Judges - न्यायियों 11 | View All

1. यिप्तह नाम गिलादी बड़ा शूरवीर था, और वह वेश्या का बेटा था; और गिलाद से यिप्तह उत्पन्न हुआ था।

1. Now Jephthah of Gilead was a great warrior. He was the son of Gilead, but his mother was a prostitute.

2. गिलाद की स्त्री के भी बेटे उत्पन्न हुए; और जब वे बड़े हो गए तब यिप्तह को यह कहकर निकाल दिया, कि तू तो पराई स्त्री का बेटा है; इस कारण हमारे पिता के घराने में कोई भाग न पाएगा।

2. Gilead's wife also had several sons, and when these half brothers grew up, they chased Jephthah off the land. 'You will not get any of our father's inheritance,' they said, 'for you are the son of a prostitute.'

3. तब यिप्तह अपने भाइयों के पास से भागकर तोब देश में रहने लगा; और यिप्तह के पास लुच्चे मनुष्य इकट्ठे हो गए; और उसके संग फिरने लगे।।

3. So Jephthah fled from his brothers and lived in the land of Tob. Soon he had a band of worthless rebels following him.

4. और कुछ दिनों के बाद अम्मोनी इस्राएल से लड़ने लगे।

4. At about this time, the Ammonites began their war against Israel.

5. जब अम्मोनी इस्राएल से लड़ते थे, तब गिलाद के वृद्ध लोग यिप्तह को तोब देश से ले आने को गए;

5. When the Ammonites attacked, the elders of Gilead sent for Jephthah in the land of Tob. The elders said,

6. और यिप्तह से कहा, चलकर हमारा प्रधान हो जा, कि हम अम्मोनियों से लड़ सकें।

6. 'Come and be our commander! Help us fight the Ammonites!'

7. यिप्तह ने गिलाद के वृद्ध लोगों से कहा, क्या तुम ने मुझ से बैर करके मुझे मेरे पिता के घर से निकाल न दिया था? फिर अब संकट में पड़कर मेरे पास क्यों आए हो?

7. But Jephthah said to them, 'Aren't you the ones who hated me and drove me from my father's house? Why do you come to me now when you're in trouble?'

8. गिलाद के वृद्ध लोगों ने यिप्तह से कहा, इस कारण हम अब तेरी ओर फिरे हैं, कि तू हमारे संग चलकर अम्मोनियों से लड़े; तब तू हमारी ओर से गिलाद के सब निवासियों का प्रधान ठहरेगा।

8. 'Because we need you,' the elders replied. 'If you lead us in battle against the Ammonites, we will make you ruler over all the people of Gilead.'

9. यिप्तह ने गिलाद के वृद्ध लोगों से पूछा, यदि तुम मुझे अम्मोनियों से लड़ने को फिर मेरे घर ले चलो, और यहोवा उन्हें मेरे हाथ कर दे, तो क्या मैं तुम्हारा प्रधान ठहरूंगा?

9. Jephthah said to the elders, 'Let me get this straight. If I come with you and if the LORD gives me victory over the Ammonites, will you really make me ruler over all the people?'

10. गिलाद के वृद्ध लोगों ने यिप्तह से कहा, निश्चय हम तेरी इस बाते के अनुसार करेंगे; यहोवा हमारे और तेरे बीच में इन वचनों का सुननेवाला है।

10. 'The LORD is our witness,' the elders replied. 'We promise to do whatever you say.'

11. तब यिप्तह गिलाद के वृद्ध लोगों के संग चला, और लोगों ने उसको अपने ऊपर मुखिया और प्रधान ठहराया; और यिप्तह ने अपनी सब बातें मिस्पा में यहोवा के सम्मुख कह सुनाई।।

11. So Jephthah went with the elders of Gilead, and the people made him their ruler and commander of the army. At Mizpah, in the presence of the LORD, Jephthah repeated what he had said to the elders.

12. तब यिप्तह ने अम्मोनियों के राजा के पास दूतों से यह कहला भेजा, कि तुझे मुझ से क्या काम, कि तू मेरे देश में लड़ने को आया है?

12. Then Jephthah sent messengers to the king of Ammon, asking, 'Why have you come out to fight against my land?'

13. अम्मोनियों के राजा ने यिप्तह के दूतों से कहा, कारण यह है, कि जब इस्राएली मि से आए, तब अर्नोन से यब्बोक और यरदन तक जो मेरा देश था उसको उन्हों ने छीन लिया; इसलिये अब उसको बिना झगड़ा किए फेर दे।

13. The king of Ammon answered Jephthah's messengers, 'When the Israelites came out of Egypt, they stole my land from the Arnon River to the Jabbok River and all the way to the Jordan. Now then, give back the land peaceably.'

14. तब यिप्तह ने फिर अम्मोनियों के राजा के पास यह कहने को दूत भेजे,

14. Jephthah sent this message back to the Ammonite king:

15. कि यिप्तह तुझ से यों कहता है, कि इस्राएल ने न तो मोआब का देश ले लिया और न अम्मोनियों का,

15. This is what Jephthah says: Israel did not steal any land from Moab or Ammon.

16. वरन जब वे मि से निकले, और इस्राएली जंगल में होते हुए लाल समुद्र तक चले, और कादेश को आए,

16. When the people of Israel arrived at Kadesh on their journey from Egypt after crossing the Red Sea,

17. तब इस्राएल ने एदोम के राजा के पास दूतों से यह कहला भेजा, कि मुझे अपने देश में होकर जाने दे; और एदोम के राजा ने उनकी न मानी। इसी रीति उस ने मोआब के राजा से भी कहला भेजा, और उस ने भी न माना। इसलिये इस्राएल कादेश में रह गया।

17. they sent messengers to the king of Edom asking for permission to pass through his land. But their request was denied. Then they asked the king of Moab for similar permission, but he wouldn't let them pass through either. So the people of Israel stayed in Kadesh.

18. तब उस ने जंगल में चलते चलते एदोम और मोआब दोनों देशों के बाहर बाहर घूमकर मोआब देश की पूर्व ओर से आकर अर्नोन के इसी पार अपने डेरे डाले; और मोआब के सिवाने के भीतर न गया, क्योंकि मोआब का सिवाना अर्नोन था।

18. 'Finally, they went around Edom and Moab through the wilderness. They traveled along Moab's eastern border and camped on the other side of the Arnon River. But they never once crossed the Arnon River into Moab, for the Arnon was the border of Moab.

19. फिर इस्राएल ने एमोरियों के राजा सीहोन के पास जो हेश्बोन का राजा था दूतों से यह कहला भेजा, कि हमें अपने देश में से होकर हमारे स्थान को जाने दे।

19. 'Then Israel sent messengers to King Sihon of the Amorites, who ruled from Heshbon, asking for permission to cross through his land to get to their destination.

20. परन्तु सीहोन ने इस्राएल का इतना विश्वास न किया कि उसे अपने देश में से होकर जाने देता; वरन अपनी सारी प्रजा को इकट्ठी कर अपने डेरे यहस में खड़े करके इस्राएल से लड़ा।

20. But King Sihon didn't trust Israel to pass through his land. Instead, he mobilized his army at Jahaz and attacked them.

21. और इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने सीहोन को सारी प्रजा समेत इस्राएल के हाथ में कर दिया, और उन्हों ने उनको मार लिया; इसलिये इस्राएल उस देश के निवासी एमोरियों के सारे देश का अधिकारी हो गया।

21. But the LORD, the God of Israel, gave his people victory over King Sihon. So Israel took control of all the land of the Amorites, who lived in that region,

22. अर्थात् वह अनौन से यब्बोक तक और जंगल से ले यरदन तक एमोरियों के सारे देश का अधिकारी हो गया।

22. from the Arnon River to the Jabbok River, and from the eastern wilderness to the Jordan.

23. इसलिये अब इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने अपनी इस्राएली प्रजा के साम्हने से एमोरियों को उनके देश से निकाल दिया है; फिर क्या तू उसका अधिकारी होने पाएगा?

23. 'So you see, it was the LORD, the God of Israel, who took away the land from the Amorites and gave it to Israel. Why, then, should we give it back to you?

24. क्या तू उसका अधिकारी न होगा, जिसका तेरा कमोश देवता तुझे अधिकारी कर दे? इसी प्रकार से जिन लोगों को हमारा परमेश्वर यहोवा हमारे साम्हने से निकाले, उनके देश के अधिकारी हम होंगे।

24. You keep whatever your god Chemosh gives you, and we will keep whatever the LORD our God gives us.

25. फिर क्या तू मोआब के राजा सिप्पोर के पुत्रा बालाक से कुछ अच्छा है? क्या उस ने कभी इस्राएलियों से कुछ भी झगड़ा किया? क्या वह उन से कभी लड़ा?

25. Are you any better than Balak son of Zippor, king of Moab? Did he try to make a case against Israel for disputed land? Did he go to war against them?

26. जब कि इस्राएल हेश्बोन और उसके गावों में, और अरोएल और उसके गावों में, और अर्नोन के किनारे के सब नगरों में तीन सौ वर्ष से बसा है, तो इतने दिनों में तुम लोगों ने उसको क्यों नहीं छुड़ा लिया?

26. 'Israel has been living here for 300 years, inhabiting Heshbon and its surrounding settlements, all the way to Aroer and its settlements, and in all the towns along the Arnon River. Why have you made no effort to recover it before now?

27. मैं ने तेरा अपराध नहीं किया; तू ही मुझ से युद्ध छेड़कर बुरा व्यवहार करता है; इसलिये यहोवा जो न्यायी है, वह इस्राएलियों और अम्मोनियों के बीच में आज न्याय करे।

27. Therefore, I have not sinned against you. Rather, you have wronged me by attacking me. Let the LORD, who is judge, decide today which of us is right-- Israel or Ammon.'

28. तौभी अम्मोनियों के राजा ने यिप्तह की ये बातें न मानीं जिनको उस ने कहला भेजा था।।

28. But the king of Ammon paid no attention to Jephthah's message.

29. तब यहोवा का आत्मा यिप्तह में समा गया, और वह गिलाद और मनश्शे से होकर गिलाद के मिस्पे में आया, और गिलाद के मिस्पे से होकर अम्मोनियों की ओर चला।

29. At that time the Spirit of the LORD came upon Jephthah, and he went throughout the land of Gilead and Manasseh, including Mizpah in Gilead, and from there he led an army against the Ammonites.

30. और यिप्तह ने यह कहकर यहोवा की मन्नत मानी, कि यदि तू नि:सन्देह अम्मोनियों को मेरे हाथ में कर दे,

30. And Jephthah made a vow to the LORD. He said, 'If you give me victory over the Ammonites,

31. तो जब मैं कुशल के साथ अम्मोनियों के पास से लौट आऊं तब जो कोई मेरे भेंट के लिये मेरे घर के द्वार से निकले वह यहोवा का ठहरेगा, और मैं उसे होमबलि करके चढ़ाऊंगा।

31. I will give to the LORD whatever comes out of my house to meet me when I return in triumph. I will sacrifice it as a burnt offering.'

32. तब यिप्तह अम्मोनियों से लड़ने को उनकी ओर गया; और यहोवा ने उनको उसके हाथ में कर दिया।
इब्रानियों 11:32

32. So Jephthah led his army against the Ammonites, and the LORD gave him victory.

33. और वह अरोएर से ले मिन्नीत तक, जो बीस नगर हैं, वरन आबेलकरामीम तक जीतते जीतते उन्हें बहुत बड़ी मार से मारता गया। और अम्मोनी इस्राएलियों से हार गए।।

33. He crushed the Ammonites, devastating about twenty towns from Aroer to an area near Minnith and as far away as Abel-keramim. In this way Israel defeated the Ammonites.

34. जब यिप्तह मिस्पा को अपने घर आया, तब उसकी बेटी डफ बजाती और नाचती हुई उसकी भेंट के लिये निकल आई; वह उसकी एकलौती थी; उसको छोड़ उसके न तो कोई बेटा था और कोई न बेटी।

34. When Jephthah returned home to Mizpah, his daughter came out to meet him, playing on a tambourine and dancing for joy. She was his one and only child; he had no other sons or daughters.

35. उसको देखते ही उस ने अपने कपड़े फाड़कर कहा, हाय, मेरी बेटी! तू ने कमर तोड़ दी, और तू भी मेरे कष्ट देनेवालों में हो गई है; क्योंकि मैं :ने यहोवा को वचन दिया है, और उसे टाल नहीं सकता।

35. When he saw her, he tore his clothes in anguish. 'Oh, my daughter!' he cried out. 'You have completely destroyed me! You've brought disaster on me! For I have made a vow to the LORD, and I cannot take it back.'

36. उस ने उस से कहा, हे मेरे पिता, तू ने जो यहोवा को वचन दिया है, तो जो बात तेरे मुंह से निकली है उसी के अनुसार मुझ से बर्ताव कर, क्योंकि यहोवा ने तेरे अम्मोनी शत्रुओं से तेरा पलटा लिया है।

36. And she said, 'Father, if you have made a vow to the LORD, you must do to me what you have vowed, for the LORD has given you a great victory over your enemies, the Ammonites.

37. फिर उस ने अपने पिता से कहा, मेरे लिये यह किया जाए, कि दो महीने तक मुझे छोड़े रह, कि मैं अपनी सहेलियों सहित जाकर पहाड़ों पर फिरती हुई अपनी कुंवारीपन पर रोती रहूं।

37. But first let me do this one thing: Let me go up and roam in the hills and weep with my friends for two months, because I will die a virgin.'

38. उस ने कहा, जा। तब उस ने उसे दो महिने की छुट्टी दी; इसलिये वह अपनी सहेलियों सहित चली गई, और पहाड़ों पर अपनी कुंवारीपन पर रोती रही।

38. 'You may go,' Jephthah said. And he sent her away for two months. She and her friends went into the hills and wept because she would never have children.

39. दो महीने के बीतने पर वह अपने पिता के पास लौट आई, और उस ने उसके विषय में अपनी मानी हुइ मन्नत को पूरी किया। और उस कन्या ने पुरूष का मुंह कभी न देखा था। इसलिये इस्राएलियों में यह रीति चली

39. When she returned home, her father kept the vow he had made, and she died a virgin.So it has become a custom in Israel

40. कि इस्राएली स्त्रियां प्रतिवर्ष यिप्तह गिलादी की बेटी का यश गाने को वर्ष में चार दिन तक जाया करती थीं।।

40. for young Israelite women to go away for four days each year to lament the fate of Jephthah's daughter.



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