मनुष्यों से ऐसी ही बातें कहीं; और उन्हों ने यह सोचकर कि अबीमेलेक तो हमारा भाई है अपना मन उसके पीछे लगा दिया।

3. আর তাহার মাতার আত্মীয়েরা তাহার পক্ষে শিখিমের সকল গৃহস্থের কর্ণগোচরে ঐ সমস্ত কথা কহিলে অবীমেলকের অনুগামী হইতে তাহাদের মনে প্রবৃত্তি হইল; কেননা তাহারা বলিল, উনি আমাদের আত্মীয়।

4. तब उन्हों ने बालबरीत के मन्दिर में से सत्तर टुकड़े रूपे उसको दिए, और उन्हें लगाकर अबीमेलेक ने नीच और लुच्चे जन रख लिए, जो उसके पीछे हो लिए।

4. আর তাহারা বাল্‌-বরীতের মন্দির হইতে তাহাকে সত্তর [থান] রৌপ্য দিল; তাহাতে অবীমেলক অসার ও চপলমতি লোকদিগকে ঐ রৌপ্য বেতন দিলে তাহারা তাহার অনুগামী হইল।

5. तब उस ने ओप्रा में अपने पिता के घर जाके अपने भाइयों को जो यरूब्बाल के सत्तर पुत्रा थे एक ही पत्थर पर घात किया; परन्तु यरूब्बाल का योताम नाम लहुरा पुत्रा छिपकर बच गया।।

5. পরে সে অফ্রার পিতার বাটীতে গিয়া আপন ভ্রাতৃগণকে অর্থাৎ যিরুব্বালের সত্তর জন পুত্রকে এক প্রস্তরের উপরে বধ করিল; কেবল যিরুব্বালের কনিষ্ঠ পুত্র যোথম লুকাইয়া থাকাতে অবশিষ্ট রহিল।

6. तब शकेम के सब मनुष्यों और बेतमिल्लो के सब लोगों ने इकट्ठे होकर शकेम के खम्भे से पासवाले बांजवृक्ष के पास अबीमेलेक को राजा बनाया।

6. পরে শিখিমের সমস্ত গৃহস্থ এবং মিল্লোর সমস্ত লোক একত্র হইয়া শিখিমস্থ স্তম্ভের এলোন বৃক্ষের কাছে গিয়া অবীমেলককে রাজা করিল।

7. इसका समाचार सुनकर योताम गरिज्जीम पहाड़ की चोटी पर जाकर खड़ा हुआ, और ऊंचे स्वर से पुकारा के कहने लगा, हे शकेम के मनुष्यों, मेरी सुनो, इसलिये कि परमेश्वर तुम्हारी सुनें।

7. আর লোকেরা যোথমকে এই সংবাদ দিলে সে গিয়া গরিষীম পর্ব্বতের চূড়াতে দাঁড়াইয়া উচ্চৈঃস্বরে ডাকিয়া তাহাদিগকে কহিল, হে শিখিমের গৃহস্থ সকল, আমার কথায় কর্ণপাত কর, করিলে ঈশ্বর তোমাদের কথায় কর্ণপাত করিবেন।

8. किसी युग में वृक्ष किसी का अभिषेक करके अपने ऊपर राजा ठहराने को चले; तब उन्हों ने जलपाई के वृक्ष से कहा, तू हम पर राज्य कर।

8. একদা বৃক্ষগণ আপনাদের উপরে অভিষেক করণার্থে রাজার অন্বেষণে গমন করিল। তাহারা জিতবৃক্ষকে কহিল, তুমি আমাদের উপরে রাজত্ব কর।

9. तब जलपाई के वृक्ष ने कहा, क्या मैं अपनी उस चिकनाहट को छोड़कर, जिस से लोग परमेश्वर और मनुष्य दोनों का आदर मान करते हैं, वृक्षों का अधिकारी होकर इधर उधर डोलने को चलूं?

9. জিতবৃক্ষ তাহাদিগকে কহিল, আমার যে তৈলের নিমিত্ত ঈশ্বর ও মনুষ্যগণ আমার গৌরব করেন, তাহা ত্যাগ করিয়া আমি কি বৃক্ষগণের উপরে দুলিতে থাকিব?

10. तब वृक्षों ने अंजीर के वृक्ष से कहा, तू आकर हम पर राज्य कर।

10. পরে বৃক্ষগণ ডুমুরবৃক্ষকে বলিল, তুমি আসিয়া আমাদের উপরে রাজত্ব কর।

11. अंजीर के वृक्ष ने उन से कहा, क्या मैं अपने मीठेपन और अपने अच्छे अच्छे फलों को छोड़ वृक्षों का अधिकारी होकर इधर उधर डोलने को चलूं?

11. ডুমুরবৃক্ষ তাহাদিগকে কহিল, আমি কি আপন মিষ্টতা ও উত্তম ফল ত্যাগ করিয়া বৃক্ষগণের উপরে দুলিতে থাকিব?

12. फिर वृक्षों ने दाखलता से कहा, तू आकर हम पर राज्य कर।

12. পরে বৃক্ষগণ দ্রাক্ষালতাকে বলিল, তুমি আসিয়া আমাদের উপরে রাজত্ব কর।

13. दाखलता ने उन से कहा, क्या मैं अपने नये मधु को छोड़, जिस से परमेश्वर और मनुष्य दोनों को आनन्द होता है, वृक्षों की अधिकारिणी होकर इधर उधर डोलने को चलूं?

13. দ্রাক্ষালতা তাহাদিগকে কহিল, আমার যে রস ঈশ্বর ও মনুষ্যগণকে প্রসন্ন করে, তাহা ত্যাগ করিয়া আমি কি বৃক্ষগণের উপরে দুলিতে থাকিব?

14. तब सब वृक्षों ने झड़बेरी से कहा, तू आकर हम पर राज्य कर।

14. পরে সমস্ত বৃক্ষ কন্টকবৃক্ষকে বলিল, তুমি আসিয়া আমাদের উপরে রাজত্ব কর।

15. झड़बेरी ने उन वृक्षों से कहा, यदि तुम अपने ऊपर राजा होने को मेरा अभिषेक सच्चाई से करते हो, तो आकर मेरी छांह में शरण लो; और नहीं तो, झड़बेरी से आग निकलेगी जिस से लबानोन के देवदारू भी भस्म हो जाएंगे।

15. কন্টকবৃক্ষ সেই বৃক্ষগণকে কহিল, তোমরা যদি আপনাদের উপরে বাস্তবিক আমাকে রাজা বলিয়া অভিষেক কর, তবে আসিয়া আমার ছায়ার শরণ লও; যদি না লও, তবে এই কন্টকবৃক্ষ হইতে অগ্নি নির্গত হইয়া লিবানোনের এরস বৃক্ষগণকে গ্রাস করুক।

16. इसलिये अब यदि तुम ने सच्चाई और खराई से अबीमेलेक को राजा बनाया है, और यरूब्बाल और उसके घराने से भलाई की, और उस ने उसके काम के योग्य बर्ताव किया हो, तो भला।

16. এখন অবীমেলককে রাজা করাতে তোমরা যদি সত্য ও যথার্থ আচরণ করিয়া থাক, এবং যদি যিরুব্বালের ও তাঁহার কুলের প্রতি সদাচরণ করিয়া থাক, ও তাঁহার হস্তকৃত উপকারানুসারে তাঁহার প্রতি ব্যবহার করিয়া থাক;

17. (मेरा पिता तो तुम्हारे निमित्त लड़ा, और अपने प्राण पर खेलकर तुम को मिद्यानियों के हाथ से छुड़ाया;

17. —কারণ আমার পিতা তোমাদের নিমিত্ত যুদ্ধ করিয়াছিলেন, ও প্রাণপণ করিয়া মিদিয়নের হস্ত হইতে তোমাদিগকে উদ্ধার করিয়াছিলেন;

18. परन्तु तुम ने आज मेरे पिता के घराने के विरूद्ध उठकर बलवा किया, और उसके सत्तर पुत्रा एक ही पत्थर पर घात किए, और उसकी लौंड़ी के पुत्रा अबीमेलेक को इसलिये शकेम के मनुष्यों के ऊपर राजा बनाया है कि वह तुम्हारा भाई है);

18. কিন্তু তোমরা অদ্য আমার পিতৃকুলের বিরুদ্ধে উঠিয়া এক প্রস্তরের উপরে তাঁহার সত্তর জন পুত্রকে বধ করিলে, ও তাঁহার দাসীপুত্র অবীমেলককে আপনাদের ভ্রাতা বলিয়া শিখিমের গৃহস্থদের উপরে রাজা করিলে;

19. इसलिये यदि तुम लोगों ने आज के दिन यरूब्बाल और उसके घराने से सच्चाई और खराई से बर्ताव किया हो, तो अबीमेलेक के कारण आनन्द करो, और वह भी तुम्हारे कारण आनन्द करे;

19. —অদ্য যদি তোমরা যিরুব্বালের ও তাঁহার কুলের প্রতি সত্য ও যথার্থ আচরণ করিয়া থাক, তবে অবীমেলকের বিষয়ে আনন্দ কর, এবং সেও তোমাদের বিষয়ে আনন্দ করুক।

20. और नहीं, तो अबीमेलेक से ऐसी आग निकले जिस से शकेम के मनुष्य और बेतमिल्लो भस्म हो जाएं: शकेम के मनुष्यों और बेतमिल्लो से ऐसी आग निकले जिस से अबीमेलेक भस्म हो जाए।

20. কিন্তু তাহা যদি না হয়, তবে অবীমেলক হইতে অগ্নি নির্গত হইয়া শিখিমের গৃহস্থদিগকে ও মিল্লোর লোকদিগকে গ্রাস করুক; আবার শিখিমের গৃহস্থগণ হইতে ও মিল্লোর লোকদের হইতে অগ্নি নির্গত হইয়া অবীমেলককে গ্রাস করুক।

21. तब योताम भागा, और अपने भाई अबीमेलेक के डर के मारे बेर को जाकर वहां रहने लगा।।

21. পরে যোথম দৌড়িয়া পলায়ন করিল, সে বেরে গেল, এবং তাহার ভ্রাতা অবীমেলকের ভয়ে সেই স্থানে বাস করিল।

22. और अबीमेलेक इस्राएल के ऊपर तीन वर्ष हाकिम रहा।

22. অবীমেলক ইস্রায়েলের উপরে তিন বৎসর কর্ত্তৃত্ব করিল।

23. तब परमेश्वर ने अबीमेलेक और शकेम के मनुष्यों के बीच एक बुरी आत्मा भेज दी; सो शकेम के मनुष्य अबीमेलेक का विश्वासघात करने लगे;

23. পরে ঈশ্বর অবীমেলকের ও শিখিমের গৃহস্থদের মধ্যে এক মন্দ আত্মা প্রেরণ করিলেন, তাহাতে শিখিমের গৃহস্থেরা অবীমেলকের প্রতি বিশ্বাসঘাতকতা করিল;

24. जिस से यरूब्बाल के सत्तर पुत्रों पर किए हुए उपद्रव का फल भोगा जाए, और उनका कुल उनके घात करनेवाले उनके भाई अबीमेलेक के सिर पर, और उसके अपने भाइयों के घात करने में उसकी सहायता करनेवाले शकेम के मनुष्यों के सिर पर भी हो।

24. যেন যিরুব্বালের সত্তরটী পুত্রের প্রতি কৃত অত্যাচারের প্রতিফল ঘটে, এবং তাহাদের ভ্রাতা অবীমেলক, যে তাহাদিগকে বধ করিয়াছিল, তাহার উপরে, এবং ভ্রাতৃবধে যাহারা তাহার হস্ত সবল করিয়াছিল, সেই শিখিমস্থ গৃহস্থদের উপরে ঐ রক্তপাতের অপরাধ যেন বর্ত্তে।

25. तब शकेम के मनुष्यों ने पहाड़ों की चोटियों पर उसके लिये घातकों को बैठाया, जो उस मार्ग से सब आने जानेवालों को लूटते थे; और इसका समाचार अबीमेलेक को मिला।।

25. আর শিখিমের গৃহস্থেরা তাহার নিমিত্ত কোন কোন পর্ব্বত-শৃঙ্গে গোপনে লোক বসাইয়া দিল, তাহাতে যত লোক তাহাদের নিকটস্থ পথ দিয়া গেল, সকলেরই দ্রব্যাদি তাহারা লুটিয়া লইল; আর অবীমেলক তাহার সংবাদ পাইল।

26. तब एबेद का पुत्रा गाल अपने भाइयों समेत शकेम में आया; और शकेम के मनुष्यों ने उसका भरोसा किया।

26. পরে এবদের পুত্র গাল আপন ভ্রাতৃগণকে সঙ্গে লইয়া শিখিমে আসিল; আর শিখিমের গৃহস্থেরা তাহাকে বিশ্বাস করিল।

27. और उन्हों ने मैदान में जाकर अपनी अपनी दाख की बारियों के फल तोड़े और उनका रस रौन्दा, और स्तुति का बलिदान कर अपने देवता के मन्दिर में जाकर खाने पीने और अबीमेलेक को कोसने लगे।

27. আর তাহারা বাহির হইয়া আপন আপন দ্রাক্ষাক্ষেত্রে ফল চয়ন করিল ও তাহা মাড়িল এবং উৎসব করিল, আর আপনাদের দেবতার মন্দিরে গিয়া ভোজন পান করিয়া অবীমেলককে শাপ দিল।

28. तब एबेद के पुत्रा गाल ने कहा, अबीमेलेक कौन है? शकेम कौन है कि हम उसके अधीन रहें? क्या वह यरूब्बाल का पुत्रा नहीं? शकेम के पिता हमोर के लोगों के तो अधीन हो, परन्तु हमे उसके अधीन क्यों रहें?

28. আর এবদের পুত্র গাল কহিল, অবীমেলক কে, সে শিখিমীয় কে, যে আমরা তাহার দাসত্ব করিব? সে কি যিরুব্বালের পুত্র নহে? সবূল কি তাহার সেনাপতি নহে? তোমরা বরং শিখিমের পিতা হমোরের লোকদের দাসত্ব কর;

29. और यह प्रजा मेरे वश में होती हो क्या ही भला होता! तब तो मैं अबीमेलेक को दूर करता। फिर उस ने अबीमेलेक से कहा, अपनी सेना की गिनती बढ़ाकर निकल आ।

29. আমরা উহার দাসত্ব কেন স্বীকার করিব? আহা, এই সকল লোক আমার হস্তগত হইলে আমি অবীমেলককে দূর করিয়া দিই। পরে সে অবীমেলকের উদ্দেশে কহিল, তুমি দলবল বৃদ্ধি করিয়া বাহির হইয়া আইস দেখি।

30. एबेद के पुत्रा गाल की वे बातें सुनकर नगर के हाकिम जबूल का क्रोध भड़क उठा।

30. এবদের পুত্র গালের সেই কথা নগরের কর্ত্তা সবূলের কর্ণগোচর হইলে সে ক্রোধে প্রজ্বলিত হইয়া উঠিল;

31. और उस ने अबीमेलेक के पास छिपके दूतों से कहला भेजा, कि एबेद का पुत्रा गाल और उसके भाई शकेम में आके नगरवालों को तेरा विरोध करने को उसका रहे हैं।

31. আর সে কৌশলক্রমে অবীমেলকের নিকটে দূত পাঠাইয়া কহিল, দেখুন, এবদের পুত্র গাল ও তাহার ভ্রাতৃগণ শিখিমে আসিয়াছে; আর দেখুন, তাহারা আপনার বিরুদ্ধে নগরে কুপ্রবৃত্তি দিতেছে।

32. इसलिये तू अपने संगवालों समेत रात को उठकर मैदान में घात लगा।

32. অতএব আপনি ও আপনার সঙ্গে যে সকল লোক আছে, আপনারা রাত্রিতে উঠিয়া ক্ষেত্রে লুকাইয়া থাকুন।

33. फिर बिहान को सवेरे सूर्य के निकलते ही उठकर इस नगर पर चढ़ाई करना; और जब वह अपने संगवालों समेत तेरा साम्हना करने को निकले तब जो तुझ से बन पड़े वही उस से करना।।

33. পরে প্রাতঃকালে সূর্য্যোদয় হইবামাত্র আপনি উঠিয়া নগর আক্রমণ করিবেন; আর দেখুন, সে ও তাহার সঙ্গী লোকেরা আপনার বিরুদ্ধে নির্গত হইবে, তখন আপনার হস্ত যাহা করিতে পারিবে, তাহা করিবেন।

34. तब अबीमेलेक और उसके संग के सब लोग रात को उठ चार झुण्ड बान्धकर शकेम के विरूद्ध घात में बैठ गए।

34. পরে অবীমেলক ও তাহার সঙ্গী সমস্ত লোক রাত্রিতে উঠিয়া চারি দল হইয়া শিখিমের বিরুদ্ধে লুকাইয়া রহিল।

35. और एबेद का पुत्रा गाल बाहर जाकर नगर के फाटक में खड़ा हुआ; तब अबीमेलेक और उसके संगी घात छोड़कर उठ खड़े हुए।

35. আর এবদের পুত্র গাল বাহিরে গিয়া নগরদ্বার-প্রবেশের স্থানে দাঁড়াইল; পরে অবীমেলক ও তাহার সঙ্গী লোকেরা গুপ্তস্থান হইতে উঠিল।

36. उन लोगों को देखकर गाल जबूल से कहने लगा, देख, पहाड़ों की चोटियों पर से लोग उतरे आते हैं! जबूल ने उस से कहा, वह तो पहाड़ों ही छाया है जो तुझे मनुष्यों के समान देख पड़ती है।

36. আর গাল সেই লোকদিগকে দেখিয়া সবূলকে কহিল, দেখ, পর্ব্বতশৃঙ্গ হইতে লোকসমূহ নামিয়া আসিতেছে। সবূল তাহাকে কহিল, তুমি মনুষ্যভ্রমে পর্ব্বতের ছায়া দেখিতেছ।

37. गाल ने फिर कहा, देख, लोग देश के बीचोंबीच होकर उतरे आते हैं, और एक झुण्ड मोननीम नाम बांज वृक्ष के मार्ग से चला आता है।

37. পরে গাল পুনর্ব্বার কহিল, দেখ, উচ্চ দেশ হইতে লোকসমূহ নামিয়া আসিতেছে, এবং গণকদের এলোন বৃক্ষের পথ দিয়া এক দল আসিতেছে।

38. जबूल ने उस से कहा, तेरी यह बात कहां रही, कि अबीमेलेक कौन है कि हम उसके अधीन रहें? ये तो वे ही लोग हैं जिनको तू ने निकम्मा जाना था; इसलिये अब निकलकर उन से लड़।

38. সবূল তাহাকে কহিল, কোথায় এখন তোমার সেই মুখ, যে মুখে বলিয়াছিলে, অবীমেলক কে যে আমরা তাহার দাসত্ব স্বীকার করি? তুমি যে লোকদিগকে তুচ্ছ করিয়াছিলে, উহারা কি সেই লোক নয়? এখন যাও, বাহির হইয়া উহার সহিত যুদ্ধ কর।

39. तब गाल शकेम के पुरूषों का अगुवा हो बाहर निकलकर अबीमेलेक से लड़ा।

39. পরে গাল শিখিমের গৃহস্থদের অগ্রে অগ্রে বাহিরে গিয়া অবীমেলকের সহিত যুদ্ধ করিল।

40. और अबीमेलेक ने उसको खदेड़ा, और अबीमेलेक के साम्हने से भागा; और नगर के फाटक तक पहुंचते पहुंचते बहुतेरे घायल होकर गिर पड़े।

40. তাহাতে অবীমেলক তাহাকে তাড়া করিল, ও সে তাহার সম্মুখ হইতে পলায়ন করিল, এবং দ্বার-প্রবেশ-স্থান পর্য্যন্ত অনেক লোক আহত হইয়া পড়িল।

41. तब अबीमेलेक अरूमा में रहने लगा; और जबूल ने गाल और उसके भाइयों को निकाल दिया, और शकेम में रहने न दिया।

41. পরে অবীলেমক অরূমায় রহিল, এবং সবূল গালকে ও তাহার ভ্রাতৃগণকে তাড়াইয়া দিল, তাহারা আর শিখিমে বাস করিতে পারিল না।

42. दूसरे दिन लोग मैदान में निकल गए; और यह अबीमेलेक को बताया गया।

42. পর দিন লোকেরা বাহির হইয়া ক্ষেত্রে যাইতেছিল, আর অবীমেলক তাহার সংবাদ পাইল।

43. और उस ने अपनी सेना के तीन दल बान्धकर मैदान में घात लगाई; और जब देखा कि लोग नगर से निकले आते हैं तब उन पर चढ़ाई करके उन्हें मार लिया।

43. সে লোকদিগকে লইয়া তিন দল করিয়া ক্ষেত্রমধ্যে লুকাইয়া রহিল; পরে সে চাহিয়া দেখিল, আর দেখ, লোকেরা নগর হইতে বাহির হইয়া আসিতেছিল; তখন সে তাহাদের বিরুদ্ধে উঠিয়া তাহাদিগকে আঘাত করিল।

44. अबीमेलेक अपने संग के दलों समेत आगे दौड़कर नगर के फाटक पर खड़ा हो गया, और दो दलों ने उन सब लोगों पर धावा करके जो मैदान में थे उन्हें मार डाला।

44. পরে অবীমেলক ও তাহার সঙ্গিদল সকল ত্বরায় অগ্রসর হইয়া নগর-দ্বার-প্রবেশের স্থানে দাঁড়াইয়া রহিল, এবং দুই দল ক্ষেত্রস্থ সকল লোককে আক্রমণ করিয়া আঘাত করিল।

45. उसी दिन अबीमेलेक ने नगर से दिन भर लड़कर उसको ले दिया, और उसके लोगों को घात करके नगर को ढा दिया, और उस पर नमक छिड़कवा दिया।।

45. আর অবীমেলক সেই সমস্ত দিন ঐ নগরের বিরুদ্ধে যুদ্ধ করিল; আর নগর হস্তগত করিয়া তথাকার লোকদিগকে বধ করিল, এবং নগর সমভূমি করিয়া তাহার উপরে লবণ ছড়াইয়া দিল।

46. यह सुनकर शकेम के गुम्मट के सब रहनेवाले एलबरीत के मन्दिर के गढ़ में जा घुसे।

46. পরে শিখিমের দুর্গস্থিত গৃহস্থ সকল এই কথা শুনিয়া এল্‌-বরীৎ দেবের মন্দিরস্থ এক দৃঢ় গৃহে প্রবেশ করিল।

47. जब अबीमेलेक को यह समाचार मिला कि शकेम के गुम्मट के सब मनुष्य इकट्ठे हुए हैं,

47. পরে শিখিমের দুর্গস্থিত সমস্ত গৃহস্থ একত্র হইয়াছে, এই কথা অবীমেলকের কর্ণগোচর হইল।

48. तब वह अपने सब संगियों समेत सलमोन नाम पहाड़ पर चढ़ गया; और हाथ में कुल्हाड़ी ले पेड़ों में से एक डाली काटी, ओर उसे उठाकर अपने कन्धे पर रख ली। और अपने संगवालों से कहा कि जैसा तुम ने मुझे करते देखा वैसा ही तुम भी झटपट करो।

48. তখন অবীমেলক ও তাহার সঙ্গিগণ সকলে সল্‌মোন পর্ব্বতে উঠিল। আর অবীমেলক কুঠার হস্তে লইয়াছিল; সে বৃক্ষ হইতে এক শাখা কাটিয়া লইয়া আপন স্কন্ধে রাখিল, এবং আপন সঙ্গী লোকদিগকে কহিল, তোমরা আমাকে যাহা করিতে দেখিলে, শীঘ্র সেইরূপ কর।

49. तब उन सब लोगों ने भी एक एक डाली काट ली, और अबीमेलेक के पीछे हो उनको गढ़ पर डालकर गढ़ में आग लगाई; तब शकेम के गुम्मट के सब स्त्री पुरूष जो अटकल एक हजार थे मर गए।।

49. তাহাতে সমস্ত লোক প্রত্যেক জন এক এক শাখা কাটিয়া লইয়া অবীমেলকের পশ্চাতে পশ্চাতে চলিল; পরে সেই সকল শাখা ঐ দৃঢ় গৃহের গাত্রে রাখিয়া সেই গৃহে আগুন লাগাইয়া দিল; এইরূপে শিখিমের দুর্গস্থিত সমস্ত লোকও মরিল; তাহারা স্ত্রী ও পুরুষ অনুমান সহস্র লোক ছিল।

50. तब अबीमेलेक ने तेबेस को जाकर उसके साम्हने डेरे खड़े करके उस को ले लिया।

50. পরে অবীমেলক তেবেসে গমন করিল, ও তেবেসের বিরুদ্ধে শিবির স্থাপন করিয়া তাহা হস্তগত করিল।

51. परन्तु एक नगर के बीच एक दृढ़ गुम्मट था, सो क्या स्त्री पुरूष, नगर के सब लोग भागकर उस में घुसे; और उसे बन्द करके गुम्मट की छत पर चढ़ गए।

51. কিন্তু ঐ নগরের মধ্যে দুরাক্রম এক দুর্গ ছিল, অতএব সমস্ত পুরুষ ও স্ত্রী, এবং নগরের সকল গৃহস্থ পলাইয়া তাহার মধ্যে গিয়া দ্বার রুদ্ধ করিয়া দুর্গের ছাদের উপরে উঠিল।

52. तब अबीमेलेक गुम्मट के निकट जाकर उसके विरूद्ध लड़ने लगा, और गुम्मट के द्वार तक गया कि उस में आग लगाए।

52. পরে অবীমেলক সেই দুর্গের কাছে উপস্থিত হইয়া তাহার বিরুদ্ধে যুদ্ধ করিল, এবং তাহা অগ্নি দ্বারা পোড়াইয়া দিবার জন্য দুর্গের দ্বার পর্য্যন্ত গেল।

53. तब किसी स्त्री ने चक्की के ऊपर का पाट अबीमेलेक के सिर पर डाल दिया, और उसकी खोपड़ी फट गई।

53. তখন একটী স্ত্রীলোক যাঁতার উপরের পাট লইয়া অবীমেলকের মস্তকের উপরে নিক্ষেপ করিয়া তাহার মাথার খুলি ভগ্ন করিল।

54. तब उस ने झट अपने हथियारों के ढोनेवाले जवान को बुलाकर कहा, अपनी तलवार खींचकर मुझे मार डाल, ऐसा न हो कि लोग मेरे विषय में कहने पाएं, कि उसको एक स्त्री ने घात किया। तब उसके जवान ने तलवार भोंक दी, और वह मर गया।

54. তাহাতে সে শীঘ্র আপন অস্ত্রবাহক যুবককে ডাকিয়া কহিল, তুমি খড়গ খুলিয়া আমাকে বধ কর; পাছে লোকে আমার বিষয়ে বলে, একটা স্ত্রীলোক উহাকে বধ করিয়াছে। তখন সে যুবক তাহাকে বিদ্ধ করিলে সে মরিয়া গেল।

55. यह देखकर कि अबीमेलेक मर गया है इस्राएली अपने अपने स्थान को चले गए।

55. পরে অবীমেলক মরিয়াছে দেখিয়া ইস্রায়েলের লোকেরা প্রত্যেকে আপন আপন স্থানে প্রস্থান করিল।

56. इस प्रकार जो दुष्ट काम अबीमेलेक ने अपने सत्तर भाइयों को घात करके अपने पिता के साथ किया था, उसको परमेश्वर ने उसके सिर पर लौटा दिया;

56. এইরূপে অবীমেলক আপনার সত্তর জন ভ্রাতাকে বধ করিয়া আপন পিতার বিরুদ্ধে যে দুষ্কর্ম্ম করিয়াছিল, ঈশ্বর তাহার সমুচিত দণ্ড তাহাকে দিলেন;

57. और शकेम के पुरूषों के भी सब दुष्ट काम परमेश्वर ने उनके सिर पर लौटा दिए, और यरूब्बाल के पुत्रा योताम का शाप उन पर घट गया।।

57. আবার শিখিমের লোকদের মস্তকে ঈশ্বর তাহাদের সমস্ত দুষ্কর্ম্মের প্রতিফল বর্ত্তাইলেন; তাহাতে যিরুব্বালের পুত্র যোথমের শাপ তাহাদের উপরে পড়িল।



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