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Cross Reference Bible
1. सो यदि मसीह में कुछ शान्ति और प्रेम से ढाढ़स और आत्मा की सहभागिता, और कुछ करूणा और दया है।
1. So then, if there is any comfort in Christ, if any consolation of love, if any fellowship of the Spirit, if any tendernesses and compassions,
2. तो मेरा यह आनन्द पूरा करो कि एक मन रहो और एक ही प्रेम, एक ही चित्त, और एक ही मनसा रखो।
2. fulfill my joy, that you think the same, having the same love, one in soul, minding the one thing,
3. विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो।
3. doing nothing according to party spirit or self-glory, but in humility, esteeming one another as surpassing themselves;
4. हर एक अपनी ही हित की नहीं, बरन दूसरों की हित की भी चिन्ता करे।
4. each not looking at the things of themselves, but each also the things of others.
5. जैसा मसीह यीशु का स्वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्वभाव हो।
5. For think this within you, which mind was also in Christ Jesus,
6. जिस ने परमेश्वर के स्वरूप में होकर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा।
6. who subsisting in the form of God, thought it not robbery to be equal with God,
7. बरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया।जकर्याह 3:8
7. but emptied Himself, taking the form of a slave, having become in the likeness of men
8. और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली।
8. and being found in fashion as a man, He humbled Himself, having become obedient until death, even the death of a cross.
9. इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है।
9. Because of this also God highly exalted Him and gave Him a name above every name,
10. कि जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे है; वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें।यशायाह 45:23
10. that at the name of Jesus 'every knee should bow,' of heavenly ones, and earthly ones, and ones under the earth,
11. और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।।यशायाह 45:23
11. and 'every tongue should confess' that Jesus Christ is 'Lord,' to the glory of God the Father. Isa. 45:23
13. क्योंकि परमेश्वर ही है, जिस न अपनी सुइच्छा निमित्त तुम्हारे मन में इच्छा और काम, दोनों बातों के करने का प्रभाव डाला है।
13. for it is God who is working in you both to will and to work for the sake of His good pleasure.
14. सब काम बिना कुड़कुड़ाए और बिना विवाद के किया करो।
14. Do all things without murmurings and disputings,
15. ताकि तुम निर्दोष और भोले होकर टेढ़े और हठीले लोगों के बीच परमेश्वर के निष्कलंक सन्तान बने रहो, (जिन के बीच में तुम जीवन का वचन लिए हुए जगत में जलते दीपकों की नाईं दिखाई देते हो)।व्यवस्थाविवरण 32:5
15. that you may be blameless and harmless, children of God, without fault in the midst of a crooked generation, even having been perverted, among whom you shine as luminaries in the world,
16. कि मसीह के दिन मुझे घमण्ड करने का कारण हो, कि न मेरा दौड़ना और न मेरा परिश्रम करना व्यर्थ हुआ।यशायाह 49:4, यशायाह 65:23
16. holding up the Word of Life, for a boast to me in the day of Christ, that I ran not in vain, nor labored in vain.
17. और यदि मुझे तुम्हारे विश्वास के बलिदान और सेवा के साथ अपना लोहू भी बहाना पड़े तौभी मैं आनन्दित हूं, और तुम सब के साथ आनन्द करता हूं।
17. But if indeed I am poured out on the sacrifice and service of your faith, I rejoice; yea, I rejoice with you all.
18. वैसे ही तुम भी आनन्दित हो, और मेरे साथ आनन्द करो।।
18. And you also rejoice in the same and rejoice with me.
19. मुझे प्रभु यीशु में आशा है, कि मैं तीमुथियुस को तुम्हारे पास तुरन्त भेजूंगा, ताकि तुम्हारी दशा सुनकर मुझे शान्ति मिले।
19. But I hope in the Lord Jesus to send Timothy to you soon, that I may also be of good cheer, knowing the things about you.
20. क्योंकि मेरे पास ऐसे स्वाभाव का कोई नहीं, जो शुद्ध मन से तुम्हारी चिन्ता करे।
20. For I have no one like-minded, who genuinely will care for the things about you.
21. क्योंकि सब अपने स्वार्थ की खोज में रहते हैं, न कि यीशु मसीह की।
21. For all seek their own things, not the things of Christ Jesus.
22. पर उसको तो तुम ने परखा और जान भी लिया है, कि जैसा पुत्रा पिता के साथ करता है, वैसा ही उस ने सुसमाचार के फैलाने में मेरे साथ परिश्रम किया।
22. But you know the proof of him, that as a child to a father, he served with me for the gospel.
23. सो मुझे आशा है, कि ज्यों ही मुझे जान पड़ेगा कि मेरी क्या दशा होगी, त्यों ही मैं उसे तुरन्त भेज दूंगा।
23. Then I hope to send this one at once, whenever I shall see the things about me.
24. और मुझे प्रभु में भरोसा है, कि मैं आप भी शीघ्र आऊंगा।
24. But I trust in the Lord that I myself also will come soon.
25. पर मैं ने इपफ्रदीतुस को जो मेरा भाई, और सहकर्मी और संगी योद्धा और तुम्हारा दूत, और आवश्यक बातों में मेरी सेवा टहल करनेवाला है, तुम्हारे पास भेजना अवश्य समझा।
25. But I thought it needful to send to you Epaphroditus, my brother and fellow-worker, and my fellow soldier, and your messenger and minister of my need,
26. क्योंकि उसका मन तुम सब में लगा हुआ था, इस कारण वह व्याकुल रहता था क्योंकि तुम ने उस की बीमारी का हाल सुना था।
26. since he was longing for you all and has been troubled because you heard that he was sick.
27. और निश्चय वह बीमार तो हो गया था, यहां तक कि मरने पर था, परन्तु परमेश्वर ने उस पर दया की; और केवल उस ही पर नहीं, पर मुझ पर भी, कि मुझे शोक पर शोक न हो।
27. For indeed he was sick, coming near to death; but God had mercy on him, and not only on him, but also me, lest I should have grief on grief.
28. इसलिये मैं ने उसे भेजने का और भी यत्न किया कि तुम उस से फिर भेंट करके आनन्दित हो जाओ और मेरा शोक घट जाए।
28. Therefore, I sent him more eagerly, that seeing him again you may rejoice, and I may be less grieved.
29. इसलिये तुम प्रभु में उस से बहुत आनन्द के साथ भेंट करना, और ऐसों का आदर किया करना।
29. Then receive him in the Lord with all joy and hold such in honor,
30. क्योंकि वही मसीह के काम के लिये अपने प्राणों पर जोखिम उठाकर मरने के निकट हो गया था, ताकि जो घटी तुम्हारी ओर से मेरी सेवा में हुई, उसे पूरा करे।।
30. because that through the work of Christ he drew near as far as to death, his life having been exposed, that he may fill up your lack of service toward me.