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1. तब उस आज्ञा के अनुसार, जो यहोवा ने मुझ को दी थी, हम ने घूमकर कूच किया, और लाल समुद्र के मार्ग के जंगल की ओर चले; और बहुत दिन तक सेईर पहाड़ के बाहर बाहर चलते रहे।
1. And departing from thence we came into the wilderness that leadeth to the Red Sea, as the Lord had spoken to me: and we compassed mount Seir a long time.
2. तब यहोवा ने मुझ से कहा,
2. And the Lord said to me:
3. तुम लोगों को इस पहाड़ के बाहर बाहर चलते हुए बहुत दिन बीत गए, अब घूमकर उत्तर की ओर चलो।
3. You have compassed this mountain long enough: go toward the north:
4. और तू प्रजा के लोगों को मेरी यह आज्ञा सुना, कि तुम सेईर के निवासी अपने भाई एसावियों के सिवाने के पास होकर जाने पर हो; और वे तुम से डर जाएँगे। इसलिये तुम बहुत चौकस रहो;
4. And command thou the people, saying: You shall pass by the borders of your brethren the children of Esau, who dwell in Seir, and they will be afraid of you.
5. उन्हें न छेड़ना; क्योंकि उनके देश में से मैं तुम्हें पाँव धरने का ठौर तक न दूँगा, इस कारण कि मैं ने सेईर पर्वत एसावियों के अधिकार में कर दिया हैं।प्रेरितों के काम 7:5
5. Take ye then good heed that you stir not against them. For I will not give you of their land so much as the step of one foot can tread upon, because I have given mount Seir to Esau, for a possession.
6. तुम उन से भोजन रूपये से मोल लेकर खा सकोगे, और रूपया देकर कुंओं से पानी भरके पी सकोगे।
6. You shall buy meats of them for money and shall eat: you shall draw waters for money, and shall drink.
7. क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारे हाथों के सब कामों के विषय तुम्हें आशीष देता आया है; इस भारी जंगल में तुम्हारा चलना फिरना वह जानता हैं; इन चालीस वर्षो में तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारे संग संग रहा है; और तुम को कुछ घटी नहीं हुई।
7. The Lord thy God hath blessed thee in every work of thy hands: the Lord thy God dwelling with thee, knoweth thy journey, how thou hast passed through this great wilderness, for forty years, and thou hast wanted nothing.
8. यों हम सेईर निवासी और अपने भाई एसावियों के पास से होकर, अराबा के मार्ग, और एलत और एस्योनगेबेर को पीछे छोड़कर चलें।। फिर हम मुड़कर मोआब के जंगल के मार्ग से होकर चले।
8. And when we had passed by our brethren the children of Esau, that dwelt in Seir, by the way of the plain from Elath and from Asiongaber, we came to the way that leadeth to the desert of Moab.
9. और यहोवा ने मुझ से कहा, मोआबियों को न सताना और न लड़ाई छेड़ना, क्योंकि मैं उनके देश में से कुछ भी तेरे अधिकार में न कर दूँगा क्योंकि मैं ने आर को लूतियों के अधिकार में किया है।
9. And the Lord said to me: Fight not against the Moabites, neither go to battle against them: for I will not give thee any of their land, because I have given Ar to the children of Lot in possession.
10. (अगले दिनों में वहाँ एमी लोग बसे हुए थे, जो अनाकियों के समान बलवन्त और लम्बे लम्बे और गिनती में बहुत थे;
10. The Emims first were the inhabitants thereof, a people great, and strong, and so tall, that like the race of the Enacims,
11. और अनाकियों की नाई वे भी रपाई गिने जाते थे, परन्तु मोआबी उन्हें एमी कहते हैं।
11. They were esteemed as giants, and were like the sons of the Enacims. But the Moabites call them Emims.
12. और अगले दिनों में सेईर में होरी लोग बसे हुए थे, परन्तु एसावियों ने उनको उस देश से निकाल दिया, और अपने साम्हने से नाश करके उनके स्थान पर आप बस गए; जैसे कि इस्राएलियों ने यहोवा के दिये हुए अपने अधिकार के देश में किया।)
12. The Horrhites also formerly dwelt in Seir: who being driven out and destroyed, the children of Esau dwelt there, as Israel did in the land of his possession, which the Lord gave him.
13. अब तुम लोग कूच करके जेरेद नदी के पार जाओ; तब हम जेरेद नदी के पार आए।
13. Then rising up to pass the torrent Zared, we came to it.
14. और हमारे कादेशबर्ने को छोड़ने से लेकर जेरेद नदीे पार होने तक अड़तीस वर्ष बीत गए, उस बीच में यहोवा की शपथ के अनुसार उस पीढ़ी के सब योद्धा छावनी में से नाश हो गए।
14. And the time that we journeyed from Cadesbarne till we passed over the torrent Zared, was thirty-eight years: until all the generation of the men that were fit for war was consumed out of the camp, as the Lord had sworn:
15. और जब तक वे नाश न हुए तब तक यहोवा का हाथ उन्हें छावनी में से मिटा डालने के लिये उनके विरूद्ध बढ़ा ही रहा
15. For his hand was against them, that they should perish from the midst of the camp.
16. जब सब योद्धा मरते मरते लोगों के बीच में से नाश हो गए,
16. And after all the fighting men were dead,
17. तब यहोवा ने मुझ से कहा,
17. The Lord spoke to me, saying:
18. अब मोआब के सिवाने, अर्थात आर को पार कर;
18. Thou shalt pass this day the borders of Moab, the city named Ar:
19. और जब तू अम्मोनियों के साम्हने जाकर उनके निकट पहुँचे, तब उनको न सताना और न छेड़ना, क्योंकि मैं अम्मोनियों के देश में से कुछ भी तेरे अधिकार में न करूँगा, क्योंकि मैं ने उसे लूसियों के अधिकार में कर दिया है।
19. And when thou comest nigh the frontiers of the children of Ammon, take heed thou fight not against them, nor once move to battle: for I will not give thee of the land of the children of Ammon, because I have given it to the children of Lot for a possession.
20. (वह देश भी रपाइयों का गिना जाता था, क्योंकि अगले दिनों में रपाई, जिन्हें अम्मोनी जमजुम्मी कहते थे, वे वहाँ रहते थे;
20. It was accounted a land of giants: and giants formerly dwelt in it, whom the Ammonites call Zomzommims,
21. वे भी अनाकियों के समान बलवान और लम्बे लम्बे और गिनती में बहुत थे; परन्तु यहोवा ने उनको अम्मोनियों के साम्हने से नाश कर डाला, और उन्हों ने उनको उस देश से निकाल दिया, और उनके स्थान पर आप रहने लगे;
21. A people great and many, and of tall stature, like the Enacims whom the Lord destroyed before their face: and he made them to dwell in their stead,
22. जैसे कि उस ने सेईर के निवासी एसावियों के साम्हने से होरियों को नाश किया, और उन्हों ने उनको उस देश से निकाल दिया, और आज तक उनके स्थान पर वे आप निवास करते हैं।
22. As he had done in favour of the children of Esau, that dwell in Seir, destroying the Horrhites, and delivering their land to them, which they possess to this day.
23. वैसा ही अव्वियों को, जो अज्जा नगर तक गाँवों में बसे हुए थे, उनको कप्तोरियों ने जो कप्तोर से निकले थे नाश किया, और उनके स्थान पर आप रहने लगे।)
23. The Hevites also, that dwelt in Haserim as far as Gaza, were expelled by the Cappadocians: who came out of Cappadocia, and destroyed them, and dwelt in their stead.
24. अब तुम लोग उठकर कूच करो, और अर्नोन के नाले के पार चलो; सुन, मैं देश समेत हेशबोन के राजा एमोरी सीहोन को तेरे हाथ में कर देता हूँ; इसलिये उस देश को अपने अधिकार में लेना आरम्भ करो, और उस राजा से युद्ध छेड़ दो।
24. Arise ye, and pass the torrent Arnon: Behold I have delivered into thy hand Sehon king of Hesebon the Amorrhite, and begin thou to possess his land and make war against him.
25. और जितने लोग धरती पर रहते हैं उन सभों के मन में मैं आज ही के दिन से तेरे कारण डर और थरथराहट समवाने लगूंगा; वे तेरा समाचार पाकर तेरे डर के मारे कांपेंगे और पीड़ित होंगे।।
25. This day will I begin to send the dread and fear of thee upon the nations that dwell under the whole heaven: that when they hear thy name they may fear and tremble, and be in pain like women in travail.
26. और मैं ने कदेमोत नाम जंगल से हेशबोन के राजा सीहोन के पास मेल की ये बातें कहने को दूत भेजे,
26. So I sent messengers from the wilderness of Cademoth to Sehon the king of Hesebon with peaceable words, saying:
27. कि मुझे अपने देश में से होकर जाने दे; मैं राजपथ पर चला जाऊँगा, और दहिने और बांए हाथ न मुड़ूँगा।
27. We will pass through thy land, we will go along by the highway: we will not turn aside neither to the right hand nor to the left.
28. तू रूपया लेकर मेरे हाथ भोजनवस्तु देना कि मैं खाऊं, और पानी भी रूपया लेकर मुझ को देना कि मैं पीऊं; केवल मुझे पांव पांव चले जाने दे,
28. Sell us meat for money, that we may eat: give us water for money and so we will drink. We only ask that thou wilt let us pass through,
29. जैसा सेईर के निवासी एसावियों ने और आर के निवासी मोआबियों ने मुझ से किया, वैसा ही तू भी मुझ से कर, इस रीति मैं यरदन पार होकर उस देश में पहुंचूंगा जो हमारा परमेश्वर यहोवा हमें देता है।
29. As the children of Esau have done, that dwell in Seir, and the Moabites, that abide in Ar: until we come to the Jordan, and pass to the land which the Lord our God will give us.
30. परन्तु हेशबोन के राजा सीहोन ने हम को अपने देश में से होकर चलने न दिया; क्योंकि तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने उसका चित्त कठोर और उसका मन हठीला कर दिया था, इसलिये कि उसको तुम्हारे हाथ में कर दे, जैसा कि आज प्रकट है।
30. And Sehon the king of Hesebon would not let us pass: because the Lord thy God had hardened his spirit, and fixed his heart, that he might be delivered into thy hands, as now thou seest.
31. और यहोवा ने मुझ से कहा, सुन, मैं देश समेत सीहोन को तेरे वश में कर देने पर हूँ; उस देश को अपने अधिकार में लेना आरम्भ कर।
31. And the Lord said to me: Behold I have begun to deliver unto thee Sehon and his land, begin to possess it.
32. तब सीहोन अपनी सारी सेना समेत निकल आया, और हमारा साम्हना करके युद्ध करने को यहस तक चढ़ा आया।
32. And Sehon came out to meet us with all his people to fight at Jasa.
33. और हमारे परमेश्वर यहोवा ने उसको हमारे द्वारा हरा दिया, और हम ने उसको पुत्रों और सारी सेना समेत मार डाला।
33. And the Lord our God delivered him to us: and we slew him with his sons and all his people.
34. और उसी समय हम ने उसके सारे नगर ले लिए, और एक एक बसे हुए नगर का स्त्रियों और बालबच्चों समेत यहाँ तक सत्यनाश किया कि कोई न छूटा;
34. And we took all his cities at that time, killing the inhabitants of them, men and women and children. We left nothing of them:
35. परन्तु पशुओं को हम ने अपना कर लिया, और उन नगरों की लूट भी हम ने ले ली जिनको हम ने जीत लिया था।
35. Except the cattle which came to the share of them that took them: and the spoils of the cities, which we took:
36. अर्नोन के नाले के छोरवाले अरोएर नगर से लेकर, गिलाद तक कोई नगर ऐसा ऊँचा न रहा जो हमारे साम्हने ठहर सकता था; क्योंकि हमारे परमेश्वर यहोवा ने सभों को हमारे वश में कर दिया।
36. From Aroer, which is upon the bank of the torrent Amen, a town that is situate in a valley, as far as Galaad. There was not a village or city, that escaped our hands: the Lord our God delivered all unto us:
37. परन्तु हम अम्मोनियों के देश के निकट, वरन यब्बोक नदी के उस पार जितना देश है, और पहाड़ी देश के नगर जहाँ जहाँ जाने से हमारे परमेश्वर यहोवा ने हम को मना किया था, वहाँ हम नहीं गए।
37. Except the land of the children of Ammon, to which we approached not: and all that border upon the torrent Jeboc, and the cities in the mountains, and all the places which the Lord our God forbade us.