Revelation - प्रकाशितवाक्य 13 | View All

1. और मैं ने एक पशु को समुद्र में से निकलते हुए देखा, जिस के दस सींग और सात सिर थे; और उसके सिरों पर निन्दा के नाम लिखे हुए थे।
दानिय्येल 7:3, दानिय्येल 7:7

1. (12:18) (The dragon stood on the beach beside the sea.) I looked and saw a beast coming up from the sea. This one had ten horns and seven heads, and a crown was on each of its ten horns. On each of its heads were names that were an insult to God.

2. और जो पशु मैं ने देखा, वह चीते की नाई था; और उसके पांव भालू के से, और मुंह सिंह का सा था; और उस अजगर ने अपनी सामर्थ, और अपना सिंहासन, और बड़ा अधिकार, उसे दे दिया।
दानिय्येल 7:4-6

2. The beast that I saw had the body of a leopard, the feet of a bear, and the mouth of a lion. The dragon handed over its own power and throne and great authority to this beast.

3. और मैं ने उसके सिरों में से एक पर ऐसा भारी घाव लगा देखा, मानो वह माने पर है; फिर उसका प्राणघातक घाव अच्छा हो गया, और सारी पृथ्वी के लोग उस पशु के पीछे पीछे अचंभा करते हुए चले।

3. One of its heads seemed to have been fatally wounded, but now it was well. Everyone on earth marveled at this beast,

4. और उन्हों ने अजगर की पूजा की, क्योंकि उस ने पशु को अपना अधिकार दे दिया था और यह कहकर पशु की पूजा की, कि इस पशु के समान कौन है?

4. and they worshiped the dragon who had given its authority to the beast. They also worshiped the beast and said, 'No one is like this beast! No one can fight against it.'

5. कौन उस से लड़ सकता है? और बड़े बोल बोलने और निन्दा करने के लिये उसे एक मुंह दिया गया, और उसे बयालीस महीने तक काम करने का अधिकार दिया गया।
दानिय्येल 7:8, दानिय्येल 7:20, दानिय्येल 7:25, दानिय्येल 11:36-37

5. The beast was allowed to brag and claim to be God, and for forty-two months it was allowed to rule.

6. और उस ने परमेश्वर की निन्दा करने के लिये मुंह खोला, कि उसके नाम और उसके तम्बू अर्थात् स्वर्ग के रहनेवालों की निन्दा करे।

6. The beast cursed God, and it cursed the name of God. It even cursed the place where God lives, as well as everyone who lives in heaven with God.

7. और उसे यह अधिकार दिया गया, कि पवित्रा लोगों से लड़े, और उन पर जय पाए, और उसे हर एक कुल, और लोग, और भाषा, और जाति पर अधिकार दिया गया।
दानिय्येल 7:21, दानिय्येल 7:7

7. It was allowed to fight against God's people and defeat them. It was also given authority over the people of every tribe, nation, language, and race.

8. और पृथ्वी के वे सब रहनेवाले जिन के नाम उस मेम्ने की जीवन की पुस्तक में लिखे नहीं गए, जो जंगल की उत्पत्ति के समय से घात हुआ है, उस पशु की पूजा करेंगे।
निर्गमन 32:33, भजन संहिता 69:28, यशायाह 53:7, दानिय्येल 12:1

8. The beast was worshiped by everyone whose name wasn't written before the time of creation in the book of the Lamb who was killed.

9. जिस के कान हों वह सुने।

9. If you have ears, then listen!

10. जिस को कैद में पड़ना है, वह कैद में पड़ेगा, जो तलवार से मारेगा, अवश्य है कि वह तलवार से मारा जाएगा, पवित्रा लोगों का धीरज और विश्वास इसी में है।।
यिर्मयाह 15:2, यिर्मयाह 43:11

10. If you are doomed to be captured, you will be captured. If you are doomed to be killed by a sword, you will be killed by a sword. This means that God's people must learn to endure and be faithful!

11. फिर मैं ने एक और पशु को पृथ्वी में से निकलते हुए देखा, उसके मेम्ने के से दो सींग थे; और वह अजगर की नाईं बोलता था।

11. I now saw another beast. This one came out of the ground. It had two horns like a lamb, but spoke like a dragon.

12. और यह उस पहिले पशु का सारा अधिकार उसके साम्हने काम में लाता था, और पृथ्वी और उसके रहनेवालों से उस पहिले पशु की जिस का प्राणघातक घाव अच्छा हो गया था, पूजा कराता था।

12. It worked for the beast whose fatal wound had been healed. And it used all its authority to force the earth and its people to worship that beast.

13. और वह बड़े बड़े चिन्ह दिखाता था, यहां तक कि मनुष्यों के साम्हने स्वर्ग से पृथ्वी पर आग बरसा देता था।
1 राजाओं 18:24-29

13. It worked mighty miracles, and while people watched, it even made fire come down from the sky.

14. और उन चिन्हों के कारण जिन्हें उस पशु के साम्हने दिखाने का अधिकार उसे दिया गया था; वह पृथ्वी के रहनेवालों को इस प्रकार भरमाता था, कि पृथ्वी के रहनेवालों से कहता था, कि जिस पशु के तलवार लगी थी, वह जी गया है, उस की मूरत बनाओ।
व्यवस्थाविवरण 13:2-4

14. This second beast fooled people on earth by working miracles for the first one. Then it talked them into making an idol in the form of the beast that did not die after being wounded by a sword.

15. और उसे उस पशु की मूरत में प्राण डालने का अधिकार दिया गया, कि पशु की मूरत बोलने लगे; और जितने लोग उस पशु की मूरत की पूजा न करें, उन्हें मरवा डाले।
दानिय्येल 3:5-6

15. It was allowed to put breath into the idol, so that it could speak. Everyone who refused to worship the idol of the beast was put to death.

16. और उस ने छोटे, बड़े, धनी, कंगाल, स्वत्रांत, दास सब के दहिने हाथ या उन के माथे पर एक एक छाप करा दी।

16. All people were forced to put a mark on their right hand or forehead. Whether they were powerful or weak, rich or poor, free people or slaves,

17. कि उस को छोड़ जिस पर छाप अर्थात् उस पशु का नाम, या उसके नाम का अंक हो, और कोई लेन देन न कर सके।

17. they all had to have this mark, or else they could not buy or sell anything. This mark stood for the name of the beast and for the number of its name.

18. ज्ञान इसी में है, जिसे बुद्धि हो, वह इस पशु का अंक जोड़ ले, क्योंकि मनुष्य का अंक है, और उसका अंक छ: सौ छियासठ है।।

18. You need wisdom to understand the number of the beast! But if you are smart enough, you can figure this out. Its number is six hundred sixty-six, and it stands for a person.



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