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1. हे निर्बुद्धि गलतियों, किस ने तुम्हें मोह लिया? तुम्हारी तो मानों आंखों के साम्हने यीशु मसीह क्रूस पर दिखाया गया!
1. O foolish Galatians, who bewitched you+, before whose eyes Jesus Christ was openly set forth crucified?
2. मैं तुम से केवल यह जानना चाहता हूं, कि तुम ने आत्मा को, क्या व्यवस्था के कामों से, या विश्वास के समाचार से पाया?
2. This only I would learn from you+, Did you+ receive the Spirit by the works of the law, or by the hearing of faith?
3. क्या तुम ऐसे निर्बुद्धि हो, कि आत्मा की रीति पर आरम्भ करके अब शरीर की रीति पर अन्त करोगे?
3. Are you+ so foolish? Having begun in the Spirit, are you+ now perfected in the flesh?
4. क्या तुम ने इतना दुख योंही उठाया? परन्तु कदाचित व्यर्थ नहीं।
4. Did you+ suffer so many things for nothing? If it is indeed for nothing.
5. सो जो तुम्हें आत्मा दान करता और तुम में सामर्थ के काम करता है, वह क्या व्यवस्था के कामों से या विश्वास के सुसमाचार से ऐसा करता है?
5. He therefore who supplies to you+ the Spirit, and works miracles among you+, [does he do it] by the works of the law, or by the hearing of faith?
6. इब्राहीम ने तो परमेश्वर पर विश्वास किया और यह उसके लिये धार्मिकता गिनी गई।उत्पत्ति 15:6
6. Even as Abraham believed God, and it was reckoned to him for righteousness.
7. तो यह जान लो, कि जो विश्वास करनेवाले हैं, वे ही इब्राहीम की सन्तान हैं।
7. Know therefore that those who are of faith, the same are sons of Abraham.
8. और पवित्राशास्त्रा ने पहिले ही से यह जानकर, कि परमेश्वर अन्यजातियों को विश्वास से धर्मी ठहराएगा, पहिले हीे से इब्राहीम को यह सुसमाचार सुना दिया, कि तुझ में सब जातियां आशीष पाएंगी।उत्पत्ति 12:3, उत्पत्ति 18:18
8. And the Scripture, foreseeing that God would justify the Gentiles by faith, preached the good news beforehand to Abraham, [saying,] In you will all the nations be blessed.
9. तो जो विश्वास करनेवाले हैं, वे विश्वासी इब्राहीम के साथ आशीष पाते हैं।
9. So then those who are of faith are blessed with the faithful Abraham.
10. सो जितने लोग व्यवस्था के कामों पर भरोसा रखते हैं, वे सब स्त्राप के आधीन हैं, क्योंकि लिखा है, कि जो कोई व्यवस्था की पुस्तक में लिखी हुई सब बातों के करने में स्थिर नहीं रहता, वह स्त्रापित है।व्यवस्थाविवरण 27:26
10. For as many as are of the works of the law are under a curse: for it is written, Cursed is everyone who does not continue in all things that are written in the Book of the Law, to do them.
11. पर यह बात प्रगट है, कि व्यवस्था के द्वारा परमेश्वर के यहां कोई धर्मी नहीं ठहरता क्योंकि धर्मी जन विश्वास से जीवित रहेगा।हबक्कूक 2:4
11. Now that no man is justified by the law before God, is evident: for, The righteous will live by faith;
12. पर व्यवस्था का विश्वास से कुछ सम्बन्ध नहीं; पर जो उन को मानेगा, वह उन के कारण जीवित रहेगा।लैव्यव्यवस्था 18:5
12. and the law is not of faith; but, He who does them will live in them.
13. मसीह ने जो हमारे लिये स्त्रापित बना, हमें मोल लेकर व्यवस्था के स्त्राप से छुड़ाया क्योंकि लिखा है, जो कोई काठ पर लटकाया जाता है वह स्त्रापित है।व्यवस्थाविवरण 21:23
13. Christ redeemed us from the curse of the law, having become a curse for us; for it is written, Cursed is everyone who hangs on a tree:
14. यह इसलिये हुआ, कि इब्राहिम की आशीष मसीह यीशु में अन्यजातियों तक पंहुचे, और हम विश्वास के द्वारा उस आत्मा को प्राप्त करें, जिस की प्रतिज्ञा हुई है।।
14. that on the Gentiles might come the blessing of Abraham in Christ Jesus; that we might receive the promise of the Spirit through faith.
15. हे भाइयों, मैं मनुष्य की रीति पर कहता हूं, कि मनुष्य की वाचा भी जो पक्की हो जाती है, तो न कोई उसे टालता है और न उस में कुछ बढ़ाता है।
15. Brothers, I speak after the manner of men: Though it is but a man's covenant, yet when it has been confirmed, no one makes it void, or adds thereto.
16. निदान, प्रतिज्ञाएं इब्राहीम को, और उसके वंश को दी गईं; वह यह नहीं कहता, कि वशों को; जेसे बहुतों के विषय में कहा, पर जैसे एक के विषय में कि तेरे वंश को: और वह मसीह है।उत्पत्ति 12:7, उत्पत्ति 13:15, उत्पत्ति 17:7, उत्पत्ति 22:18, उत्पत्ति 24:7
16. Now to Abraham were the promises spoken, and to his seed. He does not say, And to seeds, as of many; but as of one, And to your seed, which is Christ.
17. पर मैं यह कहता हूं की जो वाचा परमेश्वर ने पहिले से पक्की की थी, उस को व्यवस्था चार सौ तीस बरस के बाद आकर नहीं टाल देती, कि प्रतिज्ञा व्यर्थ ठहरे।निर्गमन 12:40
17. Now this I say: A covenant confirmed beforehand by God, the law, which came four hundred and thirty years after, does not disannul, so as to make the promise of no effect.
18. क्योंकि यदि मीरास व्यवस्था से मिली है, तो फिर प्रतिज्ञा से नहीं, परन्तु परमेश्वर ने इब्राहीम को प्रतिज्ञा के द्वारा दे दी है।
18. For if the inheritance is of the law, it is no more of promise: but God has granted it to Abraham by promise.
19. तब फिर व्यवस्था क्या रही? वह तो अपराधों के कारण बाद में दी गई, कि उस वंश के आने तक रहे, जिस को प्रतिज्ञा दी गई थी, और वह स्वर्गदूतों के द्वारा एक मध्यस्थ के हाथ ठहराई गई।
19. What then is the law? It was added because of transgressions, until the seed should come to whom the promise has been made; [and it was] directed through angels by the hand of a mediator.
20. मध्यस्थ तो एक का नहीं होता, परन्तु परमेश्वर एक ही है।
20. Now a mediator is not [a mediator] of one; but God is one.
21. तो क्या व्यवस्था परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं के विरोध में है? कदापि न हो? क्योंकि यदि ऐसी व्यवस्था दी जाती जो जीवन दे सकती, तो सचमुच धार्मिकता व्यवस्था से होती।
21. Is the law then against the promises of God? God forbid: for if there had been a law given which could bring life, truly righteousness would have been by the law.
22. परन्तु पवित्रा शास्त्रा ने सब को पाप के आधीन कर दिया, ताकि वह प्रतिज्ञा जिस का आधार यीशु मसीह पर विश्वास करना है, विश्वास करनेवालों के लिये पूरी हो जाए।।
22. But the Scripture shut up all things under sin, that the promise by faith in Jesus Christ might be given to those who believe.
23. पर विश्वास के आने से पहिले व्यवस्था की अधीनता में हमारी रखवाली होती थी, और उस विश्वास के आने तक जो प्रगट होनेवाला था, हम उसी के बन्धन में रहे।
23. But before faith came, we were kept in ward under the law, shut up to the faith which should afterward be revealed.
24. इसलिये व्यवस्था मसीह तक पहुंचाने को हमारा शिक्षक हुई है, कि हम विश्वास से धर्मी ठहरें।
24. So that the law has become our tutor [to bring us] to Christ, that we might be justified by faith.
25. परन्तु जब विश्वास आ चुका, तो हम अब शिक्षक के आधीन न रहे।
25. But now that faith has come, we are no longer under a tutor.
26. क्योंकि तुम सब उस विश्वास करने के द्वारा जो मसीह यीशु पर है, परमेश्वर की सन्तान हो।
26. For you+ are all sons of God, through faith, in Christ Jesus.
27. और तुम में से जितनों ने मसीह में बपतिस्मा लिया है उन्हों ने मसीह को पहिन लिया है।
27. For as many of you+ as were baptized into Christ did put on Christ.
28. अब न कोई यहूदी रहा और न यूनानी; न कोई दास, न स्वतंत्रा; न कोई नर, न नारी; क्योंकि तुम सब मसीह यीशु में एक हो।
28. There can be neither Jew nor Greek, there can be neither slave nor free, there can be no male and female; for you+ are all one in Christ Jesus.
29. और यदि तुम मसीह के हो, तो इब्राहीम के वंश और प्रतिज्ञा के अनुसार वारिस भी हो।।
29. And if you+ are Christ's, then are you+ Abraham's seed, heirs according to promise.