16. वैसे ही उस ने अपनी सब पत्रियों में भी इन बातों की चर्चा की है जिन में कितनी बातें ऐसी है, जिनका समझना कठिन है, और अनपढ़ और चंचल लोग उन के अर्थों को भी पवित्रा शास्त्रा की और बातों की नाईं खींच तानकर अपने ही नाश का कारण बनाते हैं।
16. As one, that in all his Epistles speaketh of these thinges: among the which some thinges are hard to be vnderstand, which they that are vnlearned and vnstable, wrest, as they do also other Scriptures vnto their owne destruction.