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1. जितने दास जूए के नीचे हैं, वे अपने अपने स्वामी को बड़े आदर के योग्य जानें, ताकि परमेश्वर के नाम और उपदेश की निन्दा न हो।
1. যে সকল লোক যোঁয়ালির অধীন দাস, তাহারা আপন আপন কর্ত্তাদিগকে সম্পূর্ণ সমাদরের যোগ্য জ্ঞান করুক, যেন ঈশ্বরের নাম এবং শিক্ষা নিন্দিত না হয়।
2. और जिन के स्वामी विश्वासी हैं, इन्हें वे भाई होने के कारण तुच्छ न जानें; बरन उन की और भी सेवा करें, क्योंकि इस से लाभ उठाने वाले विश्वासी और प्रेमी हैं: इन बातों का उपदेश किया कर और समझाता रह।।
2. আর যাহাদের বিশ্বাসী কর্ত্তা আছে, তাহারা তাঁহাদিগকে ভ্রাতা বলিয়া তুচ্ছ জ্ঞান না করুক; বরং আরও যত্নে দাস্যকর্ম্ম করুক, কেননা যাঁহারা সেই সদ্ব্যবহারের ফল ভোগ করেন, তাঁহারা বিশ্বাসী ও প্রেমের পাত্র।
3. यदि कोई और ही प्रकार का उपदेश देना है; और खरी बातों को, अर्थात् हमारे प्रभु यीशु मसीह की बातों को और उस उपदेश को नहीं मानता, जो भक्ति के अनुसार है।
3. এই সকল শিক্ষা দেও ও অনুনয় কর। যদি কেহ অন্যবিধ শিক্ষা দেয়, এবং নিরাময় বাক্য, অর্থাৎ আমাদের প্রভু যীশু খ্রীষ্টের বাক্য, ও ভক্তির অনুরূপ শিক্ষা স্বীকার না করে,
4. तो वह अभिमानी हो गया, और कुछ नहीं जानता, बरन उसे विवाद और शब्दों पर तर्क करने का रोग है, जिन से डाह, और झगड़े, और निन्दा की बातें, और बुरे बुरे सन्देह।
4. তবে সে গর্ব্বান্ধ, কিছুই জানে না, কিন্তু বিতণ্ডা ও বাগ্যুদ্ধের বিষয়ে রোগগ্রস্ত হইয়াছে; এ সকলের ফল মাৎসর্য্য, বিরোধ,
5. और उन मनुष्यों में व्यर्थ रगड़े झगड़े उत्पन्न होते हैं, जिन की बुद्धि बिगड़ गई है और वे सत्य से विहीन हो गए हैं, जो समझते हैं कि भक्ति कमाई का द्वार है।
5. বিবিধ নিন্দা, কুসন্দেহ, এবং নষ্ট বিবেক ও হীনসত্য লোকদের চিরবিসংবাদ; এ প্রকার লোকেরা ভক্তিকে লাভের উপায় জ্ঞান করে।
6. पर सन्तोष सहित भक्ति बड़ी कमाई है।
6. বাস্তবিকই ভক্তি, সন্তোষযুক্ত হইলে, মহালাভের উপায়,
7. क्योंकि न हम जगत में कुछ लाए हैं और न कुछ ले जा सकते हैं।अय्यूब 1:21, सभोपदेशक 5:15
7. কেননা আমরা জগতে কিছুই সঙ্গে আনি নাই, কিছুই সঙ্গে করিয়া লইয়া যাইতেও পারি না;
8. और यदि हमारे पास खाने और पहिनने को हो, तो इन्हीं पर सन्तोष करना चाहिए।नीतिवचन 30:8
8. কিন্তু গ্রাসাচ্ছাদন পাইলে আমরা তাহাতেই সন্তুষ্ট থাকিব।
9. पर जो धनी होना चाहते हैं, वे ऐसी परीक्षा, और फंदे और बहुतेरे व्यर्थ और हानिकारक लालसाओं में फंसते हैं, जो मनुष्यों को बिगाड़ देती हैं और विनाश के समुद्र में डूबा देती हैं।नीतिवचन 23:4, नीतिवचन 28:22
9. কিন্তু যাহারা ধনী হইতে বাসনা করে, তাহারা পরীক্ষাতে ও ফাঁদে এবং নানাবিধ মূঢ় ও হানিকর অভিলাষে পতিত হয়, সে সকল মনুষ্যদিগকে সংহারে ও বিনাশে মগ্ন করে।
10. क्योंकि रूपये का लोभ सब प्रकार की बुराइयों की जड़ है, जिसे प्राप्त करने का प्रयत्न करते हुए कितनों ने विश्वास से भटककर अपने आप को नाना प्रकार के दुखों से छलनी बना लिया है।।
10. কেননা ধনাসক্তি সকল মন্দের একটা মূল; তাহাতে রত হওয়াতে কতক লোক বিশ্বাস হইতে বিপথগামী হইয়াছে, এবং অনেক যাতনারূপ কন্টকে আপনারা আপনাদিগকে বিদ্ধ করিয়াছে।
11. पर हे परमेश्वर के जन, तू इन बातों से भाग; और धर्म, भक्ति, विश्वास, प्रेम, धीरज, और नम्रता का पीछा कर।
11. কিন্তু তুমি, হে ঈশ্বরের লোক, এই সকল হইতে পলায়ন কর; এবং ধার্ম্মিকতা, ভক্তি, বিশ্বাস, প্রেম, ধৈর্য্য, মৃদুভাব, এই সকলের অনুধাবন কর।
12. विश्वास की अच्छी कुश्ती लड़; और उस अनन्त जीवन को धर ले, जिस के लिये तू बुलाया, गया, और बहुत गवाहों के साम्हने अच्छा अंगीकार किया था।
12. বিশ্বাসের উত্তম যুদ্ধে প্রাণপণ কর; অনন্ত জীবন ধরিয়া রাখ; তাহারই নিমিত্ত তুমি আহূত হইয়াছ, এবং অনেক সাক্ষীর সাক্ষাতে সেই উত্তম প্রতিজ্ঞা স্বীকার করিয়াছ।
13. मैं तुझे परमेश्वर को जो सब को जीवित रखता है, और मसीह यीशु को गवाह करके जिस ने पुन्तियुस पीलातुस के साम्हने अच्छा अंगीकार किया, यह आज्ञा देता हूं,
13. সকলের জীবনদাতা ঈশ্বরের সাক্ষাতে, এবং যিনি পন্তীয় পীলাতের কাছে সেই উত্তম প্রতিজ্ঞারূপ সাক্ষ্য দিয়াছিলেন, সেই খ্রীষ্ট যীশুর সাক্ষাতে, আমি তোমাকে এই আজ্ঞা করিতেছি,
14. कि तू हमारे प्रभु यीशु मसीह के प्रगट होने तक इस आज्ञा को निष्कलंक और निर्दोष रख।
14. তুমি ধর্ম্মবিধি নিষ্কলঙ্ক ও অনিন্দনীয় রাখ; প্রভু যীশু খ্রীষ্টের সেই প্রকাশপ্রাপ্তি পর্য্যন্ত,
15. जिसे वह ठीक समयों में दिखाएगा, जो परमधन्य और अद्वैत अधिपति और राजाओं का राजा, और प्रभुओं का प्रभु है।व्यवस्थाविवरण 10:17, यहेजकेल 34:29
15. যাহা সেই পরমধন্য ও একমাত্র সম্রাট, রাজত্বকারীদের রাজা ও প্রভুত্বকারীদের প্রভু, উপযুক্ত সময়-সমূহে প্রদর্শন করিবেন;
16. और अमरता केवल उसी की है, और वह अगम्य ज्योति में रहता है, और न उसे किसी मनुष्य ने देखा, और न कभी देख सकता है: उस की प्रतिष्ठा और राज्य युगानुयुग रहेगा। आमीन।।निर्गमन 33:20, भजन संहिता 104:2
16. যিনি অমরতার একমাত্র অধিকারী, অগম্য দীপ্তিনিবাসী, যাঁহাকে মনুষ্যদের মধ্যে কেহ কখনও দেখিতে পায় নাই, দেখিতে পারেও না; তাঁহারই সমাদর ও অনন্তকালস্থায়ী পরাক্রম হউক। আমেন্।
17. इस संसार के धनवानों को आज्ञा दे, कि वे अभिमानी न हों और चंचल धन पर आशा न रखें, परन्तु परमेश्वर पर जो हमारे सुख के लिये सब कुछ बहुतायत से देता है।भजन संहिता 62:10
17. যাহারা এই যুগে ধনবান্, তাহাদিগকে এই আজ্ঞা দেও, যেন তাহারা গর্ব্বিতমনা না হয়, এবং ধনের অস্থিরতার উপরে নয়, কিন্তু যিনি ধনবানের ন্যায় সকলই আমাদের ভোগার্থে যোগাইয়া দেন, সেই ঈশ্বরেরই উপরে প্রত্যাশা রাখে;
18. और भलाई करें, और भले कामों में धनी बनें, और उदार और सहायता देने में तत्पर हों।
18. যেন পরের উপকার করে, সৎক্রিয়ারূপ ধনে ধনবান্ হয়, দানশীল হয়, সহভাগীকরণে তৎপর হয়;
19. और आगे के लिये एक अच्छी नेव डाल रखें, कि सत्य जीवन को वश में कर लें।।
19. এইরূপে তাহারা আপনাদের নিমিত্ত ভাবীকালের জন্য উত্তম ভিত্তিমূলস্বরূপ নিধি প্রস্তুত করুক, যেন, যাহা প্রকৃতরূপে জীবন, তাহাই ধরিয়া রাখিতে পারে।
20. हे तीमुथियुस इस थाती की रखवाली कर और जिस ज्ञान को ज्ञान कहना ही भूल है, उसके अशुद्ध बकवाद और विरोध की बातों से परे रह।
20. হে তীমথিয়, তোমার কাছে যাহা গচ্ছিত হইয়াছে, তাহা সাবধানে রাখ; যাহা অযথারূপে বিদ্যা নামে আখ্যাত, তাহার ধর্ম্মবিরূপক নিঃসার শব্দাড়ম্বর ও বিরোধবাণী হইতে বিমুখ হও;
21. कितने इस ज्ञान का अंगीकार करके, विश्वास से भटक गए हैं।। तुम पर अनुग्रह होता रहे।।
21. সেই বিদ্যা অঙ্গীকার করিয়া কেহ কেহ বিশ্বাস সম্বন্ধে লক্ষ্যভ্রষ্ট হইয়াছে। অনুগ্রহ তোমাদের সহবর্ত্তী হউক।