5. इसलिये मैं ने भाइयों से यह बिनती करना अवश्य समझा कि वे पहिले से तुम्हारे पास जाएं, और तुम्हारी उदारता का फल जिस के विषय में पहिले से वचन दिया गया था, तैयार कर रखें, कि यह दबाव से नहीं परन्तु उदारता के फल की नाई तैयार हो।।
5. I thought it necessary therefore to entreat the brothers, that they would go before to you+, and make up beforehand your+ aforepromised bounty, that the same might be ready as a matter of bounty, and not of extortion.