2 Corinthians - 2 कुरिन्थियों 3 | View All

1. क्या हम फिर अपनी बड़ाई करने लगे? या हमें कितनों कि नाई सिफारिश की पत्रियां तुम्हारे पास लानी या तुम से लेनी हैं?

1. আমরা কি পুনর্ব্বার আপনাদের প্রশংসা করিতে আরম্ভ করিতেছি? অথবা তোমাদের প্রতি কিম্বা তোমাদের হইতে সুখ্যাতি-পত্রে কি অন্য কাহারও কাহারও ন্যায় আমাদেরও প্রয়োজন আছে?

2. हमारी पत्री तुम ही हो, जो हमारे हृदयों पर लिखी हुई है, और उसे सब मनुष्य पहिचानते और पढ़ते है।

2. তোমরাই আমাদের পত্র, আমাদের হৃদয়ে লিখিত পত্র, যাহা সকল মনুষ্য জানে ও পাঠ করে;

3. यह प्रगट है, कि तुम मसीह की पत्री हो, जिस को हम ने सेवकों की नाई लिखा; और जो सियाही से नहीं, परन्तु जीवते परमेश्वर के आत्मा से पत्थर की पटियों पर नहीं, परन्तु हृदय की मांस रूपी पटियों पर लिखी है।
निर्गमन 24:12, निर्गमन 31:18, निर्गमन 34:1, व्यवस्थाविवरण 9:10-11, नीतिवचन 3:3, नीतिवचन 7:3, यिर्मयाह 31:33, यहेजकेल 11:19, यहेजकेल 36:26

3. ফলতঃ তোমরা খ্রীষ্টের পত্র, আমাদের পরিচর্য্যায় সাধিত পত্র বলিয়া প্রকাশ পাইতেছ; তাহা কালী দিয়া নয়, কিন্তু জীবন্ত ঈশ্বরের আত্মা দিয়া, প্রস্তর-ফলকে নয়, কিন্তু মাংসময় হৃদয়ফলকে লিখিত হইয়াছে।

4. हम मसीह के द्वारा परमेश्वर पर ऐसा ही भरोसा रखते हैं।

4. আর খ্রীষ্ট দ্বারা ঈশ্বরের প্রতি আমাদের এইরূপ দৃঢ় বিশ্বাস হইয়াছে।

5. यह नहीं, कि हम अपने आप से इस योग्य हैं, कि अपनी ओर से किसी बात का विचार कर सकें; पर हमारी योग्यता परमेश्वर की ओर से है।

5. আমরা যে আপনারাই কিছুর মীমাংসা করিতে নিজ গুণে উপযুক্ত তাহা নয়; কিন্তু আমাদের উপযোগিতা ঈশ্বর হইতে উৎপন্ন;

6. जिस ने हमें नई वाचा के सेवक होने के योग्य भी किया, शब्द के सेवक नहीं बरन आत्मा के; क्योंकि शब्द मारता है, पर आत्मा जिलाता है।
निर्गमन 24:8, यिर्मयाह 31:31, यिर्मयाह 32:40

6. তিনিই আমাদিগকে নূতন নিয়মের পরিচারক, অক্ষরের নয়, কিন্তু আত্মার পরিচারক হইবার উপযুক্তও করিয়াছেন; কারণ অক্ষর বধ করে, কিন্তু আত্মা জীবনদায়ক।

7. और यहद मृत्यु की यह वाचा जिस के अक्षर पत्थरों पर खोद गए थे, यहां तक तेजोमय हुई, कि मूसा के मुंह पर के तेज के कराण जो घटता भी जाता था, इस्त्राएल उसके मुंह पर दृष्टि नहीं कर सकते थे।
निर्गमन 34:29-30, निर्गमन 34:34

7. কিন্তু মৃত্যুর যে পরিচর্য্যা-পদ প্রস্তরে লিখিত ও ক্ষোদিত, তাহা যদি এমন তেজযুক্ত হইয়া আসিল যে, ইস্রায়েল-সন্তানগণ মোশির মুখের তেজ প্রযুক্ত তাঁহার মুখের দিকে একদৃষ্টে চাহিতে পারিল না, —

8. तो आत्मा की वाचा और भी तेजोमय क्यों न होगी?

8. সেই তেজ ত লোপ পাইতেছিল—তবে কেন আত্মার পরিচর্য্যা-পদ বরং আরও তেজযুক্ত হইবে না?

9. क्योंकि जब दोषी ठहरानेवाली वाचा तेजोमय थी, तो धर्मी ठहरानेवाली वाचा और भी तेजोमय क्यों न होगी?
व्यवस्थाविवरण 27:26

9. কেননা দণ্ডাজ্ঞার পরিচর্য্যা-পদ যদি তেজস্বরূপ হইল, তবে ধার্ম্মিকতার পরিচর্য্যা-পদ তেজে আরও অধিক উপচিয়া পড়ে।

10. और जो तेजोमय था, वह भी उस तेज के कारण जो उस से बढ़कर तेजामय था, कुछ तेजोमय न ठहरा।
निर्गमन 34:29-30

10. কারণ যাহা তেজযুক্ত করা হইয়াছিল, তাহা এ বিষয়ে সেই অতিরিক্ত তেজ প্রযুক্ত তেজযুক্ত হয় নাই।

11. क्योंकि जब वह जो घटता जाता था तेजोमय था, तो वह जो स्थिर रहेगा, और भी तेजोमय क्यों न होगा?

11. কেননা যাহা লোপ পাইতেছে, তাহা যদি তেজযুক্ত হইল, তবে যাহা স্থায়ী, তাহা কত অধিক তেজযুক্ত।

12. सो ऐसी आशा रखकर हम हियाव के साथ बोलते हैं।

12. অতএব, আমাদের এই প্রকার প্রত্যাশা থাকাতে আমরা অতি স্পষ্ট কথা ব্যবহার করি;

13. और मूसर की नाईं नहीं, जिस ने अपने मुंह पर परदा डाला था ताकि इस्त्राएली उस घटनेवाली वस्तु के अन्त को न देखें।
निर्गमन 34:33, निर्गमन 34:35, निर्गमन 36:35

13. আর মোশির মত করি না; তিনি ত আপন মুখে আবরণ দিতেন, যেন ইস্রায়েল-সন্তানগণ একদৃষ্টে চাহিয়া যাহা লোপ পাইতেছিল, তাহার পরিণাম না দেখে।

14. परन्तु वे मतिमन्द हो गए, क्योंकि आज तक पुराने नियम के पढ़ते समय उन के हृदयों पर वही परदा पड़ा रहता है; पर वह मसीह में उठ जाता है।

14. কিন্তু তাহাদের মন কঠিনীভূত হইয়াছিল। কেননা পুরাতন নিয়মের পাঠে সেই আবরণ অদ্য পর্য্যন্ত রহিয়াছে, খোলা যায় না, কেননা তাহা খ্রীষ্টেই লোপ পায়;

15. और आज तक जब कभी मूसा की पुस्तक पढ़ी जाती है, तो उन के हृदय पर परदा पड़ा रहता है।

15. কিন্তু অদ্য পর্য্যন্ত যে কোন সময়ে মোশি পাঠ করা হয়, তখন তাহাদের হৃদয়ের উপরে আবরণ থাকে।

16. परन्तु जब कभी उन का हृदय प्रभु की ओर फिरेगा, तब वह परदा उठ जाएगा।
यशायाह 25:7, निर्गमन 34:34

16. কিন্তু হৃদয় যখন প্রভুর প্রতি ফিরে, তখন আবরণ উঠাইয়া ফেলা হয়।

17. प्रभु तो आत्मा है: और जहां कहीं प्रभु का आत्मा है वहां स्वतंत्राता है।

17. আর প্রভুই সেই আত্মা; এবং যেখানে প্রভুর আত্মা, সেইখানে স্বাধীনতা।

18. परन्तु जब हम सब के उघाड़े चेहरे से प्रभु का प्रताप इस प्रकार प्रगट होता है, जिस प्रकार दर्पण में, तो प्रभु के द्वारा जो आत्मा है, हम उसी तेजस्वी रूप में अंश अंश कर के बदलते जाते हैं।।
निर्गमन 16:7, निर्गमन 24:17

18. কিন্তু আমরা সকলে অনাবৃত মুখে প্রভুর তেজ দর্পণের ন্যায় প্রতিফলিত করিতে করিতে তেজ হইতে তেজ পর্য্যন্ত যেমন প্রভু হইতে, আত্মা হইতে হইয়া থাকে, তেমনি সেই মূর্ত্তিতে স্বরূপান্তরীকৃত হইতেছি।



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