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1. और मैं ने एक पशु को समुद्र में से निकलते हुए देखा, जिस के दस सींग और सात सिर थे; और उसके सिरों पर निन्दा के नाम लिखे हुए थे।दानिय्येल 7:3, दानिय्येल 7:7
1. আর আমি দেখিলাম, “সমুদ্রের মধ্য হইতে এক পশু উঠিতেছে; তাহার দশ শৃঙ্গ” ও সপ্ত মস্তক; এবং তাহার শৃঙ্গগুলিতে দশ কিরীট, এবং তাহার মস্তকগুলিতে ঈশ্বরনিন্দার কতিপয় নাম।
2. और जो पशु मैं ने देखा, वह चीते की नाई था; और उसके पांव भालू के से, और मुंह सिंह का सा था; और उस अजगर ने अपनी सामर्थ, और अपना सिंहासन, और बड़ा अधिकार, उसे दे दिया।दानिय्येल 7:4-6
2. সেই যে পশুকে আমি দেখিলাম, সে “চিতাবাঘের তুল্য, আর তাহার চরণ ভল্লুকের ন্যায়, এবং মুখ সিংহমুখের ন্যায়”; আর সেই নাগ আপনার পরাক্রম ও আপনার সিংহাসন ও মহৎ কর্ত্তৃত্ব তাহাকে দান করিল।
3. और मैं ने उसके सिरों में से एक पर ऐसा भारी घाव लगा देखा, मानो वह माने पर है; फिर उसका प्राणघातक घाव अच्छा हो गया, और सारी पृथ्वी के लोग उस पशु के पीछे पीछे अचंभा करते हुए चले।
3. পরে দেখিলাম, তাহার ঐ সকল মস্তকের মধ্যে একটা মস্তক যেন মৃত্যুজনক আঘাতে আহত হইয়াছিল, আর তাহার সেই মৃত্যুজনক আঘাতের প্রতীকার করা হইল; আর সমুদয় পৃথিবী চমৎকার জ্ঞান করিয়া সেই পশুর পশ্চাৎ চলিল।
4. और उन्हों ने अजगर की पूजा की, क्योंकि उस ने पशु को अपना अधिकार दे दिया था और यह कहकर पशु की पूजा की, कि इस पशु के समान कौन है?
4. আর তাহারা নাগের ভজনা করিল, কেননা সে সেই পশুকে আপন কর্ত্তৃত্ব দিয়াছিল; আর তাহারা সেই পশুর ভজনা করিল, কহিল, এই পশুর তুল্য কে? এবং ইহার সহিত কে যুদ্ধ করিতে পারে?
5. कौन उस से लड़ सकता है? और बड़े बोल बोलने और निन्दा करने के लिये उसे एक मुंह दिया गया, और उसे बयालीस महीने तक काम करने का अधिकार दिया गया।दानिय्येल 7:8, दानिय्येल 7:20, दानिय्येल 7:25, दानिय्येल 11:36-37
5. আর এমন এক মুখ তাহাকে দত্ত হইল, যাহা দর্প ও ঈশ্বর-নিন্দা করে, এবং তাহাকে বিয়াল্লিশ মাস পর্য্যন্ত কার্য্য করিবার ক্ষমতা দেওয়া গেল।
6. और उस ने परमेश्वर की निन्दा करने के लिये मुंह खोला, कि उसके नाम और उसके तम्बू अर्थात् स्वर्ग के रहनेवालों की निन्दा करे।
6. তাহাতে সে ঈশ্বরের নিন্দা করিতে মুখ খুলিল, তাঁহার নামের ও তাঁহার তাম্বুর, এবং স্বর্গবাসী সকলের নিন্দা করিতে লাগিল।
7. और उसे यह अधिकार दिया गया, कि पवित्रा लोगों से लड़े, और उन पर जय पाए, और उसे हर एक कुल, और लोग, और भाषा, और जाति पर अधिकार दिया गया।दानिय्येल 7:21, दानिय्येल 7:7
7. আর পবিত্রগণের সহিত যুদ্ধ করিবার ও তাহাদিগকে জয় করিবার ক্ষমতা তাহাকে দত্ত হইল; এবং তাহাকে সমস্ত বংশের ও লোকবৃন্দের ও ভাষার ও জাতির উপরে কর্ত্তৃত্ব দত্ত হইল।
8. और पृथ्वी के वे सब रहनेवाले जिन के नाम उस मेम्ने की जीवन की पुस्तक में लिखे नहीं गए, जो जंगल की उत्पत्ति के समय से घात हुआ है, उस पशु की पूजा करेंगे।निर्गमन 32:33, भजन संहिता 69:28, यशायाह 53:7, दानिय्येल 12:1
8. তাহাতে পৃথিবী-নিবাসীদের সমস্ত লোক তাহার ভজনা করিবে, যাহাদের নাম জগৎপত্তনের সময়াবধি হত মেষশাবকের জীবন পুস্তকে লিখিত নাই।
9. जिस के कान हों वह सुने।
9. যদি কাহারও কাণ থাকে, সে শুনুক।
10. जिस को कैद में पड़ना है, वह कैद में पड़ेगा, जो तलवार से मारेगा, अवश्य है कि वह तलवार से मारा जाएगा, पवित्रा लोगों का धीरज और विश्वास इसी में है।।यिर्मयाह 15:2, यिर्मयाह 43:11
10. যদি কেহ বন্দিত্বের পাত্র থাকে, সে বন্দিত্বে যাইবে; যদি কেহ খড়গ দ্বারা হত্যা করে, তাহাকে খড়গ দ্বারা হত হইতে হইবে। এস্থলে পবিত্রগণের ধৈর্য্য ও বিশ্বাস দেখা যায়।
11. फिर मैं ने एक और पशु को पृथ्वी में से निकलते हुए देखा, उसके मेम्ने के से दो सींग थे; और वह अजगर की नाईं बोलता था।
11. পরে আমি আর এক পশুকে দেখিলাম, সে স্থল হইতে উঠিল, এবং মেষশাবকের ন্যায় তাহার দুই শৃঙ্গ ছিল, আর সে নাগের ন্যায় কথা কহিত।
12. और यह उस पहिले पशु का सारा अधिकार उसके साम्हने काम में लाता था, और पृथ्वी और उसके रहनेवालों से उस पहिले पशु की जिस का प्राणघातक घाव अच्छा हो गया था, पूजा कराता था।
12. সে ঐ প্রথম পশুর সমস্ত কর্ত্তৃত্ব তাহার সাক্ষাতে পরিচালনা করে; এবং যে প্রথম পশুর মৃত্যুজনক আঘাতের প্রতীকার করা হইয়াছিল, পৃথিবীকে ও তন্নিবাসীদিগকে তাহার ভজনা করায়।
13. और वह बड़े बड़े चिन्ह दिखाता था, यहां तक कि मनुष्यों के साम्हने स्वर्ग से पृथ्वी पर आग बरसा देता था।1 राजाओं 18:24-29
13. আর সে মহৎ মহৎ চিহ্ন-কার্য্য করে; এমন কি মনুষ্যদের সাক্ষাতে স্বর্গ হইতে পৃথিবীতে অগ্নি নামায়।
14. और उन चिन्हों के कारण जिन्हें उस पशु के साम्हने दिखाने का अधिकार उसे दिया गया था; वह पृथ्वी के रहनेवालों को इस प्रकार भरमाता था, कि पृथ्वी के रहनेवालों से कहता था, कि जिस पशु के तलवार लगी थी, वह जी गया है, उस की मूरत बनाओ।व्यवस्थाविवरण 13:2-4
14. এইরূপে সেই পশুর সাক্ষাতে যে সকল চিহ্ন-কার্য্য করিবার ক্ষমতা তাহাকে দত্ত হইয়াছে, তদ্দ্বারা সে পৃথিবীনিবাসীদের ভ্রান্তি জন্মায়; সে পৃথিবীনিবাসীদিগকে বলে, ‘যে পশু খড়গ দ্বারা আহত হইয়াও বাঁচিয়া ছিল, তাহার এক প্রতিমা-নির্ম্মাণ কর।’
15. और उसे उस पशु की मूरत में प्राण डालने का अधिकार दिया गया, कि पशु की मूरत बोलने लगे; और जितने लोग उस पशु की मूरत की पूजा न करें, उन्हें मरवा डाले।दानिय्येल 3:5-6
15. আর তাহাকে এই ক্ষমতা দত্ত হইল যে, সে ঐ পশুর প্রতিমার মধ্যে নিশ্বাস প্রদান করে, যেন ঐ পশুর প্রতিমা কথা কহিতে পারে, ও এমন করিতে পারে যে, যত লোক সেই পশুর প্রতিমার ভজনা না করিবে, তাহাদিগকে বধ করা হয়।
16. और उस ने छोटे, बड़े, धनी, कंगाल, स्वत्रांत, दास सब के दहिने हाथ या उन के माथे पर एक एक छाप करा दी।
16. আর সে ক্ষুদ্র ও মহান্, ধনী ও দরিদ্র, স্বাধীন ও দাস, সকলকেই দক্ষিণ হস্তে কিম্বা ললাটে ছাব ধারণ করায়;
17. कि उस को छोड़ जिस पर छाप अर्थात् उस पशु का नाम, या उसके नाम का अंक हो, और कोई लेन देन न कर सके।
17. আর ঐ পশুর ছাব অর্থাৎ নাম কিম্বা নামের সংখ্যা যে কেহ ধারণ না করে, তাহার ক্রয় বিক্রয় করিবার অধিকার বদ্ধ করে।
18. ज्ञान इसी में है, जिसे बुद्धि हो, वह इस पशु का अंक जोड़ ले, क्योंकि मनुष्य का अंक है, और उसका अंक छ: सौ छियासठ है।।
18. এস্থলে জ্ঞান দেখা যায়। যে বুদ্ধিমান্, সে ঐ পশুর সংখ্যা গণনা করুক; কেননা তাহা মনুষ্যের সংখ্যা, এবং সেই সংখ্যা ছয় শত ছেষট্টি।