16. और इस में सन्देह नहीं, कि भक्ति का भेद गम्भीर है; अर्थात् वह जो शरीर में प्रगट हुआ, आत्मा में धर्मी ठहरा, स्वर्गदूतों को दिखाई दिया, अन्यजातियों में उसका प्रचार हुआ, जगत में उस पर विश्वास किया गया, और महिमा में ऊपर उठाया गया।।
16. আর ভক্তির নিগূঢ়তত্ত্ব মহৎ, ইহা সর্ব্বসম্মত, যিনি মাংসে প্রকাশিত হইলেন, আত্মাতে ধার্ম্মিক প্রতিপন্ন হইলেন, দূতগণের নিকট দর্শন দিলেন, জাতিগণের মধ্যে প্রচারিত হইলেন, জগতে বিশ্বাস দ্বারা গৃহীত হইলেন, সপ্রতাপে ঊর্দ্ধে নীত হইলেন।